SEBA Class 10 Elective Hindi Model Paper – 4, HSLC Elective Hindi Sample Question Answer, দশম শ্ৰেণীৰ হিন্দী প্ৰশ্নকাকত to each chapter is provided in the list of SEBA so that you can easily browse through different chapters and select needs one. Assam Board Elective Hindi Model Paper Class 10 SEBA can be of great value to excel in the examination.
SEBA Class 10 Elective Hindi Model Paper
HSLC Model Question Paper provided is as per the Latest Assam Board Curriculum and covers all the questions from the SEBA Textbooks. Access the detailed SEBA Class 10 Elective Hindi Model Paper provided here and get a good grip on the subject. Access the SEBA Class 10 Elective Hindi Model Paper, Class X Elective Hindi Model Question Answer of Assamese in Page Format. Make use of them during your practice and score well in the exams.
हिंदी प्रश्नपत्र
PART – IV
ELECTIVE HINDI
MODEL QUESTION ANSWER
Group – A
1. प्रश्नों के नीचे दिए गए उत्तरों में से एक-एक उत्तर सही हैं। सही उत्तरों का चयन करो :
(क) भोलाराम कहाँ रहता था ?
(अ) जबलपुर शहर में
(आ) धमालपुर शहर में
(इ) दानापुर शहर में
(ई) लालपुर शहर में
उत्तर : (अ) जबलपुर शहर में ।
(ख) “मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हुँ” -यह कथन है-
(अ) लेखक का
(आ) सड़क का
(इ) पथिक का
(ई) कवि का
उत्तर : (आ) सड़क का।
(ग) कबीरदास के अनुसार प्रेमविहीन शरीर किसके समान होता है ?
(अ) मिट्टी के समान
(आ) राख के समान
(इ) मसान के समान
(ई) घार के समान
उत्तर : (इ) मसान के समान ।
(घ) कवयित्री मीराँबाई ने मनुष्यों को किसके नाम कारस पीने का आहवान किया है ?
(अ) माता नाम के
(आ) पिता नाम के
(इ) गुरू नाम के
(ई) राम नाम के
उत्तर : (ई) राम नाम के l
(ङ) ‘कलम और तलवार’ कविता के कवि हैं
(अ) निराला जी
(आ) दिनकर जी
(इ) प्रसाद जी
(ई) पन्त जी
उत्तर : (आ) दिनकर जी l
(च) मिट्टी के किस रूप को ‘प्रिया’ का रूप माना गया है ?
(अ) कुंभ-कलश के रूप को
(आ) कीचड़ के रूप
(इ) धूल के रूप को
(ई) रेत के रूप को
उत्तर : (अ) कुंभ-कलश के रूप को l
(छ) कवि ने सबसे बड़ा देवत्व किसे कहा है ?
(अ) किसी की बुराई न चाहने वाले मनुष्य को
(आ) दूसरो की सहायता करने वाले मनुष्य को
(इ) सबसे प्यार करने वाले मनुष्य को
(ई) पुरूषार्थ करने वाले मनुष्य को
उत्तर : (ई) पुरूषार्थ करने वाले मनुष्य को l
2. सप्रसंग व्याख्या करो :
सत गुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार।
लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार
उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक’ भाग-२ के कबीरदास रचित ‘साखी’ शीर्षक कविता से लीं गई है। कवि ने इसमें गुरु के महत्व को बताया है।
व्याख्या : कबीरदास जी कहते है कि सत गुरु यानी अच्छे गुरु की महिमा और असीम होती है वे सभी उपकार व दित का साधन करते हैं। सत गुरू अपने शिष्यों को ज्ञान की दृष्टि प्रदान करते है, जिससे शिष्य कभी न खत्म होनेवाले ज्ञान-दर्शन करते हैं। आशय है कि सतगुरू शिष्य को सदैव सह मार्ग प्रदान करते हैं।
अथवा
डिन टुँदा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठ।
जो बोरा डूबन डरा, रहा किनारे बैठ।।
उत्तर : प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक’ भाग-२ के कबीरदास द्वारा रचित ‘साखी’ से ली गया है। इसमें कवि ने परिश्रम के महत्व को बताया है।
व्याख्या : कबीरदास जी कहते हैं कि जो गहरे पानी में डुबकी लगाकर खोजता है, मोती उसी को मिलता है। उसे मोती कहाँ से मिलेगा जो जूबने के डर से किनारे पर बैठा रहता है। यानी कि परिश्रम करने से ही जीवन में सफलता मिलती है।
3. संक्षेप में उत्तर दो :
(क) श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने सिक प्रकार अपना खेल दिखाया था ?
