Class 7 Hindi Chapter 5 जीना, जिलाना मन भूलना

Class 7 Hindi Chapter 5 जीना, जिलाना मन भूलना answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 7 Hindi Chapter 5 जीना, जिलाना मन भूलना and select needs one.

Class 7 Hindi Chapter 5 जीना, जिलाना मन भूलना

Join Telegram channel

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given Assam Board Class 7 Hindi Chapter 5 जीना, जिलाना मन भूलना Solutions for All Subject, You can practice these here.

जीना, जिलाना मन भूलना

पाठ – 5

अभ्यास–माला

1. आओ, ‘जीना–जिलना मत भूलना’ शीर्षक का हाव–भाव के साथ वचन करो।

उत्तर: छात्र – छात्री खुद करे।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) तरह–तरह के पक्षी क्या कहती हैं? 

उत्तर: तरह–तरह के पक्षी हमे यह कहती है कि हमें एक दूसरे के साथ मीठी–मीठी बातें करना चाहिए।

(ख) रंग–बिरंगे फूल हमें क्या बताते हैं?

उत्तर: रंग–बिरंगे हमें प्यार बाटने को बताते हैं।

(ग) हमारे लिए भौरों का संदेश क्या है?

उत्तर: हमारे लिए भौरों का संदेश गले लगना है।

(घ) बढ़ती हुई नदियाँ हमें कौन–सा उपदेश देती है?

उत्तर: बढ़ती हुई नदियाँ हमें बढ़ते रहने का उपदेश देती है।

(ङ) ‘जीना–जिलाला मत भूलना’ नामक कविता के कवि कौन हैं?

उत्तर: ‘जीना–जिलाला मत भूलना’ नामक कविता के कवि  डाँ. अचयुक्त शर्मा है।

3. सोचो और संक्षेप में उत्तर दो:

(क) सवेरे पूर्व दिशा में उदित होकर सूर्य हमे क्या करने के लिए कहता है?

उत्तर: सवेरे पूर्व दिशा में उदित होकर सूर्य हमे रोशनी फेलानेको कहती है।

(ख) रात को आकाश में चमक–चमक कर चांँद हमें किस कर्तव्य की याद दिलाती है?

उत्तर: रात को आकाश में चमक–चमक कर चांँद हमें चांँदनी बिखेरने का कर्तव्य की याद दिलाती है।

(ग) हरे–भरे पेड़–पौधे हमें क्या संदेश देते है?

उत्तर: हरे–भरे पेड़–पौधे हमें छाँव देने का संदेश देते है।

(घ) बहती हुई हवाएंँ हमें क्या करने को कहती हैं?

उत्तर: बहती हुई हवाएंँ हमे जिंदगी देने को कहती है।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखो:

कहती प्रकृति आए विपत्ति

हँसना–हँसना मत भूलना,

चलें गोलियांँ, फटें गोले

जीना–जिलाना मत भूलना।

उत्तर: इस पंक्ति में प्रकृति कहती है कि हमारे जीवन में जितने भी विपत्ति या आपदा आए उस स्थिति में खुद हँस्ते रहना है और दूसरों को भी हंँसाना है। चाहे जीवन में जितने भी संकट क्यों ना आए उस परिस्थिति में स्वयं भी जिएंँ और दूसरों को भी जीने में मदद पहुंँचाएंँ। अर्थात बुरे वक्त में एक दूसरे का सहायक बने।

5. ‘जीना–जिलाना मत भूलना’ कविता का मूल भाव स्पष्ट करो।

उत्तर: ‘जीना–जिलाना मत भूलना’ कविता नामक के कवि डाँ.अच्युत शर्मा है। इस कविता से हमे यह सिक मिलती है की हमे हमेशा हस्ते रहना चाहिए  और दुसरो को भी हसना है क्योंकि  हमेशा एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रहना चाहिए।  यह जीवन में जितने भी संकट क्यों ना आए उस परिस्थिति में भी स्वयं भी जिएँ और एक दुसरो की हमेशा मदद करे यह जीवन में हमे हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहना।

पाठ के आस–पास

1. प्रकृति एक खुली पुस्तक है’ विषय पर कक्षा में चर्चा करो।

उत्तर: छात्र – छात्री खुद करे।

2. तुम्हारे आस–पास प्राकृति के जो भी उपकरण हैं, उन सबके नाम लिखो और उनके प्राणी तथा अप्राणी के हिसाब से दो वर्गों में बाँटो।

उत्तर: छात्र – छात्री खुद करे।

3. तितली और जुँगनू हमें किन कर्तव्य की याद दिलाते है, उसे वर्णित करते हुए एक कविता लिखो।

