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Class 9 Hindi Elective Chapter 3 बिंदु-बिंदु विचार
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बिंदु-बिंदु विचार
पाठ – 3
अभ्यासमाला |
बोध एवं विचार
1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) मुन्ना कौन-सा पाठ याद कर रहा था?
उत्तर: मुन्ना क्लीनलीनेस इज नेकस्ट टु गाँडलीनेस” पाठ याद कर रहा था।
(ख) मुन्ना को बाहर कौन बुला रहा था ?
उत्तर: मुन्ना को मित्र बाहर बुला रहा था।
(ग) मुन्ना की बहन उसके लिए क्या-क्या कार्य किया करती थी?
उत्तर: मुन्ना की बहन उससे बहुत प्यार करती थी जिसके कारण मुन्ना द्वारा मेज पर छोड़े गए सामग्री को संवारती है। जैसे- छोड़े गए पाठ को निशान के लिए कागज लगाकर किताब बंद करती है, खुले पेन की टोपी बंद करती है, गीला कपड़ा लेकर स्याही के दाग धब्बों को पूछती है और कुर्सी को कायदे से रख देती है।
(घ) आपकी राय में अंग्रेजी की सूक्ति का मुन्ना और उसकी बहन में से किसने सही-सही अर्थ समझा ?
उत्तर: मुन्ना की बहन ने अंग्रेजी की सूक्ति का सही सही अर्थ समझा।
(ङ) पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा क्या है?
उत्तर: पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा अंग्रेजी है।
2. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में):
(क) लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर क्यों गया?
उत्तर: लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर गया क्योंकि मुन्ना जोर-जोर से अपना पाठ पढ़ रहा था “क्लीनलीनेस इस नेक्स्ट टू गॉडलीनेस।”
(ख) बिटिया मुन्ना को मेज को क्यों सँवार देती है?
उत्तर: बिटिया मुन्ना की मेज को सँवार देती है क्योंकि उसका लाडला भाई सात समुंदर पार की भाषा पड़ता है अर्थात वह अंग्रेजी मीडियम में पढ़ता था। इसीलिए भाई का आदर भी करती है।
(ग) लेखक को सारे प्रवचन अध्ययन बौने क्यों लगे?
उत्तर: बिटिया की आचरण को समक्ष लेखक को सारे प्रवचन- अध्ययन बौने लगे। क्योंकि बिटिया सात समंदर की भाषा नहीं जानती थी। लेकिन वह भाषा का महत्व, ज्ञान का महत्व अच्छी तरह जानती है। इसलिए वह अपना भाई का कमरा अच्छी तरह सँवार करती है। क्योंकि ‘निर्मलता ही द्वितीय सतर्कता है’।
(घ) “हम वास्तव में तुम्हारे समक्ष श्रद्धानत होना चाहते हैं।”- इस वाक्य में लेखक ने ‘वास्तव’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर: लेखक ने वास्तव शब्द का प्रयोग वाणी और व्यवहार की एकता के संदर्भ में किया है। लेखक के अनुसार केवल वाणी से कुछ नहीं होगा। उस वाणी में ह्रदयों की गूंज होनी चाहिए। अगर वाणी और व्यवहार में समता आ जाए तो वास्तव में इनके समक्ष लेखक श्रद्धानता होना चाहते हैं।
(ङ) ‘वाणी और व्यवहार में समता आने दो।’ यदि वाणी और व्यवहार एक हो तो इसका परिणाम क्या होगा? अपना अनुभव व्यक्त करो।
उत्तर: अगर वाणी और व्यवहार एक होता तो संसार में कोई बुराइयाँ नहीं रहेगा। वाणी के साथ साथ सभी अपने अपने व्यवहार बदल कर समाज बदल कर डालेगा।
(च) ‘पाठ याद हो गया।’ मुन्ना का पाठ याद हो जाने पर भी लेखक उससे प्रसन्न नहीं हैं, क्यों?
उत्तर: लेखक के अनुसार पाठ याद करना नही चाहिए। पाठ को अपने अंदर समो लेना चाहिए। इसलिए मुन्ना का पाठ याद हो जाने पर भी लेखक उसमे प्रसन्न नहीं है।
(छ) लेखक ने इस निबंध में अंग्रेजी की सूक्ति- ‘क्लीनलीनेस इज नैक्स्ट टु गॉडलीनेस’ को आधारबिंदु क्यों बनाया है?
