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NIOS Class 12 Geography Chapter 4 बहता जल, हिमानी, पवन और समुद्री तरंगें
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बहता जल, हिमानी, पवन और समुद्री तरंगें
Chapter: 4
TEXTUAL QUESTION ANSWER |
पाठगत प्रश्न 4.1
1. नदी के तीन मार्ग कौन-कौन से हैं? (i) ________ (ii) _________ (iii) ________
उत्तर: (i) ऊपरी मार्ग।
(ii) मध्यम मार्ग।
(iii) निम्न मार्ग।
2. उन चार तरीकों के नाम बताइए जिनके द्वारा नदी का कटाव होता है? (i) _______ (ii) _______ (iii) ________ (iv)_________
उत्तर: (i) घर्षण या संक्षारण।
(ii) संक्षारण या विलयन।
(iii) हाइड्रोलिक क्रिया।
(iv) संघर्षण।
3. नदी द्वारा निर्मित किन्ही तीन अपरदनात्मक स्थालाकृतियों के नाम लिखिए। (i) ________ (ii) _______ (iii) _________
उत्तर: (i) ‘V’ आकार की घाटी।
(ii) झरने और क्षिप्रिकाएं।
(iii) गोर्ज और केनियन।
4. उन चार तरीकों के नाम लिखिए जिनके द्वारा नदी अपने भार का परिवहन करती है। (i) _________ (ii) ________ (iii) __________
उत्तर: (i) कर्षण।
(ii) उत्परिवर्तन।
(iii) निलंबन।
(iv) घोलन।
5. रिक्त स्थान भरें:
(i) नदी द्वारा बनाई गई त्रिकोणीय आकार के निक्षेपण को _________ कहा जाता है।
उत्तर: डेल्टा।
(ii) मुख्य नदी से कटे हुए विसर्ष एक झील बनाते हैं जिसे _________ के नाम से जाना जाता है।
उत्तर : गोखुर झील।
(iii) नर्मदा और तापी नदी भारत के पश्चिमी तट पर डेल्टा के बजाय ________ का निर्माण करती हैं।
उत्तर: एस्वुअरी।
(iv) डेल्टा में नदी कई चैनलों में विभाजित हो जाती है जिन्हें _________ के नाम से जाना जाता है।
उत्तर: वितरिकाएं।
पाठगत प्रश्न 4.2
1. स्थिति के आधार पर दो प्रकार के हिमनदों के नाम लिखिए।
उत्तर: (i) घाटी या पर्वतीय ग्लेशियर।
(Ii) महाद्वीपीय ग्लेशियर।
2. रिक्त स्थानों को भरें।
(a) हिम की गतिशील राशि को __________ को कहा जाता है।
उत्तर: (i) घाटी या पर्वतीय ग्लेशियर।
(b) स्थायी रूप से हिम आच्छादित क्षेत्र को _________ कहा जाता है।
उत्तर: महाद्वीपीय ग्लेशियर।
(c) स्थायी रूप से हिमाच्छादित प्रदेशों में उपस्थित हिम की सबसे निचली सीमा को ____________ रूप में जाना जाता है।
उत्तर: हिम्-रेखा।
3. दी गई सूची से हिमनदों (ग्लेशियरों) द्वारा अपरदन और निक्षेपण की प्रक्रियाओं से निर्मित भू-आकृतियों की पहचान और वर्गीकरण करें-
सर्क, मध्यस्थ हिमोढ़ (मोरेन), ‘U’ आकार की घाटी, क्रंवासेस, टिल, तलीय मोरेन
उत्तर: अपरदन संबंधी विशेषताएं: सर्क, ‘यू’ आकार की घाटी, क्रेवेस।
निक्षेपण विशेषताएं मध्य हिमोढ़, टिल, ग्राउंड हिमोढ़।
4. सही और गलत का चिन्ह लगायें।
