Class 10 Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन-मार्ग में

Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन-मार्ग में answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन-मार्ग में and select needs one.

Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन-मार्ग में

Join Telegram channel

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन-मार्ग में Solutions for All Subject, You can practice these here.

वन-मार्ग में

पाठ – 2

पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) ग्राम-वधुएँ सीता को वन-मार्ग पर चलने योग्य इसलिए नहीं मानती थीं, क्योंकि —

(i) सौता बड़े घर की बहु थी। 

(ii) वे कोमलांगी थीं।

(iii) वे थको-थकी-सी लगती थीं। 

(iv) उन्हें चलने में संकोच होता था।

उत्तर: (ii) वे कोमलांगी।

(ख) ग्राम-वधू ने रानी को महा अज्ञानी इसलिए कहा, क्योंकि —

(i) रानी ने राम, सोता और लक्ष्मण को नहीं समझा था। 

(ii) उन्होंने अपने स्वार्थ को ही जाना था।

(iii) उन्होंने आँखों में रखने योग्य राम-सीता-लक्ष्मण को बनवास में भेज दिया था।

(iv) वे स्वामी राजा दशरथ को कर्तव्य-अकर्तव्य के बारे में समझाने में विफल रही थीं। 

उत्तरः (iii) उन्होंने आँखों में रखने योग्य राम-सीता- लक्ष्मण को वनवास में भेज दिया था।

2. निम्नलिखित पशनों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) ‘चलनों अब केतिक’—यह प्रशन सीता जी की किस दशा का द्योतक है? 

उत्तर: आतुर दशा का।

(ख) किस परिस्थिति में रामचंद्र की आँखों से आँसू बह निकले थे? 

उत्तर: वनमार्ग में चलते हुए अपनी पत्नी सीता को आतुर परिस्थिति में देखकर।

(ग) ग्राम-वधू ने किन शब्दों में राजा-रानी को भला-बुरा कहा था? 

उत्तरः रानी अज्ञानी हैं और उसका हृदय पत्थर से भी अधिक कठोर है। 

(घ) वन – मार्ग पर चलते हुए श्री रामचंद्र के मधुर रूप का वर्णन कीजिए। 

उत्तर: श्री रामचंद्र के सिर पर जटाएँ सुशोभित हैं। उनकी लाल आँखें और तिरछी भैंहे मनोहारिणो हैं। उनको चौड़ी छाती और लम्बी भुजाएँ उनके व्यक्तित्व का आकर्षण हैं। उनके कंधे पर धनुष और पीठ पर वाणों से भरा तरकश उनको वीरता का परिचय दे रहे हैं।

(ङ) ग्राम-वधुओं ने सीता से क्या पूछा था? 

उत्तर: ग्रामीण महिलाएँ सीता जी से पूछ रही हैं कि जिनके सिर पर जटाएँ हैं, जिनकी छाती चौड़ी, भुजाएँ लम्बी, आँखें लाल एवं भौंहे तिरछी हैं तथा जो धनुष–वाण के साथ वन–मार्ग में अत्यन्त सुन्दर दिख रहे हैं और जो आदर के साथ बार–बार तुम्हारी ओर देखकर हमारा मन मोह रहे हैं, वे साँवले–से राजकुमार आपके कौन हैं?

(च) सीता ने ग्राम-वधुओं के पशन का उत्तर किस प्रकार दिया था? 

उत्तरः मुस्कराकर तिरछे नेत्रों के इशारे से दिया था।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) वन-मार्ग पर जाती सीता की दशा का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए। 

उत्तरः कोमलांगी सीता अपने पति श्रीराम और देवर लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी से निकलकर बड़ी कठिनाई से दो कदम चलती है कि उनका चेहरा पसीने से भींग जाता है और दोनों होंठ सूख जाते हैं। वह व्याकुल होकर अपने पति से पूछने लगती हैं कि अब और कितनी दूर चलना होगा और पर्णकुटी कहाँ बनाई जाएगी?

(ख) राम, सीता और लक्ष्मण को वन-मार्ग पर चलते देखकर ग्राम-वधुओं के मन में कैसी प्रतिक्रियाएँ हुई थीं?

उत्तरः वन–मार्ग में चलते हुए राम, लक्ष्मण और सीता के अनुपम सौंदर्य से विस्मित एक ग्रामीण महिला की भावात्मक प्रतिक्रिया का वर्णन किया है। वह ग्रामीण महिला शिकायत के स्वर में अपनी सहेली से प्रतिक्रिया व्यक्त करती हुई कहती है कि मैं समझ गई कि रानी (कैकेयी) महा अज्ञानी हैं, जिनका हृदय पत्थर से भी अधिक कठोर है। राजा (दशरथ) को भी अपने कर्तव्य–अकर्तव्य का ज्ञान नहीं है, जिन्होंने रानी की बातों में आकर इतना बड़ा अन्याय किया है। ऐसी सुन्दर छवि वाले तो आँखों में रहते हैं, फिर इन्हें वनवास क्यों दिया गया है। 

(ग) पठित छंदों के आधार पर श्री रामचंद्र की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए। 

