NCERT Class 11 Geography Bhugol Main Prayogatmak Karya Chapter 6 सुदूर संवेदन का परिचय

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Chapter – 6

भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य

अभ्यास

1. दिए गए चार विकल्पों में सही उत्तर का चुनाव करें-

(i) धरातलीय लक्ष्यों का सुदूर संवेदन विभिन्न साधनों के माध्यम से किया जाता है, जैसे-

(क) सुदूर संवेदक।

(ख) मानवीय नेत्र।

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(ग) फ़ोटोग्राफ़िक।

(घ) इनमें से कोई नहीं।

निम्न में कौन-सा विकल्प उनके विकास का सही क्रम है:

(क) ABC.

(ख) BCA.

(ग) CAB.

(घ) इनमें से कोई नहीं।

उत्तर: (ख) BCA.

(ii) निम्नलिखित में से कौन से विद्युत् चुम्बकीय विकिरण क्षेत्र का प्रयोग उपग्रह सुदूर संवेदन में नहीं होता हैं?

(क) सूक्ष्म तरंग क्षेत्र।

(ख) अवरक्त क्षेत्र।

(ग) ऐक्स रे क्षेत्र।

(घ) दृश्य क्षेत्र।

उत्तर: (ग) ऐक्स रे क्षेत्र।

(iii) चाक्षुष व्याख्या तकनीक में निम्न में किस विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है:

(क) धरातलीय लक्ष्यों की स्थानीय व्यवस्था।

(ख) प्रतिबिंब के रंग परिवर्तन की आवृत्ति।

(ग) लक्ष्यों का अन्य लक्ष्यों के संदर्भ में।

(घ) आंकिक बिंब प्रक्रमण।

उत्तर: (घ) आंकिक बिंब प्रक्रमण।

2. निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें :

(i) सुदूर संवेदन अन्य पारंपरिक विधियों से बेहतर तकनीक क्यों है?

उत्तर: सुदूर संवेदन अन्य पारम्परिक विधियों से बेहतर तकनीक निम्न कारणों से है-

(i) सुदूर संवेदन से प्राप्त प्रतिबिम्ब पृथ्वी के बहुत बड़े भाग का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करने में समर्थ होते हैं।

(ii) इनसे प्राप्त अभिलेख एवं सूचनाएँ स्थायी होती हैं।

(iii) सुदूर संवेदन अगम्य क्षेत्रों के बारे में सूचनाएँ प्रदान करता है।

(iv) सुदूर संवेदन से प्राप्त प्रतिबिम्बों का उपयोग बहुशासनीय होता है।

(v) समय की बचत होती है। बड़े क्षेत्रों की जानकारी अल्प समय में प्रदान करता है।

(ii) आई.आर.एस. व इंसेट क्रम के उपग्रहों में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर: इन दोनों के मध्य निम्न आधार पर भी अन्तर स्पष्ट किया जा सकता है:

कक्ष-संबंधी विशेषताएँआई. आर. एस.(सूर्य तुल्य कालिक)इनसैट(भू-स्थैतिक)
ऊँचाई700 से 900 कि.मी.लगभग 36,000 कि.मी.
व्याप्ति क्षेत्र81° उत्तरी अक्षांश से81° दक्षिणी अक्षांशग्लोब का एक-तिहाई भाग
कक्षीय अवधिहर दिन 14 कक्षीय चक्कर24 घंटे
विभेदनस्पष्ट (182 मी. से 1 मी.)अस्पष्ट (1 कि.मी. x 1 कि.मी.)
लाभपृथ्वी साधन अनुप्रयोगदूरसंचार एवं मौसम मानीटरन

