NCERT Class 7 Social Science Hamare Atit Chapter 8 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

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NCERT Class 7 Social Science Hamare Atit Chapter 8 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

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Chapter: 8

हमारे अतीत-२

1. अध्याय 4 में तालिका 1 देखें। औरंगज़ेब के शासनकाल में किन-किन लोगों ने मुग़ल सत्ता को सबसे लंबे समय तक चुनौती दी।

उत्तर: बादशाह औरंगज़ेब ने दक्कन में (1679 से) लंबी लड़ाई लड़ते हुए साम्राज्य के सैन्य और वित्तीय संसाधनों को बहुत अधिक खर्च कर दिया था।

औरंगज़ेब के उत्तराधिकारियों के शासनकाल में साम्राज्य के प्रशासन की कार्य-कुशलता समाप्त होने लगी और मनसबदारों के शक्तिशाली वर्गों को वश में रखना केंद्रीय सत्ता के लिए कठिन हो गया। सूबेदार के रूप में नियुक्त अभिजात अकसर राजस्व और सैन्य प्रशासन (दीवानी एवं फ़ौजदारी) दोनों कार्यालयों पर नियंत्रण रखते थे। इससे मुग़ल साम्राज्य के विशाल क्षेत्रों पर उन्हें विस्तृत राजनैतिक, आर्थिक और सैन्य शक्तियाँ मिल गईं। जैसे-जैसे सूबेदारों ने प्रांतों पर अपना नियंत्रण सुदृढ़ किया, राजधानी में पहुँचने वाले राजस्व की मात्र में कमी आती गई।

2. खालसा से क्या अभिप्राय है? क्या आपको याद है कि इसके बारे में आपने अध्याय 6 में पढ़ा है?

उत्तर: सत्रहवीं शताब्दी में सिक्ख आंदोलन का राजनीतिकरण शुरू हो गया, जिसका दूरगामी परिणाम यह हुआ कि 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा की संस्था का निर्माण किया। ‘खालसा पंथ’ के नाम से जाना जाने वाला सिक्ख समुदाय अब एक राजनैतिक सत्ता बन गया। सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियों की बदलती हुई ऐतिहासिक परिस्थितियों ने सिक्ख आंदोलन के विकास को प्रभावित किया। शुरू से ही बाबा गुरु नानक के विचारों का सिक्ख आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

फिर से याद करें

1. बताएँ सही या गलतः

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(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।

उत्तर: गलत।

(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।

उत्तर: गलत।

(ग) गुरु गोबिद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे।

उत्तर: सही।

(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।

उत्तर: सही।

आइए विचार करें

2. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?

उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में कई योग्य नेताओं के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने-आपको पहले ‘जत्थों’ में, और बाद में ‘मिस्लों’ में संगठित किया। इन जत्थों और मिस्लों की संयुक्त सेनाएँ ‘दल खालसा’ कहलाती थीं। उन दिनों दल खालसा, बैसाखी और दीवाली के पर्वो पर अमृतसर में मिलता था। इन बैठकों में वे सामूहिक निर्णय लिए जाते थे, जिन्हें गुरमत्ता (गुरु के प्रस्ताव) कहा जाता था। सिक्खों ने राखी व्यवस्था स्थापित की, जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था। अठारहवीं शताब्दी के अंतिम भाग में सिक्ख इलाके सिंधु से यमुना तक फैले हुए थे, यद्यपि ये विभिन्न शासकों में बँटे हुए थे। इनमें से एक शासक महाराजा रणजीत सिंह ने विभिन्न सिक्ख समूहों में फिर से एकता कायम करके 1799 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।

3. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?

उत्तर: मराठा शासक निम्न कारणों से दक्कन के पार अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे—

(i) वे मुगलों के प्रभाव को कम करना चाहते थे।

(ii) मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएँ खड़ी करने के लिए संसाधन मिल सके।

(iii) वे व्यापार के साथ-साथ विशाल क्षेत्र की कृषि को नियंत्रित करना चाहते थे।

(iv) उत्तरी मैदानी भागों के उपजाऊ क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे।

4. क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसाकि वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे?

उत्तर: हमारे विचार में आज महाजन और बैंकर उस तरह का प्रभाव नहीं रखते हैं जैसा अठारहवीं सदी में वे रखते थे क्योंकि अठारहवीं सदी में राज्य और महाजनों तथा वणिकजनों के बीच सम्बन्ध होते थे। साहूकार महाजन लोग लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में बंधक के रूप में जमीन रख लेते थे। साहूकार महाजन जैसे कई नए सामाजिक समूह राज्य की राजस्व प्रणाली के प्रबंध को भी प्रभावित करने लगे थे। अठारहवीं सदी में वे लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में प्रतिभूति जमानत या बंधक के रूप में जमीन रख लेते थे, लेकिन वर्तमान समय में ऋण की प्रक्रिया के सम्बन्ध में अनेक नियम तथा विनियम हैं तथा इस क्षेत्र में बैंक आदि अनेक सरकारी एजेन्सियाँ कार्यरत हैं।

5. क्या अध्याय में उल्लिखित कोई भी राज्य आपके अपने प्रांत में विकसित हुए थे? यदि हाँ, तो आपके विचार से अठारहवीं शताब्दी का जनजीवन आगे इक्कीसवीं शताब्दी के जनजीवन से किस रूप में भिन्न था?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

आइए करके देखें

6. राजपूतों, जाटों, सिक्खों अथवा मराठों में से किसी एक समूह के शासकों के बारे में कुछ और कहानियों का पता लगाएँ।

उत्तर: राजपूत राजा महाराणा प्रताप का नाम वीरता और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। हल्दीघाटी का युद्ध (1576 ई.) अकबर की सेना और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था। राणा कुंभा को जब पता चला की मालवा का सुल्टं अलौद्दीन खलजी ने मेवार् पर आक्रमण किया हैं तो राणा कुंभा अपनी सेना के साथ मांडू के लिए चलने लगे। युद्ध में महाराणा प्रताप ने घोड़े चेतक के साथ अद्वितीय पराक्रम दिखाया। चेतक की वफादारी और बलिदान आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

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