NCERT Class 11 Political Science Chapter 16 नागरिकता

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NCERT Class 11 Political Science Chapter 16 नागरिकता

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Chapter: 16

राजनीतिक सिद्धांत
प्रश्नावली

1. राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में नागरिकता में अधिकार और दायित्व दोनो शामिल हैं। समकालीन लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिक किन अधिकारों के उपभोग की अपेक्षा कर सकते हैं? नागरिकों के राज्य और अन्य नागरिकों के प्रति क्या दायित्व हैं?

उत्तर: राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में नागरिकता में अधिकार और दायित्व दोनो शामिल हैं। समकालीन लोकतांत्रिक राज्यों में एक नागरिक सामाजिक या नागरिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार तथा आर्थिक अधिकार के उपभोग की अपेक्षा कर सकते हैं।

नागरिकों के राज्य और अन्य नागरिकों के प्रति निम्न दायित्व हैं:

(i) नागरिकों को राज्य के प्रति वफादारी करनी चाहिए।

(ii) कानूनों का पालन करना चाहिए, संविधान का सम्मान करना चाहिए।

(iii) राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना चाहिए।

(iv) करों का भुगतान करना चाहिए तथा मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए। 

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(v) एक नागरिक को दूसरी नागरिक के सुख दुःख में शामिल होना चाहिए।

(vi) दूसरों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए तथा दूसरों के प्रति दया भाव रखना चाहिए।

2. सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए तो जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से न कर सकें। इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का अर्थ यह नहीं है कि वे इनका समान रूप से प्रयोग कर पाएंगे। समाज में व्याप्त असमानताओं के कारण यह संभव नहीं हो पाता। उदाहरण के लिए, सभी को मतदान का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन अशिक्षा या जागरूकता की कमी के कारण कुछ लोग इस अधिकार का प्रभावी उपयोग नहीं कर पाते।

आर्थिक असमानता भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती है। किसी व्यक्ति को व्यापार करने या रोजगार का अधिकार तो प्राप्त है, लेकिन अगर उसके पास संसाधन और पूंजी नहीं है, तो वह इस अधिकार का उतना लाभ नहीं उठा पाएगा जितना कोई संपन्न व्यक्ति उठा सकता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक कारक भी अधिकारों के समान उपयोग में बाधा डालते हैं। महिलाएं कानूनी रूप से समान अधिकार रखने के बावजूद कई बार पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण निर्णय लेने की स्वतंत्रता से वंचित रह जाती हैं। इसी तरह, आदिवासी और हाशिए पर मौजूद समुदायों को भूमि अधिकार प्राप्त होने के बावजूद प्रशासनिक जटिलताओं के कारण अपनी भूमि पर नियंत्रण पाने में कठिनाई होती है।

3. भारत में नागरिक अधिकारों के लिए हाल के वर्षों में किए किन्हीं दो संघषों पर टिप्पणी लिखिए। इन संघर्षों में किन अधिकारों की माँग की गई थी? 

उत्तर: 1. CAA/NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (2019-2020): नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) ने पूरे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए। विरोध प्रदर्शनों की मांग थी:

(i) CAA को निरस्त किया जाए, जिसे मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण माना जाता था।

(ii) NRC को वापस लिया जाए, जिसे हाशिए पर पड़े समुदायों की नागरिकता के लिए खतरा माना जाता था।

(iii) समानता, न्याय और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा।

2. किसानों का विरोध (2020-2021): किसानों का विरोध, जिसे किसान आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन था। विरोध प्रदर्शनों की:

(i) तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए, जिन्हें किसानों के हितों के लिए हानिकारक माना जाता था।

(ii) न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि उपज बाजार समिति प्रणाली की सुरक्षा।

(iii) किसानों और कृषि श्रमिकों को उनकी आजीविका और कल्याण सुनिश्चित करने वाली नीतियों के माध्यम से सशक्त बनाना।

4. शरणार्थियों की समस्याएँ क्या है? वैश्विक नागरिकता की अवधारणा किस प्रकार उनकी सहायता कर सकती है?

