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NIOS Class 12 Geography Chapter 3 बहिर्जात बल तथा उनके द्वारा उत्पन्न भू-आकृतियाँ
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बहिर्जात बल तथा उनके द्वारा उत्पन्न भू-आकृतियाँ
Chapter: 3
TEXTUAL QUESTION ANSWER |
पाठगतत प्रश्न 3.1
1. ऊर्जा के दो प्रमुख स्रोतों के नाम बताइए जो विभिन्न बहिर्जात प्रक्रियाओं को सशक्त बनाते हैं। (क)____________(ख)______________
उत्तर: (क) सूर्यातप (ख) पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न स्थितिज ऊर्जा।
2. निम्नीकरण और अनाच्छादन वहिर्जात प्रक्रियाओं को वर्गीकृत कीजिए। (क)____________
(ख)____________ (ग)_____________
उत्तर: (क) अपक्षय (ख) बृहत् संचलन (ग) अपरदन तथा परिवहन।
3. नदियाँ अपनी घाटी के पाश्वों का अपरदन कैसे करती है? __________________
उत्तर: हाइड्रोलिक क्रिया (जलीय क्रिया)।
4. अर्थ-शुष्क या शुष्क क्षेत्रों में पवनों द्वारा रेत और धूल के शुष्क और शिथिल कणों को हटाने, उठाने और उड़ाने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है? ______________
उत्तर: अपवाहन।
5. हिमानियों द्वारा ले जाए जाने वाले मलबे को सामूहिक रूप से क्या कहा जाता है? ____________
उत्तर: हिमानिकृत बहाव/मोरैन।
पाठगत प्रश्न 3.2
1. पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली द्वितीय क्रम की तीन प्रमुख भू-आकृतियों के नाम लिखिए। (क)________ (ख)__________ (ग)________
उत्तर: (क) पर्वत, (ख) पठार, (ग) मैदान।
2. ब्लॉक पर्वत किन प्रक्रियाओं के परिणाम हैं?
उत्तर: ब्लाक पर्वतों का निर्माण अंतर्जनित बलों के कारण उत्पन्न तनावमूलक और संपीड़नात्मक बलों द्वारा उत्पन्न भ्रंशों अथवा दरारों के कारण होता है।
3. निम्नलिखित पर्वतों के प्रकार लिखिएः
(i) ब्लैक फॉरेस्ट।
(ii) हिमालय।
(iii) अरावली।
(iv) फ्यूजीयामा।
उत्तर:
पर्वत | प्रकार |
(i) ब्लैक फॉरेस्ट | (क) भ्रंशोत्पन्न अथवा ब्लॉक पर्वत। |
(ii) हिमालय। | (ख) वलित पर्वत |
(iii) अरावली। | (ग) अवशेष अथवा अवशिष्ट पर्वत। |
(iv) फ्यूजीयामा। | (घ) ज्वालामुखीय पर्वत। |
4. तिब्बत का पठार, अंतर्पर्वतीय पठार का एक उदाहरण है, ये कौन से वलित पर्वतों से घिरा हुआ है?
उत्तर: तिब्बत का पठार हिमालय पर्वत शृंखला और कुनलुन पर्वत शृंखला के बीच स्थित है। यह पठार हिमालय पर्वतों के उत्तर में और कुनलुन पर्वतों के दक्षिण में स्थित है। तिब्बत का पठार, अंतर्पर्वतीय पठार का एक उदाहरण है:
वलित पर्वत जो तिब्बत के पठार को घेरते हैं:
(i) हिमालय पर्वत: दक्षिण में स्थित, जो भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव से बने हैं।
(ii) कुनलुन पर्वत: उत्तर में स्थित, जो तिब्बत के पठार को तारिम बेसिन से अलग करते हैं।
5. भारतीय उप-महाद्वीप का सिंधु गंगा का मैदान और उत्तरी चीन का ह्वांग हो मैदान किस प्रकार के मैदानों के उदाहरण हैं?
