NCERT Class 11 Hindi Aroh Chapter 4 विदाई-संभाषण

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NCERT Class 11 Hindi Aroh Chapter 4 विदाई-संभाषण

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Chapter: 4

आरोह

गद्य-खंड

अभ्यास

पाठ के साथ

1. शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर: शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि भारत के लोग विदाई के समय दुःख अनुभव करते हैं। भले ही वे आपस में लड़ते-झगड़ते रहे हों, लेकिन अपने साथी से बिछड़ने का दुःख उन्हें अवश्य होता है। यदि लॉर्ड कर्जन और भारतवासियों को शिवशंभु की दो गायों के प्रतीक रूप में देखें, तो लॉर्ड कर्जन बलशाली गाय है और भारतवासी दुर्बल गाय। अब, जब शक्तिशाली गाय (लॉर्ड कर्जन) उनसे अलग हो रही है, तो यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देता है। इसलिए कमजोर गाय (भारतवासी) दुःखी है, भले ही लॉर्ड कर्जन की रीति-नीति उन्हें नापसन्द रही हो।

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2. आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया-यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर: लेखक ने बंगाल विभाजन को लेकर लॉर्ड कर्ज़न के क्रूर निर्णय की ओर संकेत किया गया है। लार्ड कर्ज़न दो बार भारत के वायसराय बने। उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन को सुदृढ़ करने के लिए कार्य किया और राष्ट्रवादी भावनाओं को दबाने के उद्देश्य से बंगाल का विभाजन किया। करोड़ों लोगों ने इस विभाजन को रद्द करने की प्रार्थना की, लेकिन उन्होंने उनकी एक भी नहीं सुनी। वे नादिरशाह से भी आगे निकल गए।

3. कर्ज़न को इस्तीफ़ा क्यों देना पड़ गया?

उत्तर: कर्ज़न को इस्तीफा निम्नलिखित कारणों से देना पड़ा-

(i) कर्ज़न ने राष्ट्रवादी ताकतों को कमजोर करने के उद्देश्य से बंगाल का विभाजन किया था, लेकिन इसका परिणाम इसके विपरीत हुआ। सारा देश एकजुट हो गया और ब्रिटिश शासन की जड़े हिल गई।

(ii) कर्ज़न इंग्लैंड में एक फ़ौजी अधिकारी को मनचाही पदस्थापना दिलाना चाहता था। उसकी सिफारिश को नहीं माना गया। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने इस्तीफा देने की धमकी दी, जिसे ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार कर लिया।

4. बिचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे। आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: लेखक कहता है कि कर्ज़न की भारत में अपार शान थी, और दिल्ली दरबार में उसका वैभव अपने चरम पर था। उसके और उसकी पत्नी के लिए सोने की कुर्सियाँ आरक्षित थीं। उसका हाथी सबसे ऊँचा और सबसे आगे रहता था, यहाँ तक कि सम्राट के भाई का स्थान भी उससे नीचे था। इसके इशारे पर प्रशासन, राजा, धनी नाचते थे। इसके संकेत पर बड़े-बड़े राजाओं को मिट्टी में मिला दिया गया तथा अनेक निकम्मों को बड़े पद मिले। इस देश में भगवान और एडवर्ड के बाद उसका स्थान था, परंतु इस्तीफा देने के बाद सब कुछ खत्म हो गया। इसके द्वारा की गई सिफारिश पर एक भी व्यक्ति नियुक्त नहीं किया गया, जिससे उसका वैभव समाप्त हो गया।

5. आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में कोई तीसरी शक्ति और भी है- यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?

उत्तर: लॉर्ड कर्ज़न स्वयं को निरंकुश, सर्वशक्ति संपन्न मान बैठा था। भारतीय जनता उसकी मनमानी सह रही थी। अचानक गुस्साए लार्ड का इस्तीफा मंजूर हो गया और उसे जाना पड़ा। यहाँ लैखक कहना चाहते हैं कि लार्ड कर्जन और भारतीय जनता के बीच एक तीसरी शक्ति अर्थात् ब्रिटिश सरकार है जिस पर न तो लॉर्ड कर्जन का नियंत्रण है और न ही भारत के निवासियों का ही नियंत्रण है। 

पाठ के आस-पास

1. पाठ का यह अंश शिवशंभु के बिट्ठे से लिया गया है। शिवशंभु नाम की बर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?

उत्तर: शिवशंभू एक काल्पनिक पात्र है जो भाँग के नशे में खरी-खरी बात कहता है। यह पात्र अंग्रेजों की कुटिल नीतियों को उजागर करता है। लेखक ने इस नाम का उपयोग सरकारी प्रतिबंधों के कारण किया, क्योंकि कर्जन ने प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी थी। उस समय ब्रिटिश साम्राज्य का सीधे विरोध करना संभव नहीं था, लेकिन शासन की वास्तविकता सामने लाकर जनता को जागरूक करना आवश्यक था। अतः काल्पनिक पात्र के जरिए अपनी मनपसंद की बातें कहलवाई जाती थीं।

2. नादिर से भी बढ़कर आपकी ज़िद्द है कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर: लेखक ने लॉर्ड कर्ज़न की तुलना नादिर से की है। लेखक के अनुसार, जब नादिर ने दिल्ली पर आक्रमण किया था तब उसने वहाँ की पीड़ित जनता की गुहार पर कत्लेआम को उसी समय रोक दिया। लेकिन, लॉर्ड कर्जन ने तो भारतवासियों के बंगाल-विच्छेद न करने की विनती को स्वीकारना तो दूर उसे सुनना तक जरूरी नहीं समझा। इसलिए लेखक का यह कहना उचित है कि “लॉर्ड कर्जन की ज़िद्द नादिर से भी बढ़कर है।”

3. क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है? – इन पक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस पर चर्चा कीजिए।

उत्तर: शासन’ किसी एक व्यक्ति की इच्छा से नहीं चल सकती क्योंकि यह नियमों का समूह है जो अच्छी व्यवस्था का गठन करता है। यह प्रबंध जनहित के अनुरूप होना चाहिए। निरंकुश शासक के कारण जनता दुखी रहती है, और कुछ समय बाद ऐसा शासन समाप्त हो जाता है। प्रजा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, और हर नीति में जनकल्याण की भावना निहित होनी चाहिए।

4. इस पाठ में आए अलिफ़ लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफ़ा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करे।

भाषा की बात

1. वे दिन-रात यही मनाते थे कि जल्द ओमान् यहाँ से पधारें। सामान्य तौर पर आने के लिए पधारें शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ पधारें शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: यहाँ पधारें शब्द का अर्थ है– जल्द से जल्द यहाँ से चले जाए।

2. पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेंदु युगीन हिंदी) हुआ है। उन्हें सामान्य हिंदी में लिखिए-

(क) आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत को उनको जाना पड़ा।

उत्तर: आगे भी इस देश में जो भी प्रमुख शासक आए, अंततः उन्हें जाना ही पड़ा।

(ख) आप किस को आए थे और क्या कर चले?

उत्तर: आप किस उद्देश्य से आए थे और यहाँ आकर क्या कर गए?

(ग) उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा।

उत्तर: उनके द्वारा नियुक्त किया गया एक भी व्यक्ति नौकर के रूप में नहीं रखा गया।

(घ) पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से लाभ करे।

उत्तर: लेकिन मैं आशीर्वाद देता हूँ कि तुम फिर उठो और अपने प्राचीन गौरव एवं यश को पुनः प्राप्त करो।

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