उत्तर: शरणार्थियों की समस्याएँ है–

(i) राज्यविहीनता: नागरिकता की कमी, जिसके कारण बुनियादी अधिकारों और सेवाओं तक सीमित पहुँच होती है। 

(ii) विस्थापन: आजीविका, परिवार और समुदायों को पीछे छोड़ते हुए अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना। 

(iii) आघात: हिंसा, उत्पीड़न और नुकसान का अनुभव, जिसके कारण शारीरिक और भावनात्मक घाव होते हैं। 

(iv) स्वास्थ्य जोखिम: बीमारियों, कुपोषण और खराब रहने की स्थिति के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता।

वैश्विक नागरिकता शरणार्थियों की कुछ इस तरह मदद कर सकती है–

(i) सार्वभौमिक अधिकार और सुरक्षा: वैश्विक नागरिकता शरणार्थियों की राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना मौलिक मानवाधिकारों तक पहुँच सुनिश्चित कर सकती है।

(ii) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक नागरिकता शरणार्थी संकटों को दूर करने, जिम्मेदारियों को साझा करने और सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है।

(iii) बढ़ी हुई गतिशीलता और अवसर: वैश्विक नागरिकता शरणार्थियों की आवाजाही और शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सेवाओं तक पहुँच को सुविधाजनक बना सकती है।

(iv) राज्यविहीनता में कमी: वैश्विक नागरिकता राष्ट्रीयता और नागरिकता के लिए एक रूपरेखा प्रदान करके राज्यविहीनता को कम करने में मदद कर सकती है।

(v) सशक्तिकरण और भागीदारी: वैश्विक नागरिकता शरणार्थियों को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए सशक्त बना सकती है, जिससे उनकी स्वायत्तता और आत्मनिर्णय को बढ़ावा मिलता है।

5. देश के अंदर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों के आप्रवासन का आमतौर पर स्थानीय लोग विरोध करते हैं। प्रवासी लोग स्थानीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान दे सकते हैं?

उत्तर: देश के अंदर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों के आप्रवासन का आमतौर पर स्थानीय लोग विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि स्थानीय लोगों को यह अनुभव होने लगता है कि कहीं अप्रवासी लोगों की संख्या स्थानीय लोगों से अधिक न हो जाए जिसके कारण वह अपने घर में ही अल्पसंख्यक बन जाएं। इसके साथ-साथ स्थानीय लोगों के रोज़गार पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जहाँ तक प्रवासियों द्वारा स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान का प्रश्न है, यह कहा जा सकता है कि उनके आगमन से विभिन्न कार्यों और व्यवसायों के लिए प्रचुर मात्रा में मानव संसाधन उपलब्ध होते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।

6. भारत जैसे समान नागरिकता देने वाले देशों में भी लोकतांत्रिक नागरिकता एक पूर्ण स्थापित तथ्य नहीं वरन एक परियोजना है। नागरिकता से जुड़े उन मुद्दों की चर्चा कीजिए जो आजकल भारत में उठाए जा रहे हैं?

उत्तर: भारत जैसे समान नागरिकता देने वाले देशों में भी लोकतांत्रिक नागरिकता एक पूर्ण स्थापित तथ्य नहीं वरन एक परियोजना है। नागरिकता से जुड़े कुछ मुद्दे आजकल भारत में उठाए जा रहे हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा अप्रवासी भारतीयों को भी भारतीय नागरिकता देने का मुद्दा है। इसके साथ-साथ महिला आंदोलन एवं दलित आंदोलनों द्वारा भी नागरिकता से संबंधित मुद्दे उठाए जाते रहे हैं। भारतीय संविधान ने बहुत ही विविधतापूर्ण समाज को समायोजित करने का प्रयास किया है। इन विविधताओं में से कुछ उल्लेखनीय हैं- इसने अनुसूचित्र जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे भिन्न-भिन्न समुदायों, पूर्व में समान अधिकार से वंचित रही महिलाएँ, आधुनिक सभ्यता के साथ मामूली सम्पर्क रखने वाले अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के कुछ सुदूरवर्ती समुदायों और कई अन्य समुदायों को पूर्ण और समान नागरिकता देने का प्रयास किया। इसने देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न भाषाओं, धर्म और रिवाजों की पहचान बनाए रखने का प्रयास किया।

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