उत्तर: भारतीय उपमहाद्वीप का सिंधु-गंगा का मैदान और उत्तरी चीन का ह्वांग हो मैदान, दोनों ही निक्षेपण मैदान के उदाहरण हैं। ये मैदान नदियों द्वारा लाए गए अवसादों (जैसे कि गाद, रेत, और बजरी) के जमा होने से बनते हैं।
(i) निक्षेपण मैदान: ये मैदान उन क्षेत्रों में बनते हैं जहाँ नदियाँ, हवा, या अन्य प्राकृतिक कारकों द्वारा लाए गए अवसाद जमा होते हैं।
(ii) सिंधु-गंगा का मैदान: यह मैदान सिंधु, गंगा, और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेपों से बना है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में फैला हुआ है।
(iii) ह्वांग हो मैदान: यह मैदान चीन में ह्वांग हो (पीली नदी) द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेपों से बना है, जो उत्तरी चीन में स्थित है।
(iv) जलोढ़ मैदान: सिंधु-गंगा का मैदान और ह्वांग हो मैदान, दोनों ही जलोढ़ मैदानों के उदाहरण हैं, क्योंकि वे नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ (नदी के तलछट) से बने हैं।
(v) उपजाऊ मिट्टी: इन मैदानों में आमतौर पर उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है, जो कृषि के लिए बहुत उपयुक्त होती है।
पाठांत प्रश्न |
1. बहिर्जात प्रक्रियाओं को परिभाषित कीजिये।
उत्तर: बहिर्जात प्रक्रियाएँ वे प्रक्रियाएँ हैं, जो पृथ्वी की सतह पर घटित होती हैं और पृथ्वी की बाहरी सतह को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन प्रक्रियाओं के कारण पृथ्वी की सतह पर विभिन्न भू-आकृतियाँ (landforms) बनती और बदलती रहती हैं।
ये प्रक्रियाएँ मुख्यतः सूर्य की ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण बल तथा वायुमंडलीय शक्तियों जैसे बाहरी कारकों से संचालित होती हैं। इन्हें अनाच्छादन प्रक्रियाएँ भी कहा जाता है।
बहिर्जात प्रक्रियाओं के मुख्य घटक:
(i) अपक्षय: यह चट्टानों का टूटना और विघटन है जो भौतिक, रासायनिक, या जैविक कारकों द्वारा हो सकता है।
(ii) कटाव: यह अपक्षयित पदार्थों या चट्टानों को पानी, हवा, बर्फ, या गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया है।
(iii) परिवहन: यह अपक्षय और कटाव द्वारा हटाए गए पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया है।
(iv) निक्षेपण: यह परिवहन के बाद, पदार्थों का एक स्थान पर जमा होना है, जिससे नई भू-आकृतियाँ (जैसे डेल्टा या जलोढ़ पंख) बन सकती हैं।
2. विभिन भू-आकृतिक कारकों द्वारा अपरदन, परिवहन और निक्षेपण के तंत्र का वर्णन कीजिए
उत्तर: भू-आकृतिक कारक जैसे कि जल, वायु, हिमनद, और गुरुत्वाकर्षण अपरदन, परिवहन और निक्षेपण की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
(i) अपरदन: जल नदियों और समुद्र की लहरों द्वारा अपरदन होता है, जो चट्टानों और मिट्टी को तोड़कर बहा ले जाते हैं।
(ii) वायु: वायु द्वारा अपरदन होता है, जो रेत और धूल को उड़ाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती है।
(iii) हिमनद: हिमनदों द्वारा अपरदन होता है, जो चट्टानों और मिट्टी को तोड़कर अपने साथ बहा ले जाते हैं।
(iv) परिवहन: जल नदियों और समुद्र की धाराओं द्वारा परिवहन होता है, जो अपरदित पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं।
(v) वायु: वायु द्वारा परिवहन होता है, जो रेत और धूल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती है।
(vi) निक्षेपण: जल नदियों और समुद्र में निक्षेपण होता है, जब जल की गति कम होती है और अपरदित पदार्थ जमा हो जाते हैं।
(vii) वायु: वायु द्वारा निक्षेपण होता है, जब वायु की गति कम होती है और रेत और धूल जमा हो जाते हैं।
3. मैदान मनुष्यों के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर: मैदान मनुष्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों और उपयोगों के लिए उपयुक्त होते हैं। यहाँ कुछ कारण हैं:
(i) कृषि: मैदानों में कृषि करना आसान होता है, क्योंकि जमीन समतल और उपजाऊ होती है। इससे खाद्यान्न उत्पादन में मदद मिलती है।
(ii) बस्तियाँ और शहर: मैदानों में बस्तियाँ और शहर बसाना आसान होता है, क्योंकि जमीन समतल होती है और निर्माण कार्य में सुविधा होती है।
(iii) यातायात: मैदानों में सड़कें और रेलवे लाइनें बनाना आसान होता है, जिससे यातायात और संचार में सुविधा होती है।
