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NIOS Class 12 Geography Chapter 2 अन्तर्जात बल
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अन्तर्जात बल
Chapter: 2
TEXTUAL QUESTION ANSWER |
पाठगत प्रश्न 2.1
1. पृथ्वी के आंतरिक भाग के बारे में जानकारी देने वाले स्रोत हैं: (अ)___________(ब) _____________
उत्तर: (क) प्रत्यक्ष।
(ख) अप्रत्यक्ष।
2. घनत्व, दबाव और तापमान गहराई बढ़ने के साथ ___________ (अ) बढ़ते हैं (ब) घटते हैं।
उत्तर: (अ) बढ़ते हैं।
3. शीर्ष परत में _______________ की दर से तापमान में वृद्धि होती है।
उत्तर: 10°C/किमी ।
पाठगत प्रश्न 2.2
1. भूकंप मापने वाले उपकरण का नाम लिखिए _____________________ ।
उत्तर: सीस्मोग्राफ।
2. ‘P’ तरंगें _____________ परत/परतों में गुजर जाती है और ‘S’ तरंगें ______________परत परतों से गुजरती हैं।
उत्तर: सभी , शीर्ष की दो।
पाठगत प्रश्न 2.3
1. स्विस द्वारा बतायी गयी पृथ्वी की विभिन्न परतों के नाम लिखिए ? (क) _________ (ख) __________ (ग) __________ स्थल मंडल बना है _________ और से __________
उत्तर: (क) सियाल, (ख) सीमा और (ग) निफे , सिया (Sial) और सिमा (Sima)।
2. पृथ्वी का क्रोड़ ___________ किमी से आरम्भ होता है।
उत्तर: भूपर्पटी तथा ऊपरी ठोस मेंटल।
पाठगत प्रश्न 2.4
1. __________ को महाद्वीपीय विस्थापन का श्रेय दिया जाता है
उत्तर: अल्फ्रेड वेगनर।
2. महाद्वीपीय विस्थापन के किन्हीं दो खण्डों के नाम लिखिए, (क)____________ (ख)_____________
उत्तर: (क) जिग सॉ (ख) भूवैज्ञानिक साम्यता।
3. प्लेट सीमाएं हैं: (क) _________ (ख) ____________ और (ग)__________
उत्तर: (क) अपसारी (ख) अभिसरण (ग) संरक्षक/अनुप्रस्थ।
पाठगत प्रश्न 2.5
1. वलन तथा भ्रंशन को परिभाषित कीजिये।
उत्तर: वलन (Folding): जब पृथ्वी की सतह पर स्थित शिलाएँ भू-आंतरिक बलों के प्रभाव से मोड़ जाती हैं या वक्रित हो जाती हैं, तो इस प्रक्रिया को वलन कहते हैं। वलन के कारण पहाड़ियाँ या पर्वत शृंखलाएँ बनती हैं।
भ्रंशन (Faulting): जब पृथ्वी की सतह पर स्थित शिलाएँ भू-आंतरिक बलों के कारण टूटकर एक-दूसरे के सापेक्ष खिसक जाती हैं, तो इसे भ्रंशन कहते हैं। भ्रंशन के कारण खाई (रिफ्ट), दरार या फॉल्ट लाइन बनती है।
2. वलन का ऊपर की ओर निर्मित भाग __________ कहलाता है। तथा नीचे की ओर निर्मित भाग ___________ कहलाता है
उत्तर: (क) अन्तर्वलय, (ख) सिन्क्लाइन।
3. किन्हीं तीन प्रकार के वलनों के नाम लिखिए। (क) ___________ (ख) _________ और (ग) ___________
उत्तर: (क) सामान्य भ्रंश, (ख) विपरीत भ्रंश, (ग) हड़ताली भ्रंश।
4. भ्रंशन के कोई तीन प्रकार लिखिए। (क) _________ (ख) ___________ (ग) __________।
उत्तर: (क) सामान्य, (ख) व्युत्क्रम, (ग) पाश्वं ।
पाठगत प्रश्न 2.6
1. क्राकाटोआ एक __________ ज्वालामुखी है और किलिमंजारो एक ___________ ज्वालामुखी है
उत्तर: सक्रिय तथा प्रसुप्त।
2. अम्लीय लावा __________ शंकु का निर्माण करता है जबकि क्षारीय लावा _________ का निर्माण करता है।
उत्तर: तीव्र तथा समतल।
3. भूकंप के किन्हीं दो प्रभावों के नाम लिखिए:-
(क) ___________ और (ख) ___________
उत्तर: (क) भूस्खलन, (ख) नदी मार्ग में अवरोधन।
पाठांत प्रश्न |
1. भूकम्पीय साक्ष्यों के आधार पर पृथ्वी के आंतरिक भाग का वर्णन कीजिए।
उत्तर: भूकम्पीय साक्ष्यों के आधार पर पृथ्वी के आंतरिक भाग का वर्णन निम्नलिखित है:
(i) क्रस्ट (भूपर्पटी): पृथ्वी की सबसे बाहरी परत क्रस्ट है, जो ठोस और पतली है।