(a) हिमनद ताजे जल के छोटे जलाशय हैं।
उत्तर: असत्य।
(b) हिमनद झीलें हिमोड़ों द्वारा बनाई जाती हैं।
उत्तर: असत्य।
(c) हिमनद अपवाह अनुप्रवाहित जल के तापमान को प्रभावित करता है।
उत्तर: सत्य।
(d) हिमनदों के पिघलने कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है।
उत्तर: सत्य।
(e) क्रेवसिस हिमनदों द्वारा जमा किया गया जमाव है।
उत्तर: असत्य।
पाठगत प्रश्न 4.3
1. समुद्र और समुद्री तरंगों द्वारा कटाव को प्रभावित करने वाले कारक है-
उत्तर: (i) तरंगों का प्रभाव (ii) तट की विशेषताएं।
2. रिक्त स्थान भरें
(a) _________ के पानी के नीचे जमा होने वाले तलछट हैं जो तटरेखा के समानांतर बनते हैं।
उत्तर: अपतटीय रोधिका।
(b) _________ ज्वारीय क्षेत्र में क्षैतिज जमाव हैं जो समुद्री भृगु भाग से समुद्र में फैल जाते हैं।
उत्तर: तरंगों द्वारा निर्मित चबूतरा (प्लेटफॉर्म)
(c) लहरें, मौसम _______ और ________ मॉडलिंग के लिए बहुत आवश्यक है।
उत्तर: पूर्वानुमान, जलवायु।
पाठगत प्रश्न 4.4
1. पवन द्वारा कटाव से सम्बंधित तीन तंत्रों के नाम बताएं।
उत्तर: (i) बम-वर्षण।
(ii) कर्षण।
(iii) उत्थापन।
2. पवन की क्रिया द्वारा निर्मित अपरदनात्मक भू-आकृतियों के नाम लिखिए
उत्तर: (i) मशरूम (छत्रप) चट्टान।
(ii) वातगर्त।
(iii) यार्डग।
3. पवन की क्रिया द्वारा निर्मित प्रमुख निक्षेपण भू-आकृतियों के नाम लिखिए
उत्तर: (i) स्तूप।
(ii) लोयस।
(iii) उर्मिका चिन्ह।
4. विश्व के किन क्षेत्रों में लोयस का अधिकतम निक्षेप पाया जाता है?
उत्तर: चीन के उत्तर-पश्चिमी पठार क्षेत्र में व्यापक भंडार।
पाठांत प्रश्न |
1. नदी के अपरदन से निर्मित किन्हीं स्थलाकृतियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: नदी के अपरदन से निर्मित स्थलाकृतियों की व्याख्या निम्नलिखित है:
(i) V-आकार की घाटी: नदी के ऊपरी भाग में, जहाँ ढाल तेज होता है, नदी लंबवत अपरदन (गहराई में कटाव) करती है। इससे घाटी गहरी और संकरी होती जाती है, जिसका आकार अंग्रेजी वर्णमाला के ‘V’ अक्षर जैसा दिखता है।
(ii) गॉर्ज: जब नदी कठोर चट्टानों को काटते हुए गहरी और संकरी घाटी बनाती है, तो उसे गॉर्ज कहते हैं। यह मुख्यतः नदी के ऊपरी भाग में बनता है।
(iii) जलप्रपात: जब नदी का पानी ऊंचाई से नीचे गिरता है, तो जलप्रपात बनता है। यह तब होता है जब नदी के रास्ते में कठोर और मुलायम चट्टानों की परतें एक दूसरे के साथ मिलती हैं।
(iv) नदी वेदिकाएँ: नदी वेदिकाएँ, जिन्हें नदी तटबंध भी कहा जाता है, नदी के अपरदन और निक्षेपण के कारण बनती हैं। ये नदी के किनारों पर सीढ़ीनुमा संरचनाएँ होती हैं, जो नदी के पुराने तल को दर्शाती हैं।
2. मुहाना (एस्चुअरी) और डेल्टा के बीच अंतर क्या है?
