NCERT Class 7 Social Science Hamare Atit Chapter 2 राजा और उनके राज्य

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NCERT Class 7 Social Science Hamare Atit Chapter 2 राजा और उनके राज्य

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Chapter: 2

हमारे अतीत-२

1. मानचित्र में गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट, पाल, चोल और चाहमानों (चौहानों) के स्थान का निर्धारण कीजिए। क्या आप आज के उन राज्यों की पहचान कर सकते हैं, जिन पर उनका नियंत्रण था?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

2. क्या आपके विचार में उस दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण था?

उत्तर: नहीं, उस काल में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण नहीं था। आरंभिक राज्यों में शासक निश्चित रूप से क्षत्रिय ही नहीं होते थे बल्कि अन्य वर्गों से भी संबंधित होते थे। देश के अंदर शुरू से ही वर्ण-व्यवस्था जटिल थी और चारों वर्गों के लिए अलग-अलग कर्तव्य निर्धारित थे। उसके अनुसार राज्य करने का अधिकार केवल क्षत्रिय वर्ग के लोगों को ही था, धर्मसूत्रों और धर्मशस्त्रों में इसे एक आदर्श व्यवस्था के रूप में उल्लेख किया गया है। उदाहरण के लिए, आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट प्रधान दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य स्वामी की अधीनता से इन्कार कर दिया, उसे हराया और ब्राह्मणों की सहायता से हिरण्यगर्भ नामक अनुष्ठान किया। क्षत्रियों का कर्म शासन करना, युद्ध करना, लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, न्याय करना, यज्ञ करवाना, वेद पढ़ना और दान-दक्षिणा देना था। ब्राह्मण भी इस व्यवस्था से संतुष्ट थे, क्योंकि उन्हें सामाजिक ढाँचे में पहला स्थान प्राप्त था और वे वर्ण-व्यवस्था को दैवीय व्यवस्था मानते थे।

3. प्रशासन का यह रूप आज की व्यवस्था से किन मायनों में भिन्न था।

उत्तर: वर्तमान काल में प्रशासन का स्वरूप राजतंत्रीय तथा विशेषाधिकार तंत्रीय न होकर प्रजातंत्रीय है, जहाँ कानून के समक्ष सभी समान हैं। किसी से कोई जबरन कार्य नहीं करा सकता। कोई भी व्यक्ति जो कानून का उल्लंघन करता है, दंड का भागी होता है। आज राज्य में प्रशासनिक पदाधिकारियों की नियुक्ति वंशानुगत न होकर योग्यता के आधार पर परीक्षा के माध्यम से होती है।

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4. इस अभिलेख में उल्लिखित इलाकों में से कुछ को मानचित्र 1 में ढूँढने की कोशिश करें। दूसरे राजाओं ने भी इसी तरह के दावे किए थे। आपके विचार से ऐसे दावे उन्होंने क्यों किए होंगे?

उत्तर: कन्नौज, कलिंग और अनरटा के क्षेत्रों पर राजाओं ने अक्सर अपने अधिकार का दावा किया था। ये दावे संभवतः उन्होंने अपने साम्राज्य को विशाल और शक्तिशाली दिखाने के लिए किए होंगे, ताकि वे अपने आप को विजयी यौद्धा के रूप में प्रस्तुत कर सकें।

5. मानचित्र 1 को देखें और वे कारण बताइए, जिनके चलते ये शासक कन्नौज और गंगा घाटी के ऊपर नियंत्रण चाहते थे।

उत्तर: गुर्जर प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पालवंशों के शासक सदियों तक कनौज और गंगाघाटी के ऊपर नियंत्रण के लिए आपस में लड़ते रहे। इसका कारण यह था कि यह इलाका उत्पादन और व्यापार में समृद्ध था। यहाँ की भूमि उपजाऊ थी तथा गंगा नदी व इसकी सहायक नदियों के कारण सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध था। शासकों ने बड़े मंदिरों का निर्माण करवा कर भी अपनी सत्ता और संसाधनों का प्रदर्शन करने का प्रयास किया। इसलिए जब वे एक-दूसरे के राज्यों पर आक्रमण करते थे, तो मन्दिरों को भी अपना निशाना बनाते थे, जो कभी-कभी बहुत अधिक सम्पन्न होते थे।

6. मानचित्र 1 को दोबारा देखिए और विचार-विमर्श कीजिए कि चाहमानों ने अपने इलाके का विस्तार क्यों करना चाहा होगा?

उत्तर: चाहमान राजवंश भारतीय उपमहाद्वीप में केन्द्रीय स्थिति में था। इसलिए इसके शासक अपने साम्राज्य को पूर्वी तथा पश्चिमी इलाकों की ओर भी विस्तृत करना चाहते थे। वे अपने सभी पड़ोसी राजवंशों से समृद्ध होना भी चाहते थे तथा वे गंगाघाटी के क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे।

7. क्या आपको लगता है कि महिलाएँ इन सभाओं में हिस्सेदारी करती थीं? क्या आप समझते हैं कि समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी का तरीका उपयोगी होता है?