उत्तर: निबंध का विषयवस्तु ‘निर्मलता’ और ‘सतर्कता’ पर आधारित होने के कारण निबंध का आधार बिंदु लेखक ने अंग्रेजी भाषा की मिठास पूर्ण सूक्टि “क्लीनलीनेस इज नेक्सट टु गॉडलीनेस” को बनाया है।
3. आशय स्पष्ट करो (लगभग 50 शब्दों में):
(क) आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है।
उत्तर: आचरण की एक लकीर का आशय यह है कि मुन्ना जो पाठ रट रहा था उस वाक्य ने लेखक का हृदय छू लिया था।पर दूसरे ही क्षण लेखक का मन बदल जाता है, क्योंकि लेखक किसी भी वाणी को रट लेने तथा समझ बूझकर आचरण में सही ढंग से न उतार पाने को नंगा ज्ञान समझते हैं। लोग सुंदर सुंदर प्रवचन तथा वाणी को तो अपने कानों और आंखों तक उतार पाते हैं पर उसे अपने हृदय तक नहीं पहुंचा पाते।
(ख) केवल कंठ से मत बोलो हम तुम्हारे हृदयों की गूंज सुनना चाहते हैं।
उत्तर: यहाँ लेखक का कहना है कि ‘कहने से लिखनी भली हैं’। लेखक विविध मंचो से उपदेश देनेवाले मुन्नाओं कहते है कि ज्ञान चाहे मस्तिष्क में रहे या पुस्तक में, वह चाहे मुँह से बखाना जाए या मुद्रण के बंदीखाने में रहे आचरण बिना विफल मनोरथ है। आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा बना दिया है। इसलिए लेखक कंठ से बोली जानेवाले बात को ठुकरा कर हृदय की गूंज सुनना चाहते है।
4. सही शब्दों का चयन कर वाक्यों को फिर से लिखो:
(क) लेखक _________ पढ़ रहा था।
(समाचार पत्र, किताब, पत्रिका, चिट्ठी)
उत्तर: लेखक किताब पढ़ रहा था।
(ख) बिटिया _________ नहीं पढ़तीं।
(अंग्रेजी, हिन्दी, असमीया, बंगला)
उत्तर: बिटिया अंग्रेजी नहीं पढ़ती।
(ग) _________ आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है।
(प्रवचन, अध्ययन, व्यवहार, ज्ञान)
उत्तर: ज्ञान आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है।
(घ) आचरण की एक __________ ने सबको छोटा कर दिया है।
(रेखा, बिंदु, लकीर, इच्छा)
उत्तर: आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है।
(ङ) प्रवचन और अध्ययन सब __________ हो गए है।
(छोटे, नाटे, ऊँचे, बौने)
उत्तर: प्रवचन और अध्ययन सब बौने हो गए है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान |
1. कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका एक वचन और बहुवचन दोनों में एक ही रूप रहता है; किंतु वाक्य में प्रयुक्त क्रियाओं को देखकर वचन निर्णय किए जाते हैं। जैसे-
मुन्ना का पाठ याद हो गया।
मुन्ना के मित्र बाहर बुला रहे हैं।
ऐसे ही किन्हीं दस शब्दों का चयन करो और दोनों वचनों में वाक्य बनाओ।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
2. निम्नलिखित शब्दों का सही उच्चारण करो:
उत्तर: शुचिता, क्षण, प्रवचन, आचरण, मुद्रण, मस्तिष्क, भाषण, कॉपी।
3. निम्नलिखित शब्दों के लिए दो-दो समानार्थी (पर्याय) लिखो:
किताब, सोना, लाड, पत्थर, समंदर, आँख।
उत्तर: (i) किताब – पुस्तक, पोथी।
(ii) सोना – स्वर्ण, कनक।
(iii) लाड़ – दुलार, प्यार।
(iv) पत्थर – पाषाण, शिला।
(v) समंदर – जलधि, सिंधु।
(vi) आंख – लोचन, नेत्र।
4. नीचे दिए गए शब्दों में विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) अलग-थलग हुए हैं। आप इनके उपयुक्त विशेषण-विशेष्य के जोड़े बनाओ : विशाल, ऊँची, सड़क, बुटी, सुदीर्घ, प्राणदायी, विष, विध्वंसक, मंदिर, मीनार, तोप, प्राणघातक।
उत्तर: (i) विशाल ― मंदिर।
(ii) प्राणदायी ― बुटी।
(iii) उँची ― मीनार।
(iv) प्राणघातक ― विष।
(v) सुदीर्घ ― सड़क।
(vi) विध्वंसक ― तोप।
योग्यता-विस्तार |
कथनी और करनी में समानता की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त निबंध लिखो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
शब्दार्थ एवं टिप्पणी |
शब्द | अर्थ |
वाणी | |
शुचिता | |
बेतरतीब | |
करीने से | |
घोष | |
प्रवचन | |
समक्ष | |
बौना | |
लकीर | |
मस्तिष्क | |
मनोरथ | |
श्रद्धानत |
उत्तर:
शब्द | अर्थ |
वाणी | बोली, वचन |
शुचिता | पवित्रता |
बेतरतीब | अव्यवस्थित, विना क्रम के |
करीने से | अच्छी तरह से, ढंग से |
घोष | आवाज, ध्वनि |
प्रवचन | उपदेशपरक भाषण |
समक्ष | सामने, सम्मुख |
बौना | छोटा, नाटा |
लकीर | रेखा |
मस्तिष्क | दिमाग |
मनोरथ | मनोकामना |
श्रद्धानत | श्रद्धा से नत |
बोध एवं विचार |
(अ) सही विकल्प का चयन करो:
1. किसी ने कहा: “मेरे पास है पारसमणि” इसमें ‘किसी’ कौन है?
