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Class 9 Hindi Elective Chapter 4 बिंदु बिंदु विचार
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बिंदु बिंदु विचार
पाठ – 4
बोध एवं विचार
अभ्यासमाला
भाग-1 वाण और व्यवहर
1. पूर्णवक्य में उत्तर दो :
(क) मुन्ना कौन सा पाठ याद कर रहा था ?
उत्तर : “क्लीनलीनेस इज नेकस्ट टु गाँडलीनेस” यह पाठ याद कर रहा था ।
(ख) मुन्नाको बाहर कौन बुला रहा था ?
उत्तर : मन मित्र बाहर बुला रहा था ।
(ग) मुन्ना की बहन उसके लिए क्या क्या कार्य किया करत थे ?
उत्तर : मेज में खुली किताबों को कागज के टुकड़ा लगाकर बंद करती थी। बेतरतीब पड़े रहे किताबों कॉपियों को ठीक से रखी थी। खुले कलम पह टोपी लगाई। गीली कपड़ों से मेज साफ किया और कुरसी ठीक से रखकर चुपचाप चली गयी ।
(घ) आपकी राय में अंग्रेजी की सूक्ति का मुन्ना और उसकी बहन में से किसने सही-सही अर्थ समझा ?
उत्तर : अंग्रेजी की सूक्ति का सही-सही अर्थ मुन्ना की बहन समझी है ।
(ङ) पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा क्या है ?
उत्तर : पाठ की अनुसार सात समंदर की भाषा का अर्थ है अंग्रेजी भाषा ।
2. संक्षिप्त उत्तर दो :
(क) लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर क्यों गया ?
उत्तर : क्योंकि मून्ना जोर जोर से अंग्रेजी का एक अच्छी पाठ “क्लीनलीनेस इज नैकस्ट टु गॉंडलीनेस” पर रहा था। वास्तव में इसका अर्थ है देवत्व का अर्थ है शुचिता ।
(ख) बिटिया मुन्ना की मेज को क्यों सँवार देती है ?
उत्तर : मुन्ना पढ़ने के वाद खेलने गया था। उस समय मेज पर बेतरतीव पड़े रहे कितावों को ठीक करने के लिये बिटियाँ मेज को सँवार दी थी ।
(ग) लेखक को सारे प्रवचन-अध्ययन बौने क्यों लगे ?
उत्तर : मुन्ना ने “क्लीनलीनेस इज नेकस्ट टू गाँडलीनेस” पाठ पढ़ने के समय जिस प्रकार अपने मेज को बेतरतीब बनाकर चले गये उसे देखकर लेखक को अपने मन में वह सोच आए कि उसके जीवन में सूने हुए सारे प्रवचन और अध्ययन बौने हो गये ।
(घ) “हम वास्तव में तुमहारे समक्ष श्रद्धानत होना चाहते है।” इस वाक्य में लेखक ने ‘वास्तव’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है ?
उत्तर : धर्म और राजनीति, समाज और व्यावहार आदि विभिन्न क्षेत्रों में उपदेश देनेवाले जब सच्चाई पर समानता वास्तव में होगी तब हम भी उस में सहयोग देंगे। श्रद्धानत होंगे। इसलिए लेखक ‘वास्तव’ शब्द का प्रयोग किया ।
(ङ) ‘वाणी और व्यवहार में समता आने दो’। यदि वाणी और व्यवहार एक हो तो इसका परिणाम क्या होगा ? अपना अनुभव व्यक्त करो ।
उत्तर : अगर वाणी और व्यवहार एक होता तो संसार में कोई बुराइयाँ नहीं रहेगा। वाणी के साथ साथ सभी अपने अपने व्यवहार बदल कर समाज बदल कर डालेगा ।
(च) ” पाठ याद हो गया” मुन्ना का पाठ याद हो जाने पर भी लेखक उससे प्रसन्न नही है ? क्यों ?
उत्तर : क्योंकि मुन्ना पड़ता है एक और करता है और कुछ। जैसे “क्लीनलीनेस” का कोई असर उसके कामों में नहीं पड़ा। इसीलिये लेखक उससे प्रसन्न नहीं है ।
(छ) लेखक ने इस निबंध में अंग्रेजी की सूक्ति- ‘क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस’ को आधारबिन्दू क्यों बनाया है ?
