NCERT Class 11 Geography Bhart Bhautik Paryabaran Chapter 6 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

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NCERT Class 11 Geography Bhart Bhautik Paryabaran Chapter 6 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

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Chapter – 6

भारत भौतिक पर्यावरण

खंड IV: प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ: कारण, परिणाम तथा प्रबंध

अभ्यास

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:

(i) इनमें से भारत के किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है?

(क) बिहार।

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(ख) पश्चिम बंगाल।

(ग) असम।

(घ) उत्तर प्रदेश।

उत्तर: (ग) असम।

(ii) उत्तरांचल के किस जिले में मालपा भूस्खलन आपदा घटित हुई थी?

(क) बागेश्वर।

(ख) चंपावत।

(ग) अल्मोड़ा।

(घ) पिथोरागढ़।

उत्तर: (घ) पिथोरागढ़।

(iii) इनमें से कौन-से राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?

(क) असम।

(ख) पश्चिम बंगाल।

(ग) केरल।

(घ) तमिलनाडु।

उत्तर: (घ) तमिलनाडु।

(iv) इनमें से किस नदी में मजौली नदीय द्वीप स्थित है?

(क) गंगा।

(ख) बह्मपुत्र।

(ग) गोदावरी।

(घ) सिंधु।

उत्तर: (ख) बह्मपुत्र।

(v) बर्फानी तूफान किस तरह की प्राकृतिक आपदा है?

(क) वायुमंडलीय।

(ख) जलीय।

(ग) भौमिकी।

(घ) जीवमंडलीय।

उत्तर: (क) वायुमंडलीय।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 से कम शब्दों में है।

(i) संकट किस दशा में आपदा बन जाता है?

उत्तर: जब संकट या मानव निर्मित संकट द्वारा जब धन-जन दोनों की नुकसान पहुँचने की संभावना बढ़ जाती है और समाज के पास उसे नियंत्रित करने के पर्याप्त साधन नहीं होती, तब वह आपदा बन जाता है।

(ii) हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अधिक भूकंप क्यों आते हैं?

उत्तर: इंडियन प्लेट प्रति वर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व दिशा में एक सेंटीमीटर खिसक रही है। परंतु उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट इसके लिए अवरोध पैदा करती है। परिणामस्वरूप इन प्लेटों के किनारे लॉक हो जाते हैं और कई स्थानों पर लगातार ऊर्जा संग्रह होता रहता है। अधिक मात्रा में ऊर्जा संग्रह से तनाव बढ़ता रहता है और दोनों प्लेटों के बीच लॉक टूट जाता है और एकाएक ऊर्जा मोचन से हिमालय के चाप के साथ भूकंप आ जाता है।

(iii) उष्ण कटिबंधीय तूफान की उत्पत्ति के लिए कौन-सी परिस्थितियाँ अनुकूल है?

उत्तर: उष्ण कटिबंधीय तूफान की उत्पत्ति के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ अनुकूल है–

(i) लगातार और पर्याप्त मात्रा में उष्ण व आर्द्र वायु की सतत् उपलब्धता जिससे बहुत बड़ी मात्रा में गुप्त ऊष्मा निर्मुक्त हो।

(ii) तीव्र कोरियोलिस बल जो केंद्र के निम्न वायु दाब को भरने न दे। (भूमध्य रेखा के आस पास 0 से 5 कोरियोलिस बल कम होता है और परिणामस्वरूप यहाँ ये चक्रवात उत्पन्न नहीं होते)।

(iii) क्षोभमंडल में अस्थिरता, जिससे स्थानीय स्तर पर निम्न वायु दाब क्षेत्र बन जाते हैं। इन्हीं के चारों ओर चक्रवात भी विकसित हो सकते हैं।

(iv) मजबूत ऊर्ध्वाधर वायु फान (wedge) की अनुपस्थिति, जो नम और गुप्त ऊष्मा युक्त वायु के ऊर्ध्वाधर बहाव को अवरुद्ध करे।

(iv) पूर्वी भारत की बाढ़, पश्चिमी भारत को बाढ़ से अलग कैसे होती है?

उत्तर: पश्चिमी भारत की तुलना में पूर्वी भारत में बाढ़ अधिक आती है क्योंकि पश्चिमी भारत की तुलना में पूर्वी भारत में वर्षा अधिक होती है। तथा पूर्वी भारत की नदियों की बाढ़ पश्चिमी भारत की नदियों की अपेक्षा भयंकर होती है।

(v) पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा क्यों पड़ते हैं?

उत्तर: कम वर्षा, शुष्क जलवायु, असमान जल वितरण और नहरों व जलाशयों की कमी के कारण पश्चिमी और मध्य भारत में सूखे ज्यादा पड़ते हैं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दें।

(i) भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करें और इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय बताएँ।

उत्तर: भारत में प्रमुख भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र हिमालयी क्षेत्र (उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल), पश्चिमी घाट (केरल, महाराष्ट्र), और उत्तर-पूर्वी राज्य (मिजोरम, नागालैंड) हैं।

निवारण के उपाय:

(i) वन संरक्षण: वृक्षारोपण से मिट्टी का क्षरण रोका जा सकता है।

(ii) ढलान प्रबंधन: सीढ़ीनुमा खेत और जल निकासी व्यवस्था विकसित करना।

(iii) संरचनात्मक उपाय: चट्टानों को स्थिर रखने के लिए दीवारें और जाल लगाना।

(iv) अर्ली वार्निंग सिस्टम: संभावित भूस्खलन क्षेत्रों की निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली।

(v) सतत विकास: सड़कों और इमारतों के निर्माण में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।

(ii) सुभेद्यता क्या है? सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेद्यता क्षेत्रों में विभाजित करें और इसके निवारण के उपाय बताएँ।