उत्तर: मुहाना (एस्टुअरी) और डेल्टा के बीच अंतर निम्नलिखित है:
बिंदु | डेल्टा (Delta) | मुहाना / एस्टुअरी (Estuary) |
परिभाषा | यह नदी के मुहाने पर बनने वाली त्रिकोणीय या पंखे जैसी स्थलाकृति है, जो नदी द्वारा लाए गए अवसादों (गाद, मिट्टी आदि) के जमाव से बनती है। | यह वह चौड़ा स्थल है जहाँ नदी का पानी समुद्र या झील में मिल जाता है और एक संकरा, गहरा खाड़ी जैसा क्षेत्र बनता है। |
निर्माण प्रक्रिया | नदी धीमी गति से बहती है, जिससे अधिक अवसाद जमा होता है और डेल्टा बनता है। | तेज प्रवाह या ज्वार-भाटे के कारण नदी अपने अवसाद समुद्र में ले जाती है, जिससे मुहाना बनता है। |
मुख्य विशेषता | नदी कई वितरिकाओं (छोटी-छोटी शाखाओं) में बंट जाती है। | नदी की धारा चौड़ी और गहरी होकर सीधे समुद्र में मिलती है, वितरिकाएँ नहीं बनतीं। |
मिट्टी/उपजाऊता | बहुत उपजाऊ मिट्टी, कृषि के लिए उपयुक्त | उपजाऊ मिट्टी कम होती है |
उदाहरण | गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा, नाइल डेल्टा | नर्मदा और तापी नदी का मुहाना, थीम्स नदी (इंग्लैंड) का मुहाना |
3. निम्नलिखित युग्मों के बीच अंतर करें
(a) ‘U’ आकृति और ‘V’ आकार की घाटियाँ:
उत्तर:
‘U’ आकृति | ‘V’ आकृति |
‘U’ आकृति की घाटियाँ हिमनद (Glacier) द्वारा बनती हैं। | ‘V’ आकार की घाटियाँ नदियों (River) द्वारा बनती हैं। |
U’ आकृति की घाटियाँ चौड़ी, गहरी और सपाट तली वाली होती हैं। | ‘V’ आकार की घाटियाँ संकरी, गहरी और नीचे नुकीली होती हैं। |
‘U’ घाटियों के किनारे ढलानदार और लगभग सीधे होते हैं। | ‘V’ घाटियों के किनारे तीव्र और नुकीले होते हैं। |
(b) बाढ़ का मैदान और गुम्फित धाराएं:
उत्तर:
बिंदु | बाढ़ का मैदान (Flood Plain) | गुम्फित धाराएँ (Braided Streams) |
परिभाषा | यह वह समतल क्षेत्र है जो नदी के दोनों किनारों पर बाढ़ के समय जलमग्न रहता है और अवसाद जमा होने से बनता है। | यह नदी की ऐसी मुख्य धारा है जो कई छोटी-छोटी धाराओं में बंट जाती है और बार-बार रास्ता बदलती है। |
निर्माण प्रक्रिया | नदी द्वारा बार-बार बाढ़ लाने पर अवसाद जमा होता है, जिससे यह मैदान बनता है। | जब नदी में बहाव कम हो और अवसाद अधिक हो, तो नदी की धारा कई शाखाओं में बंट जाती है। |
मुख्य विशेषता | समतल, उपजाऊ और कृषि के लिए उपयुक्त भूमि। | अनेक आपस में गुंथी छोटी धाराएँ, अवसाद के टीलों के बीच बहती हैं। |
स्थान | नदी के दोनों किनारों पर विस्तृत रूप में। | आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के बाद, मैदानी भागों में या अधिक अवसाद वाले क्षेत्रों में। |
उदाहरण | गंगा-यमुना का मैदान | ब्रह्मपुत्र की गुम्फित धाराएँ, नेपाल की हिमालयीन नदियाँ |
(c) लैगून्स और रोधिकाए।
उत्तर:
बिंदु | लैगून (Lagoon) | रोधिका (Barrier) |
परिभाषा | समुद्र तट के पास स्थित उथला, शांत जल का भाग, जो रोधिका (बालू पट्टी) या द्वीप द्वारा समुद्र से आंशिक रूप से अलग होता है। | यह बालू, कंकड़ या अन्य अवसादों से बनी लंबी, संकरी पट्टी है, जो समुद्र तट के समानांतर बनती है और लैगून को समुद्र से अलग करती है। |
निर्माण प्रक्रिया | लहरों द्वारा रोधिका के बनने से तट और समुद्र के बीच लैगून बनता है। | लहरों और समुद्री धाराओं द्वारा बालू/कंकड़ जमा होने से बनती है। |
मुख्य विशेषता | शांत, कम गहराई वाला जल, समुद्र से आंशिक रूप से पृथक। | लंबी और संकरी पट्टी, जो समुद्र और लैगून के बीच अवरोध बनाती है। |