उत्तर: मुझे लगता है कि इन सभाओं में महिलाओं की भागीदारी नहीं होती थी क्योंकि अभिलेखों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता। नहीं, समितियों के सदस्यों के चयन के लिए लॉटरी का तरीका प्रभावी नहीं हो सकता। इसके लिए सबसे उचित और सही तरीका चुनाव की प्रक्रिया ही है।

8. क्या इस पुरवे में कुछ ब्राह्मण थे? जितनी तरह की गतिविधियाँ चल रही थीं, उनका वर्णन करें। आपके ख्याल से अभिलेखों में इन सबका उल्लेख क्यों नहीं किया गया है?

उत्तर: इस पुरवे में ब्राह्मण नहीं थे क्योंकि यह पुलाया समुदाय का एक छोटा-सा पुरवा था, जिसे ब्राह्मण समाज से बाहर माना जाता था। इस पुरवे में कई प्रकार की गतिविधियाँ चल रही थीं। यहाँ खेतिहर मजदूर अपने-अपने कामों में लगे रहते थे। झोपड़ियों के अहातों में छोटे मुर्गे-मुर्गियाँ टोलियों में घूमते रहते थे। बच्चे छोटे पिल्लों को गोद में उठाए उछलते-कूदते दिखते थे। एक मजदूरनी ने पेड़ों की छाया में अपने बच्चे को चमड़े की चादर पर सुला दिया था। नारियल के पेड़ों के नीचे जमीन में बने गड्ढों में कुतिया अपने पिल्लों को दूध पिलाकर आराम कर रही थी। मुर्गे की बांग गूँज रही थी, और धान कूटती पुलाया स्त्रियों के गाने की आवाज वातावरण में फैल रही थी। इन गतिविधियों का उल्लेख अभिलेखों में इसलिए नहीं किया गया क्योंकि यह समुदाय ब्राह्मण और वेल्लाल जैसे प्रतिष्ठित समाज के बाहर माना जाता था, और उनकी नजर में ये गतिविधियाँ महत्त्वहीन समझी जाती थीं।

फिर से याद करें

1. जोड़े बनाओ:

गुर्जर-प्रतिहारपश्चिमी दक्कन
राष्ट्रकूटबंगाल
पालगुजरात और राजस्थान
चोलतमिलनाडु

उत्तर: 

गुर्जर-प्रतिहारगुजरात और राजस्थान
राष्ट्रकूटपश्चिमी दक्कन
पालबंगाल
चोलतमिलनाडु

2. ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीनों पक्ष कोन-कौन से थे?

उत्तर: ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीनों पक्ष थे—

(i) गुर्जर-प्रतिहार।

(ii) राष्ट्रकूट।

(iii) पाल।

3. चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्तें क्या थीं?

उत्तर: चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक थीं:

(i) इच्छुक व्यक्ति के पास ऐसी भूमि होनी चाहिए, जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता हो।

(ii) उसके पास अपना स्थायी निवास (घर) होना अनिवार्य था।

(iii) उसकी आयु 35 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

(iv) उसे वेदों और शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिए।

(v) वह ईमानदार और नैतिक मूल्यों वाला होना चाहिए।

(vi) उसे प्रशासनिक और कानूनी मामलों की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

4. चाहमानों के नियंत्रण में आनेवाले दो प्रमुख नगर कौन-से थे?

उत्तर: चाहमानों के नियंत्रण में आनेवाले दो प्रमुख नगर दिल्ली और अजमेर थे।

आइए समझें

5. राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने?

उत्तर: राष्ट्रकूट शुरू में कनार्टक के चालुक्य राजाओं के अधीन थे। आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट शासक दंतीदुर्ग ने चालुक्यों की अधीनता से इंकार कर दिया। बाद में चालुक्यों को उसने हराया और हिरण्यगर्भ नामक एक अनुष्ठान ब्राह्मणों की सहायता से सम्पन्न कराया और जन्मना क्षत्रिय न होते हुए भी क्षत्रिय के रूप में दुबारा क्षत्रियत्व प्राप्त कर शक्तिशाली शासक बने।

6. नये राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए क्या किया?

उत्तर: नये राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए निम्नलिखित कार्य किया:

(i) अधिक सत्ता और संपदा हासिल करने पर सामंत अपने-आप को महासामंत, महामंडलेश्वर (पूरे मंडल का महान स्वामी) इत्यादि घोषित कर देते थे।

(ii) कभी-कभी वे अपने स्वामी के आधिपत्य से स्वतंत्र हो जाने का दावा भी करते थे।

(iii) राजा लोग प्रायः उन्हें अपने मातहत या सामंत के रूप में मान्यता देते थे।

7. तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ?