उत्तर : श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने खिलौने के द्वारा अपना खेल दिखाया। भालू मनाने लगा। बिल्ली रूठने लगी। बंदर घुड़कने लगा। गुड़िया का व्याह हुआ। गुड्डा बर काना निकला। लड़के की वाचालता से ही सारा अभिनय हो रहा था और लोग हँसते-हँसते लोट-पोट हो रहे थे।
(ख) अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या-क्या कहा था ?
उत्तर : अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने कहा था कि उसके पिता देश के लिए जेल गए हैं। माँ बीमार है। डॉक्टरों ने माँ को अस्पताल से निकाल दिया है।
(ग) ‘आप साधु हैं, आपको दुनियादारी समझ में नहीं जाती।’ यहाँ ‘दुनियादारी’ का प्रसंग क्यों उठाया गया है ?
उत्तर : यहाँ ‘दुनियादारी का प्रसंग इस बात को स्पष्ट करने के लिए उठाया गया है कि आज समाज व्यवस्था में भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी हर दफ्तर में फैला हुआ है। अपना काम निकलवाने के लिए आज हर कोई रिश्वत देने के लिए मजबूर है। परंतु वैरागी होने के नाते नारद जी समाज की कुव्यवस्था और रीति-निवाज से अनभिज्ञ थे।
(घ) ‘संसार की कोई भी कहानी मैं पुरी नहीं सुन पाती’ – इसके पीछे निहित कारण को स्पष्ट करो।
उत्तर : ‘संसार की कोई भी कहानी मैं पूरी नहीं सुन पाती’ इसके पीछे यक कारण है कि कोई भी व्यक्ति सड़क पर रूक कर अपनी पूरी कहानी नहीं सुनाता। लोग कहानी सुनाते-सुनाते आगे बढ़ जाते हैं। उसकी जगह दूसरा व्याक्ति आ जाता है और उसकी कहानी शुरू हो जाती है।
(ङ) श्याम को अपने घर आने का आमन्त्रण देते हुए मीराबाई ने उनसे क्या-क्या कहा है ?
उत्तर : श्याम को अपने घर आने का आमन्त्रण देते हुए मीराँबाई ने उनसे कहा कि हे श्याम आप हमारे घर आए। तुम्हारे आए बिना में सुखी नहीं होऊँगी। तुम्हारे विरह में मैं पके पान के पत्ते की तरह पीली पड़ गई हूँ। मुझे तुझ पर ही विश्वास है, तुझ से ही आशा है।
(च) ‘कलम और तलवार’ शीर्षक कविता के आधार पर कलम की ताकत को रेखांकित करो।
उत्तर : ‘कलम और तलवार’ शीर्षक कविता के अनुसार कलम ज्ञानशक्ति का प्रतीक है। कलम के द्वारा मनुष्य ज्ञान का दीप जला सकता है तथा विचारों की शक्ति के द्वारा समाज मे नइ चेतना पैदा कर सकता है। हाथों में शस्त्रसत्र न होने पर भी कलम द्वारा समाज में फैले भ्रष्टाचार अनाचार को दूर किया जा सकता है।
4. ‘शहादत और मैन-मुक। समाज की आधारशिला यही होती है’- लेखक के इस विचार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : लेखक एह कहना चाहते हैं कि किसी भी समज का नब निर्माण, विकास मूल शहादत के बिना नहीं होता है। शहादत मूल होती हैं। अनाम होती है। शहीद दोने महान उद्देश्य के लिए चुपचाप खुद को शहीद कर देता है। वे ही समाज की आधारशिला बने।
अथवा
‘देश के नौजवानों को यह चुनौती है’- इसमे लेखक ने किय चुनौती की ओर संकेत किया है, स्पष्ट करो।
उत्तर : आज देशके नौजवानों के समक्ष चुनौती यह है कि उन्हें सात लाख गाँवों, हजारों शहरों का नवनिर्माण करना है। हजारों लाखों कल-कारखाने खड़े करने हैं।एक सुंदर समाज का निर्माण करना है। इसके लेि उन्हें नींव की ईंट बनना होगा।
