NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 डायरी का एक पन्ना

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NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 डायरी का एक पन्ना

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Chapter – 9

स्पर्श
गद्य खंड

बोध-प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

1. कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था?

उत्तर: 26 जनवरी 1931 का दिन कलकत्ता वासियों के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्युकि सन् 1930 मैं गुलाम भारत मै पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। इस वर्ष उसकी पुनरावृत्ति थी, जिसके लिए काफ़ी तैयारियाँ पहले से ही की गई थीं। इसके लिए लोगों ने अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराया था और उन्हें इस तरह से सजाया गया था कि ऐसा मालूम होता था, मानों स्वतंत्रता मिल गई हो।

2. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?

उत्तर: सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।

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3. विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर: विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया तथा अन्य लोगों को मारा और वहाँ से हटा दिया। 

4. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?

उत्तर: लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर  यह  बताना चाहते हैं की वे अपने को आजाद समझ कर आज़ादी मना रहे हैं। 

5. पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?

उत्तर: पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को इसलिए घेर लिया था ताकि लोग वहाँ एकत्रित न हो सके। पुलिस नहीं चाहती थी कि लोग एकत्र होकर पार्कों तथा मैदानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराएँ। पुलिस पूरी ताकत से गश्त (सुरक्षा या निगरानी) लगा रही थी।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?

उत्तर: 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए काफी तैयारियाँ की गयी थीं। केवल प्रचार पर दो हजार रूपए खर्च किये गए थे। कार्यकर्ताओं को उनका कार्य घर घर जाकर समझाया गया था। कलकत्ता शहर में जगह-जगह झंडे लगाए गए थे। कई स्थानों पर जुलूस निकाले गए तथा झंड़ा फहराया गया था। टोलियाँ बनाकर भीड़ उस स्थान पर जुटने लगी जहाँ सुभाष बाबू का जुलूस पहुँचना था।

2. ‘आज जो बात थी वह निराली थी’ – किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: 26 जनवरी का दिन अपने-आप में निराला था। कलकत्तावासी पूरे उत्साह पूरी नवीनता के साथ इस दिन को यादगार दिन बनाने की तैयारी में जुटे थे। अंग्रेज़ी सरकार के कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बाद भी हज़ारों की संख्या में लोग लाठी खाकर भी जुलूस में भाग ले रहे थे। सरकार द्वारा सभा भंग करने की कोशिशों के बाबजूद भी बड़ी संख्या में आम जनता और कार्यकर्ता संगठित होकर मोनुमेंट के पास एकत्रित हो रहे थे। स्त्रियों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दिन अंग्रेजी कानून को खुली चुनौती देकर कलकत्तावासियों ने देश-प्रेम और एकता का प्रदर्शन किया।

3. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?

उत्तर: दोनों में यह अंतर था कि पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था कि अमुक अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती और जो लोग सभा में भाग लेंगे, वे दोषी समझे जाएँगे, जबकि कौंसिल के नोटिस में था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इसमें सर्व-साधारण की उपस्थिति होनी चाहिए।

4. धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?

उत्तर: सुभाष बाबू के नेतृत्व में जुलूस पूरे जोश के साथ आगे बढ़ रहा था। थोड़ा आगे बढ़ने पर पुलिस ने सुभाष बाबू को पकड़ लिया और गाड़ी में बिठाकर लाल बाज़ार के लॉकअप में भेज दिया। जुलूस में भाग लेनेवाले आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठियाँ बरसानी शुरू कर दी थीं। बहुत से लोग बुरी तरह घायल हो चुके थे। पुलिस की बर्बरता के कारण जुलूस बिखर गया था। मोड़ पर पचास साठ स्त्रियर्या धरना देकर बैठ गईं थीं। पुलिस ने उन्हें पकड़कर लालबाज़ार भेज दिया था।

5. डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थ, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख रेख के साथ उनके फ़ोटो भी उत्तरवा रहे थे, ताकि पूरा देश अंग्रेज प्रशासकों के जुल्मों से अवगत होकर उनका विरोध करके उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?

उत्तर: सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री-समाज ने एक अहम भूमिका निभायी थी। स्त्री समाज ने जगह-जगह से जुलूस निकालने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की तैयारी और कोशिश की थी। स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहराने का घोषणा-पत्र पढ़ा था तथा पुलिस के बहुत-से अत्याचारों का सामना किया था। विमल प्रतिभा, जानकी देवी और मदालसा आदि ने जुलूस का सफल नेतृत्व किया था। 

2. जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?