उदाहरण | चिल्का झील (उड़ीसा), पुलिकट झील (तमिलनाडु-आंध्र) | चिल्का झील को समुद्र से अलग करने वाली बालू पट्टी (Barrier Bar) |
4. आरेख की सहायता से गोखुर झील, डेल्टा और प्राकृतिक तटबंधों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: गोखुर झील, डेल्टा और प्राकृतिक तटबंध, ये सभी नदियाँ बनाने वाली भू-आकृतियाँ हैं। गोखुर झील एक V के आकार की झील होती है जो नदी के मोड़ के कट जाने से बनती है। डेल्टा नदियों द्वारा बहाकर लाये गए अवसादों के जमाव से बनता है, जो नदी के मुहाने पर त्रिभुजाकार आकृति बनाता है। प्राकृतिक तटबंध नदी के किनारों पर जमा होने वाले अवसादों से बनते हैं, जो बाढ़ के दौरान नदी को उसके किनारों से बाहर निकलने से रोकते हैं।
(i) गोखुर झील: गोखुर झील, नदी के घुमावदार रास्ते के कट जाने से बनती है। जब नदी मैदानी इलाकों में बहती है, तो यह घुमावदार रास्ते बनाती है। समय के साथ, ये घुमावदार रास्ते और अधिक घुमावदार होते जाते हैं, और अंततः नदी का पानी सीधे रास्ते से बहने लगता है। इस प्रक्रिया में, घुमावदार रास्ते का एक हिस्सा नदी से कट जाता है और एक अलग झील बन जाता है, जिसे गोखुर झील कहते हैं। इसका आकार एक बैल के हल के समान होता है, इसलिए इसे गोखुर झील कहा जाता है। के अनुसार, बताता है कि गोखुर झीलें आमतौर पर धीमी गति से बहने वाली नदियों या मैदानी इलाकों में पाई जाती हैं।
(ii) डेल्टा: डेल्टा, नदी के मुहाने पर बनने वाली एक त्रिकोणीय आकार की भू-आकृति है। जब एक नदी समुद्र या झील में मिलती है, तो उसकी गति धीमी हो जाती है और वह अपने साथ लाई गई रेत, मिट्टी और अन्य अवसादों को जमा करना शुरू कर देती है। यह जमाव नदी के मुहाने पर एक त्रिकोणीय आकार का निर्माण करता है, जिसे डेल्टा कहते हैं। डेल्टा उपजाऊ भूमि के लिए जाना जाता है।
(iii) प्राकृतिक तटबंध: प्राकृतिक तटबंध, नदी के किनारों पर बनने वाली लंबी, संकरी धारियाँ होती हैं। ये तटबंध नदी के किनारों पर अवसादों के जमाव से बनते हैं, जो बाढ़ के दौरान नदी के पानी को उसके किनारों से बाहर निकलने से रोकते हैं। जब नदी में बाढ़ आती है, तो पानी अपने साथ अधिक मात्रा में अवसाद लाता है। जैसे ही पानी नदी के किनारों पर फैलता है, उसकी गति धीमी हो जाती है, और अवसाद जमा होने लगते हैं। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, नदी के किनारों पर एक लंबी, संकरी धारियाँ बन जाती हैं, जिन्हें प्राकृतिक तटबंध कहते हैं।
5. हिमानी (ग्लेशियर) को परिभाषित कीजिये तथा महाद्वीपीय और घाटी ग्लेशियरों के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हिमानी (ग्लेशियर) पृथ्वी की सतह पर बर्फ की एक विशाल, गतिशील राशि है जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में धीरे-धीरे नीचे की ओर बहती है. यह बर्फ के संचय और संपीड़न से बनता है, और इसे अक्सर “बर्फ की नदी” कहा जाता है।
(i) बर्फ का विशाल पिंड: हिमानी एक विशाल, ठोस बर्फ का पिंड होता है जो अपने वजन के कारण नीचे की ओर खिसकता है।
(ii) धीरे-धीरे गतिमान: हिमानी की गति बहुत धीमी होती है, और यह कई सालों या सदियों में बहुत कम दूरी तय करती है
(iii) गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव: गुरुत्वाकर्षण बल हिमानी को नीचे की ओर खींचता है, जिससे यह पहाड़ों से घाटियों और मैदानों की ओर बहता है.
