Assam Jatiya Bidyalay Class 6 Hindi Chapter 8 ओवाकाछामा

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ओवाकाछामा

Chapter – 8

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

পাঠভিত্তিক ক্রিয়াকলাপৰ প্রশ্নোত্তৰ


পুৰণি কালত জাপান দেশত ওৱকোঠামা নামৰ বৌদ্ধ ভিক্ষু এজন আছিল। ডাঙৰক সন্মান, সৰুক মৰম কৰাৰ লগতে সময়মতে পঢ়াশুনা কৰা, বন্ধুসকলৰ লগত খেলা-ধূলা কৰা আৰু দুখীয়া মানুহক সহায় কৰি সকলোৰে আদৰণীয় হৈ পৰিছিল। বৌদ্ধ ধৰ্মৰ অষ্টমাৰ্গক জীৱনৰ সকলো পলতে মানিছিল।

তেওঁৰ কাম আৰু ব্যৱহাৰত মানুহ আকৰ্ষিত হৈছিল। শেষত জনসাধাৰণে তেওঁৰ কাৰণে এটা মন্দিৰ বনাই দিলে। তেওঁ সকলো সময়েেত ওচৰ-চুবুৰীয়াৰ খবৰ ৰাখিছিল আৰু বিপদৰ সময়ত সহায়ৰ হাত আগবঢ়াইছিল।

এদিনাখনৰ কথা কিছু মানুহে অবকোঠামাক লগ কৰিলে আৰু ক’লৈ তেওঁলোকৰ গাওখনৰ মাজত এখন পাহাৰ আছে যাৰ কাৰণে দুয়োখন গাওঁৰ মানুহে মিলা-মিছা কৰিব নোৱাৰে। যাতায়ত ব্যৱস্থা অতি পিচপৰা বাবে বহুতো সমস্যাৰ সৃষ্টি হৈছিল।

এই সমস্যাৰ সমাধানৰ দৰকাৰ।

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ওবকোঠামাই কিছু চিন্তা কৰিলে, তৎক্ষণাৎ দুয়োখন গাঁওৰ মাজত থকা পাহাৰৰ ৰেহ-ৰূপ চালে। অৱশেষত তেওঁ এডোখৰ ঠাই বিছাৰি উলিয়ালে যত কম খান্দিলেই পাহাৰৰ মাজেৰে বাস্তা ওলাই যাব। সকলোকে পাহাৰ খন্দাৰ বাবে আদেশ দিলে আৰু নিজেও খন্দাত লাগিল। কিছুদিন পাহাৰ খন্দাৰ পিচত মানুহবিলাক হতাশ হ’ব ধৰিলে আৰু সফলতাৰ কোনো আশা নেদেখি ঘৰলৈ গুচি গ’ল। ওৱাকাঠামা অকলে ৰৈ গ’ল। লাহে লাহে তাত চোৰ-ডকাইতৰ আড্ডা হ’ব ধৰিলে আৰু গাওঁত অশান্তি বিয়পি পৰিল। মানুহবিলাকে ওবকোঠামাক দোষ দিবলৈ ধৰিলে। কিন্তু ওবকোঠামা পিচ হুহকি নাহিল। তেওঁ চোৰ-ডকাইবোৰক মৰমেৰে সুৰঙ্গৰ পৰা আঁতৰিব ক’লে। তেও মধুৰ কথাৰে দুষ্ট মানুহবোৰৰ মন জয় কৰিলে আৰু দুষ্ট মানুহবোৰ তাৰ পৰা আঁতৰি গ’ল। গাওঁলৈ শান্তি ঘূৰি আহিল। 

ওবকোঠামা পুনৰ কামত লাগিল। এক, দুইকৈ কেবা বছৰো পাৰ হৈ গ’ল।

ওবকোঠামাই কেৱল কাম কৰি গ’ল। মানুহে তেওঁক পাগল বুলি ক’লে দৃষ্টি কটু চাৱনিৰে চাব ধৰিলে। ওবকোঠামাই কাৰো কথালৈ মন নিদিলে কেৱল কাম কৰি গ’ল। শেষত ২৫বছৰ পিচত তেওঁ ৰাস্তা উলিয়াই দিলে। তেওঁ অসাধ্য সাধন কৰি দেখুৱালে।

মানুহে এক ঘণ্টাৰ ভিতৰত এইখন গাওৰ পৰা সেইখন গাওঁলৈ যাব পৰা হ’ল।

ৰজাই ওবকোঠামাক খুব প্রশংসা কৰিলে আৰু ৰজা মুগ্ধ হ’ল। ৰজাই তেওঁক ‘দেশবন্ধু’ সম্মানেৰে সন্মানিত কৰিলে। 