उत्तर: सुभेद्यता (Vulnerability) किसी क्षेत्र या समुदाय की प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होने की क्षमता को दर्शाती है। 

भारत में सूखे की दृष्टि से निम्नलिखित क्षेत्र सुभेद्य हैं:

(i) गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र।

(ii) मध्यम रूप से प्रभावित क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश।

(iii) कम प्रभावित क्षेत्र: पूर्वोत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्र।

निवारण के उपाय:

(i) वाटर हार्वेस्टिंग और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग।

(ii) सूखा प्रतिरोधी फसलों का विकास और रोपण।

(iii) कृत्रिम जलाशयों और सिंचाई प्रणाली का विकास।

(iv) सरकार द्वारा राहत योजनाएँ और आपदा प्रबंधन नीति।

(iii) किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है?

उत्तर: जब विकास कार्य पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ते हैं, तब वे आपदा का कारण बन सकते हैं। 

उदाहरण:

(i) अत्यधिक वनों की कटाई: इससे भूस्खलन और बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।

(ii) अतिवृष्टि और जलभराव: अनियंत्रित शहरीकरण और अपर्याप्त जल निकासी से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

(iii) अवैज्ञानिक निर्माण कार्य: पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क और भवन निर्माण से भूकंप और भूस्खलन का खतरा बढ़ता है।

(iv) औद्योगिक कचरा एवं प्रदूषण: जलवायु परिवर्तन और जल संसाधनों की कमी का कारण बनता है।

परियोजना/क्रियाकलाप

नीचे दिए गए विषयों पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें।

(i) मालपा भूस्खलन।

उत्तर: मालपा भूस्खलन: मालपा भूस्खलन अगस्त 1998 में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हुआ था। यह भारत में सबसे विनाशकारी भूस्खलनों में से एक था, जिसमें प्रसिद्ध संत मीरा बाई की यात्रा के दौरान कई तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई। भारी बारिश और अस्थिर चट्टानों के कारण भूस्खलन हुआ, जिससे पूरे गाँव का नामोनिशान मिट गया।

(ii) सुनामी।

उत्तर: सुनामी: सुनामी समुद्र के नीचे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, या भूस्खलन के कारण उत्पन्न होने वाली विशाल समुद्री लहरें होती हैं। 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी सबसे विनाशकारी थी, जिसने भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, और थाईलैंड में भारी तबाही मचाई। भारत में तमिलनाडु, अंडमान-निकोबार और केरल के तटीय क्षेत्रों को गंभीर नुकसान हुआ।

(iii) ओडिशा चक्रवात और गुजरात चक्रवात।

उत्तर: ओडिशा चक्रवात और गुजरात चक्रवात: 

ओडिशा चक्रवात (1999): इसे सुपर साइक्लोन कहा जाता है, जिसने 29 अक्टूबर 1999 को ओडिशा में भारी तबाही मचाई। 250 किमी/घंटा की गति वाली हवाओं और समुद्री तूफान ने 10,000 से अधिक लोगों की जान ले ली।

गुजरात चक्रवात (1998): इस चक्रवात ने गुजरात के कांडला बंदरगाह को बुरी तरह प्रभावित किया और 1000 से अधिक लोग मारे गए। अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान तौकते अरब सागर में एक शक्तिशाली, घातक और विनाशकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात था जो 1998 के गुजरात चक्रवात के बाद से भारतीय राज्य गुजरात में आने वाला सबसे शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात बन गया।

(iv) नदियों को आपस में जोड़ना।

उत्तर: नदियों को आपस में जोड़ना: भारत में जल प्रबंधन हेतु नदियों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई गई है। इसका उद्देश्य बाढ़ और सूखे की समस्या को हल करना है। इस परियोजना में गंगा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, कृष्णा आदि नदियों को जोड़ने की योजना है। हालाँकि, इससे पर्यावरणीय संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता है।

(v) टेहरी बाँध/सरदार सरोवर।

उत्तर: टेहरी बाँध: उत्तराखंड में भागीरथी नदी पर बना यह भारत का सबसे ऊँचा बाँध है। यह 260.5 मीटर ऊँचा है और जल विद्युत उत्पादन तथा सिंचाई के लिए महत्त्वपूर्ण है। बांध का निर्माण 1978 में शुरू हुआ और 2006 में पूरा हुआ।

सरदार सरोवर बाँध: यह नर्मदा नदी पर बना है और गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान को जल आपूर्ति करता है।

(vi) भुज/लातूर भूकंप।

उत्तर: भुज/लातूर भूकंप: भुज भूकंप (2001): गुजरात में आया 7.7 तीव्रता का यह भूकंप विनाशकारी था, जिसमें 20,000 से अधिक लोग मारे गए।

लातूर भूकंप (1993): महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिलों में आए इस भूकंप में 10,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।

(vii) डेल्टा/नदीय द्वीप में जीवन।

उत्तर: डेल्टा/नदीय द्वीप में जीवन:

डेल्टा क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की समस्या रहती है, फिर भी यहाँ की मिट्टी उपजाऊ होती है। पश्चिम बंगाल का सुंदरबन क्षेत्र गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में स्थित है, जहाँ मुख्य रूप से मछली पकड़ना और धान की खेती होती है।

(viii) कर सो जल संलयन का मॉडल तैयार करें।

उत्तर: कर सो जल संलयन का मॉडल:

जल संरक्षण के लिए जल संलयन (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली वर्षा जल को एकत्र कर उसे उपयोगी बनाती है। घरों में छत पर पाइपलाइन लगाकर इस जल को भूमिगत टैंकों में जमा किया जा सकता है।

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