(i) कोई राह चलता व्यक्ति।
(ii) लेखक का विवेक।
(iii) लेखक की बुद्धि।
(iv) लेखक की कल्पना।
उत्तर: (iv) लेखक की कल्पना।
2. “लोहा है तुम्हारे पास ?” में ‘लोहा’ से क्या आशय है?
(i) उद्यशीलता।
(ii) लौह धातु।
(iii) भौतिक उपकरण।
(iv) अनुभव।
उत्तर: (iv) अनुभव।
(आ) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में):
3. लेखक पारसमणि क्यों ढूँढ़ रहा था?
उत्तर: लेखक पारसमणि इसलिए ढूंढ रहा था ताकि वह पारसमणि के स्पर्श से लोहा को सोना बना सके।
4. लेखक ने स्पर्शमणि के कौन-कौन से रूप बताए हैं?
उत्तर: लेखक ने स्पर्शमणि के तीन रूप बताए है। ये इस प्रकार के हैं- खाली हाथ हो, तो सेवा के स्पर्श से, लोहे-पीतल वाले हो, तो कौशल के स्पर्श से और, प्रतिभा वाले हो तो लगन के स्पर्श से मन चाहा सोना बना सकते हैं।
5. ‘शुद्ध स्पर्श’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: शुद्ध स्पर्ण’ से तात्पर्य यह है कि स्पर्श मणि कोई दूसरी बीज नहीं हैं वह अपना अपना अनुभव है। अनुभव जितना अच्छा होता है उतना ही अच्छा सोना (फल) प्राप्त होता है।
6. सोना का होना और न होना दोनों ही समस्या के कारण क्यों हैं?
उत्तर: सोने का होना और न होना दोनों ही समस्या का कारण होता है। सोने में अच्छाई जितनी है बुराई उससे कम नहीं है। सोना जिसके पास है उसे नशा से मारता है और जिकसे पास नहीं है उसे लोभ परेशान करता है।
(३) आशय स्पष्ट करो (लगभग 50 शब्दों में):
(क) याचना के लिए फैलाए हाथ का भाग केवल तिरस्कार है, बंधु!
उत्तर: इसका आशय यह कि लेखक जब राह चलता व्यक्ति के पास जाकर पारसमणि के लिए हाथ आगे बढ़ाये तो, उसे देने का वादा किया। उसी ने धीरज बैधाकर कहा – ‘जिसके पास कुछ नहीं है, उसके लिए भी पारसमणि है। लेखक का मन सुखद आश्चर्य से भर उठा। मणि पाने के लिए हाथ फैला दिए। तब राही ने लेखक से बोला- याचना के लिए फैलाए गए हाथ का भाग केवल अपमान है। बन्धु अगर हाथ बढ़ाना हो तो उद्योल के लिए ही बढ़ाओ, ताकि अपने भीतर ही पारसमणि मिलेगा।
(ख) शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है।
उत्तर: इसका आशय यह कि जब लेखक पारसमणि के लिए राही के पास हाथ फैलाए तो राही उसे धीरज बंधाया। राही लेखक से कहा कि वह मणि तुम्हारे भीतर ही है, तुम्हारे स्पर्श जितना शुद्ध होगा, सोना भी उसी मात्रा में शुद्ध होगा। सोना में अच्छाई जितनी है, बुराई उससे कम नहीं है। क्योंकि जिसके पास सोना है उसे मद से मरता है और जिसके पास नहीं है, उसे लोभ से ग्रस्त रहता है। शुद्ध सोना का वास शुद्ध व्यक्ति और समाज में ही संभव है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान |
नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो:
(क) सोना पाकर उसका करोगे क्या?
– सोना पाकर उसका क्या करोगे?
(ख) सोने के आकांक्षी हो तुम।
– तुम सोने के आकांक्षी हो।
वाक्य में विशेष अंश पर बल देने के लिए पदों के सामान्य क्रम को बदल दिया जाता है। पाठ में से इसी प्रकार के वाक्य छाँटकर लिखो और उनका सामान्य पदक्रम भी लिखो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
शब्दार्थ और टिप्पणी |
शब्द | अर्थ |
पारसमणि | |
निरी | |
काठ मारना | |
हाथ से निकलना | |
असमंजस | |
सयोग | |
याचना | |
प्रतिभा | |
गर सिखाना | |
हत्प्रभ | |
मद | |
त्रस्त |
उत्तर:
शब्द | अर्थ |
पारसमणि | ऐसी मणि जिसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाए |
निरी | मात्र सिर्फ |
काठ मारना | सुन्न रह जाना, जड़वत हो जाना |
हाथ से निकलना | मौका चूक जाना |
असमंजस | दुविधा |
सयोग | मुअवसर, अच्छा मौका |
याचना | मागना |
प्रतिभा | सृजनशील बुद्धि |
गर सिखाना | रहस्य की बात बताना |
हत्प्रभ | भोचक |
मद | नशा, घमंड |
त्रस्त | परेशान, दुखा |
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