NCERT Class 12 Psychology Chapter 3 जीवन की चुनौतियों का सामना

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NCERT Class 12 Psychology Chapter 3 जीवन की चुनौतियों का सामना

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Chapter: 3

समीक्षात्मक प्रश्न

1. दबाव के संप्रत्यय की व्याख्या कीजिए। दैनिक जीवन से उदाहरण दीजिए।

उत्तर: दबाव (Stress) एक ऐसी मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक प्रतिक्रिया है जो व्यक्ति किसी मुकाबला या मांग के जवाब में अनुभव करता है। यह तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति को लगता है कि उस पर आवश्यकताओं को पूरा करने का भार है परंतु संसाधन या क्षमता सीमित है।

उदाहरण: किसी छात्र की वार्षिक परीक्षा नजदीक है और तैयारी अधूरी है, तो वह मानसिक रूप से दबाव अनुभव करता है।

2. दबाव के लक्षणों तथा स्त्रोतों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: दबाव के लक्षण:

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(i) मानसिक: चिंता, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।

(ii) शारीरिक: सिरदर्द, अनिद्रा, थकान।

(iii) व्यवहारिक: झुंझलाहट, समाज से दूरी, अधिक खाना या न खाना।

दबाव के स्त्रोत:

(i) शारीरिक या पर्यावरणीय: ध्वनि प्रदूषण, अधिक गर्मी/सर्दी।

(ii) मानसिक: आत्म-संवाद, असफलता का भय।

(iii) सामाजिक: पारिवारिक संघर्ष, नौकरी की अनिश्चितता।

3. जी.ए.एस. मॉडल का वर्णन कीजिए तथा इस मॉडल की प्रासंगिकता को एक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: G.A.S. (General Adaptation Syndrome) मॉडल हंस सलीये ने प्रस्तुत किया था।

इसमें तीन चरण होते हैं-

(i) Alarm Reaction – शरीर खतरे को पहचानता है।

(ii) Resistance – शरीर चुनौती का मुकाबला करता है।

(iii) Exhaustion – यदि दबाव बना रहे तो शरीर थकावट महसूस करता है।

उदाहरण: कोचिंग व परीक्षा की तैयारी में लंबे समय तक पढ़ाई करने के कारण छात्र थकावट, चिड़चिड़ापन महसूस करता है— यह Exhaustion चरण है।

4. दबाव का सामना करने के विभिन्न उपायों की गणना कीजिए।

उत्तर: दबाव का सामना करने की विभिन्न तकनीकें निम्नलिखित हैं–

(i) उचित कार्यवाही द्वारा दबाव का सामना: इस तकनीक में व्यक्ति पहले दबावपूर्ण स्थिति को अच्छे से समझता है, फिर उससे निपटने के लिए उपयुक्त विकल्पों या साधनों को एकत्र करता है। इससे समस्या को हल करने में सहायता मिलती है। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी कर्मचारी पर कार्यालय का कार्यभार अधिक है, तो वह सुबह समय से कार्यालय पहुँचकर या किसी सहकर्मी से सहायता लेकर कार्यभार को बाँट सकता है। इस प्रकार उचित योजना और क्रियान्वयन से कार्य का दबाव कम किया जा सकता है।

(ii) संवेगों पर नियंत्रण द्वारा दबाव का सामना: क्रोध, भय, प्रेम और दया जैसे भावनात्मक अनुभव संवेगों से जुड़े होते हैं। इस तकनीक के अंतर्गत व्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखने का प्रयास करता है ताकि वह मानसिक रूप से संतुलित रह सके। वह विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच बनाए रखता है और जोश के साथ अपने कार्यों को पूरा करता है। साथ ही, वह भय, चिंता और क्रोध जैसे नकारात्मक संवेगों को खुद से दूर रखता है ताकि अपने लक्ष्य की प्राप्ति में किसी प्रकार की बाधा न आए।

(iii) टालने की प्रवृत्ति (परिहार) द्वारा दबाव से निपटना: इस पद्धति में व्यक्ति कठिन स्थिति को गंभीरता से नहीं लेता और उसे अनदेखा कर देता है। इससे उसका मन उस स्थिति को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। यह तकनीक तब उपयोगी हो सकती है जब किसी समस्या पर तत्काल नियंत्रण संभव न हो और मानसिक शांति बनाए रखना आवश्यक हो।

