Assam Jatiya Bidyalay Class 6 Hindi Chapter 7 आत्मनिर्भरता, Assam Jatiya Vidyalaya | অসম জাতীয় বিদ্যালয় হিন্দী Class 6 Question Answer to each chapter is provided in the list of SEBA so that you can easily browse through different chapters and select needs one. Assam Jatiya Bidyalay Chapter 7 आत्मनिर्भरता Class 6 Hindi Question Answer can be of great value to excel in the examination.
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आत्मनिर्भरता
Chapter – 7
অসম জাতীয় বিদ্যালয়
পাঠভিত্তিক ক্রিয়াকলাপৰ প্রশ্নোত্তৰ
আত্মনিৰ্ভৰ্তা এটা মহান গুণ, যাৰ বলত ব্যক্তি, সমাজ আৰু ৰাষ্ট্ৰ উন্নতিৰ শিখৰত উপনীত হ’ব পাৰে। বিদ্যাৰ্থীসকলৰ মনত আত্মনিৰ্ভৰশীল হ’বৰ বাবে ভাৱনা জাগ্ৰত কৰাই এই পাঠৰ উদ্দেশ্য। |
ভিখাৰী আছিল সি। হাত পাতি ফুৰা, মাগি খোৱা তাৰ নিত্য কর্ম আছিল। বেয়া-ভাল শুনা, ধমকি সহ্য কৰা আৰু মাৰ যোৱা তাৰ দৈনিক জীৱনৰ এৰাব নোৱৰা অংশ। এই ধৰণে সি নিজৰ জীৱন কটাইছিল, দিন অতিবাহিত কৰিছিল।
এদিনাখনৰ কথা। সি এঘৰৰ চোতালত উপস্থিত হ’ল। বাহিৰত কাকো নেদেখি সি মাতিবলৈ ধৰিলে, “গৰীৱক দয়া কৰা, ভগৱানে আপোনাৰ মংগল কৰিব।” শব্দ শুনি এজন ব্যক্তি ঘৰৰ বাহিৰলৈ ওলাই আহিল। সন্মুখত ভিখাৰীজনক দেখি মূবৰ পৰা ভৰিলৈ চাবলৈ ধৰিলে। পিছত মনে মনে ভাবিবলৈ ধৰিলে এইজন ব্যক্তি একেবাৰে যুৱক, মাত্ৰ খাদ্যৰ অভাৱত ক্ষীণাই যাবলৈ ধৰিছে। তেওঁ তৎক্ষণাৎ ঘৰৰ ভিতৰলৈ সোমাই গ’ল আৰু হাতত ৰুচি-তৰকাৰী লৈ তাক খাবলৈ দিলে। ভিখাৰীজনে বৰ আনন্দৰে খালে আৰু যাব বিচাৰিলে। তেতিয়াই সেই ব্যক্তিজনে ক’লে, “ৰ’বা, তোমাকতো মই মাত্র খাবহে দিলোঁ, ভিক্ষা এতিয়ালৈকে দিয়া নাই।” ব্যক্তিজন পুনৰ ভিতৰলৈ গ’ল আৰু হাতত এখন কুঠাৰ লৈ ভিখাৰীজনক দিলে।
ভিখাৰীজন বৰ আচৰিত হ’ল। সি সুধিলে, “এয়া আপুনি কি কৰিছে? মই কুঠাৰেৰে কি কৰিম?” ব্যক্তিজনে উত্তৰ দিলে— “আপোনাৰ দৰে যুৱকে মানুহৰপৰা ভিক্ষা মাগিবলৈ যোৱাটো শোভা নাপায়। আপুনি যুৱক, আপোনাৰ শক্তি আছে, তথাপি আপুনি ঘৰে ঘৰে ভিক্ষা মাগিবলৈ যায়। আপুনি এই কুঠাৰখন লৈ যাওক আৰু খৰি কাটিবলৈ আৰম্ভ কৰক। আপুনি আত্মনির্ভৰশীল হ’ব লাগে। আনৰ ওপৰত ভৰষা কৰি জীৱন ধাৰণ কৰিব নালাগে। চাওক, দেশখনে আৰু সমাজখনে তেতিয়াহে উন্নতি কৰিব পাৰিব যেতিয়া আমি প্রত্যেক ব্যক্তিয়ে নিজৰ ওপৰত ভৰষা কৰি বাচি থাকিবলৈ শিকিম।” ডিখাৰীজনে সকলো কথা মনযোগেৰে শুনিলে আৰু কুঠাৰখন লৈ সি গুচি গ’ল।
পিছে শুনাচোন, কুঠাৰ দিওঁতা মহান ব্যক্তিজন কোন আছিল? তেওঁ আছিল ৰাষ্ট্ৰপিতা মহামানৱ মহাত্মা গান্ধী। গান্ধীজীয়ে আমাক সকলোকে আত্মনির্ভশীল হ’বলৈ শিক্ষা দিছিল।
