NCERT Class 12 Hindi Chapter 17 जूझ

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NCERT Class 12 Hindi Chapter 17 जूझ

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Chapter: 17

HINDI

अभ्यास

1. ‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?

उत्तर: ‘जूझ’ शीर्षक असलियत में नायक के संघर्ष को चित्रित करता है। शीर्षक में नायक आनंद के संघर्ष की कहानी का मुख्य बिंदु है कि कैसे स्कूल तक जाने के लिए संघर्ष करता है। कहानी का नायक पढ़ाई करना चाहता है। उसका पिता शिक्षा के महत्व से अनजाना है। पिता के अनुसार एक किसान को खेती के कामों से ही रोज़ी-रोटी मिलती है। अतः शिक्षा को वह महत्व नहीं देता। नायक किस तरह संघर्ष करता है और अपनी शिक्षा के दरवाजे खोलता है। वह दरवाज़े ही नहीं खोलता बल्कि उसे जो अवसर मिलता है, उसका भरपूर लाभ उठाता है। उसका संघर्ष उसे जल्द ही उसके लक्ष्य तक पहुँचा देता है। नायक यह चारित्रिक विशेषता है। कहानी का केन्द्र बिन्दु उसका संघर्ष ही है। जहाँ वह पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, व्यक्तिगत स्तर पर स्वयं के लिए लड़ता है और सफल होकर दिखाता है।

2. स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?

उत्तर: मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर कविता के अच्छे रसिक व मर्मज्ञ थे। वे कक्षा में सस्वर कविता पाठ करते थे तथा लय, छंद गति, आरोह-अवरोह आदि का ज्ञान कराते थे। उनसे प्रेरित होकर लेखक कुछ तुकबंदी करने लगा। आरंभ में सौंदलगेकर उसकी प्रतिभा को निखारने में उसकी सहायता करते हैं। वह नायक को उस समय के कवियों के बारे में बताते हैं। जिससे लेखक के मन में कवियों के प्रति संदेह समाप्त हो जाता है और उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। इस प्रकार उसमें स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास पैदा होता है।

3. श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।

उत्तर: श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की किन्ही विशेषताए: 

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(क) मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर कविता के अच्छे रसिक व मर्मज्ञ थे।

(ख) उनके पास सुरीला गला, छंद की अच्छी चाल, और रसिकता थी।

(ग) वे कविता को सिर्फ़ पढ़कर नहीं सुनाते थे, बल्कि बैठे-बैठे अभिनय के ज़रिए भी कविता का भाव समझाते थे।

(घ) वे कक्षा में सस्वर कविता पाठ करते थे तथा लय, छंद गति, आरोह-अवरोह आदि का ज्ञान कराते थे।

(ङ) वे पुरानी-नई मराठी कविताओं के साथ-साथ कई अंग्रेज़ी कविताएं भी कंठस्थ थे।

4. कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?

उत्तर: कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक को खेतों में काम करते समय बहुत अकेलेपन महसुस होता लेकिन कविता के प्रति लगाव के बाद, वह जब खेतों में काम करता और भैंसो को चराने के जाता तो अपनी कविताओं में खोया रहता। लेखक को अकेलापन इसलिए अच्छा लगने लगा ताकि वह ऊँची आवाज में गा सके, कविता के भावों का अभिनय कर सके, गाते-गाते नाच सके और तुकबन्दी भी कर सके।

5. आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दें।

उत्तर: लेखक के पिता का मानना था कि खेती से ही रोजी-रोटी का अच्छे से निर्वाह होता है, जबकि लेखक पढ़ाई-लिखाई करके अच्छी नौकरी करना चाहता था। लेखक के पिता गाँव में ही रहते थे, इसलिए उनकी सोच ज़्यादा विकसित नहीं हो पाई थी। लेखक के पिता इसलिए विकास नहीं कर पाए क्योंकि वह अनपढ़ थे। अगर वह पढ़े-लिखे किसान होते, तो उनकी स्थिति ऐसी न होती। अतः लेखक और दत्ता जी राव का पढ़ाई-लिखाई के प्रति रवैया बिलकुल सही था।

6. दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।

उत्तर: दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ ने झूठ का सहारा लिया था। यदि वे दोनों झूठ का सहारा नहीं लेते, तो लेखक की पढ़ाई का निर्णय नहीं होता। दत्ताजी राव के पास जाने से पिता नाराज होकर लेखक की पिटाई कर देता। तब लेखक को जन्म भर खेती के काम में जुटे रहना पड़ता और दादा मस्ती में इधर-उधर घूमता रहता। इस तरह झूठ न कहने से लेखक के जीवन पर बुरा असर पड़ता।

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