5. मनोवैज्ञानिक प्रकार्यों पर दबाव के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: दबाव से संज्ञानात्मक क्रियाएं प्रभावित होती हैं जैसे कि निर्णय लेने की क्षमता, ध्यान केंद्रित करना, स्मृति क्षमता में कमी, आत्म-विश्वास में गिरावट, व सोचने-समझने की शक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।

6. जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए जीवन कौशल कैसे उपयोगी हो सकते हैं, वर्णन कीजिए।

उत्तर: जीवन कौशल जैसे आत्म-जागरूकता, समस्या समाधान, तनाव प्रबंधन, प्रभावी संप्रेषण और निर्णय लेने की क्षमता व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाते हैं और दबावपूर्ण स्थितियों का सामना करने में मदद करते हैं।

7. उन कारकों का विवेचन कीजिए जो सकारात्मक स्वास्थ्य तथा कुशल-क्षेम की ओर ले जाते हैं।

उत्तर: सकारात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक:

(i) संतुलित आहार: संतुलित और पोषणयुक्त आहार मानसिक स्थिति को बेहतर बनाता है, शरीर को ऊर्जा देता है, रोगों से सुरक्षा करता है और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। सही खानपान व्यक्ति को जीवन के दबावों का सामना करने में सहायक बनाता है। आहार की आवश्यकता व्यक्ति की गतिविधियों, आनुवंशिकता, जलवायु और स्वास्थ्य इतिहास पर निर्भर करती है। तनाव की स्थिति में लोग अक्सर ऐसे खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं जो वसा, नमक और चीनी से भरपूर होते हैं।

(ii) व्यायाम: नियमित व्यायाम शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है तथा शारीरिक फिटनेस को बनाए रखता है। योग, दौड़ना, तैरना और साइकिल चलाना जैसे व्यायाम मानसिक शांति और ऊर्जावान अनुभव प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों का सामना बेहतर ढंग से कर सकता है।

(iii) सकारात्मक सोच: आशावादी सोच व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी समाधान खोजने की प्रेरणा देती है। ऐसे लोग समस्याओं का सामना करने के लिए योजनाबद्ध उपाय अपनाते हैं और दूसरों से सलाह व सहयोग लेने में संकोच नहीं करते।

(iv) सकारात्मक दृष्टिकोण: स्वस्थ जीवन के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें वास्तविकता की सही समझ, उद्देश्य की भावना, दूसरों के दृष्टिकोण को स्वीकार करने की क्षमता और विनोदी स्वभाव शामिल हैं। यह दृष्टिकोण व्यक्ति को मानसिक रूप से संतुलित बनाए रखता है।

(v) सामाजिक सहारा (अवलंब): परिवार और मित्रों से मिला भावनात्मक सहयोग व्यक्ति को तनाव से लड़ने की शक्ति देता है। जिन लोगों को सामाजिक समर्थन मिलता है, वे कठिन परिस्थितियों में भी मानसिक रूप से अधिक स्थिर रहते हैं।

8. प्रतिरक्षक तंत्र को दबाव कैसे प्रभावित करता है?

उत्तर: निरंतर दबाव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। इससे व्यक्ति वायरल संक्रमण, त्वचा रोग, हृदय रोग जैसी बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। दबाव के कारण प्रतिक्षक तंत्र की कार्यप्रणाली दुर्बल हो जाती है जिसके कारण बीमारी उतपन्न हो सकती है प्रतिरक्षा तंत्र शरीर के भीतर तथा बहार से होने वाले हमलो से शरीर की रक्षा करता है मनस्तान्त्रिक प्रतिरक्षा विज्ञानं मन, मस्तिष्क और प्रतिरक्षक तंत्र के बिच संबंधो पर ध्यान केंद्रित करता है।

9. किसी ऐसी जीवन घटना का उदाहरण दीजिए जो दबावपूर्ण हो सकती है। उन तथ्यों पर प्रकाश डालिए जिनके कारण वह घटना अनुभव करने वाले व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न मात्रा में दबाव उत्पन्न कर सकती है।

उत्तर: उदाहरण: परीक्षा में असफल होना।

कारण: किसी छात्र के लिए यह आत्म-सम्मान से जुड़ा है, तो वह अधिक दबाव अनुभव करेगा। यदि किसी के पास परिवार का समर्थन है तो वह कम दबाव महसूस करेगा।

10. दबाव का सामना करने वाली युक्तियों की अपनी जानकारी के आधार पर आप अपने मित्रों को दैनिक जीवन में दबाव का परिहार करने के लिए क्या सुझाव देंगे?

