NCERT Class 7 Social Science Hamare Atit Chapter 4 मुग़ल: सोलहवीं से सत्रहवीं शताब्दी

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NCERT Class 7 Social Science Hamare Atit Chapter 4 मुग़ल: सोलहवीं से सत्रहवीं शताब्दी

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Chapter: 4

हमारे अतीत-२

फिर से याद करें

1. सही जोड़े बनाएँ:

मनसबमारवाड़
मंगोलउज़बेग
सिसौदिया राजपूतमेवाड़
राठौर राजपूतपद
नूरजहाँजहाँगीर

उत्तर: 

मनसबपद
मंगोलउज़बेग
सिसौदिया राजपूतमेवाड़
राठौर राजपूतमारवाड़
नूरजहाँजहाँगीर

2. रिक्त स्थान भरें:

(क) दक्कन की पाँचों सल्तनत बरार, खानदेश, अहमद नगर, ___________ और ___________ थीं।

उत्तर: दक्कन की पाँचों सल्तनत बरार, खानदेश, अहमद नगर, बीजापुर और गोलकुण्डा थीं।

(ख) यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके _____________ को दिखाता था।

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उत्तर: यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके सैन्य उत्तरदायित्व को दिखाता था।

(ग) अकबर के दोस्त और सलाहकार, अबुल फ़ज़्ल ने उसकी ____________ के विचार को गढ़ने में मदद की जिसके द्वारा वह विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और जातियों से बने समाज पर राज्य कर सका।

उत्तर: अकबर के दोस्त और सलाहकार, अबुल फ़ज़्ल ने उसकी सुलह-ए-कुल के विचार को गढ़ने में मदद की जिसके द्वारा वह विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और जातियों से बने समाज पर राज्य कर सका।

3. मुग़ल राज्य के अधीन आने वाले केंद्रीय प्रांत कौन-से थे?

उत्तर: मुग़ल राज्य के अधीन आने वाले केंद्रीय प्रांत दिल्ली, सिंध, काबुल, मेवाड़, मारवाड़, गुजरात, बिहार, बंगाल, उड़ीसा और दक्कन थे।

4. मनसबदार और जागीर में क्या संबंध था।

उत्तर: मनसबदार अपना वेतन राजस्व एकत्रित करने वाली भूमि के रूप में पाते थे, जिन्हें जागीर कहते थे और जो तकरीबन ‘इक्ताओं’ के समान थीं। परंतु मनसबदार, मुक्तियों से भिन्न, अपने जागीरों पर नहीं रहते थे और न ही उन पर प्रशासन करते थे। उनके पास अपनी जागीरों से केवल राजस्व एकत्रित करने का अधिकार था। यह राजस्व उनके नौकर उनके लिए एकत्रित करते थे, जबकि वे स्वयं देश के किसी अन्य भाग में सेवारत रहते थे।

अकबर के शासनकाल में इन जागीरों का सावधानीपूर्वक आकलन किया जाता था, ताकि इनका राजस्व मनसबदार के वेतन के तकरीबन बराबर रहे। औरंगज़ेब के शासनकाल तक पहुँचते-पहुँचते स्थिति बदल गई। अब प्राप्त राजस्व, मनसबदार के वेतन से बहुत कम था। मनसबदारों की संख्या में भी अत्यधिक वृद्धि हुई, जिसके कारण उन्हें जागीर मिलने से पहले एक लंबा इंतजार करना पड़ता था।

आइए समझें

5. मुग़ल प्रशासन में ज़मींदार की क्या भूमिका थी?

उत्तर: मुग़लों की आमदनी का प्रमुख साधन किसानों की उपज से मिलने वाला राजस्व था। अधिकतर स्थानों पर किसान ग्रामीण कुलीनों यानी कि मुखिया या स्थानीय सरदारों के माध्यम से राजस्व देते थे। समस्त मध्यस्थों के लिए, चाहे वे स्थानीय ग्राम के मुखिया हों या फिर शक्तिशाली सरदार हों, मुग़ल एक ही शब्द-ज़मीदार-का प्रयोग करते थे।

6. शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ कितनी महत्त्वपूर्ण थीं?

उत्तर: अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ निम्न प्रकार से महत्त्वपूर्ण थीं:

(i) धार्मिक चर्चाओं और परिचर्चाओं से अकबर को ज्ञात हुआ कि “जो विद्वान धार्मिक रीति और मतांधता पर बल देते हैं, वे अक्सर कट्टर होते हैं। उनकी शिक्षाएँ प्रजा के बीच विभाजन और असामञ्जस्य पैदा करती हैं।”

(ii) ये अनुभव अकबर को सुलह-ए-कुल या सर्वत्र शांति के विचार की ओर ले गया।

(iii) इन धार्मिक चर्चाओं और परिचर्चाओं के अनुभव अकबर की सुलह-ए-कुल या सर्वत्र शांति के विचार की ओर ले गए।

(iv) इन चर्चाओं ने उसे प्रशासन की एक स्पष्ट सोच प्रदान की, जिसमें केवल सच्चाई, न्याय और शांति पर बल था।

7. मुग़लों ने खुद को मंगोल की अपेक्षा तैमूर के वंशज होने पर क्यों बल दिया?