उत्तर: तमिल क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था का विकास इस प्रकार हुआ:

(i) डेल्टा क्षेत्रों में बाढ़ को रोकने के लिए तटबंध बनाए गए और पानी को खेतों तक ले जाने के लिए नहरों का निर्माण किया गया।

(ii) कई क्षेत्रों में एक साल में दो फ़सलें उगाई जाती थीं।

(iii) सिंचाई के लिए कई पद्धतियाँ अपनाई जाती थीं।

8. चोल मंदिरों के साथ कौन-कौन सी गतिविधियाँ जुड़ी हुई थीं?

उत्तर: चोल मंदिर अकसर अपने आस-पास विकसित होने वाली बस्तियों के केंद्र बन गए। ये शिल्प-उत्पादन के केंद्र थे। ये मंदिर शासकों और अन्य लोगों द्वारा दी गई भूमि से भी संपन्न हो गए थे। इस भूमि की उपज उन सारे विशेषज्ञों का निर्वाह करने में खर्च होती थी, जो मंदिर के आस-पास रहते और उसके लिए काम करते थे-पुरोहित, मालाकार, बावर्ची, मेहतर, संगीतकार, नर्तक, इत्यादि। दूसरे शब्दों में, मंदिर सिर्फ़ पूजा-आराधना के स्थान नहीं थे-वे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के केंद्र भी थे। मंदिर के साथ जुड़े हुए शिल्पों में सबसे विशिष्ट था-कांस्य प्रतिमाएँ बनाने का काम। चोल कांस्य प्रतिमाएँ संसार की सबसे उत्कृष्ट कांस्य प्रतिमाओं में गिनी जाती हैं।

आइए विचार करें

9. मानचित्र 1 को दुबारा देखें और तलाश करें कि जिस प्रांत में आप रहते हैं, उसमें कोई पुरानी राजशाहियाँ (राजाओं के राज्य) थीं या नहीं?

उत्तर: हम असम प्रान्त में रहते हैं। असम प्रांत में उस समय कामरूप साम्राज्य की राजशाही थी। कामरूप साम्राज्य सातवीं से बारहवीं शताब्दी के दौरान पूर्वी भारत में एक प्रमुख शक्ति था। यह साम्राज्य वर्तमान असम और इसके आस-पास के क्षेत्रों में फैला हुआ था। कामरूप के शासकों में भास्करवर्मन जैसे प्रसिद्ध राजा हुए, जिन्होंने अपनी विद्वता और सामरिक शक्ति के कारण प्रसिद्धि प्राप्त की।

10. जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरुर के ‘चुनाव’ किस तरह से अलग थे?

उत्तर: वर्तमान के पंचायती चुनाव उत्तरमेरुर के चुनाव से निम्न रूपों में अलग थे:

वर्तमान समय के पंचायत चुनावउत्तरमेरुर के चुनाव
वर्तमान के पंचायती चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं।उत्तरमेरुर के चुनाव लॉटरी पद्धति के आधार पर होते थे।
मतदाता अपने पसंद के उम्मीदवारों को मत देता है।चुनाव पूर्ण रूप से प्रत्याशियों के भाग्य पर निर्भर था।
वर्तमान के पंचायती चुनाव में नागरिक विभिन्न प्रतियोगियों के गुणों-अवगुणों के आधार पर योग्य प्रत्याशियों को मतदान द्वारा चुनते हैं।उत्तरमेरुर के चुनाव पूर्ण रूप से प्रत्याशियों के भाग्य पर आधारित थे।
आइए करके देखें

11. इस अध्याय में दिखलाए गए मंदिरों से अपने आस-पास के किसी मौजूदा मंदिर की तुलना करें और जो समानताएँ या अंतर आप देख पाते हैं, उन्हें बताएँ।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

12. आज के समय में वसूले जाने वाले करों के बारे में और जानकारी हासिल करें। क्या ये नकद के रूप में हैं, वस्तु के रूप में हैं या श्रम सेवाओं के रूप में?

उत्तर: वर्तमान समय में कर दो प्रमुख श्रेणियों में वसूले जाते हैं: प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। प्रत्यक्ष कर में आय कर, संपत्ति कर, उत्तराधिकार कर, और मृत्यु कर जैसे कर शामिल हैं, जबकि अप्रत्यक्ष कर में उत्पादन शुल्क, बिक्री कर, और वस्तु एवं सेवा कर (GST) जैसे कर प्रमुख हैं।

आधुनिक व्यवस्था के तहत सभी कर नकद, चेक, या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से जमा किए जाते हैं। किसी भी कर का भुगतान अब वस्तुओं या श्रम सेवाओं के रूप में नहीं लिया जाता है, बल्कि यह पूरी तरह से धन के रूप में ही स्वीकार किया जाता है।

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