(ii) मैंटल (प्रावार): क्रस्ट के नीचे मैंटल है, जो गर्म और गाढ़ा होता है।
(iii) कोर (क्रोड): मैंटल के नीचे कोर है, जो दो भागों में विभाजित है: बाहरी कोर, तरल है।
आंतरिक कोरठोस है।
भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली तरंगें पृथ्वी के आंतरिक भाग से गुजरती हैं और उनकी गति और दिशा बदलती है, जिससे वैज्ञानिक पृथ्वी के आंतरिक भाग की संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
2. आंतरिक भाग में चट्टानों के बदलते घनत्व और स्थिति के साथ भूकंपीय तरंग प्रसार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: आंतरिक भाग में चट्टानों के बदलते घनत्व और स्थिति के साथ भूकंपीय तरंग प्रसार निम्नलिखित है:
भूकंपीय तरंग प्रसार:
भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली तरंगें पृथ्वी के आंतरिक भाग से गुजरती हैं और उनकी गति और दिशा बदलती है। यह बदलाव चट्टानों के घनत्व और स्थिति पर निर्भर करता है।
चट्टानों के घनत्व का प्रभाव: चट्टानों के घनत्व में बदलाव के कारण भूकंपीय तरंगों की गति बदलती है। अधिक घनत्व वाली चट्टानों में तरंगें तेजी से चलती हैं, जबकि कम घनत्व वाली चट्टानों में तरंगें धीमी गति से चलती हैं।
चट्टानों की स्थिति का प्रभाव: चट्टानों की स्थिति भी भूकंपीय तरंगों के प्रसार को प्रभावित करती है। तरल चट्टानों में S-तरंगें नहीं गुजर सकती हैं, जबकि ठोस चट्टानों में दोनों प्रकार की तरंगें (P और S) गुजर सकती हैं।
3. चित्रों की सहायता से पृथ्वी के आन्तरिक भाग में घनत्व, दबाव और तापमान वितरण की व्याख्या करें।
उत्तर:

4. पृथ्वी के आंतरिक भाग की रासायनिक संरचना की जाँच कीजिए।
उत्तर: पृथ्वी के आंतरिक भाग की रासायनिक संरचना को समझने के लिए, हमें इसकी विभिन्न परतों को देखना होगा। पृथ्वी की आंतरिक संरचना मुख्य रूप से तीन परतों में विभाजित है: भूपर्पटी, मेंटल और क्रोड।
भूपर्पटी (Crust):
- इसमें मुख्य रूप से सिलिका (SiO₂) और एल्युमिनियम (Al₂O₃) पाए जाते हैं।
- इसे सियाल (SIAL) भी कहा जाता है।
- अन्य तत्व: पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम आदि।
मेंटल (Mantle):
- इसमें मुख्य रूप से सिलिका (SiO₂) और मैग्नीशियम (MgO) होते हैं।
- इसे सिमा (SIMA) कहा जाता है।
- इसमें कुछ मात्रा में लौह, कैल्शियम, एल्युमिनियम भी मिलते हैं।
कोर (Core):
- इसमें मुख्य रूप से लोहा (Fe) और निकेल (Ni) पाए जाते हैं।
- इसे निफे (NIFE) कहा जाता है।
- यह पृथ्वी का सबसे भीतरी और घना भाग है।
5. उचित साक्ष्यों के आधार पर महाद्वीपीय विस्थापन की अवधारणा का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर: महाद्वीपीय विस्थापन की अवधारणा का मूल्यांकन करने के लिए, हमें इसके समर्थन में प्रस्तुत साक्ष्यों को देखना होगा। महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के समर्थन में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं:
(i) महाद्वीपों की आकृति और फिट: महाद्वीपों की आकृतियाँ एक पहेली की तरह हैं जो एक दूसरे के साथ फिट हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की तटरेखाएँ एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से फिट होती हैं।
(ii) जीवाश्म साक्ष्य: विभिन्न महाद्वीपों पर समान जीवाश्म पाए गए हैं, जो यह दर्शाता है कि ये महाद्वीप कभी जुड़े हुए थे। उदाहरण के लिए, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में समान मेसोसॉरस जीवाश्म पाए गए हैं।