আত্মনির্ভৰতাৰ অৰ্থ হ’ল নিজৰ সহায়তা নিজে কৰা। কোনো এটা কাম কৰোঁতে বাহিৰা সহায়তাই সিমান কাম নকৰে, যিমান আত্মনিৰ্ভৰতাই কৰিব। আত্মনির্ভরতাই উন্নতিৰ আধাৰ। ইউৰোপৰ দেশসমূহৰ উন্নতিৰ মূল কাৰণো ইয়েই। তাৰ বিদ্যাৰ্থীসকলে ছুটীৰ সময়ত দোকান উদ্যোগ, কাৰখানা আদিত কাম কৰে। আত্মনির্ভবশীল হৈ বাচি থকাটো সেই ঠাইৰ মানুহৰ স্বভাৱ হৈ পৰিছে। এইকাৰণে জামানী, ইংলেণ্ডৰ দৰে ইউৰোপ দেশে আজি উন্নতিৰ শিখৰত যাব পাৰিছে।
ব্যক্তি, সমাজ আৰু ৰাষ্ট্ৰৰ প্ৰগতিৰ মূলমন্ত্ৰ হ’ল আত্মনির্ভরশীলতা। বিপদ বা সংকটো আত্মনির্ভৰশীলতাৰ সন্মুখত হাৰ মানি গৈছে। আত্মনিৰ্ভৰশীল হৈ আমি সমাজ আৰু দেশৰ উন্নতি কৰিব পাৰোঁ।
মনত ৰাখিবা : আত্মনির্ভৰশীল মানুহ পানীৰ পাতল খেৰকুটাৰ দৰে সদায় ওপৰত থাকে।
शब्द (শব্দ) | अर्थ (অর্থ) | |
दैनन्दिन | हरदिन | প্রত্যেক দিন |
व्यतीत | बीत जाना | অতিবাহিত হোৱা |
दुबला-पतला | क्षीण शरीर का | ক্ষীণকায় |
तरक्की | उन्नति | উন্নতি |
कुल्हाड़ी | लोहे का एक औजार जिससे पेड़ काटने और लकड़ी चीरते हैं | কুঠাৰ |
बुनियाद | नींव | আংৰ |
हाथ फैलाना | भिक्षा मांगना | ভিক্ষা খোজা |
हिस्सा | अंश | ভাগ, অংশ |
प्रश्न- अभ्यास (প্ৰশ্ন অভ্যাস)
प्रश्न : 1. आत्मनिर्भरता बनने के लिए तुम क्या करना चाहते हो ?
(আত্মনিৰ্ভৰশীল হ’বলৈ তুমি কি কৰিব বিচৰা)
उत्तर : आत्मनिर्भरशील बनने के लिए मैं छोटा-छोटा अपना काम अपने हाथोंसे करना सीखुंगा माताजी और पिताजी के कामों को आगे बढ़ाने के लिए हाथ बताऊँगा।
प्रश्न : 2 आत्मनिर्भरता ही तरक्की की बुनियाद है चर्चा करो।
(আত্মনির্ভৰতাই উন্নতিৰ আধাৰ– আলোচনা কৰা)
उत्तर : आत्मनिर्भरशीलता बड़ी अच्छा गुण है। युरोप के देशों की उन्नति के कारण यही है। यहाँ के विद्यार्थी भी छुट्टी के समय दुकान, उद्योग, कारखाना आदि में काम करते हैं। इसी तरह जीना उन लोगों की स्वभाव बन गये हैं।
प्रश्न : 3. सम्पूर्ण वाक्य में उत्तर दो : (সম্পূর্ণ বাক্যত উত্তৰ দিয়া)
(i) भिक्षुक कैसे अपना दैनन्दिन जीवन बिताता था ?
उत्तर : भिक्षुक हाथ फैलकर माँगकर नित्य खाता था। खरी-खोटी सुनना, धमकी सहना, मार खाना उसके दैनन्दिन जीवन का हिस्सा था।
(ii) भिक्षुक को देखकर व्यक्ति ने क्या सोचा? फिर उसने क्या किया ?
उत्तर : भिक्षुक को देखकर व्यक्ति ने मन ही मन सोचने लगा कि यह व्यक्ति तो एकदम युवा है सिर्फ खाद्य के अभाव से दुबला-पतला हो गया है। फिर उसने घर के अन्दर गया और हाथ में रोटी-सब्जी लाकर उसे खाने दिया।
(iii) गांधीजी ने भिक्षुक को भिक्षा के रूप में क्या दिया ?