उत्तर : लेखक ने इस निबंध में अंग्रेजी की सूक्ति को इसलिए आधारबिन्दु बनाया है क्यों कि किसी भी सीख को समझ-बूझकर आचरण में सही ढंग से न उतारे बिना वह विफल होता है। उस ज्ञान को आचरण में उतारना चाहिए। मन पाठ तो याद करता है पर उसे आचरण उतार नही पया ।
3. आशय सपष्ट करो :
(क) आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है ।
उत्तर : लेखक कहते हैं आचरण की एक लकीर सबको छोटा कर देता है। कोई भी सीख तभी सार्थक होगी जब उस सीख को हम अपने आचरण में उतार सके । नेताओं के भाषणों में सुन्दर सुगठित वाक्य गूँजते हैं। पर वास्तव में क्या देश के लिए मर मिटते हैं। वह सब तो इनके मुँह से निकला कथन है। उस कथन को आचरण में उतारना चाहिए तभी तो समाज सुधरेगा। इसीलिए लेखक कहते हैं बात को मुँह से निकालने से पहले आचरण में भी समानता लाओ ।
(ख) केवल कंठ से मत बोलो – हम तुम्हारे हृदयों की गूँज सुनना चाहते हैं ।
उत्तर : लेखक धर्म और राजनीति, समाज और व्यवहार के क्षेत्रों में विविध मंचों से उपदेश देने वाले मुन्नाओं से कहते हैं केवल कँठ से मत बोलो – हम तुम्हारे हृदयों की गूँज सुनना चाहते हैं। रटे-रटाये वाक्य बोलने से कुछ नहीं होगा बल्कि जो कुछ ज्ञान अर्जन किए हो उसे वास्तविकता में लाओ। तभी तो वाणी और व्यवहार में समानता आएगी, अर्थात बात कँठ तक रह जाने से ही नहीं होगा उस ज्ञान का अनुभव करो ।
4: सही शब्द का चयन कर वाक्य को फिर से लिखो ।
(क) लेखक ……. पढ़ रहा था। (समाचार पत्र, किताब, पत्रिका चिट्ठी)
उत्तर : किताब ।
(ख) बिटिया ……. नहीं पढ़ती। (अंग्रजी, हिंदी, असमीया, बंगला)
उत्तर : अंग्रजी ।
(ग) …….. आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है । (प्रवचन, अध्ययन, व्यवहार, ज्ञान।)
उत्तर : ज्ञान ।
(घ) आचरण की एक…….ने सबको छोटा कर दिया है । (रेखा, बिंदु, लकीर, ईच्छा) ।
उत्तर : लकीर ।
(ङ) प्रवचन और अध्ययन सब …….. हो गए हैं । (छोटे, नाटे, ऊँचे, बौंने) ।
उत्तर : बौंने ।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
1. कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका एक वचन और बहुवचन दोनों में एक ही रूप रहता है; किंतु वाक्य में प्रयुक्त क्रियाओं को देखकर वचन निर्णय किए जाते हैं । जैसे―
मुन्ना का पाठ याद हो गया ।
मुन्ना के मित्र बाहर बुला रहे हैं ।
ऐसे ही किन्हीं दस शब्दों का चयन करो और दोनों वचनों में वाक्य बनाओ ।
उत्तर : खुद करो ।
2. निम्नलिखित शब्दों का सही उच्चारण करो :
उत्तर : शुचिता , क्षण , प्रवचन , आचरण , मुद्रण , मस्तिष्क , भाषण , कॉपी ।
3. निम्नलिखित शब्दों के लिए दो-दो समानार्थी (पर्याय) लिखो :
उत्तर : किताब ― पुस्तक, पोथी ।
सोना ― स्वर्ण, कनक ।
लाड़ ― दुलार, प्यार ।
पत्थर ― पाषाण, शिला ।
समंदर ― जलधि, सिंधु ।
आंख ― लोचन, नेत्र ।
4. नीचे दिए गए शब्दों में विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) अलग-थलग हुए । आप इनके उपयुक्त विशेषण- विशेष्य के जोड़े बनाओ :
उत्तर : विशाल ― मंदिर प्राणदायी―बुटी।
उँची―मीनार प्राणघातक ― विष।
सुदीर्घ―सड़क विध्वंसक―तोप।
Sl. No. | Contents |
Chapter 1 | हिम्मत और जिंदगी |
Chapter 2 | परीक्षा |
Chapter 3 | आप भोले तो जग भला |
Chapter 4 | बिंदु बिंदु विचार |
Chapter 5 | चिड़िया की बच्ची |
Chapter 6 | चिकित्सा का चक्कर |
Chapter 7 | अपराजिता |
Chapter 8 | मणि-कांचन संयोग |
Chapter 9 | कृष्ण- महिमा |
Chapter 10 | दोहा दशक |
Chapter 11 | चरैवेती |
Chapter 12 | नर हो, न निराश करो मन को |
Chapter 13 | मुरझाया फुल |
Chapter 14 | गाँँव से शहर की ओर |
Chapter 15 | साबरमती के संत (सधु) |
Chapter 16 | टूटा पहिया |
भाग-२ : पारसमणि
(अ) सही विकल्प का चयन करो :
(1) किसी ने कहा : “मेरे पास है पारसमणि” इसमें किसी कौन है ?
