NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ

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NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ

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Chapter – 13

स्पर्श
गद्य खंड

बोध-प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में वीजिए-

 I 1. शुद्ध सोना और गिन्नी का सांना अलग क्यों होता है?

उत्तर: शुद्ध सोना और गन्निी का सोना अगल इसलिए होता है क्योंकि शुद्ध सोने में किसी प्रकार का मिलावट नहीं होता है। पर गिन्नी के सोने में थोड़ा-सा ताँबा मिलाया जाता है इसलिए वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने में मिला कर मज़बूत बन जाता है। 

2. प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

उत्तर: प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहते हैं जो आदर्शों को व्यवहारिकता के साथ प्रस्तुत करते हैं। इनका समाज पर गलत प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये कई बार आदर्शों से पूरी तरह हट जाते हैं और केवल अपने हानि-लाभ के बारे में सोचते हैं। ऐसे में समाज का स्तर गिर जाता है।

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3. पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

उत्तर: पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श वे हैं, जिनमें व्यावहारिकता का कोई स्थान न हो। केवल शुद्ध आदर्शों को महत्त्व दिया जाए। शुद्ध सोने में ताँबे का मिश्रण व्यावहारिकता है, तो इसके विपरीत शुद्ध सोना शुद्ध आदर्श है।

II 4. लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

उत्तर: प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात इसलिए कही है, क्योंकि जापानी लोग उन्नति की दौड़ में अव्वल हैं। वे महीने भर का काम एक दिन में ही पूरा करने की सोच रखते हैं।

5. जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

उत्तर: जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।

6. जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?

उत्तर: जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वह स्थान पर्णकुटी जैसा सजा होता है। वहाँ बहुत शांति होती है। प्राकृतिक ढंग से सजे हुए इस छोटे से स्थान में केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते हैं। यहाँ अत्यधिक शांति का वातावरण होता है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

I 1. शुद्ध आदर्श को तुलना सोने में और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?

उत्तर: शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना तांबे से इसलिए की गई है क्योंकि व्यवहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं अगर उन्हें सही अनुपात में व्यावहारिकता में न मिलाया जाए। इसी प्रकार से शुद्ध सोने में तांबा मिलने पर वह मजबूत तो हो जाता है परंतु अपनी शुद्धता एवं गुणों को खो देता है।

II. 2. चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी की?

उत्तर: चाजीन द्वारा अतिथियों का उठकर स्वगात कियाग या। और उसने अंगीठी में आग जलाकर और उस पर चाय दानी रखकर चाय के बर्तन लाए और उन्होंने वह बर्तन अच्छे से साफ कपड़े से पोछे और उन बर्तनों में चाय डाल दी। सभी क्रियाएँ अच्छे, गरीमापूर्ण व सहज ढंग से कीं।

3. ‘टी-मेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?

उत्तर: प्रस्तुत पाठ के अनुसार, टी-सेरेमनी में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था। क्योंकि भाग-दौड़ की ज़िदंगी से दूर भूतकाल और भविष्यकाल की चिंता दूर हटकर शांतिमय वातावरण में कुछ समय बिताना इस जगह का उद्देश्य था।

4. चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?

उत्तर: प्रस्तुत पाठ के अनुसार, चाय पीने के बाद लेखक ने एहसास किया कि उसका दिमाग सुन्न होता जा रहा है, उसकी सोचने की शक्ति धीरे-धीरे मंद हो रही है। परिणामस्वरूप, उसे सन्नाटे की आवाज़ भी सुनाई देने लगी थी। सिर्फ वर्तमान पल सामने था, जो की अनंतकाल जितना विस्तृत था। लेखक के अनुसार, वर्तमान ही सत्य है और हमें उसी में जीना चाहिए। सही मायनों  में असल जीना किसे कहते हैं, लेखक को उस दिन एहसास हुआ…।।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