(iv) उद्योग: मैदानों में उद्योगों की स्थापना करना आसान होता है, क्योंकि जमीन उपलब्ध होती है और परिवहन में सुविधा होती है।
(v) प्राकृतिक संसाधन: मैदानों में अक्सर प्राकृतिक संसाधन जैसे कि जल, मिट्टी, और खनिज पाए जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
(vi) मनोरंजन: मैदानों में विभिन्न प्रकार के मनोरंजन गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है, जैसे कि खेल, पिकनिक, और त्योहार।
4. पहाड़ों को ‘पृथ्वी पर पवित्र भू-आकृतियाँ’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: पहाड़ों को ‘पृथ्वी पर पवित्र भू-आकृतियाँ’ कहा जाता है:
(i) आध्यात्मिक महत्व: कई धर्मों और संस्कृतियों में पहाड़ों को पवित्र माना जाता है, जैसे कि हिंदू धर्म में हिमालय को पवित्र माना जाता है।
(ii) प्राकृतिक महत्व: पहाड़ जलवायु को नियंत्रित करने, जल संसाधनों को प्रदान करने, और जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(iii) सांस्कृतिक महत्व: पहाड़ स्थानीय समुदायों की संस्कृति और परंपराओं से जुड़े होते हैं।
5. निम्नलिखित के बीच अंतर करें:
(क) निम्नीकरण और अधिवृद्धि प्रक्रियाएं।
उत्तर:
अंतर | निम्नीकरण प्रक्रियाएं | अधिवृद्धि प्रक्रियाएं |
अर्थ | यह एक प्रक्रिया है जिसमें भूमि, जल, या अन्य प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता में कमी आती है, अक्सर मानव गतिविधियों के कारण। निम्नीकरण से पारिस्थितिकी तंत्र और जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। | इसमें किसी स्थान पर पदार्थों का संचय या जमाव होता है, जैसे नदी के किनारे मिट्टी का जमना या तटवर्ती क्षेत्रों में रेत का जमा होना। यह आमतौर पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होता है। |
उद्देश्य | यह एक प्रक्रिया है जिसमें किसी क्षेत्र में सामग्री का संचय होता है, जैसे कि नदी के किनारे पर मिट्टी का जमावड़ा या तटीय क्षेत्रों में रेत का संचय। अधिवृद्धि प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हो सकती है। | दोनों प्रक्रियाएं पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती हैं और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। |
प्रबंधन | इनसे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए संरक्षण व प्रबंधन जरूरी है। | अधिवृद्धि का भी प्रबंधन जरूरी है ताकि पारिस्थितिक संतुलन बना रहे। |
(ख) अंतर्पर्वतीय और महाद्वीपीय पठार।
उत्तर:
अंतर | अंतर्पर्वतीय पठार | महाद्वीपीय पठार |
अर्थ | अंतर्पर्वतीय पठार ये पठार पहाड़ों के बीच स्थित होते हैं। उदाहरण के लिए, तिब्बत का पठार हिमालय और अन्य पहाड़ी श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। | अंतर्पर्वतीय पठार अक्सर ऊंचाई पर स्थित होते हैं और पहाड़ों से घिरे होते हैं। |
उद्देश्य | महाद्वीपीय पठार ये बड़े और विशाल पठार होते हैं जो महाद्वीपों के अंदरूनी भागों में पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका का पठार या ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार। | महाद्वीपीय पठार विशाल क्षेत्र में फैले होते हैं और महाद्वीप के अंदरूनी भाग में स्थित होते हैं। |
विशेषता | आमतौर पर चारों ओर से पर्वतों से घिरे होते हैं। | सामान्यतः इनकी ऊँचाई अपेक्षाकृत कम होती है और ये पर्वतों से घिरे नहीं होते। |
(ग) संक्षारण एवं संघर्षण।
उत्तर:
अंतर | संक्षारण | संघर्षण |
अर्थ | संक्षारण यह एक प्रक्रिया है जिसमें धातुएं अपने पर्यावरण के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण क्षतिग्रस्त होती हैं। उदाहरण के लिए, लोहे में जंग लगना एक प्रकार का संक्षारण है। | संक्षारणधातुओं की संरचना और उपयोगिता को प्रभावित करता है, जिससे सुरक्षा और रखरखाव पर प्रभाव पड़ता है। |
उद्देश्य | संघर्षण यह एक यांत्रिक प्रक्रिया है जिसमें सतहों के बीच घर्षण के कारण सामग्री का क्षरण होता है। उदाहरण के लिए, पहियों के घर्षण से सड़क की सतह पर होने वाला क्षरण। | संघर्षण सतहों के क्षरण को समझना इंजीनियरिंग और निर्माण में महत्वपूर्ण है। |
6. संसार के रूपरेखा मानचित्र पर निम्नलिखित की स्थिति जाने और उन्हें लेबल करें।
(क) रॉकीज और एंडीज पर्वत।
(ख) तिब्बती पठार।
(ग) हिमालय।
(घ) सिन्धु-गंगा के मैदान।
(क) माउंट फूजीयामा।
उत्तर:


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