NCERT Class 12 Hindi Chapter 16 सिल्वर वैडिंग

NCERT Class 12 Hindi Chapter 16 सिल्वर वैडिंग Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 12 Hindi Chapter 16 सिल्वर वैडिंग and select need one. NCERT Class 12 Hindi Chapter 16 सिल्वर वैडिंग Question Answers Download PDF. NCERT Hindi Class 12 Solutions.

NCERT Class 12 Hindi Chapter 16 सिल्वर वैडिंग

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 12 Hindi Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 12 Hindi Chapter 16 सिल्वर वैडिंग Notes, NCERT Class 12 Hindi Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 16

HINDI

अभ्यास

1. यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?

उत्तर: यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं ऐसा इसलिए वह अपने बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती हैं। जबकि यशोधर बाबू के सोचने का ढंग अपना होता है। उनकी सोच पुरानी पीढ़ी की सोच के हिसाब से होती है।

2. पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकती हैं?

उत्तर: पाठ में ‘जो हुआ होगा’ इस वाक्य की हम तीन अर्थ छवियां खोज सकते हैं। यह इस प्रकार है–

(i) ‘जो हुआ होगा’ वाक्य पाठ में पहली बार तब आता है, जब यशोधर बाबू किशनदा के जाति भाई से उनकी मृत्यु का कारण पूछते हैं। उत्तर में उन्होंने कहा, जो हुआ होगा यानी पता नहीं। 

(ii) फिर यशोधरबाबू यही विचार करते हैं कि जिनके बाल-बच्चे ही नहीं होते, वे व्यक्ति अकेलेपन के कारण स्वस्थ दिखने के बाद भी बीमार-से हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। यह भी कारण हो सकता है कि उनकी बिरादरी से घोर उपेक्षा मिली, इस कारण वे दुःख से सूख-सूख कर मर गए।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(iii) किशनदा की मृत्यु के सही कारणों का पता नहीं चल सका। बस यशोधर बाबू यही सोचते रह गए कि किशनदा की मृत्यु कैसे हुई? जिसका उत्तर किसी के पास नहीं था।

3. ‘समहाउ इंप्रापर’ वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?

उत्तर: ‘समहाउ इंप्रापर’ इस वाक्यांश का उपयोग यशोधर बाबू अपने लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम के रूप में करते थे। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से बहुत गहरा संबंध है। इस वाक्यांश से उनकी इस प्रवृत्ति का पता चलता है कि वह सिद्धांत वादी हैं। यह उनके मन में चल रहे द्वंद्व की स्थिति को दर्शाता है। वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं। इस वाक्य के माध्यम से वह अपने आसपास हो रहे बदलावों को अपनाए या न अपनाए की स्थिति का पता चलता है। यशोधर बाबू आधुनिकता के परिवेश में बदलते जा रहे जीवन मूल्यों और संस्कारों के ह्रास के प्रति चिंतित थे। अतः इस कथन को वह आरंभ से लेकर अंत तक कई बार बोलते हैं। इस तरह कहानी दो पीढ़ियों के मध्य हो रहे ठकरावों को भी दर्शाती है और उनके मध्य गहरी होती खाई को भी स्पष्ट करती है।

4. यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

5. वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं?

उत्तर: वर्तमान समय में परिवार की संरचना इससे भी छोटी हो गई है। अब घर में एक या दो बच्चे से अधिक बच्चे देखने को नहीं मिलते हैं। आजकल के समय पर लोग संयुक्त परिवार में नहीं रहती। संयुक्त परिवार जैसे विलुप्त ही होते जा रहा है। यशोधर बाबू की तरह ही विचारधारा रखने वाले पिता कहीं ना कहीं मौजूद है। मेरे दादाजी ऐसे ही हैं। वह अपने समय में जीते थे। उनकी अपनी जीवन शैली है, जो आज की जीवन शैली से मेल नहीं खाती है। वह हमेशा भूतकाल से जुड़े रहते हैं। उनकी कहानी यशोधर बाबू से बिलकुल मेल खाती है। यह कहानी सिर्फ यशोधर बाबू की ही कहानी नहीं समाज में हर घर की कहानी है जहां आज भी पुराने खयालात के लोग मौजूद है।

6. निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे/कहेंगी और क्यों?