তেওঁৰ মৃত্যুৰ পিচতো সেই সুৰঙ্গৰ ৰাষ্টাটোৱে ওরকোঠামাৰ কৃতিত্বৰ কথা সোঁৱৰাই দিলে ৷

शब्दार्थ :

अष्टमार्ग – बौद्ध धर्म में स्वीकृत आठ उपाय। (বৌদ্ধ ধৰ্মৰ আঠটা উপায়)

तत्काल – तुरंत, इसी समय (তৎক্ষণা९)

देख-रेख – निरीक्षण (নিৰীক্ষণ)

लूटेरा – डाकू (ডকাইত)

परवाह – चिंता (চিন্তা)

तल्लीन – ध्यानमग्न (ধ্যানমগ্ন)

सराहना – प्रशंसा (প্ৰশংসা)

कृतित्व – उपलब्धि, महत्व (মহত্ত্ব)

याद – स्मरण (স্মৰণ)

अभ्यास माला

प्रश्न – १ : निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनकर लिखो :

(i) ओवाकाछामा कौन थे ?

(क) ईशाई

(ख) हिन्दू

(ग) बौद्ध भिक्षु

(घ) इसलाम

उत्तर : (ग) ओवाकाछामा बौद्ध भिक्षु थे।

(ii) बौद्ध धर्म के अनुयायी किस मार्ग को मानते हैं ?

(क) एक मार्ग

(ख) देशमार्ग

(ग) अष्ट मार्ग 

(घ) पंचमार्ग 

उत्तर : बौद्ध धर्म के अनुयायी अष्ट मार्ग को मानते हैं।

(iii) बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे–

(क) हजरत मुहम्मद

(ख) गुरु नानक

(ग) श्रीमतं शंकरदेव 

(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर : इनमें कोई नहीं।

(iv) कितने सालो के बाद ओवाकाछामा रास्ता बना पाए ? 

(क) दस साल बाद 

(ख) पच्चीस साल बाद

(ग) बीस साल बाद

(घ) पच्चीस महीने बाद

उत्तर : पच्चीस साल के बाद ओवाकाद्दामा रास्ता बना पाए।

प्रश्न- २ : संक्षेप में उत्तर दो : 

(क) ओवाकाछामा कहाँ के रहने वाले थे ?

उत्तर : ओवाकाद्दामा जापान के रहने वाले थे।

(ख) दोनों गाँवों के बीच क्या खड़ा था ?

उत्तर : दोनों गाँवों के बीच एक पहाड़ खड़ा था। 

(ग) इस कहानी से कौन-सी सीख मिलती है ?

उत्तर : इस कहानी से असीम धैर्य और सहनशीलता की सीख मिलती है।

(घ) गाँव में क्यों अशान्ति फैलने लगी थी ?

उत्तर : लूटेरों का अड्डा बनने से गाँव में अशान्ति फैलने लगी थी। 

(ङ) ओवाकाछामा ने लूटेरे को किस तरह भगाया ?

उत्तर : ओवाकाछामा अपने मिठास भरी वाणी को प्यार से समझा-बुझाकर लुटेरे को भंगाया। 

(च) पहाड़ के बीच में से रास्ता बनाने में कितने साल लगे ?

उत्तर: पहाड़ के बीच में से रास्ता बनाने में पच्चीस साल लगे। 

(छ) राजा ने ओवाकछामा को किस सम्मान से सम्मानित किया था ?

उत्तर : राजा ने ओवाकाद्दामा को “देशबंधु” सम्मान से सम्मानित किया था।

प्रश्न- ३ : ‘क’ अंश के साथ ‘ख’ अंश को मिलाओ :

(क)(ख)
गोतम बुद्धहिन्दु धर्म
हजरत मुहम्मदजैन धर्म
यीशुबौद्ध धर्म
नानकइसलाम धर्म
ऋषि-मुणिईसाई धर्म
महावीरसिक्ख धर्म

उत्तर : 

(क)(ख)
गोतम बुद्धबौद्ध धर्म
हजरत मुहम्मदइसलाम धर्म
यीशुईसाई धर्म
नानकसिक्ख धर्म
ऋषि-मुणिहिन्दु धर्म
महावीरजैन धर्म

प्रश्न- ४ : उत्तर लिखो : (४० से ५० शब्दों के भीतर )

(क) लोग ओवाकाछामा का क्यों आदर करते थे ? 