I 1. गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।

उत्तर: प्रस्तुत पाठ के अनुसार, गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। यह आन्दोलन व्यावहारिकता को आदर्शों के स्वर पर चढ़ाकर चलाया गया। इन्होंने कई आन्दोलन चलाए भारत छोड़ो आन्दोलन, दांडी मार्च, सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन आदि। उनके साथ भारत की सारी जनता थी। उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर पूर्ण स्वराज की स्थापना की। भारतीयों ने भी अपने नेता के नेतृत्व में अपना भरपूर सहयोग दिया और हमें आज़ादी मिली।

2. आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत है? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: वास्तव में देखा जाए तो सत्य, अहिंसा, ईमानदारी, परोपकार की भावना, परहित, सहिष्णुता, नैतिकता आदि ऐसे शाश्वत मूल्यों में शामिल हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। इन शाश्वत मूल्यों की आवश्यकता आज भी समाज को उतना ही है, जितना पहले हुआ करता था।

3. अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब-

1. शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।

उत्तर: छात्र स्वयं अपनी घटना दिए गए तरीके से लिख सकते हैं –

मेरे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, जिसने मुझे बहुत दुखी किया था। मैंने मास्टर जी से ऐसे लड़के की शिकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोरियाँ किया करता था। मास्टर जी तो प्रसन्न हुए परन्तु लड़के ने छुट्टी के बाद अपने साथियों के साथ मिलकर मेरी हड्डियाँ तोड़ दी। मुझे प्लास्टर तो बंधा ही, घरवालों के जो पैसे खर्च हुए अलग, साथ ही एक महीने छुट्टी ले कर घर पर रहना पड़ा। मुझे शुद्ध आदर्श अपनाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

2. शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो। 

उत्तर: व्यवहार में व्यवहारिकता लाना ज़रूरी है। एक महीने बाद जब स्कूल पहुँचा, तो पिछला काम पाने के लिए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खुश करने के लिए उसकी तारीफ़ की, उसको सराहा और कक्षा कार्य मांगा तो उसने तुरंत मदद कर दी।

4. ‘शुद्ध सोने में ताँब की मिलावट या ताँबे में सोना’, गांधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: गाँधीजी जी के द्वारा जीवन भर सत्य और अहिंसा के गर्मा पर चलते हुए उनका पालन किया गया। वे आदर्शों को उंचाई तक ले जाते हैं अर्थात जिस प्रकार सोने में तांबे की मिलावट होने पर उसकी कीमत नहीं कम होती। बल्कि तांबे में सोना मिलने के पश्चात तांबे की कीमत और अधिक बढ़ जाती है। उसी प्रकार से गाँधीजी व्यवहारिकता की कीमत जानते थे। परंतु अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्वर पर उतरने नहीं देते थे।

5. ‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्मष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?

उत्तर: गरिगटि कहानी में स्वार्थी इंस्पेक्टर मौका मिलते ही पल भर में अपना रंग एवं व्यहावर दोनो ही बदल लेता है। आदर्श शुद्ध सोने के समान है इसमें व्यवहारिकता का तांबा मिलाकर इसको उपयोगी बनाया जा सकता है लेखक द्वारा गन्निी का सोना कहानी में इस बात पर जोर दियाग या है। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति आदर्शों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़े तो समाज विनाश की ओर जा सकता है। जहां नैतिकता और जीवन के मूल्यों का विकास हो वास्तव में समाज की उन्नति सही मायने में वहीं मानी जाती हैं।

II 6. लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर: लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताएँ हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है, बोलता नहीं बकता है, एक महीने का काम एक दिन में करना चाहता है, दिमाग हज़ार गुना अधिक गति से दौड़ता है। अंतरि तनाव बढ़ जाता है। मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का अनियंत्रित गति से कार्य करना है।

7. लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

I 1. समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।

उत्तर: इसका आशय है कि समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है, तो वास्तव में यह धरोहर आदर्शवादी लोगों की ही दी हुई है। जैसे-गांधी जी का अहिंसा और सत्याग्रह का संदेश, राजा हरीशचंद्र की सत्यवादिता तथा भगतसिंह की शहादत आदि अनेक हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। हम इनके दिखाए रास्ते पर चलते हैं और इनके गुणों को आचरण में लाते हैं।

2. जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीर पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।

उत्तर: जब आदर्श और व्यवहार में से लोग व्यावहारिकता को प्रमुखता देने लगते हैं और आदर्शों को भूल जाते हैं तब आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी होने लगती है। “प्रैक्टिकल आइडियालिस्टक” लोगों के जीवन में स्वार्थ व अपनी लाभ-हानि की भावना उजागर हो जाती है। ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसमें आदर्श एवं व्यवहार का संतुलन होता है लेकिन यदि आज के समाज को ध्यान में रखे तो इस शब्द में व्यावहारिकता को इतना महत्त्व दे दिया जाता है कि उसकी आदर्शवादी विचारधारा अदृश्य होकर केवल व्यावहारिकता के रूप में ही दिखाई देने लगती है। आदर्श व्यवहार के उस स्तर पर जाकर अपनी गुणवत्ता खो देता है और धीरे-धीरे आदर्श मूल व्यवहार के हाथों समाप्त हो जाता है।

II. 3. हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते है।

उत्तर: जीवन की भाग-दौड़, व्यस्तता तथा आगे निकलने की दौड़ ने लोगों का चैन छीन लिया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पाने की दौड़ में भाग रहा है। इससे तनाव व निराशा बढ़ रही है।

4. सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से की कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवती के सुर गूँज रहे हो।

उत्तर: चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम किया। झुककर प्रणाम करना, बरतन पोंछना, चाय डालना सभी धीरज और सुंदरता से किए मानो कोई कलाकार बड़े ही सुर में गीत गा रहा हो।

भाषा अध्ययन

1. नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-

व्यावहारिकता, आदर्श, सुझबुझ, विलक्षण, शाश्वत

उत्तर:  व्यावहारिकता – पिताजी का व्यावहारिकता सीखने योग है।

आदर्श – गांधी जी अपने आदर्श बनाए रखते थे।

सुझबुझ – हमें अपने सुझबुझ से काम करना चाहिए। 

विलक्षण – सुभाषचंद्र बोस विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।

शाश्वत – प्रकृति परिवर्तनशील है, यह शाश्वत नियम है।

2. ‘लाघ हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि

यहाँ इंद्र समाय है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्म का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए-

(क) माता-पिता = _____________

उत्तर: माता-पिता = माता और पिता।

(ख) पाप-पुण्य = _____________

उत्तर: पाप-पुण्य = पाप और पुण्य।

(ग) सुख-दुख =  _____________

उत्तर: सुख-दुख = सुख और दुख।

(घ) रात-दिन = _____________

उत्तर: रात-दिन = रात और दिन।

(ङ) अन्न-जल = _____________

उत्तर: अन्न-जल = अन्न और जल।

(च) घर-बाहर = _____________

उत्तर: घर-बाहर = घर और बाहर।

(छ) देश-विदेश = _____________

उत्तर: देश-विदेश = देश और विदेश।

3. नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए-

(क) सफल = _____________

उत्तर: सफल = सफलता।

(ख) विलक्षण = _____________

उत्तर: विलक्षण = विलक्षणता।

(ग) व्यावहारिक = _____________

उत्तर: व्यावहारिक = व्यावहारिकता।

(घ) सजग = _____________

उत्तर: सजग = सजगता।

(ङ) आदर्शवादी = _____________

उत्तर: आदर्शवादी = आर्दशवादिता।

(च) शुद्ध = _____________

उत्तर: शुद्ध = शुद्धता।

4. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए

(क) शुद्ध सोना अलग है।

(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है धातु ‘स्वर्ण’। दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है ‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