5. (क) निम्नलिखित में से किन्हीं दो मुहावरों से वाक्य बनाओ : हाथ धोना, ईंट से ईंट बजाना, सूरज को मशाल दिखाना, तू-तू मैं-मैं करना ।
उत्तर : हाथ धोना : पाकिस्तान को युद्ध में कई युद्धपोतों तथा पनडुब्बियों से हाथ धोना पड़ा।
ई से ईंट बजाना : शिवाजी ने मुगलों की ईंट से ईंट बजाने की प्रतिज्ञा की थी।
सूरज की मशाल दिखाना : पंडित जवाहर लाल नेहरू का परिचय देना तो सूरजको मशाल दिखाना है।
तू-तू मैं-मैं करना : छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों भाइयों में अकसर तू-तू मैं-मैं होती रहती है।
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के पुलिंग-रूप लिखो :
बंदरिया, मादा कोयल, नटी, श्रीमती, भानजी, शाली, जेठानी, मालिन
उत्तर : बंदरिया – बंदर मादा कोयल – नर कोयल
नटी – नट श्रीमती – श्रीमान
भानजी – भानजा शाली – साला
जेठानी – जेठ मालिन – माली
(ग) निम्नलिखित में से किन्हीं दो की सन्धि करो :
इति + आदि, निः + धन, भूप + ईश, सदा + एव
उत्तर : इति + आदि = इत्यादि निः + धन = निर्धन
भूप + ईश = भूपेश सदा + एव = सदैव
(घ) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के विलोम शब्द लिखो :
आस्तिक, त्याग, आशीर्वाद, स्वर्ग, मानव, स्थुल
उत्तर : आस्तिक – नास्तिक त्याग – ग्रहण
आशीर्वाद – अभिशाप स्वर्ग – नरक
मानव – दानव स्थुल – सूक्ष्म
(ङ) निन्मांकित प्रत्योयों को जोड़कर एक-एक शब्द बानाओं :
ता, ई, आई, आवा
उत्तर : ता – बोलता, खेलता ई – नरमी, गरमी
आई – सुनाई, खिलाई आवा – पहनावा, छलावा
(च) निम्नांकित अनेक शब्दों के लिए एक-एक शब्द लिखो :
जो अभिनय करता है, जिसकी उपमा नहीं है, जो खाने योग्य होता है, जो शिव की उपासना करता है।
उत्तर : जो अभिनय करता है – अभिनेता
जिसकी उपमा नहीं है – अनुपम
जो खाने योग्य होता है – खाद्य
जो शिव की उपासना करता है – शैव
(छ) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो :
पहाड़, साँप, पशु, धरा, सड़क
उत्तर : पहाड़ – पर्वत, गिरी साँप – सर्प, नाग
पशु – जानवर, जंतु धरा – भू, धरती
सड़क – रास्ता, पथ
Group – B
6. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(क) नीलकंठ ‘ शीर्षक लेख किसका है ?
उत्तर : ‘नीलकंठ’ शीर्षक लेख महादेवी वर्मा का है।
(ख) मयूर को किसने युद्ध वाहन के रूप में चुना था ?
उत्तर : मयूर को कार्तिकेय ने युद्ध वाहन के रूप में चुना था।
(ग) पत्रों के जवाब देने में कौन बहुत मुस्तैद रहते थे ?
उत्तर : पत्रों के जवाब देने में महात्मा गांधी जी बहुत मुस्तैद रहते थे।
(घ) कन्नड़ भाषा में पत्र को क्या कहा जाता है ?
उत्तर: कन्नड़ भाषा में पत्र को कागज कहा जाता है।
(ङ) ‘जो बीत गयी सो बात गयी’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर : ‘जो बीत गयी सो बात गयी’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि हमें बीती हुई दुखद घटनाओं को भुलाकर आगे की सुध लेनी चाहिए। गत दुखों को भुलाकर आगामी सुखों का आहवान करना चाहिए।
(च) ‘कायर मत बन’ कविता में कवि ने मनुष्य को क्या अर्पण करने का आहवन किया है ?