उत्तर: मुग़ल दो महान शासक वंशों के वंशज थे। माता की ओर से वे मंगोल शासक चंगेज़ खान जो चीन और मध्य एशिया के कुछ भागों पर राज करता था, पिता की ओर से वे ईरान, इराक एवं वर्तमान तुर्की के शासक तैमूर (जिसकी मृत्यु 1404 में हुई) के वंशज थे। परंतु मुग़ल अपने को मुग़ल या मंगोल कहलवाना पसंद नहीं करते थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि चंग़ेज ख़ान से जुड़ी स्मृतियाँ सैंकड़ों व्यक्तियों के नरसंहार से संबंधित थीं। यही स्मृतियाँ मुग़लों के प्रतियोगियों उज़बेगों से भी संबंधित थीं। दूसरी तरफ़, मुग़ल, तैमूर के वंशज होने पर गर्व का अनुभव करते थे, ज़्यादा इसलिए क्योंकि उनके इस महान पूर्वज ने 1398 में दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया था।

आइए विचार करें

8. भू-राजस्व से प्राप्त होने वाली आय, मुग़ल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक ज़रूरी थी?

उत्तर: भू-राजस्व से प्राप्त होने वाली आय मुगल साम्राज्य के स्थायत्वि के लिए ज़रूरी थी, क्योंकि इसका उपयोग साम्राज्य के विस्तार, युद्ध आदि के लिए किया जाता था। भू-राजस्व, राज्य की आय का प्रमुख स्रोत था। आय का उपयोग सेना, नौकरशाहों, कारीगरों और श्रमिकों को वेतन/मजदूरी देने के लिए किया जाता है। प्रशासनिक व्यय उसकी आय से सबंधित था। समस्त प्रशासनिक कार्य भी भू-राजस्व द्वारा ही पूरे किये जाते थे।

9. मुग़लों के लिए केवल तूरानी या ईरानी ही नहीं, बल्कि विभिन्न पृष्ठभूमि के मनसबदारों की नियुक्ति क्यों महत्त्वपूर्ण थी?

उत्तर: मुग़लों के साम्राज्य में जैसे-जैसे विभिन्न क्षेत्र सम्मिलित होते गए, वैसे-वैसे मुग़लों ने तरह-तरह के सामाजिक समूहों के सदस्यों को प्रशासन में नियुक्त करना प्रारंभ किया। प्रारंभ में ज्यादातर सरदार तुर्की (तूरानी) थे, लेकिन अब इस छोटे समूह के साथ-साथ उन्होंने शासक वर्ग में ईरानियों, भारतीय मुसलमानों, अफगानों, राजपूतों, मराठों और अन्य समूहों को सम्मिलित किया। मुगल नहीं चाहते थे कि तूरानी और ईरानी साथ आएँ और बादशाह के खिलाफ विद्रोह करें। विभिन्न पृष्ठभूमि के मनसबदारों की नियुक्ति से मुगलों को भारत में अपने शासन का विस्तार करने में एवं उसे स्थायित्व प्रदान करने में सहायता मिली।

10. मुग़ल साम्राज्य के समाज की ही तरह वर्तमान भारत, आज भी अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक इकाइयों से बना हुआ है? क्या यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक एक चुनौती है?

उत्तर: नहीं, यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए चुनौती नहीं है, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और यहाँ प्रजातांत्रिक सरकार है, जिसके अन्तर्गत सभी नागरिक समान हैं। मुग़ल साम्राज्य के समाज में कई धर्म और जाति के लोग रहते थे, यही स्थिति वर्तमान भारत में भी बनी हुई है। फिर भी भारत में विविधता में एकता कायम है। भारत में विविध प्रकार की संस्कृतियाँ जैसे संगीत, नृत्य, भाषा, पर्व-त्योहार, साहित्य, खान-पान, रहन-सहन, पहनावा आदि में कई तरह की विविधता देखने को मिलती है। भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था है जिसमें सभी राज्यों को समान शक्तियाँ प्राप्त हैं। इससे भारत की सामाजिकसांस्कृतिक विरासत और सुदृढ़ हुई है।

11. मुग़ल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए कृषक अनिवार्य थे। क्या आप सोचते हैं कि वे आज भी इतने ही महत्त्वपूर्ण हैं? क्या आज भारत में अमीर और गरीब के बीच आय का फासला मुग़लों के काल की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गया है?

उत्तर: मुग़ल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। हमारी अर्थव्यवस्था में यद्यपि कृषि का महत्त्वपूर्ण स्थान है, तथापि यह धीरे-धीरे औद्योगिक स्वरूप प्राप्त कर रही है। इससे कृषकों का महत्त्व मुगल साम्राज्य की तुलना में कम हुआ है। वर्तमान में अमीर और गरीब के बीच आय का अंतर मुगल साम्राज्य की तुलना में कहीं अधिक बढ़ गया है। मुग़लकाल में 5.6% व्यक्ति कुल संसाधनों के मात्र 61.5% का उपभोग करते थे, जबकि आज लगभग 5% व्यक्ति देश के लगभग 90% संसाधनों का उपभोग करते हैं। 

आइए करके देखें

12. मुग़ल साम्राज्य का उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों पर अनेक तरह से प्रभाव पड़ा। पता लगाइए कि जिस नगर, गाँव अथवा क्षेत्र में आप रहते हैं, उस पर इसका कोई प्रभाव पड़ा था?

उत्तर: मुग़ल साम्राज्य की आमदनी का मुख्य स्रोत किसानों की उपज से प्राप्त राजस्व था। अधिकांश स्थानों पर किसान अपना राजस्व स्थानीय जमींदारों को अदा करते थे। जमींदार इस एकत्रित राजस्व को आगे चलकर सरकारी खजाने में जमा कराते थे।

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