(iii) पुशब्रूम क्रमवीक्षक की कार्यप्रणाली का संक्षेप में वर्णन करें।

उत्तर: पुशब्रूम क्रमवीक्षक बहुत सारे संसूचकों पर आधारित होता है जिनकी संख्या विदेदन के कार्य क्षेत्र को क्षेत्रीय विभेदन से विभाजित करने से प्राप्त संख्या के समान होती है (चित्र 6.8)। उदाहरण के लिए फ्राँस के सुदूर संवेदन उपग्रह स्पॉट (SPOT) में लगे उच्च विभेदन दृश्य विकीरणमापी संवेदक का कार्य क्षेत्र 60 किलोमीटर है तथा उसका क्षेत्रीय विभेदन 20 मीटर है। अगर हम 60 किलोमीटर अथवा 60,000 मीटर को 20 मीटर से विभाजित करें तो हमें 3000 का आँकड़ा प्राप्त होगा, अर्थात SPOT में लगे HRV-I संवेदक में 3000 संसूचक लगाए गए हैं। पुशब्रूम स्कैनर में सभी डिटेक्टर पंक्ति में क्रमबद्ध होते हैं और प्रत्येक डिटेक्टर पृथ्वी के उपर अधोबिन्दु दृश्य पर 20 मीटर के आयाम वाली परावर्तित ऊर्जा का संग्रहण करते हैं।

3. निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें:

(i) विस्क-ब्रूम क्रमवीक्षक की कार्यविधि का चित्र की सहायता से वर्णन करें तथा यह भी बताएँ कि यह पुशबूम क्रमवीक्षक से कैसे भिन्न है?

उत्तर: विस्क-ब्रूम क्रमवीक्षक में एक घूमने वाला दर्पण व एकमात्र संसूचक लगा होता है। दर्पण इस प्रकार से विन्यासित होता है कि जब यह एक चक्कर पूरा करता है, तो संसूचक स्पेक्ट्रम के दृश्य एवं अवरक्त क्षेत्रों में बहुत सारे संकरे स्पेक्ट्रमी बैन्डों में प्रतिबिम्ब प्राप्त करते हुए दृश्य क्षेत्र (Swath) में 90° से 120° के मध्य प्रसर्पी होता है। संवेदक का वह पूरा क्षेत्र, जहाँ तक यह पहुँच सकता है, उसे स्कैनर का कुल दृष्टि क्षेत्र (Total Field of View) कहा जाता है। पूरे क्षेत्र का क्रमवीक्षण के लिए संवेदक का प्रकाशीय सिरा एक निश्चित आयाम का होता है, जिसे तात्क्षणिक दृष्टि क्षेत्र (Instantaneous Field of View) कहा जाता है।

इसका मुख्य अंतर यह है कि विस्क-ब्रूम एकमात्र संसूचक पर आधारित है, जबकि पुशब्रूम में बहुत से संसूचक हैं।

(ii) चित्र 6.9 में हिमालय क्षेत्र की वनस्पति आवरण में बदलाव को पहचानें व सूचीबद्ध करें।

उत्तर: 

चित्र 6.9: आई.आर.एस. उपग्रह द्वारा प्राप्त मई (बाएँ) एवं नवंबर (दाएँ) में हिमालय तथा उत्तरी मैदान (भारत) के प्रतिबिंब वनस्पति के प्रकार में अंतर दर्शाते हैं। मई के प्रतिबिंब में लाल घब्ये शंकुधारी वन वर्शाते हैं। नवंबर के प्रतिबिंब में अतिरिक्त लाल धब्बे पर्णपाती वन दर्शाते हैं तथा हल्का लाल रंग फ़सल को वर्शाता है।

हिमालय के तराई क्षेत्रों में पर्णपाती वन और हिमालय के लगभग 3,000 मीटर से कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शंकुधारी वन मिलते हैं। शंकुधारी वन की पत्तियाँ नुकीली होती हैं। इस वन में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष चीड़, फर, पाइन, स्प्रूस आदि हैं।

क्रिया कलाप

निम्न आई.आर.एस.आई. सी.एल.आई.एस.एस. III प्रतिबिम्ब पर दर्शाये गए विभिन्न लक्षणों को अभिनिर्धारित करें। पाठ में बताए गए बिम्ब निर्वचन के तत्वों एवं विभिन्न वस्तुऐं किस रंग में त्रियक रंगी मिश्र में दिखाई देती हैं, के आधार पर निष्कर्ष निकालें।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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