NCERT Class 11 Political Science Chapter 15 अधिकार

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NCERT Class 11 Political Science Chapter 15 अधिकार

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Chapter: 15

राजनीतिक सिद्धांत
प्रश्नावली

1. अधिकार क्या हैं और वे महत्त्वपूर्ण क्यों हैं? अधिकारों का दावा करने के लिए उपयुक्त आधार क्या हो सकते हैं?

उत्तर: अधिकार समाज के प्रति व्यक्ति का दावा है। वे इसलिए महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति के केवल उन दावों को समाज द्वारा स्वीकार किया जाता है जो तर्क और अच्छे व्यवहार पर आधारित होते हैं। केवल वही दावा अधिकार होता है जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए उपयोगी होता है और समाज द्वारा स्वीकार किया जाता है।

उपयुक्त आधार हैं– 

(i) सम्मान और गरिमापूर्ण जीवन बसर करने के लिए अधिकारों का दावा किया जा सकता है।

(ii) अधिकारों की दावेदारी का दूसरा आधार यह है कि वे हमारी बेहतरी के लिए आवश्यक हैं।

2. किन आधारों पर यह अधिकार अपनी प्रकृति में सार्वभौमिक माने जाते हैं?

उत्तर: 17 वीं और 18वीं सदी में राजनीतिक सिद्धान्तकार तर्क प्रस्तुत करते थे कि हमारे लिए अधिकार प्रकृति या ईश्वर प्रदत्त हैं। इसका परिणाम यह है कि कोई भी व्यक्ति या शासक इन अधिकारों को हमसे छीन नहीं सकता। उन्होंने मनुष्य के तीन प्राकृतिक अधिकारों की पहचान की-जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और संपत्ति का अधिकार। अन्य सभी अधिकार इन्हीं मूलभूत अधिकारों से उत्पन्न होते हैं। चाहे हम इन अधिकारों का दावा करें या न करें, मात्र मनुष्य होने के कारण ये हमें स्वाभाविक रूप से प्राप्त होते हैं। यह विचार कि हमें जन्म से ही कुछ विशिष्ट अधिकार प्राप्त हैं, बहुत शक्तिशाली अवधारणा है, क्योंकि इसका अर्थ है जो ईश्वर प्रदत्त है और उन्हें कोई मानव शासक या राज्य हमसे छीन नहीं सकता।

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3. संक्षेप में उन नए अधिकारों की चर्चा कीजिए, जो हमारे देश में सामने रखे जा रहे हैं। उदाहरण के लिए आदिवासियों के अपने रहवास और जीने के तरीके को संरक्षित रखने तथा बच्चों के बँधुआ मजदूरी के खिलाफ अधिकार जैसे नए अधिकारों को लिया जा सकता है।

उत्तर: समय के अनुसार नए सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के कारण कुछ नए अधिकारों की मांग उठ रही है। ये अधिकार समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा, जीवन स्तर में सुधार और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित किए जा रहे हैं।

(i) आदिवासियों के अधिकार: आदिवासी समुदायों की पारंपरिक भूमि, प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

उदाहरण: वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत आदिवासियों को उनकी पारंपरिक भूमि पर अधिकार प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग का अधिकार।

(ii) बाल श्रम के खिलाफ अधिकार: बच्चों को शोषण से बचाने के लिए कड़े कानूनों और अधिकारों की ज़रूरत है।

उदाहरण: 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के खतरनाक कार्य में संलग्न होने पर रोक (बाल श्रम निषेध कानून, 1986)।

(iii) पर्यावरणीय अधिकार: पर्यावरण संरक्षण के बढ़ते महत्व को देखते हुए नागरिकों को स्वच्छ जल, वायु और हरित पर्यावरण का अधिकार मिलना आवश्यक है।

उदाहरण: स्वच्छ जल और स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार।

4. राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों में अंतर बताइये। हर प्रकार के अधिकार के उदाहरण भी दीजिए।

उत्तर: राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों में अंतर है–

अधिकारपरिभाषा उदाहरण 
राजनीतिकशासन और प्रशासन में भाग लेने से जुड़े अधिकारमतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार।
आर्थिकआर्थिक सुरक्षा और संसाधनों के समान वितरण से जुड़े अधिकाररोजगार का अधिकार, न्यूनतम वेतन का अधिकार
सांस्कृतिकअपनी भाषा, परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के अधिकारमातृभाषा में शिक्षा, सांस्कृतिक संस्थानों की स्थापना

5. अधिकार राज्य की सत्ता पर कुछ सीमाएँ लगाते हैं। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।

उत्तर: अधिकार राज्य को कुछ खास तरीकों से कार्य करने के लिए वैधानिक दायित्व सौंपते हैं। अधिकार हमें स्वतंत्रता और हमारे अधिकारों का प्रयोग करने के लिए एक नया क्षेत्र प्रदान करते हैं। यह राज्य को पूरी तरह से और कुशलता से कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार की बाधाओं की ओर जाता है।

राज्य की सत्ता वैयक्तिक जीवन और स्वतन्त्रता की मर्यादा का उल्लंघन किए बिना काम करे। राज्य सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न सत्ता हो सकता है, उसके द्वारा निर्मित कानून बलपूर्वक लागू किए जा सकते हैं, लेकिन सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न राज्य का अस्तित्व अपने लिए नहीं बल्कि व्यक्ति के हित के लिए होता है। इसमें जनता का ही अधिक महत्त्व है औ सत्तात्मक सरकार को उसके ही कल्याण के लिए काम करना होता है। शासक अपनी कार्यवाहियों के लिए जबावदेह है और उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि कानून लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए ही होते हैं।

उदाहरण:  हमें जीवन जीने का अधिकार राज्य को ऐसे कानून बनाने के लिए बाध्य करते है, जो दूसरों के द्वारा क्षति पहुँचाने से हमें बचा सके। यह अधिकार राज्य से माँग करती है कि वह हमें चोट या नुकसान पहुँचाने वालों को दंडित करे। यदि कोई समाज महसूस करता है कि जीने के अधिकार का मतलब अच्छे स्तर के जीवन का अधिकार है।

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