NCERT Class 12 Sociology Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

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NCERT Class 12 Sociology Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

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Chapter: 1

भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास
प्रश्नावली

1. उपनिवेशवाद का हमारे जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ा है? आप या तो किसी एक पक्ष जैसे संस्कृति या राजनीति को केंद्र में रखकर, या सारे पक्षों को जोड़कर विश्लेषण कर सकते हैं।

उत्तर: उपनिवेशवाद ने भारतीय समाज, संस्कृति, राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा और बहुआयामी प्रभाव डाला है। यह प्रभाव आज भी हमारे दैनिक जीवन, संस्थाओं और सोच में परिलक्षित होता है। 

नीचे इस प्रभाव का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है:

(i) सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव: ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय समाज में गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन हुए। अंग्रेज़ों ने पश्चिमी शिक्षा प्रणाली और अंग्रेज़ी भाषा को बढ़ावा दिया, जिससे एक नया शिक्षित वर्ग उभरा जो ब्रिटिश प्रशासन में मध्यस्थ की भूमिका निभाता था।

ईसाई मिशनरियों ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से समाज में योगदान दिया, लेकिन साथ ही पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों को हाशिए पर डाल दिया।

(ii) राजनीतिक प्रभाव: ब्रिटिश शासन ने भारत में केंद्रीकृत प्रशासनिक ढांचे की स्थापना की, जिससे स्थानीय स्वायत्तता समाप्त हो गई।

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(iii) आर्थिक प्रभाव: ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में कई नकारात्मक परिवर्तन हुए। पारंपरिक हस्तशिल्प उद्योगों का पतन हुआ और भारत को कच्चे माल के निर्यातक और ब्रिटिश उत्पादों के उपभोक्ता के रूप में विकसित किया गया।

(iv) शिक्षा और भाषा का प्रभाव: अंग्रेज़ी शिक्षा प्रणाली ने एक नया शिक्षित वर्ग उत्पन्न किया, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

(v) आधुनिकता और विरोधाभास: उपनिवेशवाद ने आधुनिकता के विचारों को भारत में प्रवेश कराया, लेकिन यह एक विरोधाभासी प्रक्रिया थी।

निष्कर्ष:

उपनिवेशवाद ने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया, जिससे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचनाओं में व्यापक परिवर्तन हुए। यह प्रभाव आज भी हमारे जीवन में विभिन्न रूपों में दिखाई देता है, जैसे कि हमारी शिक्षा प्रणाली, प्रशासनिक ढांचा, भाषा और सांस्कृतिक प्रथाओं में। उपनिवेशवाद के इस विरासत को समझना और उसका विश्लेषण करना हमारे वर्तमान और भविष्य को समझने के लिए आवश्यक है।

2. औद्योगीकरण और नगरीकरण का परस्पर संबंध है, विचार करें।

उत्तर: औद्योगीकरण का संबंध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो शक्ति के गैरमानवीय संसाधन जैसे वाष्प या विद्युत पर निर्भर होता है। बहुत सारी पश्चिमी समाजशास्त्रीय पुस्तकों में यह बताया गया है कि अति विकसित परंपरात्मक सभ्यताओं में भी खेत या ज़मीन पर उत्पादन से संबंधित कार्य करने के लिए अधिकाधिक मानवों की आवश्यकता होती थी। अपेक्षाकृत निम्न तकनीकी विकास की वजह से बहुत ही कम लोग कृषि के कार्य से अतिरिक्त कुछ अन्य आसान व्यवसाय कर सकते थे। इसके विपरीत, औद्योगिक समाजों में ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गारवृत्ति में लगे लोग कारखानों, ऑफिसों और दुकानों में कार्य करते हैं। औद्योगिक परिवेश में कृषि संबंधी व्यवसाय में लोगों की संख्या कम होती जाती है। यह देखने में आया है कि पश्चिम में 90 प्रतिशत से ज़्यादा लोग कस्बों और शहरों में रहते हैं क्योंकि वहीं पर रोज़गार व व्यवसाय के अवसर अधिक होते हैं। अतः हम नगरीकरण को औद्योगीकरण से जोड़कर देखते हैं। ये दोनों प्रायः एक साथ होने वाली प्रक्रियाएँ हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता।

उदाहरण के लिए ब्रिटेन औद्योगीकरण से गुज़रने वाला पहला समाज था जो सबसे पहले ग्रामीण से रूपांतरित होकर नगरीय देश बना।

3. किसी ऐसे शहर या नगर को चुनें जिससे आप भली-भाँति परिचित हैं। उस शहर/नगर के इतिहास, उसके उद्भव और विकास, तथा समसामयिक स्थिति का विवरण दें।

उत्तर: एक ऐतिहासिक नगर कोलकाता: 

इतिहास और उद्भव: कोलकाता की स्थापना 1690 में ब्रिटिश अधिकारी जॉब चारनॉक ने हुगली नदी के किनारे की। यह तीन गाँवों—कोलिकाता, सुतानुटी और गोविंदपुर—को मिलाकर बसाया गया था। जल्द ही यह ब्रिटिश शासन का प्रमुख प्रशासनिक और व्यापारिक केंद्र बन गया।