उत्तर : ‘कायर मत बन’ कविता में कवि ने मनुष्य को अपनी कायरता अर्पण करने का आहवान किया है ।
7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दो :
(क) नीलकंठ के मरने के बाद दूसरे जीवों के आचरणों का एक शब्द चित्र प्रस्तुत करो।
उत्तर : नीलकंठ के मरने के बाद राधा कई कई दिनों तक कोने में बैठी रही। उसको ऐसा लग रहा था जैसे वह नीलकंठ का इंतज़ार कर रही है। नीलकंठ के दिखाई न देने पर कुवचा ने उसकी खोज आरम्भ कर ही। वह वृक्षों की सभी शाखाओं में नीलकंठ को ढूंढती रहती थी। राधा बादलों को देखते ही अपने केका ध्वनि से नीलकंठ को बुलाती है ।
(ख) पत्र में ऐसे क्या-क्या गुण होते हैं, जो नए संचार माध्यमों में नहीं होते ।
उत्तर : नए संचार माध्यमों से संदेश तो भेजा जा सकता है परन्तु उनका रूप स्थाई नहीं होता। व्यक्ति पत्रों के माध्यमों से अपने मन की भावनाओं को पूरी तरह उजागर कर सकता है। पत्र अन्य संचार माध्यमों के मुकाबले सस्तें भी होते हैं।”
(ग) भदिरालय कभी भी क्यों नहीं पछताता है, स्पष्ट करो ।
उत्तर : मदिरालए के अंदर कितनी ही सुराहियाँ होती हैं, कितने ही प्याले होते हैं। ये प्याले कोमल मिट्टी की बनी होती है। अतः ये टूट ही जाया करती है। टूटना इनका स्वभाव है। प्याले भी छोटा-सा जीवन लेकर आते हैं। अत: इनका टूटना निश्चत होता है। इसलिए मदिरालय कभी भी नहीं पछताता है।
(घ) ‘कुछ भी बन’ के माध्यम से कवि मनुष्य को क्या बनते हुए देखना पसंद करते हैं ?
उत्तर : ‘कुछ भी बन’ – के माध्यम से कवि मनुष्य को अपनी बाधाओं का डरकर सामना करते हुए देखना पसंद करते हैं। मनुष्य को कायर न बनने के लिए कहा गया है। मनुष्य को मानवता के लिए सर्वस्व अर्पित कर देना चाहिए, लेकिन किसी दुष्ट के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए। जीवन में कुछ भी बनों पर कायर मत बनो ।
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो :
(क) मचूर को क्लाप्रिय वीर पक्षी क्यों कहा गया है ? स्पष्ट करो ।
उत्तर : मयूर को कलाप्रिय वीर पक्षी इसलिए कहा जाता है क्योंकि मयूर के स्वभाव में वीरता के साथ-साथ कलाप्रियता भी मिश्रित होता है। वह मेघ और वीरता से उस पर प्रहार भी करता है। दूसरी ओर वाज-चील जैसे पक्षी में किसी प्रकार की कलाप्रियता नहीं रहती है। वे केवल हिंसक होते हैं। उत: बाज चील जैसे हिंसक पक्षियों की श्रेणी में मयूर को नहीं रखा जा सकता है।
अथवा
मृत्यु के बाद नीलकंठ का संस्कार कैसे किया गया था ? स्पष्ट करो।
उत्तर : लेखिका को नीलकंठ की मृत्यु का कारण तो पता नहीं चला पर उसके मृत शरीर को अपने शाल में लेपटकर संगम पर मे गई और वहीं उसे जल में प्रवाहित कर दिया।
(ख) अतीत (जो बीत गयी) के प्रति कवि की धारणा को स्पष्ट करो।
उत्तर : अतीत के प्रति कवि की याह धारणा है कि उस याद कर शोक मनाने से कोई लाभ नहीं। हमें अपने बीते हुए दुख को भूलाकर वर्तमान की चिंता करती चाहिए। अपने दुखों को यादकर शोक मनाने से अच्छा है कि जीवन के बाकी बचे समय को सुखपूर्वक बिताया जाए।
अथवा
‘जो बीत गयी’ कविता का भावार्थ लिखो ।
उत्तर : ‘जो बीत गयी’ कविता में कवि ने कहा है कि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। जो आज है वह कल नहीं रहेगा। हमें बीते हुए पल को याद न कर वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए। बीत हुए पल को याद करके पछताने या दुखी होने से कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए हमें भूत को भूलाकर वर्तमान की चिंता करते हुए निरंतर कर्म करते रहना चाहिए।
8. निम्नलिखित किसी एक विषय पर निबंध लिखो :
(क) इंटरनेट की उपयोगिता
(ख) काजीरंगा
(ग) मध्याह्न भोजन योजना
(घ) महात्मा गांधी
उत्तर : (क) इंटरनेट की उपयोगिता :