(iii) भूगर्भिक साक्ष्य: विभिन्न महाद्वीपों पर समान भूगर्भिक संरचनाएँ और चट्टानें पाई गई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ये महाद्वीप कभी जुड़े हुए थे। उदाहरण के लिए, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में समान प्राचीन पहाड़ी श्रृंखलाएँ पाई गई हैं।
(iv) पैलियोमैग्नेटिज़्म: पैलियोमैग्नेटिज़्म के अध्ययन से पता चलता है कि महाद्वीपों की स्थिति समय के साथ बदली है। पैलियोमैग्नेटिज़्म चट्टानों में पाए जाने वाले चुंबकीय गुणों का अध्ययन है, जो यह दर्शाता है कि चट्टानें कैसे और कब बनीं।
6. प्लेट क्या है? इसके तंत्र और प्लेट किनारों पर निर्मित लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: प्लेटें, पृथ्वी के स्थलमंडल का कठोर भाग हैं जो मेंटल के ऊपर तैरते हैं। प्लेट टेक्टोनिक्स, प्लेटों की गति और उनके किनारों पर होने वाली घटनाओं का अध्ययन है। प्लेटें तीन प्रकार की होती हैं अभिसारी, अपसारी और संरक्षी।
(i) प्लेटें परिभाषा: प्लेटें पृथ्वी की सतह का कठोर भाग हैं जो मेंटल के ऊपर तैरते हैं।
(ii) संरचना: ये प्लेटें महाद्वीपीय और महासागरीय क्रस्ट से बनी होती हैं।
(iii) गति: प्लेटें स्वतंत्र रूप से पृथ्वी के दुर्बलमंडल पर विभिन्न दिशाओं में संचलन करती हैं।
(iv) प्लेट टेक्टोनिक्स: प्लेटों के एक दूसरे के सापेक्ष होने वाले संचलन के परिणामस्वरूप पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तन के अध्ययन को प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं।
(v) तंत्र: प्लेटों की गति मेंटल में संवहन धाराओं, गुरुत्वाकर्षण, और स्लैब पुल जैसे कारकों से प्रभावित होती है।
(vi) प्लेट किनारे: प्लेटों के किनारे तीन प्रकार के होते हैं:
(vii) अभिसारी किनारे: जब दो प्लेटें एक दूसरे की ओर बढ़ती हैं, तो भारी प्लेट का क्षेपण होता है और वलन पड़ता है।
(viii) अपसारी किनारे: जब दो प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती हैं, तो मैग्मा ऊपर उठता है और नई क्रस्ट बनती है।
(ix) संरक्षी किनारे: जब प्लेटें एक दूसरे के साथ-साथ खिसकती हैं, तो भूकंप आते हैं।
(x) प्लेट किनारों पर निर्मित लक्षण: अभिसारी किनारों पर:ज्वालामुखी: सबडक्टिंग प्लेट के पिघलने से ज्वालामुखी बनते हैं।
(xi) भूकंप: प्लेटों के टकराने से भूकंप आते हैं।
(xii) पर्वत श्रृंखलाएं: प्लेटों के टकराने से वलन पड़ने से पर्वत श्रृंखलाएं बनती हैं।
7. वलन किसे कहते हैं और वे कैसे बनते हैं? वलन के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर: जब पृथ्वी की चट्टानों की परतें आंतरिक बलों या दबाव के कारण मुड़ जाती हैं, तो इस प्रक्रिया को वलन (Folding) कहा जाता है। वलन तब बनते हैं जब दो टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के नजदीक आती हैं, जिससे चट्टानों पर संपीडन (compression) का प्रभाव पड़ता है और वे ऊपर या नीचे की ओर मुड़ जाती हैं। उदाहरण के लिए, हिमालय पर्वत का निर्माण वलन की प्रक्रिया से हुआ है।
वलन बनने के कारण:
(i) प्लेट टेक्टोनिक्स: पृथ्वी की प्लेटों की गति और टकराव के कारण चट्टानों में संपीडन उत्पन्न होता है।
(ii) दबाव और तनाव: आंतरिक बलों के कारण चट्टानों पर जबरदस्त दबाव और तनाव पड़ता है, जिससे वे मुड़ जाती हैं।
वलन के परिणाम:
(i) पर्वत निर्माण: वलन के कारण विशाल पर्वत शृंखलाएँ बनती हैं।
(ii) चट्टानों की संरचना में बदलाव: वलन की वजह से चट्टानों की आंतरिक संरचना बदल जाती है।
वलन के प्रकार:
