विज्ञान के गुण और दोष – रचना | Bigyaan ke gun aur dosh Rachana

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विज्ञान के गुण और दोष – रचना

शास्त्रों में वर्तमान युग को कलियुग कहा गया है। इसका शाब्दिक अर्थ चाहे कोई भी हो, परन्तु इसे सच्चे अर्थों में कल युग अर्थात मशीनों का युग कहा जा सकता है। आज संसार के सभी कार्य मशीनों के द्वारा हो रहे हैं। एक बटन दबाने से ही रात का काला अंधेरा दिन में बदल जाता है, रूके हुए पहिए चलने लगते हैं, देखते ही देखते असंख्य वस्तुएं तैयार हो जाती हैं। अत:- वर्तमान युग को हम बटन युग भी कह सकते हैं। ये कल-कारखाने मशीनें आदि सबकुछ विज्ञान की देन हैं।

विज्ञान शब्द का अर्थ है- विशेष ज्ञान। पिछली दो शताब्दियों से मनुष्य ने अपनी सुविधा के लिए जिन विशेष साधनों की खोज की है वह सब विज्ञान है। आज बिजली, अणुशक्ति आदि से यंत्रों को चलाकर विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन और निर्माण करना विज्ञान का कार्य है। विज्ञान ने मनुष्य की बुद्धि, शक्ति और योग्यता को बढ़ाकर इतना शक्तिशाली बना दिया है कि अब असम्भव कार्य भी सम्भव हो गया है।

आज विज्ञान की शक्ति देखकर आश्चर्य होता है। कुछ समय पहले असम्भव समझी जाने वालों बातें भी अब सम्भव हो गई हैं। यातायात में इतनी सुविधा हो गई है कि हम कुछ ही घण्टों में संसार के एक कोने से दूसरे कोने में पहुँच सकते हैं। रेल, मोटर, स्कूटर, विमान, जलयान आदि साधनों से मनुष्य की चलने की गति बहुत बढ़ गई है। विज्ञान वास्तव में संसार के लोगों को एक दूसरे के निकट ले आया है। समाचार पत्र मशीनों से छापते हैं। उनके द्वारा संसार भर की सूचनाएं हमें मिलती हैं। रेडियों और टेलिविजन तो सूचना के साथ-साथ उन समाचारों को तुरन्त सुना और दिखा भी देते हैं. समाचारों और सूचनाओं के अतिरिक्त मनोरंजन के क्षेत्र में भी विज्ञान की सहायता उल्लेखनीय है। अब पुराने ढंग के महंगे मनोरंजन नहीं करने पड़ते। रेडियो, टेलीविजन और चलचित्र ने कम समय और कम व्यय में मनोरंजन का उत्तम साधन जुटा दिया है। ज्ञान और विद्या के क्षेत्र में भी विज्ञान ने योगदान दिया है। अनेक विषयों और अनेक भाषाओं की पुस्तकें अब छापे हुए रूप में हर स्थान पर मिलती हैं।

विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने धरती, आकाश, समुद्र और पाताल के अनेक गुप्त रहस्यों की खोज कर ली है। मनुष्य चन्द्र, शुक्र और मंगल लोक तक पहुँचने में सफल हो रहा है। समुद्र से अनेक मूल्यवान पदार्थ निकाले जा रहे हैं। पहाड़ों की ऊंची चोटियों तक जाना मनुष्य के लिए खेल हो गया है। धरती के गर्भ में छुपे अनेक अमूल्य खनिज पदार्थ निकालकर मनुष्य जाति को लाभ दिया जा रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति हुई है।

विज्ञान की शक्ति का सबसे अधिक परिचय औद्योगिक क्षेत्र में दिखाई देता है। भाष, विद्युत और अणुशक्ति से मशीन चलाकर वैज्ञानिकों ने उत्पादन और निर्माण कार्य में अभूतपूर्व वृद्धि की है। हर वस्तु मशीनों से तुरन्त कम तथा कम व्यय में तैयार हो जाती है। इसके अलावा कृषि में भी विज्ञान से सहायता मिली है। रासायनिक खाद, ट्रैक्टर, उत्तम बीज आदि के निर्माण से कृषकों को सुविधा हुई है, उपज बढ़ी है। सिचाई के साधनों में भी विकास हुआ है।

विज्ञान बहुत अधिक उपयोगी होते हुए भी उसकी घनियां अनेक सामने आई हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि विज्ञान ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। मनुष्य हर बात में मशीनों का गुलाम बन गया है। परिश्रम की आदत समाप्त हो गई है। ऊपरी रूप से तो मनुष्य एक दूसरे के समीत आए हैं, परन्तु वास्तव में दिलों से दूर हो गए हैं। मशीनों की सभ्यता का तो विकास किया गया, परन्तु जीवन की सादगी और पवित्रता समाप्त हो गई है। विज्ञान का सबसे बड़ा अभिशाप यह है कि इसने शस्त्रों के निर्माण में सहायता देकर युद्धों को बढ़ावा दिया है। संसार भर में हिंसा का बोलबाला विज्ञान की ही देन है। विज्ञान के कारण बेरोजगारी, महंगाई एवं भ्रष्टाचार में भी वृद्धि हुई है।

हमारा कर्त्तव्य है कि गुणों को ग्रहण करें तथा दोषों को दूर करने का प्रयत्न करें। विज्ञान द्वारा केवल निर्माण, सुविधा और सेवा का ही उद्देश्य पूरा किया जाए तो यह निश्चित रूप से हमारे लिए एक बहुत बड़ा वरदान होगा।

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