उत्तर : ओवाकाछामा एक बौद्ध भिक्षु थे। व बड़ों का सम्मान करते थे, छोटों का आदर और स्नेह करते थे। समय के अनुकार पढ़ाई-लिखाई, दोस्तों के साथ खेलकूद और गरीबों की सहायता आदि कार्यों से वे सब लोगों के आदरणीय थे। दो गाँवों के बीच एक पहाड़ होने से दोनों गाँव वाले उन्हें बताया। वे कठिन परिश्रम कर रास्ता बनाया और गाँव वालों के आदर पात्र बने। 

(ख) गाँव के लोगों ने ओवाकाछामा के सामने कौन सी समस्या रखी थी ?

उत्तर : गाँव के लोगों ने ओवाकाछामा से भेंट की और बताया की हमारे गाँवों के बीच एक पहाड़ है। उस पहाड़ के चलते हम दोनों गाँव वाले आसानी से मिल नहीं पाते। यातायात के दुर्गम होने के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती है। अतः समस्याओं का समाधान चाहिए। 

(ग) पहाड़ के बीच में से रास्ता निकालने के लिए ओवाकाछामा ने कौन सा उपाय दिया ? 

उत्तर : ओवाकाछामा दोनों गाँवों की के बीच खड़े पहाड़ को बरे ध्यान से देखा और चिन्तन किया। अन्त में उन्होंने पहाड़ के उस हिस्सा को पहचान लिया, जहाँ पहाड़ पतली थी। उन्होंने उस पतली हिस्से को खोद कर रास्ता बनाने को सोचा। सबको वहाँ पहाड़ को खोदने का आदेश दिया और खुद भी उनके साथ जुट गए।

(घ) पहाड़ लोगों के लिए क्यों समस्या बन पड़ा था ?

उत्तर : दो गौवों के बीच एक पहाड़ था। उस पहाड़ के चलते दोनों गाँव वाले आपस में आसानी से नहीं मिल पाते थे। यातायात भी इतनी कठिन थी कि गाँव वाले हार थक कर पेरशान थे। सबसे बड़ी समस्या यह पहाड़ था। 

(ङ) किन गुणों के अधिकारी होने पर लोग अपनी मंजिल तक पहुँच सकते हैं ? ‘ ओवाकाछामा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करो।

उत्तर : जिस प्रकार ओवाकाछामा असाध्य को साध्य कर दिखाया, उसी प्रकार लोग किसी बात की परवाह किये बिना असीम धैर्य और सहनशीलता के साथ काम में तल्लीन रहें, तो कोई भी कार्य में बाधा नहीं आयेगा। लोग आसानी से अपने मंजिल तक पहुँच सकते हैं। 

प्रश्न- ५ : आशय स्पष्ट करो :

(क) ‘लोग उन्हें पागर कहने लगे, व्यंग भरी दृष्टि से देखने लगे।’

उत्तर : ओवाकाछामा ने गाँव की भलाई के लिए निरन्तर काम करते गये। पहाड़ को काटतें गये। साल, दो साल करके कई साल बीत गये। किन्तु उन्होंने अपना धीर्य नहीं खोया। लोग उन्हें पागल कहने लगे। व्यंग भरी दृष्टि से देखने लगे। परन्तु उन्होंने किसी की बातों की परवाह किये बिना असीम धौर्य और सहनशीलता के साथ काम में तल्लीन रहे। आखिर पच्चीस साल बाद एक दिन उन्होंने रास्ता निकाल ही लिया। उन्होंने असाध्य को साध्य कर दिखाया।

(ख) राजा ने ओवाकाछामा की बड़ी सराहना की और वे गद्गद् हो गए। 

उत्तर : ओवाकाछामा ने जिस कठिनाई से पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया, और लोग अब एक घाण्टे में इस गाँव से उस गाँव तक आने-जाने लगे। इसे देखकर राजा ने ओवाकाछामा की बड़ी सरागना की और वे गद्गद हो गए। राजा की और से उन्हें ‘देशबंधु’ सम्मान से सम्मानित किया गया।

प्रश्न- ६ : निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाओ :

टस से मस न होना, गद्गद् होना, नौ-दो ग्यारह होना

उत्तर : टस से मस न होना- (अपने काम पर डट्टे रहना) लोगों के बातों पर ध्यान न देकरं ओवाकाछामा अपने कार्य से टस से मस नहीं हुए। 

गद् गद् होना- (प्रशन्न होना) ओवाकाछामा के कार्य को देखकर राजा गद् गद्हो गये।

नौ- दो ग्यारह होना- (भाग जाना) आलसी लोग अपने कर्तव्य से नौ-दो ग्यारह हो जाते हैं।

प्रश्न- ७ : वचन परिवर्तन करो :

राजा, मामा, चिड़िया, पुस्तक, नदी, बालिका

उत्तर :

राजाराजा एँ
मामामामांएँ
चिड़ियाचिड़ियाँ
पुस्तकपुस्तकें
नदीनदियाँ
बालिकाबालिकाएँ

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