भूपटल की चट्टानों में आंतरिक बलों के कारण लहर जैसी संरचनाएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिन्हें वलन कहते हैं। ये वलन मुख्यतः मुलायम या अवसादी चट्टानों में बनते हैं। वलन में ऊपर उठे भाग को “अपनति” (Anticline) और नीचे धँसे भाग को “अभिनति” (Syncline) कहा जाता है।
8. भ्रंश क्या है और कैसे बनते हैं? भ्रंश के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: भ्रंश (Fault) वह प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी की सतह पर स्थित चट्टानों की परतें आंतरिक बलों (दबाव या तनाव) के कारण टूट जाती हैं और उनके विभिन्न भाग अपनी मूल स्थिति से हटकर ऊपर, नीचे या क्षैतिज दिशा में खिसक जाते हैं। जब चट्टानों में तनाव या दबाव इतना बढ़ जाता है कि वे उसे सहन नहीं कर पातीं, तो वे टूटकर एक-दूसरे के सापेक्ष विस्थापित हो जाती हैं। इसी टूटन और विस्थापन को भ्रंश कहा जाता है।
भ्रंश बनने के कारण:
(i) प्लेट टेक्टोनिक्स: पृथ्वी की प्लेटों की गति और टकराव के कारण।
(ii) दबाव और तनाव: चट्टानों पर आंतरिक बलों के कारण तनाव या संपीडन।
भ्रंश के परिणाम:
(i) भूकंप: भ्रंश के कारण पृथ्वी में कंपन (भूकंप) आ सकते हैं।
(ii) पर्वत निर्माण: कभी-कभी भ्रंश के कारण पहाड़ भी बन सकते हैं।
(iii) चट्टानों की संरचना में बदलाव: भ्रंश चट्टानों की आंतरिक संरचना को बदल देता है।
भ्रंश के प्रकार:
(i) सामान्य भ्रंश (Normal Fault): इसमें भ्रंश का ऊपरी भाग (हैंगिंग वॉल) नीचे की ओर खिसक जाता है। यह तनाव (extensional force) के कारण बनता है, जब चट्टानें फैलती हैं।
(ii) विपरीत भ्रंश (Reverse Fault): इसमें भ्रंश का ऊपरी भाग ऊपर की ओर खिसक जाता है। यह संपीडन (compressional force) के कारण बनता है, जब चट्टानें एक-दूसरे की ओर दबाई जाती हैं।
(iii) हड़ताली भ्रंश (Strike-slip Fault): इसमें चट्टानें क्षैतिज दिशा में, यानी एक-दूसरे के सापेक्ष आगे-पीछे खिसकती हैं। यह क्षैतिज तनाव के कारण होता है। इसका उदाहरण है सैन एंड्रियास भ्रंश (San Andreas Fault)।
9. प्लेट टेक्टोनिक्स के संबंध में भूकंप के वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भूकंप प्लेट टेक्टोनिक्स से संबंधित हैं, और उनकी घटना मुख्य रूप से प्लेट सीमाओं पर केंद्रित होती है। प्लेटें लगातार एक दूसरे के सापेक्ष गति करती हैं, और जब वे टकराती हैं, फिसलती हैं या अलग होती हैं, तो ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप आते हैं.
भूकंपों का वितरण और प्लेट सीमाएँ:
(i) अभिसारी सीमाएँ: जहाँ प्लेटें टकराती हैं, वहाँ एक प्लेट दूसरी के नीचे खिसक जाती है (सबडक्शन)। इससे भारी भूकंप आते हैं, खासकर सबडक्शन ज़ोन में, जो 700 किमी से अधिक की गहराई तक जा सकते हैं।
(ii) अपसारी सीमाएँ: जहाँ प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती हैं, वहाँ मैग्मा ऊपर उठता है और नई क्रस्ट बनाता है। ये भूकंप आमतौर पर उथले होते हैं और प्लेट मार्जिन के पास संकीर्ण बैंड में आते हैं।
(iii) ट्रांसफॉर्म सीमाएँ: जहाँ प्लेटें एक दूसरे के साथ-साथ खिसकती हैं, वहाँ घर्षण और तनाव जमा होता है, जिससे भूकंप आते हैं। ये भूकंप अक्सर तीव्र होते हैं और एक संकीर्ण क्षेत्र में केंद्रित होते हैं।
(iv) प्लेट के अंदर: प्लेटों के अंदर भी भूकंप आ सकते हैं, लेकिन वे आमतौर पर प्लेट सीमाओं पर आने वाले भूकंपों की तुलना में कम बार और कम तीव्र होते हैं।

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