उत्तर: जुलूस के लालबाज़ार आने पर भीड़ बेकाबू हो गई जिसके परिणाम स्वरूप पुलिस ने लोगों पर डंडे बरसाए, एवं कई लोगों को घायल कर दिया। कुछ लोग नारे लगा रहे थे। कुछ लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया जिसमें स्त्रियां भी शामिल थी।

3. ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर: कलकत्ता में लोगों ने जुलूस निकालकर अंग्रेजी राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून को भंग कर दिया जो यह कह रहा था कि इस जगह पर इस धारा के संदर्भ में सभा नहीं की जा सकती। यह करना बहुत ही उचित था क्योंकि अंग्रेज भारतीयों पर जुल्म ढा रहे थे। उन्हें स्वतंत्रता नहीं दे रहे थे एवं उनके स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले जुलूस एवं सभाओं को गैरकानूनी घोषित कर रहे थे।

4. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में कलकत्ता वासियों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी ज़ोर-शोर से की थी। पुलिस की सख्ती, लाठी चार्ज, गिरफ्तारियाँ, इन सब के बाद भी लोगों में जोश बना रहा। लोग झंडे फहराते, वंदे मातरम बोलते हुए, खून बहाते हुए भी जुलूस निकालने को तत्पर थे। जुलूस टूटता फिर बन जाता। कलकत्ता के इतिहास में इतने प्रचंड रूप में लोगों को पहले कभी नहीं देखा गया था।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

1. आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

उत्तर: इसका आशय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए इतना बड़ा आंदोलन बंगाल या कलकत्ता में नहीं हुआ था। यहाँ के विषय में लोगों के मन में जोश नहीं था, यह बात कलकत्ता के माथे पर कलंक थी। लेकिन इसे 26 जनवरी, 1931 को हुई स्वतंत्रता संग्राम की पुनरावृत्ति ने धो दिया। इस संग्राम में लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था और लोग जेल भी गए। लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना का संचार हो चुका था।

2. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि जब 26 जनवरी सन् 1931 के दिन कलकत्ता में स्थान-स्थान पर झंडोत्सव मनाए गए तो ब्रिटिश सरकार को यह बात मान्य नहीं थी इसलिए उन्होंने भारतीयों पर अनेक जुल्म किए। कलकत्ता के इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि पुलिस कमिश्नर दूद्वारा निकाले गए नोटिस के बावजूद भी कौंसिल द्वारा उन्हें खुली चुनौती दी गई कि न केवल एकजुट होकर झंडा फहराया जाएगा अपितु स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा भी पढ़ी जाएगी। पुलिस द्वारा यह नोटिस भी जारी किया गया कि इन सभाओं में भाग लेनेवालों को दोषी समझा जाएगा तब भी बड़ी संख्या में न केवल पुरुषों ने बल्कि स्त्रियों ने भी जुलूस में भाग लिया और सरकार द्वारा बनाए गए कानून को भी भंग किया। आजादी के इतिहास में ऐसी खुली चुनौतियाँ देकर पहले कभी कोई सभा आयोजित नहीं हुई थी। 

भाषा अध्ययन

1. रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

सरल वाक्य – सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक क्रिया और क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य ही सरल वाक्य है।

उदाहरण – लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।

संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हो, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। योजक शब्द और, परंतु, इसलिए आदि।

उदाहरण – मांनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।

मिश्र वाक्य – वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों मिश्र वाक्य कहलाता है।

उदाहरण – जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया।

निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए-

1. (क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ़्तार हो गया।

उत्तर: दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार पहुँच कर गिरफ़्तार हो गया।

(ख) मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना बनाकर मैदान में घूमने लगे।

उत्तर: हज़ारों लोगों की भीड़ मैदान में टोलियाँ बनाकर घूमने लगी।

(ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।

उत्तर: सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में लालबाज़ार लॉकअप भेज दिया गया।

II. ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।

उत्तर: सरल वाक्य-

(क) वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।

(ख) उनकी रचनाओं को समझना छोटे मुँह बड़ी बात है।

संयुक्त वाक्य-

(क) अभिमान किया और दीन दुनिया दोनों से गया।

(ख) मुझे अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ ओर आत्मसम्मान भी बढ़ा।