उत्तर, कर, अंक, नग

उत्तर: 

(क) उत्तरमैंने सभी प्रश्नों के उत्तर लिख लिए हैं।
तुम्हें उत्तर दिशा में जाना है।
(ख) करहमने सभी कर चुका दिए हैं।
मंत्री जी ने अपने कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलित किया।
(ग) अंकराम के परीक्षा में अच्छे अंक आए हैं।
बच्चा अपनी माँ की अंक में बैठा है।
(घ) नगहीरा एक कीमती नग है।
हिमालय एक बड़ा नग है

5. नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए-

(क) 1. अँगीठो सुलगायी।

2. उस पर चायदानी रखी।

उत्तर: अँगीठी सुलगायी और उसपर चायदानी रखी।

(ख) चाय तैयार हुई।

2. उसने वह प्यालों में भरी।

उत्तर: चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी।

(ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।

2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।

उत्तर: बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिए से बरतन साफ़ किए।

6. नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए-

(क) ।. चाय पीने की यह एक विधि है।

2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।

उत्तर: यह चाय पीने की एक विधि है जिसे जापानी चा-नो-यू कहते हैं।

(ख) 1. बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था।

2. उसमें पानी भरा हुआ था।

उत्तर: बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।

(ग) 1. चाय तैयार हुई।

2. उसने वह प्याला में भरी।

3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।

उत्तर: जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।

योग्यता विस्तार

I 1. गांधीजी के आदर्शों पर आधारित पुस्तके  पढ़िए जैसे महात्मा गांधी द्वारा रचित ‘माय के प्रयोग’ और गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘गिरमिटिया’।

उत्तर: छात्र स्वंम करे।

II 2. पाठ में वर्णित ‘टी-सेरेमनी’ का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए l

उत्तर: टी-सेरेमनी’ का शब्द चित्र-एक छह मंजिली इमारत की छत पर झोपड़ीनुमा कमरा है, जिसकी दीवारें दफ़्ती की बनी है। फर्श पर चटाई बिछी है। वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण है। बाहर ही एक बड़े से बेडौल मिट्टी के बरतन में पानी रखा है। लोग यहाँ हाथ-पाँव धोकर अंदर जाते हैं। अंदर बैठा चाजीन झुककर सलाम करता है। बैठने की जगह की ओर इशारा करता है और चाय बनाने के लिए अँगीठी जलाता है। उसके बर्तन अत्यंत साफ़-सुथरे और सुंदर हैं। वातावरण इतना शांत है कि चायदानी में उबलते पानी की आवाज साफ़ सुनाई दे रही है। वह बिना किसी जल्दबाजी के चाय बनाता है। वह कप में दो-तीन छूट भर ही चाय देता है जिसे लोग धीरे-धीरे चुस्कियाँ लेकर एक डेढ़ घंटे में पीते हैं।

परियोजना कार्य

1. भारत के नक्शे पर वे स्थान अंकित कीजिए जहाँ चाय की पैदावार होती है। इन स्थानों से संबंधित भौगोलिक स्थितियों और अलग-अलग जगह की चाय की क्या विशेषताएँ हैं, इनका पता लगाइए और परियोजना पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर: भारत में चाय की पैदावार मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में होती है। चाय की  विशेषताएँ  कुछ इस प्रकार के है। 

(i) असम: असम की चाय अपने गहरे रंग और माल्ट जैसी गंध के लिए प्रसिद्ध है। यह मुख्यतः काली चाय के रूप में लोकप्रिय है।

(ii) पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग और डूआर्स): दार्जिलिंग की चाय को “चाय का शैंपेन” कहा जाता है। इसकी खुशबू और हल्का स्वाद इसे अनोखा बनाता है। डूआर्स की चाय मजबूत और स्वाद में गहरी होती है।

(iii) केरल: दक्षिण भारत की चाय हल्की और सुगंधित होती है।

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