आज के समय में पूरी दुनिया सिमट कर हमारी उँगलियों पर आ गई है और यह सब संभव हो पाया है केवल सूचना प्रोद्योगिकी के कारण और इस सूचना प्रौद्योगिकी का सारा आधार है ‘इंटरनेट’। दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट प्रयोग करने वालों की संख्या चीन में है और भारत देश में भी लगभग 4 करोड़ लोग वर्तमान समय में इंटरनेट का प्रयोग कर रहे है और आनेवाले दिनों में भी इसका प्रयोग और तेजी से बढ़ेगा क्योंकि दिन-प्रतिदिन इसके प्रयोग करने वाले की संख्या में वृद्धि हो रही है।
इंटरनेट के माध्यम से हमें प्रत्येक विषय से संबंधित जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। चाहे वह मनोरंजन से जुड़ा विषय हो, पढ़ाई से संबंधित, भ्रमण से संबंधित, राजनीति से संबंधित आदि। जैसे हम किसी शब्द का अर्थ या उस विषय की विस्तृत जानकारी इंटरनेट से प्राप्त कर सकते हैं। देश-विदेश में भ्रमण की हमारी इच्छा तभी प्रबल होती है प्राप्त होती है जिससे हम उस स्थान पर आसानी से पहुँचकर कर उस स्थान की सुंदरता का आनंद उठा पाते हैं। देश में कहाँ पर क्या हो रहा है उसकी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाती है।
पहले लोगों को रेलवे टिकट के लिए घंटों-घंटों लाइनों में खड़ा रहना पड़ता था। आज घर बैठे ही पल भर में ही टिकट बुक कर लिया जाता है। यही नहीं घर बैठे-बैठे हवाई यात्रा की बुकिंग, दूसरे शहरों में होटल के कमरों की बुकिंग भी आसानी से हो जाती है।
बिजलीस टेलीफोन आदि का बिल जमा करने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़े रहने से मुक्ति दिलाने वाला इंटरनेट की है।
हम अपने मित्रों, सगे-संबंधियों से भी पत्र व्यवहार कर सकते हैं। फेसबुक आदि के द्वारा हम अपने पुराने मित्रों, परिचितों से सम्पर्क बनाए रख सकते हैं।
किसी भी परीक्षा के फार्मों की तिथि, शुल्क तथा परिणाम आदि की सूचना तुरंत एवं घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं।
इंटरनेट द्वारा हम कोई भी सामान कहीं भी खरीद, बेच या भेज सकते हैं।
वास्तव में इंटरनेट आधुनिक युग के कामधेनु है। तात्पर्य यह है कि इंटरनेट के द्वारा हम किसी भी प्रदेश, देश की नहीं बल्कि सारे विश्व की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी विषय, वस्तु, व्यक्ति, स्थान की विस्तृत जानकारी कुछ ही पल में हम घर बैठे ही आसानी प्राप्त कर सकते हैं। आज के युग में इंटरनेट के बिना जौसे जीवन की कल्पना कर कठिन हो गया है।
(ख) काजीरंगा
उत्तर : प्रकृतिप्रेमी लोग प्राकृतिक सौन्दर्य तथा प्राकृतिक सम्पदा देखने के लिए उत्सुक हाँ उठते है। प्रकृति के साथ मनुष्य का घनिष्ठ सम्बन्ध जुड़ा हुआ है।
भारत के उत्तर पूर्वचल से असम राज्य के गोलाघाट जिला में १६० वर्ग मील हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट पर काजिरंगा बनांचल विस्तृत है। इस बनांचल के दक्षिण में एक राष्ट्रीय सड़क है। यहा ‘बुढ़ा पहाड़’ नामक एक पहाड़ है। यह पहाड़ घने जंगलो से परिपूर्ण है। जगह जगह कई टिला भी है। नदी, झरने, झील, तालाब आदि यहा की प्राकृतिक देन है। मांसाहारी जानबरो के लिए छोटे-छोटे प्राणी, तृणभोजीयो के लिए पेड़ पौढे, सरीसृप के लिए मठली, कीड़े-मकोड़े और चिड़ियों के लिए पर्याप्त खाद्य संभार प्रकृति से मिलते है।
यह बनांचल विभिन्न जंगली जानवर, चिड़ियाँ और सरीसूप प्राणीयो का आश्रयस्थल और लीलाभुमि है। अतीत में यह बनांचल शिकारीयो के लिए स्वर्गराज्य था। इसलिए अंग्रेज सरकार ने उस समय, सन १९१६ ई से काजिरंगा बनांचल को संरक्षित बनांचल घोषित किया और प्राणी हत्या पर प्रतिबंध लगाया था। आजादी के बाद अभयारण्य और सन १९७४ में इसको ‘काजिरंगा राष्ट्रीय उद्यान’ घोषित किया। असम सरकार ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटक निवास बनाया है, जिससे जन लोगों को कोइ कष्ट उठाना न पड़े। आजकल देश देश-विदेश से बहुत पर्यटक राष्ट्रीय उद्यान देखने और बिचित्र प्राकृतिक सौन्दर्य को उपभीग करने यहा आते है।