मिश्र वाक्य-

(क) मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ लेकिन असफल रहा।

(ख) में कह देता कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है।

2. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है।

(क) 1. कई मकान सजाए गए थे

2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे। 

(ख) 1. बड़े चाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था

2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं

3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी

(ग) 1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णदास पर था, वह प्रबंध कर चुका था

2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था

उत्तर: उपरिलिखित वाक्यों को पढ़ने और समझने से पता चलता है कि इनमें जाना’, ‘रहना’ और ‘चुकना’ क्रियाओं का प्रयोग मुख्य क्रिया के रूप में न करके रंजक क्रिया के रूप में किया गया है। इससे इनकी मुख्य क्रियाएँ संयुक्त क्रिया बन गई हैं।

3. नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए-

विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे शब्द ‘अर्थी’ की प्रथम स्वर ध्वनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।

संधि शब्द का अर्थ है- जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है-स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं;

जैसे – विद्यालय = विद्या + आलय

नीचे दिए गए शब्दों को संधि कीजिए

1. श्रद्धा + आनंद =

उत्तर: श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद।

2. प्रति + एक = 

उत्तर: प्रति + एक = प्रत्येक।

3. पुरुष + उत्तम =

उत्तर: पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम।

4. झंडा + उत्सव =

उत्तर: झंडा + उत्सव = झंडोत्सव।

5. पुनः + आवृत्ति =

उत्तर: पुनः + आवृत्ति = पुनरावृत्ति।

6. ज्योतिः + मय = 

उत्तर: ज्योतिः + मय = ज्योतिर्मय।

योग्यता विस्तार

1. भौतिक रूप से दबे हुए होने पर भी अंग्रेज़ों के समय में ही हमारा मन आज़ाद हो चुका था। अतः दिसंबर सन् 1929 में लाहौर में कांग्रेस का एक बड़ा अधिवेशन हुआ, इसके सभापति जवाहरलाल नेहरू जी थे। इस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पास किया गया कि अब हम ‘पूर्ण स्वराज्य’ से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे। 26 जनवरी 1930 को देशवासियों ने ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ के लिए हर प्रकार के बलिदान की प्रतिज्ञा की। उसके वाद आज़ादी प्राप्त होने तक प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

उत्तर: 26 जनवरी 1930 को ‘पूर्ण स्वराज्य दिवस’ के रूप में मनाया गया और इस दिन को देशवासियों ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अपने समर्पण और बलिदान की प्रतिज्ञा के रूप में चिह्नित किया।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, ताकि इस ऐतिहासिक दिन को राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में स्थायी रूप से स्थापित किया जा सके। तब से 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं, जो हमारे संविधान के लागू होने और भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतांत्रिक गणराज्य बनने की याद दिलाता है।

2. डायरी – यह गद्य की एक विधा है। इसमें दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं, अनुभवों को वर्णित किया जाता है। आप भी अपनी दैनिक जीवन से संबंधित घटनाओं को डायरी में लिखने का अभ्यास करें।

उत्तर: आज का दिन बहुत खास और रोमांचक रहा। सुबह स्कूल में क्रिसमस सेलिब्रेशन था। हमारे शिक्षक ने हमें बताया कि यह त्योहार प्यार, दया, और आपसी मेलजोल का प्रतीक है। क्लास में सभी ने मिलकर गाना गाया और क्रिसमस ट्री को सजाया। मैंने अपने दोस्तों के साथ खूब मज़े किए।

दोपहर में, गणित की परीक्षा थी। मैंने ठीक से पढ़ाई की थी, इसलिए पेपर अच्छा गया। हमारे शिक्षक ने कहा कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है, और मैं इसे अपने जीवन में अपनाने की कोशिश कर रहा हूँ।

शाम को घर आकर मैंने अपनी मम्मी के साथ किचन में मदद की। हमने मिलकर केक बनाया, जो बहुत स्वादिष्ट था। यह दिन मुझे सिखाता है कि हर पल का आनंद लेना चाहिए और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना कितना ज़रूरी है।

अब सोने का समय हो गया है। कल का दिन और बेहतर बनाने की कोशिश करूंगा।

शुभ रात्रि.