(क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य।

(ख) पीढ़ी का अंतराल।

(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।

उत्तर: (ख) पीढ़ी का अंतराल: पीढ़ी का अंतराल को हम कहानी की मूल संवेदना कहेंगे। इसे कहानी के मूल संवेदना के रूप में चुनने का कारण यह है कि हमारे समाज में एक गहरी परिवर्तनात्मक प्रभाव की कहानी कहता है, जो हमारी स्थायी और समय सीमित पहचान पर विचार करने को मजबूर करता है। यहाँ पर दो पीढ़ी के मध्य अंतराल को तथा उनके मध्य सोच के अंतर को दिखाया गया है। इस विषय में कहानी की मूल संवेदना यह है कि हम देखते हैं कि कैसे समय के साथ-साथ समाज में परिवर्तन आते हैं और इन परिवर्तनों का कैसे सीधे या अप्रत्याशित रूप से पीढ़ी के अंतराल पर प्रभाव पड़ता है। यशोधर बाबू एक पीढ़ी का नेतृत्व करते हैं और उनके बच्चे दूसरी पीढ़ी का। हर पीढ़ी की अपनी सोच तथा अपना जीने का एक ढ़ंग है।

7. अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?

उत्तर: ये बदलाव इस प्रकार हैं-

(क) अनुकूलन की कठिनाईः बुजुर्गों के लिए नई प्रौद्योगिकियाँ और विशेषताएँ अनुकूलन की चुनौती प्रस्तुत कर सकती हैं। वे अक्सर अधिक परंपरागत तरीकों से सामंजस्य रहना पसंद करते हैं और नए परिवर्तनों को स्वीकार करने में असमर्थ हो सकते हैं।

(ख) मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग: बुज़ुर्गों का मानना है कि माँ-पिता द्वारा बच्चों को मोबाइल फोन देना उचित नहीं है। बच्चे अन्य कामों को छोड़कर इसी में लगे रहते हैं। इस तरह उनकी सोच विकास नहीं कर पाती है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक होता है।

(ग) कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं मोबाइल का इस्तेमाल: बुजुर्गों को यह सब अच्छा नहीं लगता क्योंकि जब वे युवा थे, उस समय संचार के साधनों की कमी थी।

(घ) विद्यालय के मैदान के स्थान पर स्कूल की इमारत: विद्यालय में मैदान के स्थान पर इमारत बनाना मेरे बुजुर्गों को पसंद नहीं है। उन्हें लगता है कि इससे बच्चों के खेलने का स्थान समाप्त हो जाएगा। यह उनके विकास के लिए सही नहीं है।

8. यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए–

(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।

(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।

(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों का अपनाना ही उचित है।

उत्तर: (ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है: यशोधर बाबू पुरानी सोच के व्यक्ति है। समाज के पुराने मूल्यों और परंपराओं को बचा कर रखना चाहते हैं लेकिन कभी-कभी नए के साथ जोड़ने की कोशिश भी करते हैं। वे अपने बच्चों की तरक्की से खुश है हालांकि उनकी उपेक्षा का शिकार होने पर दुखी भी होते हैं। उन्हें टीवी, फ्रिज,रसोई गैस जैसी आधुनिक चीजें पसंद नहीं है पर इस बात से खुश होते हैं कि इन चीजों के होने से लोग उन्हें संपन्न समझते हैं। इस दृष्टिकोण में, मुझे लगता है कि यशोधर बाबू जैसे व्यक्तित्व में द्वंद्व और समाज में परिवर्तन की योजनाओं के बीच की एक समझौते की आवश्यकता हो सकती है। वे उन विचारों को आगे बढ़ाने के लिए नए समय के अनुकूल बदलावों को समझने और स्वीकार करने की क्षमता रखने चाहिए, जो कि उनकी विचारधारा को सहानुभूति और समर्थन से पूरा कर सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top