काजिरंगा उद्यान में गैंडा, भाघ, हाथी, भैस, सुँअर, हिरण, सियार, बन्दर आदि जानबर, मोर, धनेश, सारस, तोता, मैना, हंस, चील, पपीहा, कोयल कौवा आदि तरह तरह के चिड़िया भी है। पानी में रहनेवाले मठली, मैदक, घरियाल, कछुआ, साप आदि है। जंगलो में तरह के मुल्यवान पेड़ पौधे-नल, इकरा, आदि मिलता है। काजिरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सिंघवाले गैंडे के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहा कुल ७०० गेंडे हैं और इन में से ४०० गेंडे मुक्त बनांचल में रहते है।
असम प्राकृतिक सम्पदाओं से धनी है। इन प्राकृतिक सम्पदाओं का जिस प्रकार संरक्षण होना चाहिए था उस तरह से नहीं हो रहा है। लालची और स्वार्थी लोगो से इन सम्पदाओ का रक्षा करना अति आवश्यक है। असम सरकार की तरफ से बनज सम्पद के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग की स्थापना की गई है। जंगली जानवर तथा प्राकृतिक सौन्दर्य को देखने के लिए हाथी तथा जीप गाड़ी की व्यवस्था की गई है। अत: काज़िरंगा राष्ट्रीय उद्यान तथा अन्य उद्यानो के पशु-पक्षीओं तथा पेड़ पौधों की जिस प्रकार सरकार रक्षा कर रहे है उसी प्रकार प्रत्येक नागरिक को इसमे सरकार को सहयोग देना अति आवश्यक है।
(ग) माध्याएन भोजन योजना
उत्तर : मध्याहन भोजन योजना भारत सरकार तथा राज्य सरकार के समवेत प्रयासों में संचालित है। भारत सरकार द्वारा यह योजना 15 अगस्त 1995 को लागू की गई थी। जिसके अंतर्गत कक्षा एक से पाँचवीं तक प्रदेश के सरकारी, परिषदीय, राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को 80 प्रतिशत उपस्थिति पर प्रति माह 03 किलोग्राम गेहूँ अथवा चावल दिए जाने की व्यवस्था की गई थी। किंतु योजना के अंतर्गत छात्रों को दिए जाने वालों खाद्यान का पूर्ण लाभ छात्रों को प्राप्त न होकर उनके परिवार के मध्य बँट जाता था, इससे छात्रों को वांछित पौष्टिक तत्व कम मात्रा में प्राप्त होते थे।
मा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 28 नवम्बर, 2001 को दिए गए निर्देश के अनुसार दिनांक 02 सितम्बर 2004 से पका पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराने की योजना आरम्भ कर दी गयी।
इस योजना के अंतर्गत विद्यालयों में मध्यावकाश में छात्र छात्राओं को स्वादिष्ट एवं रुचिकर भोजन प्रदान किया जाता है। योजनान्तर्गत प्रत्येक छात्र को सप्ताह में 4 दिन चावल से बने भोज्य पदार्थ तथा 2 दिन गेहूँ से बने भोज्य पदार्थ दिए जाने की व्यवस्था की गई है। प्राथमिक विद्यालय में उपलब्ध कराए जा रहे भोजन में कम से कम 450 केलोरी ऊर्जा एवं 20 ग्राम प्राटिन उपलब्ध होना चाहिए। परिवर्धित पोषक मानक के अनुसार मेनु में व्यापक परिवर्तन किया गया है, तथा इसका व्यापक प्रसार प्रचार किया गया है।
मध्याहन भोजन योजना के क्रियान्वयन अर्थात् भोजन निर्माण कार्य मुख्यतः पंचायातों, वार्ड सभासदों की देख रेख में किया जाता है। भोजन बनाने हेतु आवश्यक खाद्यान्न जो फूट कोर्पोरतिओं ऑफ इंडिया से निःशुल्क प्रदान किया जाता है, भोजन विद्यालय परिसर में बने किचन शेड में तैयार किया जाता भोजन बनाने हेतु लगने वाली अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था करने का दायित्व भी ग्राम प्रधान का ही है।
विद्यालयों में पके-पकाए भोजन की व्यवस्था की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु नगर क्षेत्र पर वार्ड समिति एवं ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत समिति का गठन किया गया है।
(घ) महात्मा गांधी
उत्तर : ‘समय का दिव्य झूला कभी-कभी पृथ्वी की ओर झुक जाता है और अकस्मात् ही किसी दिव्य विभूति को भूमि पर छोड़ जाता है। वह विभूति कालान्तर में अपनी असाधारण प्रतिभा से विश्व को चमत्कृत कर देती है।’