महाद्वीपीय और घाटी ग्लेशियरों के बीच अंतर:
बिंदु | महाद्वीपीय ग्लेशियर (Continental Glacier) | घाटी ग्लेशियर (Valley Glacier) |
अर्थ | ये बहुत विशाल बर्फ की चादरें होती हैं, जो पूरे महाद्वीप या उसके बड़े हिस्से को ढक लेती हैं। | ये पहाड़ी क्षेत्रों की घाटियों में पाई जाने वाली अपेक्षाकृत छोटी बर्फ की धाराएँ होती हैं। |
स्थिति/स्थान | अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड जैसे क्षेत्रों में पाई जाती हैं। | हिमालय, आल्प्स, रॉकीज़ जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। |
क्षेत्रफल | इनका क्षेत्रफल लाखों वर्ग किलोमीटर तक हो सकता है। | ये केवल एक घाटी या पहाड़ के हिस्से को ही ढकती हैं। |
मोटी परत | इनकी बर्फ की परत बहुत मोटी और गहरी होती है। | बर्फ की परत अपेक्षाकृत पतली होती है। |
आकार | आकार में बहुत बड़े और चौड़े होते हैं। | आकार में छोटे और संकरे होते हैं। |
6. लटकती घाटी क्या है? लटकती हुई घाटियां अन्य आकार की घाटियों से किस प्रकार अलग हैं?
उत्तर: लटकती घाटी एक सहायक घाटी होती है जो मुख्य घाटी से ऊँची होती है और मुख्य घाटी के ऊपर लटकी हुई प्रतीत होती है। यह आमतौर पर तब बनती है जब एक छोटा ग्लेशियर एक बड़े ग्लेशियर में बहता है, और बड़ा ग्लेशियर घाटी को अधिक गहराई तक काटता है।
लटकती हुई घाटियां अन्य आकार की घाटियों से निम्नलिखित तरीकों से अलग हैं:
(i) ऊंचाई: लटकती हुई घाटियों का तल मुख्य घाटी के तल से ऊंचा होता है, जो उन्हें अन्य घाटियों से अलग बनाता है।
(ii) निर्माण: लटकती हुई घाटियां अक्सर हिमनदों द्वारा निर्मित होती हैं, जो मुख्य घाटी को अधिक गहरा और चौड़ा बनाते हैं।
(iii) आकार: लटकती हुई घाटियों का आकार अक्सर यू-आकार या वी-आकार का नहीं होता है, बल्कि वे एक ऊंचे तल वाली घाटी के रूप में दिखाई देती हैं।
(iv) ढलान: लटकती हुई घाटियों के किनारे अक्सर खड़े ढलान वाले होते हैं और मुख्य घाटी के साथ एक अचानक ढलान होता है।
7. मोरेन क्या है? विभिन्न प्रकार के मोरेन के बारे में विस्तार से लिखिए।
उत्तर: मोरेन एक प्रकार का भूगर्भिक संरचना है जो हिमनदों द्वारा निर्मित होती है। यह हिमनदों द्वारा अपरदित चट्टानों और मिट्टी के जमाव से बनती है। मोरेन के विभिन्न प्रकार होते हैं।
जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
मोरेन के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
(i) पार्श्व मोरेन: ये ग्लेशियर के किनारों के साथ-साथ चलने वाली लकीरें हैं।
(ii) मध्य मोरेन: ये दो ग्लेशियरों के मिलने से बनने वाली लकीरें हैं, जो पहले अलग-अलग किनारों पर थीं।
(iii) टर्मिनल मोरेन: ये ग्लेशियर के अंत में बनने वाली लकीरें हैं, जो ग्लेशियर के सबसे दूर के बिंदु को चिह्नित करती हैं।
