भारत की सांस्कृतिक एकता – रचना | Bhaarat kee Saanskrtik ekata Rachana to each essay is provided in the list so that you can easily browse throughout different essay भारत की सांस्कृतिक एकता and select needs one.
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भारत की सांस्कृतिक एकता
बहुत से लोग विशेषतः विदेशी, स्वार्थवश या भ्रमवश भारत को एक देश न कहकर इसे उपमहाद्वीप कहते हैं। इसे सिद्ध करने के लिए वे नदियों की प्राकृतिक विभाजन-रेखाओं, अनेक भाषाओं, अनेक धर्मों तता अलग-अलग प्रकार के रीति रिवाजों का वर्णन करके बताया करते हैं भारत कभी एक देश न था, न है और न हो ही सकता है। वह तो एक उपमहाद्वीप है।
हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना को छिन्न-भिन्न करने के लिए ही उत्तर-दक्षिण, अवर्ण-सवर्ण और भाषा संबंधी प्रश्न उठाए गए और अन्त में कहा गया कि भारत एक देश नहीं, यह तो उपमहाद्वीप है। अंग्रेज शासकों का हित इसी में था कि भारत देश में एकता कायम न हो सके और यह देश अंग्रेजों का गुलाम बना रहे।
विविधता में एकता: परन्तु जब हम गंभीरता से विचार करते है तो हमें स्पष्ट पता चलता है कि हमारा भारत एक देश है। यहां विविधता में एकता दिखाई देती है। भले ही इस देश में जाति, धर्म, भाषा, प्रदेश आदि के भेद विद्यमान हैं, तथापि भारत में एक ऐसी मूलभूत एकता पाई जाती है, जो सांस्कृतिक एकता है और यह सदा से पाई जाती रही है। यदि ऊपरी भेदभाव को छोड़कार कर हम गहराई से सोचें, तो वह एकता हमें अब भी अटूट मिलती हैं।
भाषा-भेद, जाति-भेद और सम्प्रदाय-भेद तो इंग्लेण्ड, अमेरिका, फ्रांस तथा स्विट्जरलेण्ड जैसे देशों में भी बहुत है। इसी प्रकार की भिन्नता हमारे शरीर के पृथक पृथक अंगों में भी होती है, परन्तु अलग-अलग अंग होते हुए भी जैसे शरीर एक है, उसी प्रकार हमारा देश भी अनेक विभिन्नताओं के होते हुए एक हैं। वास्तव में हमारे देश में धर्म तथा संस्कृति की भावना सदा एक तथा अखण्ड रही है।
धर्म: प्राचीन काल से ही भारतीय धर्म तथा साहित्य हमें राष्ट्रीय एकता का पाठ पढ़ाते रहे हैं। सब काव्यग्रंथ चाहे वे उत्तर के हो या दक्षिण के, रामायण तथा महाभारत को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते रहे हैं। कालिदास और भवभूति आदि कवियों ने उत्तर भारत और दक्षिण भारत का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है। भारत की सभी दिशाओं में अनेक पवित्र तीर्थ स्थान है। यह हमारी सांस्कृतिक एकता का महान प्रमाण है।
भाषा: भाषा के दृष्टिकोण से भी मूलरूप में भारत की एकता स्पष्ट है। इस देश में प्रचलित प्राय: सभी भाषाओं का किसी न किसी रूप में संस्कृत भाषा से संबंध है। उर्दू को छोड़कर प्रायः सभी भारतीय लिपियों में परस्पर पर्याप्त समानता है। उर्दू की लिपि अवश्य अलग है, परन्तु उसमें हिन्दी शब्दों की भरमार है।
महापुरुष कवि भक्त: भारत के भिन्न-भिन्न भागों में महापुरुषों, कवियों तथा भक्तों का सारे देश में सभी प्रदेशों में समान रूप से सम्मान किया जाता है। उनकी उक्तियाँ सारे देश में सभी प्रदेशों में लोगों की जबान पर हैं। वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, जयदेव, कबीर, तुलसी आदि सम्पूर्ण भारत के हैं। वे किसी एक प्रदेश के नहीं। हमारी राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन एक है, यद्यपि उसे एक बंगाली (रविन्द्रनाथ ठाकुर) ने बनाया था।
जातीय व्यक्तित्व: भारतीयों का अपना एक जातीय व्यक्तित्व है जो अन्य किसी देशवासी से अलग पहचाना जाता है। हमारी जातीय मनोवृत्ति, जीवन-दर्शन, रहन-सहन, रीति-रिवाज, उठने-बैठने का ढंग, चात-ढाल, वेश-भूषा, साहित्य, संगीत तथा कला में भारी एकता है, जो राष्ट्रीय एकता का प्रबल प्रमाण है।
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