महात्मा गांधी भारत की ऐसी ही विभूति है। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के प्रयोग से अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। इस महान महापुरूष का जन्म गुजरात काठियावाड़ के पोरबन्दर में हुआ था। 2 अक्तूबर, 1869 को इनका जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता राजकोट के दीवान थे और माता पुतली बाई बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। तेरह वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ विवाह हुआ।
आप कानून पढ़ने विलायत गए और वहाँ से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। गाँधी जी ने बम्बई आकर वकालत का कार्य आरम्भ किया। किसी विशेष मुकद्दमें की पैरवी करने के लिए ये दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ अंग्रेजो के दुर्व्यवहार को देखकर इनमें राष्ट्रीय भाव जागृत हुा। वहाँ पर उन्होंने पहले सत्याग्रह का प्रयोग किया, जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई।
जब 1915 ई० में भारत वापस आए तो अग्रेंजों का दमनचक्र जोरों पर था। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारतीय राजनीति को एक नया मोड़ दिया। इसके बाद 1921 ई० में जब ‘साइमन कमीशन’ भारत आया तो गांधीजी ने उसका पूर्ण बहिष्कार किया और देश का सही नेतृत्व किया। सन् 1930 में नमक बंदोलन तथा डांडी यात्रा का श्रीगणेश किया।
सन् 1942 के अंत में द्वितीय महायुद्ध के साथ अग्रेजों, भारत छोड़ो’ आन्दोलन का बिगुल बजाया और कहा, ‘यह मेरी अंतिम लड़ाई है। वे अपने अनुयायियों के साथ गिरफ्तार हुए। इस प्रकार अन्त में 15 अगस्त 1947 ई० अंग्रेज यहाँ से विदा हुए।
गांधीजी का व्यक्तित्व महान था। वह एक आदर्श पुरुष थे। उनकी वाणी में जादू का-सा प्रभाव था। वह सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते थे। अछूतोद्वार के लिए उनके कार्य स्मरणीय हैं। वह मानव मात्र के प्रति स्नेह और सहानुभूति रखते थे। वे शांति के पुजारी थे। उन्होंने विश्व-बन्धुत्व की भावना का उदय करने के लिए अथक प्रयास किया। वे सभी धर्मों का आदर करते थे। वे सभी धर्मों का आदर करते थे।
गांधी जी जानते थे कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। उन्होंने कहा था ‘भारत के अधिक लोग गाँवों में रहते हैं, इन गाँवों में अशिक्षा है, बीमारी है। इन गाँवों की दशा सुधारो, चरखा कातो, हिंसा के भाव छोड़ो। इससे हमें आन्तरिक स्वतंत्रता मिलेगी, फिर हम आत्मिक बल और आन्तरिक स्वतन्त्रता के सहारे अंग्रेजी सत्रा को भी समाप्त करा सकेंगे।’
स्वतंत्रता का पुजारी बापू गांधी 30 जनवरी, 1948 को एक मनचले नौजवान • नाथूराम गोडसे की गोली का शिकार हुए। अहिंसा का सबसे बड़ा उपासक हिंसा की भेंट चढ़ गया।
10. अपने प्राथमिक विद्यालय की स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित वाद विवाद प्रतियोगिता में तुम्हें भाग लेना है। उसके लिए एक दिन की छुट्टी की प्रार्थनी करते हुए अपने विद्यालय के प्रधान शिक्षक अथवा शिक्षिका के नाम पर एक पत्र लिखो।
उत्तर : श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय,
गुवाहाटी।
मान्यवर,
सेवा में प्रार्थनी यह है कि मैं अपने विद्यालय की स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूँ। इसके लिए मैं अभ्यास के लिए एक दिन अवकाश चाहता हूँ। अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे दिनांक 05-03 2014 को अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
आपका आज्ञाकारी छात्र
पल्लव दास
कक्षा IV (B)
अथवा
विद्यार्थियों के लिए दूरदर्शन की आवश्यकता को दशति हुए (अपने) पिताजी के नाम पर एक पत्र लिखो।
उत्तर : रंगिया
जिनांक 03-04-2014
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम।
गत सप्ताह आपका कुशल-पत्र प्राप्त हुआ। आपके पत्र को पढ़कर पता चला कि रवि पड़ोस के घर में शाम को दूरदर्शन के कार्यक्रम देखने चला जाता है जिससे आप उससे सख्त नाराज हैं और आप चाहते हैं कि वह दूरदर्शन न देखें। परन्तु क्षमा करें पिताजी आज मैं आपको दुरदर्शन की आवश्यकता खासकर छात्रों के लिए इसकी आवश्यकता के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसे जानकर मुझे आशा है कि आप भी मुझसे सहमत है जाएँगे।