उत्तर : गांधीजी ने भिक्षुक को भिक्षा के रूप में एक कुल्हाड़ी दिया।
(iv) हाथ में कुल्हाड़ी देकर गांधीजी भिक्षुक को क्या उपदेश दिया ?
उत्तर : हाथ में कुल्हाड़ी देकर गांधीजी भिक्षुक को उपदेश दिया कि वह आत्मनिर्भरशील बनें। दूसरों पर भरोसा कर जीना नहीं चाहिए। देश और समाज तभी तरक्की कर पायेंगे जब प्रत्येक व्यक्ति अपने भरोसे पर जीना सीखेंगे।
(v) आत्मनिर्भरता का अर्थ क्या है ?
उत्तर : आत्मनिर्भरता का अर्थ अपनी सहायता आप करना।
(vi) युरोप के विद्यार्थी छुट्टी का समय कैसे बिताते है ?
उत्तर : युरोप के विद्यार्थी छुट्टी के समय दुकान, उद्योग, कारखाना आदि में काम करते हैं।
(vii) देश और समाज की उन्नति का मूलमन्त्र क्या है ?
उत्तर : देश और समाज की उन्नति का मूलमन्त्र है आत्मनिर्भरता।
प्रश्न : 5 खाली स्थान भरो : (খালী ঠাই পূৰ কৰা)
(i) उसका नित्य कर्म था __हाथ फैलाना।
उत्तर : उसका नित्य कर्म था माँगना, हाथ फैलाना।
(ii) हाथ में एक __लाकर भिक्षुक को दे दिया।
उत्तर : हाथ में एक कुल्हाड़ी लाकर भिक्षुक को दे दिया।
(iii) __पर भरोसा करके जीना नहीं चाहिए।
उत्तर : दूसरों पर भरोसा करके जीना नहीं चाहिए।
(iv) __होकर ही हम समाज और देश की उन्नति कर सकते हैं।
उत्तर : (iv) आत्मनिर्भर होकर ही हम समाज और देश की उन्नति कर सकते हैं।
प्रश्न : 6. अर्थपूर्ण वाक्य बनाओ (অৰ্থপূৰ্ণ বাক্য সাজা)
आत्मनिर्भरता, तरक्की, नित्य, प्रगति, भरोसा, सहायता, स्वभाव
उत्तर : आत्मनिर्भरता– आत्मनिर्भरता का अर्थ है अपनी सहायता आप करना।
तरक्की– आत्मनिर्भरता तरक्की की बुनियाद है।
नित्य– नित्य अपनी सहायता आप करने का अभ्यास करो।
प्रगति– प्रगति का मूलमन्त्र है आत्मनिर्भरता।
भरोसा– दूसरों पर भरोसा करके जीना उचित नहीं है।
सहायता– बाहरी सहायता से अच्छी लाभ आत्मनिर्भरशील लोग को मिलता है।
स्वभाव– आत्मनिर्भरशील होकर रहना हमारा स्वभाव होना चाहिए।
प्रश्न : 7. उदाहरण को देखो और रेखांकित शब्दों के समानार्थक शब्द प्रयोग करके वाक्यों को पुन: लिखो (উদাহৰণটো চাই ৰেখাংকিত শব্দৰ সমানার্থক শব্দ প্রয়োগ কৰি বাক্যটো পুনৰ লিখা)
(i) आत्मनिर्भरता तरक्की की बुनियाद है।
आत्मनिर्भरता उन्नति की बुनियाद है।
(ii) देश का नाम रखना चाहिए।
वतन का नाम रखना चाहिए।
(iii) उसका नित्य कर्म था मांगना।
उसका दैनन्दिन कर्म था मांगना
(iv) वह अंदर चला गया।
वह भीतर चला गया।
(v) लड़की चिल्ला रही थी।
बालिका चिल्ला रही थी।
(vi) हमारा विद्यालय बहुत सुन्दर है।
हमारा स्कूल बहुत सुन्दर है।
प्रश्न : 8. विद्यार्थी जीवन में आत्मनिर्भरशील बनने के लिए तुम क्या करते हो ? चौखट में भरो। ((বিদ্যাৰ্থী জীৱনত আত্মনির্ভৰশীল হ’বলৈ তুমি কি কৰা? কোঠালী কেইটা ভৰোৱা––
उत्तर :
घर में | विद्यालय में | समाजन |
सफाई करना | सफाई करना | सफाई करना |
बड़ों को सहायता करना | बड़ों को सहायता करना | समाज का काम करना |
प्रश्न : 9. सुलेख लिखो :
आत्मनिर्भरता ही प्रगति का मूलमन्त्र है।
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