उत्तर: मैं उन्हें यह सुझाव दूँगा कि वे सबसे पहले अपने सोचने के तरीके का आत्ममूल्यांकन करें। जब हम दबाव में होते हैं, तो हमारी सोच अक्सर नकारात्मक हो जाती है या हम जल्दबाज़ी में निर्णय लेने लगते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें चाहिए कि वे क्रोध या हड़बड़ी में निर्णय लेने के बजाय स्थिति के सकारात्मक पक्षों पर ध्यान केंद्रित करें, और तभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचे।

उन्हें अपने भीतर ऐसे कौशल विकसित करने चाहिए, जिनकी सहायता से वे मानसिक रूप से संतुलित रह सकें और दबाव से मुक्त होकर निर्णय ले सकें। जैसे– आत्मनियंत्रण, समय प्रबंधन, समस्या-समाधान की क्षमता, और सकारात्मक सोच।

11. उन पर्यावरणी कारकों का वर्णन कीजिए जो (अ) हमारे ऊपर सकारात्मक प्रभाव तथा (ब) नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

उत्तर: विभिन्न पर्यावरणीय कारक हमारे जीवन पर सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव डालते हैं। वायु प्रदूषण, अत्यधिक भीड़, शोर, ग्रीष्म ऋतु की तीव्र गर्मी तथा शीत ऋतु की कड़ाके की सर्दी जैसे पर्यावरणीय दबाव हमारे चारों ओर की ऐसी परिस्थितियाँ होती हैं, जो अक्सर टाली नहीं जा सकतीं। ये हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कुछ पर्यावरणीय दबाव प्राकृतिक आपदाओं और आकस्मिक घटनाओं के रूप में भी सामने आते हैं, जिनका दुष्प्रभाव लम्बे समय तक बना रहता है। इनमें आग, भूकंप, बाढ़, सूखा, तूफान और सुनामी जैसी विनाशकारी घटनाएँ शामिल हैं।

(अ) सकारात्मक: स्वच्छ हवा, हरियाली, शांत वातावरण।

(ब) नकारात्मक: शोर, प्रदूषण, अधिक गर्मी या सर्दी, भीड़।

12. हम यह जानते हैं कि कुछ जीवन शैली के कारक दबाव उत्पन्न कर सकते हैं तथा कैंसर एवं हृदयरोग जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकते हैं फिर भी हम अपने व्यवहारों में परिवर्तन क्यों नहीं ला पाते? व्याख्या कीजिए।

उत्तर: आदतों में परिवर्तन कठिन होता है। लोग तत्कालिक सुख के लिए दीर्घकालिक नुकसान को नजरअंदाज करते हैं। सामाजिक दबाव, जानकारी की कमी, इच्छाशक्ति की कमजोरी और डर भी परिवर्तन में बाधा बनते हैं।

दबाव के कारण व्यक्ति अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और ऐसे व्यवहार अपनाने लगते हैं जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं। जीवनशैली का अर्थ है– व्यक्ति के निर्णयों और व्यवहारों का वह समग्र स्वरूप, जो उसके स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो उसकी शारीरिक गतिविधियाँ घट जाती हैं, नींद की मात्रा कम हो जाती है, और वह धूम्रपान या शराब जैसे हानिकारक आदतों की ओर अधिक आकर्षित होता है। ये अस्वास्थ्यकर व्यवहार धीरे-धीरे विकसित होते हैं और अक्सर तात्कालिक आनंद प्रदान करते हैं, जिससे हम इनके दीर्घकालिक नुकसान को नजरअंदाज कर देते हैं। परिणामस्वरूप, हमारे जीवन में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होते हैं। स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है कि हम संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और परिवार व समाज से जुड़े रहें। ऐसी सकारात्मक जीवनशैली – जिसमें कम वसा वाला भोजन, नियमित व्यायाम और सकारात्मक सोच शामिल हो – न केवल दीर्घायु प्रदान करती है बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ाती है।

आज की तेज़ रफ़्तार वाली जीवनशैली, जिसमें अनियमित भोजन, तनाव और गलत आदतें शामिल हैं, ने हमें यह भुला दिया है कि हम क्या खा रहे हैं, क्या सोच रहे हैं और अपने जीवन के साथ क्या कर रहे हैं। स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।

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