पिताजी, आधुनिक समाज में दूरदर्शन का उपयोग मनोरंजन, शिक्षा, साहित्य, संगीत, सूचना आदि विभिन्न क्षोत्रों के लिएकिया जा रहा है। दूरदर्शन के माध्यम प्रत्येक क्षेत्र के ज्ञान का लाभ समाज को मिल रहा है। आज यह मनोरंजन का सबसे सस्ता और सुलभ साधन है। इसके साथ-साथ इसके माध्यम से विभिन्न कक्षाओं के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण भी किया जाताहै जिससे छात्रों को अध्ययन में सुविधा मिलती है। यू. जी. सी. का कंट्रीवांइड क्लास रूम टीचिंग ऐसा ही कार्यक्रम है तथा दूरदर्शन का ज्ञान-दर्शन चैनल शिक्षा प्रदान करने वाले चैनल है जो बहुत उपयोगी है।
आशा करता हूँ कि यह सब जानकर अब आपकी नाराजगी दूर हो गई होगी। अतः आप उसे शिक्षा संबंधि कार्यक्रम देखने की अनुमनि दें ताकि उसे इससे अपनी पढ़ाई में सहायता मिले।
माताजी को प्रणाम और रवि को ढेर सारा प्यार
आपका पुत्र
मनोज डेका
11. निम्नांकित गद्यांश के ध्यान से पड़कर उसके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तरदो :
उत्तर : साहित्य का जीवन के साथ अभिन्न सम्बन्ध है। साहित्यकार अपने चारों ओर के संसार में जो कुछ देखता है, साहित्य में उसकी सत्य का वर्णन करता है। वह उसी सत्य को कल्पना के रंग में रंगीत और सुन्दर बनाकर उपस्थित करता है। साहित्यकार में सौन्दर्य को देखने और परखने की अद्भुत शक्ति होती है। वह जितने मनोरम दृश्य को देखता है और जिसतने मधुर स्वर सुनता है, उनसे वह केला ही आनन्दमग्न नहीं होना चाहता। उनका रसास्वादन वनह दूसरों को भी कराता है। दूसरे लोग ही तो समाज है। जब कवि समाज को अपने हृदय की बात सुनाता है, तो साहित्य और समाज का सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। साहित्य समाज को सिर्फ आनन्द ही नहीं देता प्रेरणा भी देता है ।
प्रश्नावली :
(क) साहित्य और जीव के अभिन्न सम्बन्ध आशय क्या है ?
उत्तर : इसका आशय है कि लेखक अपने और मानव-जीव के अनुभवों को ही अधिक सुंदर रूप में पुनः निरूपित करके साहित्य की रचना करता है । इसी कारण साहित्य और जीवन का एक-दूसरे से अटूट संबंध है।
(ख) साहित्यकार साहित्य और समाज का सम्बन्ध कैसे स्थापित करता है ?
उत्तर : जब कवि या लेखक समाज को अपने हृदय की बात अपनी भाषा और विधा में सुनाता है, तो साहित्य और समाज का संबंध स्वतः स्थापित हो जाता है ।
(ग) साहित्य समाज को क्या प्रदान करता है ?
उत्तर : साहित्य समाज को आनंद के साथ-साथ प्रेरणा प्रदान करता है ।
(घ) इस गद्यांश का शीर्षक क्या हो सकता है ?
उत्तर : ‘साहित्य और समाज’ इस गद्यांश का शीर्षक हो सकता है।
12. निम्नलिखित में से किन्ही पाँच वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद करो :
(a) They can speak English and Hindi.
(b) Both the languages are not their mother tongues.
(c) It seems, all the schools are beautiful.
(d) Boys and girls should be honest.
(e) Nobody can deny this.
(f) We should respect the National Flag.
(g) Mahatma Gandhi is the father of our nation.
उत्तर : (a) वे अंग्रेजी और हिन्दी बोल सकते हैं ।
(b) दोनों ही भाषा उनकी मातृभाषा नहीं है ।
(c) ऐसा लगता है कि सभी सुन्दर हैं ।
(d) बालकों और बालिकाओं को ईमान्दार होना चाहिए ।
(e) इसे कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता ।
(f) हमें राष्ट्र ध्वज का सम्मान करना चाहिए ।
(g) महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं ।
Hi, I’m Dev Kirtonia, Founder & CEO of Dev Library. A website that provides all SCERT, NCERT 3 to 12, and BA, B.com, B.Sc, and Computer Science with Post Graduate Notes & Suggestions, Novel, eBooks, Biography, Quotes, Study Materials, and more.