(क) कोई राह चलता व्यक्ति।
(ख) लेखक का विवेक।
(ग) लेखक की वुद्धि।
(घ) लेखक की कल्पना।
उत्तर : (घ) लेखक की कल्पना ।
(2) “लोहा है तुम्हारे पास ?” में लोहा से क्या आशय है ?
(क) उद्यमशीलता।
(ख) लौह धातु।
(ग) भौतिक उपकरण।
(घ) अनुभव।
उत्तर : (घ) अनुभव ।
(आ) संक्षिप्त उत्तर दो:
(3) लेखक पारसमणि क्यों ढूँढ रहा था ?
उत्तर : लेखक वास्तविकता से धीरे धीरे विगरी हुई है । इससे उद्धार पाने के लिए लेखक पारसमणि खोजते हैं ।
(4) लेखक ने स्पर्शमणि के कौन कौन से रुप बताए है ?
उत्तर : सेवा से, लोहे-पीतलवाले से, कौशल के स्पर्श से, प्रतिभा वाले से, लगन से स्पर्शमणि का रूप पाए जाते है ।
(5) ‘शुद्ध स्पर्श’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : शुद्ध-स्पर्श का वह तात्पर्य है मन की शुद्धता, हमारी सेवा भावना, हमारा अपना परिश्रम और लगन जो हमारे भीतर का स्पर्शमणि है ।
6. सोना का होना और न होना दोनों ही समस्या के कारण क्यों है ?
उत्तर : सोने का होना और न होना दोनों ही समस्या का कारण होता है। सोने में अच्छाई जितनी है बुराई उससे कम नहीं है। सोना जिसके पास है उसे नशा से मारता है और जिकसे पास नहीं है उसे लोभ परेशान करता है ।
(इ) आशय स्पष्ट करो :
(क) याचना के लिए फैलाए हाथ का भाग केवल तिरस्कार है, बंधु!
उत्तर : याचना के लिए फैलाए हाथ का भाग केवल तिरस्कार ही होता है। अपने भीतर छिपी पारसमणि के अनुभुति से, अपने परिश्रम और लगन से हम लोहा को भी सोना बना सकते हैं। अर्थात किसी भी कार्य में निरन्तर श्रम करते रहने से कठिन कार्य इसके द्वारा सफल हो सकता है। अतः हाथ बढ़ाओ तो किसी उद्योग के लिए, याचना के लिए नहीं ।
(ख) शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है।
उत्तर : पारसमणि निबंध में लेखक ने प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर छिपी पारसमणि को पहचानने के लिए परामर्श दिया है। लेखक की दृष्टि में यह पारसमणि है हमारी सेवा भावना, हमारा अपना परिश्रम और लगन। एसा पारमणि के स्पर्श से मनचाहा सोना बनाया जा सकता है। पर सोना बनाते समय मन की शुद्धता अनिवार्य है अन्यथा सोने की मादकता तथा उसे और अधिक पाने का लालच हमें विनाश की ओर ले जा सकता है। अतः उद्यमशील होकर अपनी प्रतिभा और लगन से उन्नति और विकास का रास्ता अपने आप खुल जाता है ।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो :
(क) सोना पाकर करोगे क्या ? ― सोना पाकर क्या करोगे ?
(ख) सोने के आकांक्षी हो तुम । ― तुम सोने के आकांक्षी हो ।
वाक्य में विशेष अंश पर बल देने के लिए पदों के सामान्य क्रम को बदल दिया जाता है । पाठ में से इसी प्रकार के वाक्य छांटकर लिखो और उनका सामान्य पदक्रम भी लिखो ।
उत्तर : खुद लिखो ।

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