विकास: ब्रिटिश काल में कोलकाता में फोर्ट विलियम, विश्वविद्यालय, न्यायालय, रेलवे और बंदरगाह का विकास हुआ। यह 1772 से 1911 तक ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा। स्वतंत्रता संग्राम में भी इसकी बड़ी भूमिका रही।

समसामयिक स्थिति: आज कोलकाता पश्चिम बंगाल की राजधानी और भारत का एक प्रमुख महानगर है। यहाँ मेट्रो रेल, आईटी पार्क, शैक्षणिक संस्थान और सांस्कृतिक केंद्र हैं। यह शहर दुर्गा पूजा, साहित्य, कला और फुटबॉल प्रेम के लिए प्रसिद्ध है।

4. आप एक छोटे कस्बे में या बहुत बड़े शहर, या अर्धनगरीय स्थान, या एक गाँव में रहते हैं-

(i) जहाँ आप रहते हैं, उस जगह का वर्णन करें।

उत्तर: मैं एक छोटे कस्बे में रहता हूँ जो शांत, साफ-सुथरा और हरियाली से भरा हुआ है। यहाँ जीवन की गति धीमी है, लोग एक-दूसरे को जानते हैं, और आपसी मेल-जोल में आत्मीयता होती है। यहाँ मुख्य सड़कें पक्की हैं, लेकिन गलियाँ अब भी कुछ जगहों पर कच्ची हैं। बाजार सप्ताह में एक या दो दिन विशेष रूप से सजता है, और गाँवों से भी लोग खरीदारी के लिए आते हैं।

(ii) वहाँ की विशेषताएँ क्या हैं, आप को क्यों लगता है कि वह एक कस्बा है शहर नहीं, एक गाँव है कस्बा नहीं या शहर है गाँव नहीं?

उत्तर: यह जगह कस्बा इसलिए है क्योंकि यहाँ न तो महानगरों जैसी तेज़ रफ्तार ज़िंदगी है और न ही पूरी तरह ग्रामीण सादगी। यहाँ बाजार, बैंक, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाएँ हैं लेकिन मॉल, मल्टीप्लेक्स या ऊँची-ऊँची इमारतें नहीं हैं। इसलिए यह न पूरी तरह शहर है और न गाँव—बल्कि दोनों के बीच की एक झलक है।

(iii) जहाँ आप रहते हैं, क्या वहाँ कोई कारखाना है?

उत्तर: यहाँ कोई बड़ा औद्योगिक कारखाना नहीं है, लेकिन छोटे-छोटे वर्कशॉप, राइस मिल और बुनाई-कारीगरी के केंद्र हैं जो स्थानीय लोगों को रोजगार देते हैं।

(iv) क्या लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है?

उत्तर: हाँ, अधिकतर लोग खेती पर ही निर्भर हैं। धान, गेहूँ, सरसों और सब्ज़ियाँ यहाँ प्रमुख फसलें हैं। खेती के साथ-साथ कुछ लोग पशुपालन, मछली पालन और कृषि आधारित व्यवसाय भी करते हैं।

(v) क्या व्यवसाय वहाँ निर्णायक रूप में प्रभावशाली है?

उत्तर: हाँ, खेती और छोटे व्यवसाय इस कस्बे की अर्थव्यवस्था का आधार हैं। हाट-बाजार और कृषि उपज का व्यापार स्थानीय जीवन को प्रभावित करता है।

(vi) क्या वहाँ इमारतें हैं?

उत्तर: यहाँ पर पक्के मकान, दुकानों की कतारें और कुछ सरकारी कार्यालय हैं। हालाँकि इमारतें बहुत ऊँची नहीं हैं, लेकिन साधारण और मजबूत हैं। कस्बे का नगर परिषद भवन, बैंक और पोस्ट ऑफिस जैसी इमारतें यहाँ की पहचान हैं।

(vii) क्या वहाँ शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध हैं?

उत्तर: हाँ, यहाँ प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय तक की शिक्षा की सुविधाएँ हैं। कुछ निजी स्कूल भी हैं, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को नजदीकी शहर जाना पड़ता है।

(viii) लोग कैसे रहते और व्यवहार करते हैं?

उत्तर: यहाँ के लोग साधारण, मेहनती और मददगार हैं। त्योहारों पर मिल-जुलकर उत्सव मनाते हैं और दुख-सुख में एक-दूसरे का साथ देते हैं। सामाजिक जीवन सामूहिकता और मेल-जोल से भरपूर है।

(ix) लोग किस तरह बात करते और कैसे कपड़े पहनते हैं?

उत्तर: लोग आपस में शुद्ध और सरल भाषा में बात करते हैं, जिसमें स्थानीय बोली की मिठास होती है। पुरुष आमतौर पर कुर्ता-पायजामा, धोती या शर्ट-पैंट पहनते हैं और महिलाएँ साड़ी और सलवार-कमीज़। विशेष अवसरों पर लोग पारंपरिक परिधान पहनते हैं।

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