उत्तर: तिलती हमे आगे बढ़ने की हौसला देती है। और हमेशा फूलो की तरह खिलने का संदेश बताती है क्योंकि जीवन में हमेशा जीत और बढ़ने को कहती है।

4. तुमने प्राकृतिक और मानव द्वारा सर्जित आपदाएंँ जरूर देखी होगीं। ऐसी किसी आपदाएंँ के समय तुम्हें प्राप्त हुए अनुभवों को लिख डालो।

उत्तर: हमने प्राकृतिक और मानव द्वारा आर सर्जि आपदाएंँ देखी है ऐसी आपदाएंँ के समय हमे ये प्राप्त हुए है की कभी जरूरतमंद को सहायता करे तभी खुद किसि दीन मुसीबत मैं होंगे तो हमें भी कोइना कोई सहायता करता है।

5. तुमलोग चार–पांँच के समूहों में बैठ जाओ तथा ‘जिओ और जिलाओ’ विषय पर बारी–बारी से अपने विचार प्रकट करे।

उत्तर: छात्र – छात्री खुद करे।

भाषा–अध्ययन

1. निम्नलिखित शब्दों के दो–दो पर्यायवाची शब्द लिखो।

(i) सवेरा।

उत्तर: सुबह, प्रभात।

(ii) सूरज।

उत्तर: सूर्य, सूर्यमुखी।

(iii) चांँद।

उत्तर: चंँदा, चांँदनी।

(iv) पेड़।

उत्तर: पुष्पद, तरु।

(v) पक्षी।

उत्तर: पंछी, चिड़िया।

(vi) फूल।

उत्तर: पुष्प, कुसुम।

(vii) भौंरा।

उत्तर: भ्रमर, मधुप।

(viii) नदी।

उत्तर: नटिनी, सरिता।

(ix) हवा।

उत्तर: पवन,वायु।

2. वाक्य में प्रयोग करो।

(i) चमक–चमक कर। 

उत्तर: चंद्रमा रात के अंधेरे मे चमक चमक कर अपने दूधिया प्रकाश वाली चाँदनी बिखेर रहा था।

(ii) चहक–चहक कर।

उत्तर: पक्षी हर सुबह चहक–चहक कर मीठे धुन गुनगुनाती है।

(iii) खिल–खिल कर।

उत्तर: फूल हमे खिल–खिल कर प्यार बाटती है।

(iv) हिल–मिल कर। 

उत्तर: हम दोस्तो से हिल–मिल कर गले लगते है।

3. आओ, निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दें:

क – वर्गख – वर्ग
हमलोग जीते हैं।हमलोग जिलाते हैं।
मोहन पढ़ता है।मोहन पढ़ता है।
वह हँस्ती है।वह हँसाती है।
वह रोता है।वह रुलाता है।

यहाँ क – वर्ग की रेखांकित क्रियाओं से स्वयं कुछ करने का बोध हो रहा है, जबकि ख – वर्ग की रेखांकित क्रियाओं से दूसरों को कुछ करने हेतु प्रेरित करने का भाव प्रकट हो रहा है। प्रेरणा देने का बोध कराने वाली ऐसी क्रियाओं को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। देखना, सीखना, लिखना, भागना, नाचना इन क्रियाओं के प्रेरणार्थक रूप हैं क्रमशः दिखाना, सिखाना, लिखाना, भगाना और नचाना। इनका प्रयोग करवे एक-एक वाक्यो और शिक्षक/शिक्षिका को दिखाओ।

4. तुम लोगों ने ‘जीना-जिलाना मत भूलना’ कविता को पढ़ते समय स्थान-स्थान पर ‘भूलना’ क्रिया-रूप के प्रयोग पर जरूर ध्यान दिया होगा- ‘रोशनी फैलाना मत भूलना’, ‘छाँव देना मत भूलना’, ‘हँसना-हँसाना मत भूलना’ आदि। यहाँ परोक्ष रूप से अनुज्ञा (आज्ञा, अनुरोध आदि) का बोध हो रहा है। और कुछ वाक्य लेते हैं –

सदा सच बोलना।

कभी झूठ मत बोलना।

सुबह व्यायाम करना।

किसी को दुःख मत देना।

यहाँ ‘बोलना ” करना’ और ‘देना’ क्रियाओं से अनुज्ञा का भाव प्रकट हो रहा है। इन्हें क्रिया का अनुज्ञा रूप कहते हैं।

क्रिया के अनुज्ञा रूप और हैं। आओ, कुछ और वाक्य लेते हैं:

