NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 5 औरतों ने बदली दुनिया

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NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 5 औरतों ने बदली दुनिया

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Chapter: 5

सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-२

इकाई तीन: लिंग बोध-जेंडर

1. क्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के चित्र अधिक हैं?

उत्तर: हाँ, महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की गतिविधियों के अधिक चित्र हैं।

2. किस प्रकार के व्यवसायों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों के चित्र अधिक हैं?

उत्तर: किसान, मिल मजदूर, सेना, वैज्ञानिक, पायलट, पेट्रोल पंप के कर्मचारी, व्यापार, पुलिस, रेलवे, बस कर्मचारी जैसे व्यावसायों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों के चित्र अधिक है। क्योंकि पहले वाले समय में ये सारी अपेक्षाएं पुरुषों से ही रखी जाती थी। महिलाओं को आगे पढ़ने के लिए किसी प्रकार की नौकरी के लिए कोई सहयोग नहीं मिलता था।

3. क्या सबने नर्स के लिए महिला का ही चित्र बनाया है? क्यो?

उत्तर: हाँ, अधिकांश ने नर्स के लिए महिला का ही चित्र बनाया है क्योंकि यह माना जाता है कि महिलाएँ पुरुषों से अधिक सहनशील तथा विनम्र होती हैं।

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4. क्या महिला किसानों के चित्र तुलनात्मक रूप से कम हैं? यदि है, तो क्यों?

उत्तर: हाँ, महिला किसानों के चित्र तुलनात्मक रूप से कम हैं क्योंकि किसान का कार्य एक मेहनतभरा कार्य है जिसके लिए अत्यधिक शारीरिक श्रम की जरूरत होती है। जैसे— हल चलाना, कुदाल चलाना, बोझा ढोना आदि। महिलाओं को इन कामों में मुश्किल होती है, क्योंकि महिलाओं का शरीर पुरुषों की अपेक्षा नाजुक होता है। इसलिए महिला किसानों की संख्या पुरुषों की तुलना में कम है।

5. अपनी कक्षा में किए गए अभ्यास की तुलना रोज़ी मैडम की कक्षा के अभ्यास से करिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

6. नीचे दी गई कहानी को पढ़िए और उसके बाद दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) यदि आप ज़ेवियर होते, तो कौन-से विषय चुनते?

उत्तर: यदि मैं ज़ेवियर होता तो इतिहास विषय को ही चुनता, क्योंकि कोई भी विषय खराब नहीं होती। अपनी किसी भी विषय के प्रति दिलचस्पी होनी चाहिए। किसी भी विषय को दिलचस्पी से पढ़कर अव्वल नंबर लाया जा सकता है और अपने लक्ष्य की और बढ़ा जा सकता है।

(ख) अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि लड़कों को ऐसे किन-किन दबावों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर: मेरे अनुभव से लड़कों को ऐसे निम्न दबावों का सामना करना पड़ता है–

(i) एक उपयुक्त नौकरी प्राप्त करना।

(ii) कई बार लड़कों को अपने इच्छा के विरुद्ध विषय का चुनाव करने का दबाव।

(iii) आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना।

(iv) अपनी नौकरी में अच्छी स्थिति, अच्छा पद प्राप्त करना।

(v) अभिभावकों की अपेक्षाएँ आदि।

7. उच्च प्राथमिक स्तर पर कितने बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं?

उत्तर: उच्च प्राथमिक स्तर पर 4.03 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं।

8. शिक्षा के किस स्तर पर आपको सर्वाधिक बच्चे स्कूल छोड़ते हुए दिखाई देते हैं?

उत्तर: शिक्षा के माध्यमिक स्तर पर हमें सर्वाधिक 17.06 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ते हुए दिखाई देते हैं।

9. आपके विचार में अन्य सभी वर्गों की तुलना में, आदिवासी लड़के-लड़कियों की विद्यालय छोड़ने की दर अधिक क्यों है?

उत्तर: अन्य सभी वर्गों की तुलना में आदिवासी लड़के लड़कियों की विद्यालय छोड़ने की दर अधिक है क्योंकि आदिवासी समुदायों में अक्सर गरीबी और आर्थिक अस्थिरता होती है, जिससे बच्चों को स्कूल छोड़कर परिवार की मदद करने के लिए काम करना पड़ता है। आदिवासी क्षेत्रों में नियमित रूप से पढ़ाने वाले न उचित स्कूल हैं और न शिक्षक। विद्यालय तक आने-जाने की सुविधाओं का अभाव है। आदिवासी बच्चों को कभी-कभी सामाजिक भेदभाव का सामना भी करना पड़ता है, जो उनके लिए विद्यालयों में एक नकारात्मक अनुभव बना सकता है, और इससे उनकी पढ़ाई में रुचि कम हो जाती है।