3. जमना लाल बजाज महात्मा गांधी के पाँचवें पुत्र के रूप में जाने जाते हैं, क्यों? अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।

उत्तर: जमनालाल बजाज को महात्मा गांधी का “पाँचवाँ पुत्र” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गांधीजी के आदर्शों को न केवल अपनाया, बल्कि उनका जीवनभर पालन भी किया। जमनालाल बजाज ने अपना पूरा जीवन गांधीजी के विचारों और स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया। वे गांधीजी के अत्यंत निकट थे और उनके व्यक्तिगत जीवन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। जमनालाल बजाज ने गांधीजी की सादगी, अहिंसा, और सत्य के सिद्धांतों को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।वे अस्पृश्यता उन्मूलन, खादी के प्रचार, और ग्रामीण विकास के प्रति समर्पित रहे, जो गांधीजी के प्रमुख उद्देश्यों में से थे। इन सब वजहों से जमनालाल बजाज को गांधीजी का “पाँचवाँ पुत्र” कहा गया।

4. ढाई लाख का जानकी देवी पुरस्कार जमना लाल बजाज फाउंडेशन द्वारा पूरे भारत में सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। यहाँ ऐसी कुछ महिलाओं के नाम दिए जा रहे हैं-

श्रीमती अनुताई लिमये 1993 महाराष्ट्र; सरस्वती गोरा 1996 आंध्र प्रदेश;

मीना अग्रवाल 1998 असम; सिस्टर मैथिली 1999 केरल; कुंतला कुमारी आचार्य 2001 उड़ीसा। इनमें से किसी एक के चारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर: छात्र स्वंम करे।

परियोजना कार्य

1. स्वतंत्रता आंदोलन में निम्नलिखित महिलाओं ने जो योगदान दिया, उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए-

(क) सरोजिनी नायडू।

उत्तर: सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता थीं। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर आंदोलन किए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। उन्हें भारत की ‘नाइटिंगेल’ भी कहा जाता है।

(ख) अरुणा आसफ अली।

उत्तर: अरुणा आसफ अली ने भारत छोड़ो आदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1942 में मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराया। वे स्वतंत्रत्ता संग्राम की बहादुर महिला नेताओं में से एक थीं।

(ग) कस्तूरबा गांधी।

उत्तर: कस्तूरबा गांधी, महात्मा गांधी की पत्नी, ने उनके साथ सत्याग्रह और सामाजिक सुधार आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने महिलाओं को संगठित कर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया।

2. इस पाठ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में कलकत्ता (कोलकाता) के योगदान का चित्र स्पष्ट होता है। आज़ादी के आंदोलन में आपके क्षेत्र का भी किसी न किसी प्रकार का योगदान रहा होगा। पुस्तकालय, अपने परिचितों या फिर किसी दूसरे स्रोत से इस संबंध में जानकारी हासिल कर लिखिए।

उत्तर: स्वतंत्रता संग्राम में कोलकाता ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। यह स्थान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्रों, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व, और रवींद्रनाथ ठाकुर के प्रेरणादायक साहित्य का केंद्र रहा। मेरे क्षेत्र में भी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों ने कई आंदोलन किए। उन्होंने सभाएं आयोजित की, स्वदेशी वस्लों का प्रचार किया, और लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ जागरूक किया।

3. ‘केवल प्रचार में दो हज़ार रुपया खर्च किया गया था।’ तत्कालीन समय को मद्देनज़र रखते हुए अनुमान लगाइए कि प्रचार-प्रसार के लिए किन माध्यमों का उपयोग किया गया होगा?

उत्तर: तत्कालीन समय में प्रचार प्रसार के लिए पुस्तकों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, जनसभाओं और स्वतंत्रता सेनानियों के भाषणों का उपयोग किया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पर्चे बांटना और सभाएं आयोजित करना भी प्रमुख माध्यम थे। रेडियो का भी उपयोग संदेशों को प्रसारित करने में किया गया।

4. आपको अपने विद्यालय में लगने वाले पल्स पोलियो केंद्र की सूचना पूरे मोहल्ले को देनी है। आप इस बात का प्रचार विना पैसे के कैसे कर पाएँगे? उदाहरण के साथ लिखिए।

उत्तर: एनएसएस शिविर की सूचना का प्रचार बिना पैसे खर्च किए इन तरीकों से किया जा सकता है:

(i) विद्यालय के छात्र स्वयं आसपास के क्षेत्र में लोगों को मौखिक रूप से जानकारी दे सकते हैं।

(ii) नोटिस बोर्ड और विद्यालय के आस-पास पोस्टर लगाए जा सकते हैं।

(iii) क्षेत्रीय संस्थानों और धार्मिक स्थलों में घोषणा की जा सकती है। यह प्रयास शिविर की जानकारी व्यापक रूप से फैलाने में मदद करेगा।

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