तू बाजार जा।

तू खाना खा।

तुम बाजार जाओ।

तुम खाना खाओ।

आप बाजार जाइए।

आप खाना खाइए।

यहाँ जा –  जाओ – जाइए और खा – खाओ – खाइए इन क्रिया-रूपों के जरिए प्रत्यक्ष रूप से अनुज्ञा का भाव व्यक्त हो रहा है। अब तुमलोग ऐसे ही ‘आना’, ‘गाना’, ‘पढ़ना’, ‘लिखना’ और ‘बैठना’ क्रियाओं के अनुज्ञा रूप बनाकर वाक्यों में प्रयोग करो तथा अपने शिक्षक/शिक्षिका को दिखाओ।

5. आओ, निम्नांकित वाक्यों को ध्यान से पढ़ें और समझें:

सवेरे उगकर सूरज कहता है। खिल-खिल कर फूल कहते हैं। बढ़ती हुई नदियाँ कहती हैं।

इन वाक्यों के रेखांकित क्रिया-पदों से वर्तमान समय में नियमित रूप से किसी का के होने का भाव प्रकट हो रहा है। और कुछ वाक्य लेते हैं:

लड़का स्कूल जाता है।

लड़का स्कूल जा रहा है।

लड़का स्कूल जाता होगा।

लड़की स्कूल जाती है।

लड़की स्कूल जा रही है।

लड़की स्कूल जाती होगी।

उपरोक्त वाक्यों के रेखांकित क्रिया-पदों से वर्तमान समय में कुछ होने का ब्रोध हो रहा है। अतः ये वर्तमान काल के क्रिया-पद हैं। वर्तमान काल क्रिया-व्यापार की निरंतरता को सूचित करता है। इसके तीन भेद हैं- सामान्य वर्तमान काल, तात्कालिक वर्तमान काल और संदिग्ध वर्तमान काल।

पूर्वोक्त वाक्यों में ‘जाता है’ और ‘जाती है’ क्रिया-पों से वर्तमान समय में नियमित रूप से कार्यों के घटित होने का बोध हो रहा है। अतः ये सामान्य वर्तमान काल के क्रिया- पद हैं। ‘जा रहा है’ और ‘जा रही है’ क्रिया-पदों से वर्तमान समय में क्रिया-व्यापारों के जारी रहने का भाव स्पष्ट है। ये तात्कालिक वर्तमान काल के क्रिया-पद हैं।’ जाता होगा’ और ‘जाती होगी’ से वर्तमान समय में क्रिया-व्यापार के घटित होने में संदेह का भाव व्यक्त हो रहा है। अतः ये संदिग्ध वर्तमान काल के क्रिया-पद हैं।

अब तुम लोग वर्तमान काल के इन तीनों भेदों के तीन-तीन वाक्य बनाकर शिक्षक/ शिक्षिका को दिखाओ।

उत्तर: विद्यार्थी स्वंम करे।

योग्यता–विस्तार

1. हँसी का जीवन में बड़ा महत्व है। यह ‘टॉनिक’ का काम करती है। इसलिए आजकल जगह-जगह ‘लाफिंग क्लब खोले जा रहे हैं। अगर तुम्हारे इलाके में ऐसा’ क्लब’ नहीं हैं, तो अपने मित्रों के सहयोग से इसे खोलने का प्रयास करो।

उत्तर: छात्र – छात्री खुद करे।

2. फ्लोरेंस नाइटिंगल और मदर टेरेसा विश्व की ऐसी दो महीयसी नारियाँ हैं, जिन्होंने घायल, दुःखी एवं पीड़ित जनों को जिलाया था अर्थात उन्हें जीने में बड़ी मदद पहुंचायी थीं। उन दोनों के बारे में जानकारी प्राप्त करो। आवश्यकता हो तो अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता को।

उत्तर: छात्र – छात्री खुद करे।

आओ,पाठ में आए कुछ शब्दों के अर्थ जानें:

शब्दअर्थ
जिलाना 
उगकर
सूरज
रोशनी
छाँव
बढ़ती–बढ़ती
बहती–बहती
विपत्ति
गोले
उपकरण
निरंतर
संकट
चलें गोलियांँ, फटें गोले

उत्तर: 

शब्दअर्थ
जिलाना दुसरो को जीने की प्रेरणा देना, जीने में मदद पहुंँचना
उगकरउदित होकर
सूरजसूर्य
रोशनीप्रकाश, उजियाला
छाँवछाया
बढ़ती–बढ़तीआगे बढ़ती हुई
बहती–बहतीबहती हुई
विपत्तिआपदा, बाधा, परेशानी
गोलेबम आदि गोलाकार मरणास्त्र
उपकरणउपादान
निरंतरलगातार, अविराम
संकटआपदा, विपत्ति
चलें गोलियांँ, फटें गोलेमनुष्य द्वारा सर्जित आपदाओं का आना

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top