अभ्यास

1. आपके विचार से महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, उनके समानता के अधिकार को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर: समानता का अधिकार इस बात पर आधारित है कि हर व्यक्ति एक समान है और हर किसी को अपना जीवन सार्थक बनाने के लिए किसी रोकटोक का सामना न करना पड़े। रूढ़िवादी धारणा कि स्त्रियाँ अधिक शारीरिक श्रम वाला कार्य नहीं कर सकतीं। इसके कारण अनेक कार्य क्षेत्रों से अलग कर दिया गया है, उसे बाह्य कार्य-क्षेत्र में जाने से रोका गया तथा घरेलू कार्य क्षेत्र में सीमित रखा गया। इसका परिणाम यह हुआ कि उसके कार्य को कम महत्त्व दिया जाता है और उसका पारिश्रमिक भी कम दिया जाता है। यही नहीं, घरेलू कार्य करने वाले नौकरों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। एक धारणा यह है कि लड़कियों के जीवन का मुख्य लक्ष्य शादी कर घर-परिवार संभालना है। इसका परिणाम यह होता है कि अधिकांश परिवारों में स्कूली शिक्षा पूरी हो जाने के बाद लड़कियों को नौकरी करने से रोका जाता है और इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि वह शादी करके घर-परिवार संभाले।

2. कोई एक कारण बताइए जिसकी वजह से राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इतना महत्त्वपूर्ण था।

उत्तर: रास सुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इस कारण महत्त्वपूर्ण था क्योंकि तीनों पढ़ाई और अक्षर ज्ञात के लिए काफी उत्सुक थीं और ये तीनों धनी परिवार से संबंधित थीं तथा स्त्रियों के जीवन में परिवर्तन ला सकती थीं। समाज में लिंग सम्बन्धी असमानता के सम्बन्ध में अपने विचार रख सकती थीं। वे उन महिलाओं में से थीं जो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहती थीं। ऐसा करने के लिए हौसले के साथ साथ सही ज्ञान का होना भी जरूरी है। जब कोई पढ़ना लिखना सीख लेता है तो उसके लिए ज्ञान प्राप्त करना अधिक सुलभ हो जाता है।

3. “निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, क्योंकि शिक्षा में उनकी रुचि नहीं है।” पृष्ठ 56, 57 पर दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर स्पष्ट कीजिए कि यह कथन सही क्यों नहीं है?

उत्तर: यह कथन सत्य नहीं है, क्योंकि निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, इसका कारण उनकी रुचि न होना नहीं है, बल्कि दूसरे अनेक कारण हैं। जैसे—

(i) ग्रामीण क्षेत्रों में उचित स्कूल नहीं होते।

(ii) अध्यापक नहीं होते।

(iii) माँ-बाप केवल एक बच्चे की शिक्षा का ही खर्चा उठाने में सक्षम होते हैं, ऐसी स्थिति में वे लड़के को प्राथमिकता दे देते हैं।

(ii) उनके घरों से स्कूल काफी दूर होते हैं, वहाँ तक आने-जाने की सुविधाएँ नहीं होती हैं।

4. क्या आप महिला आंदोलन द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले संघर्ष के दो तरीकों के बारे में बता सकते हैं? महिलाएँ क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, इस विषय पर आपको रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े, तो आप पढ़े हुए तरीकों में से कौन-से तरीकों का उपयोग करेंगे? आप इसी विशेष तरीके का उपयोग क्यों करेंगे?

उत्तर: महिला आंदोलन द्वारा व्यवहार में लाये जाने वाले संघर्ष के दो तरीके हैं-

(i) अभियान: भेदभाव और हिंसा के विरोध में अभियान चलाना महिला आन्दोलन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। अभियानों के फलस्वरूप नए कानून भी बने हैं। सन् 2006 में एक कानून बना है, जिससे घर के अंदर शारीरिक और मानसिक हिंसा को भोग रही औरतों को कानूनी सुरक्षा दी जा सके। इसी तरह महिला आंदोलन के अभियानों के कारण 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्य के स्थान पर और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के साथ होने वाली यौन प्रताड़ना से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए।

(ii) जागरूकता बढ़ाना: औरतों के अधिकारों के संबंधों में समाज में जागरूकता बढ़ाना भी महिला आंदोलन का एक प्रमुख कार्य है। गीतों, नुक्कड़ नाटकों व जनसभाओं के माध्यम से वह अपने संदेश लोगों के बीच पहुँचाता है। यदि इस विषय पर मुझे रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े तो मैं जागरूकता बढ़ाने के तरीके का उपयोग करूँगा। इसका कारण यह है कि यदि हम समाज में किसी रूढ़ि के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाने में सफल रहते हैं तो रूदि पूर्णरूप से समाप्त हो जाएगी।

यदि मुझे ऐसा संघर्ष करना पड़े तो मैं लोक जागरण के लिए काम करना पसंद करूँगी। मैं इसके लिए ब्लॉग लिखूँगी और संपादक को पत्र लिखूँगी। मेरा अधिकतर समय पढ़ाई में बीतता है और मेरे उज्ज्वल भविष्य के लिए यह जरूरी भी है। इसलिए मै अभी इस स्थिति में नहीं हूँ कि विरोध प्रदर्शन में भाग ले सकूँ। अपनी व्यस्तता के बावजूद मैं बड़े आराम से लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ब्लॉग लिख सकती हूँ।

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