(iv) ग्राउंड मोरेन: ये ग्लेशियर के नीचे जमा हुई मलबे की परत है।
8. महासागर और सागरीय लहरों के कटाव को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो प्रमुख कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: महासागर और सागरीय लहरों के कटाव को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
(i) लहरों की ऊर्जा: लहरों की ऊर्जा और उनकी गति कटाव को प्रभावित करती है। अधिक ऊर्जा वाली लहरें अधिक कटाव कर सकती हैं, जबकि कम ऊर्जा वाली लहरें कम कटाव करती हैं।
(ii) तटीय भू-आकृति: तटीय भू-आकृति, जैसे कि चट्टानों की कठोरता और ढलान, कटाव को प्रभावित करती है। कठोर चट्टानें कम कटाव के अधीन होती हैं, जबकि नरम चट्टानें अधिक कटाव के अधीन होती हैं।
9. पुलिनों (बीच) के निर्माण की प्रक्रिया पर चर्चा कीजिए और भारत में पुलिनों (समुद्र तटों) के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर: पुलिनों (बीच) के निर्माण की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
(i) लहरों की क्रिया: लहरें समुद्र तट पर आती हैं और रेत, कंकड़ और अन्य अवसादों को लेकर आती हैं।
(ii) अवसादों का जमाव: जब लहरें तट पर आती हैं, तो वे अवसादों को छोड़ देती हैं, जो तट पर जमा हो जाते हैं।
(iii) रेत का संचयन: अवसादों के जमाव से रेत का संचयन होता है, जो पुलिन का निर्माण करता है।
भारत में पुलिनों (समुद्र तटों) के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं:
(i) गोवा के समुद्र तट: गोवा के समुद्र तट अपने सुंदर पुलिनों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
(ii) कोवलम बीच, केरल: कोवलम बीच केरल का एक प्रसिद्ध पुलिन है, जो अपने सुंदर दृश्यों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।
10. पवन अपरदन में सहायता करने वाली मरुस्थलीय पर्यावरण में उपस्थित अनुकूल परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: पवन अपरदन में सहायता करने वाली मरुस्थलीय पर्यावरण में उपस्थित अनुकूल परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
(i) कम वर्षा: मरुस्थलीय क्षेत्रों में कम वर्षा होने से मिट्टी और रेत के कण सूख जाते हैं और पवन द्वारा आसानी से उड़ाए जा सकते हैं।
(ii) वनस्पति की कमी: मरुस्थलीय क्षेत्रों में वनस्पति की कमी होने से मिट्टी और रेत के कणों को पकड़ने के लिए कोई जड़ें नहीं होती हैं, जिससे पवन द्वारा उन्हें आसानी से उड़ाया जा सकता है।
(iii) ढीली मिट्टी: मरुस्थलीय क्षेत्रों में मिट्टी अक्सर ढीली और सूखी होती है, जो पवन द्वारा आसानी से उड़ाई जा सकती है।
(iv) तेज़ पवन: मरुस्थलीय क्षेत्रों में तेज़ पवन चलती है, जो मिट्टी और रेत के कणों को उड़ाने में मदद करती है।

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