उत्तरः श्रीरामचंद्र एक आज्ञाकारी पुत्र थे। वे अपने पिता से आज्ञा लेकर अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन–मार्ग पर निकल पड़ते है। उनके कंधे पर धनुष और पीठ पर वाणों से भरा हुआ तरकश उनकी वीरता का परिचय दे रहे हैं। परन्तु सीता की व्याकुलता का अनुभव कर वे भावुक हो जाते हैं और उनको आँखों से आँसू बहने लगते हैं।

(घ) गोस्वामी तुलसीदास का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए। 

उत्तर: ऐसा माना जाता है कि महाकवि तुलसीदास का जन्म सन् 1532 की श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। भक्तशिरोमणि तुलसीदास ने अनेक काव्यों की रचनाएँ को हैं, जिनमें ‘रामचरितमानस’, ‘विनय-पत्रिका’ और ‘कवितावली’ प्रमुख हैं। ‘रामचरितमानस’ तुलसीदास की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। यह हिन्दी साहित्य का एक अद्वितीय महाकाव्य है। तुलसीदास अयोध्यापति दशरथ के पुत्र श्री रामचन्द्र को अपना आराध्य प्रभु मानते थे और उन्हीं की जीवन-गाथा को आधार बनाकर इस महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य की रचना हिन्दी की एक प्रमुख बोली अवधी के दोहा-चौपाई और छंदों में हुई है। ‘विनय-पत्रिका’ और ‘कवितावली’ की रचना ब्रजभाषा में हुई है। ‘विनय-पत्रिका’ में प्रार्थनापरक पर्दों का संग्रह किया गया है। तुलसीदास ने इन पदों के माध्यम से अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के पास अपना निवेदन (विनय- पत्रिका) भेजा है। ‘कवितावली’ में राम-कथा संबंधी गेय मुक्तक छन्दों का संकलन हुआ है। ‘रामचरितमानस’, ‘विनय-पत्रिका’ और ‘कवितावली’ के अतिरिक्त तुलसीदास की अन्य रचनाओं में’ दोहावली’, ‘कवित्त रामायण’, ‘गीतावली’, ‘रामाज्ञा प्रशनावली’, ‘रामललानहछू’, ‘पार्वतीमंगल’, ‘जानकीमंगल’, ‘बरवै रामायण’, ‘वैराग्य संदीपनी’, ‘कृष्ण गीतावली’ आदि का नाम आता है। समन्वय और लोक-मंगल की भावना से प्रेरित होकर जीवन भर राम–भक्ति की शीतल चाँदनी बिखेरने के कारण तुलसीदास जो साहित्य जगत् में ‘शशि’ की आख्या से विभूषित हुए।

4. आशय स्पष्ट कीजिए—

(क) तियकी लखि आतुरता पियकी अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै। 

उत्तरः उक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक के ‘वन–मार्ग में’ शीर्षक कविता से उद्धृत है, जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

कोमलांगी सीता अपने पति श्रीराम और देवर लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी से निकलकर बड़ी कठिनाई से दो कदम चलती है कि उनका चेहरा पसीने से भींग जाता है और दोनों होंठ सूख जाते हैं। वह व्याकुल होकर अपने पति से पूछने लगती हैं कि अब और कितनी दूर चलना होगा और पर्णकुटी कहाँ बनाई जाएगी? सीता की व्याकुल दशा को भाँप कर श्रीराम की आँखों में आँसू भर आते हैं। 

(ख) ऐसी मनोहर मूरति ए, बिछुरें कैसे प्रीतम लोग जियो है। 

उत्तरः उक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक के ‘वन–मार्ग में’ शीर्षक कविता से उद्धृत है, जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

कवि कहते हैं कि वनमार्ग में चलते हुए सीता, राम और लक्ष्मण की छवि अति मनोहारिणी है, जो भी इन्हें एक बार देख लेता है, वह इनके अनुपम सौंदर्य पर मुग्ध हो जाता है, जिन प्रियजनों को छोड़कर ये लोग वन में जा रहे हैं, उनकी हालत क्या होगी? जो लोग हर पल इनके रूप–सौंदर्य और सान्निध्य का रसपान करते होंगे, वे इनके वियोग में किस प्रकार जीते होंगे?

(ग) सादर बारहिं बार सुभायँ चितै तुम्ह त्यों हमरो मनु मोहैं। 

उत्तरः उक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक के ‘वन–मार्ग में’ शीर्षक कविता से उद्धृत है, जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

यहाँ कवि का तात्पर्य यह है कि श्रीराम अपने निश्छल पत्नी–प्रेम के स्वभाव से सबका मन मोहित कर लेते हैं। वन–मार्ग में चलते समय श्रीराम जिस आदर और प्रेम से बार–बार अपनी पत्नी की ओर देखते हैं, उससे सबको मुग्ध कर देते हैं। 

(घ) तिरछे करि नैन, दै सैन, तिन्हें समुझाइ कछू, मुसुकाइ चली। 

उत्तरः उक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक के ‘वन–मार्ग में’ शीर्षक कविता से उद्धृत है, जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

यहाँ कवि का तात्पर्य यह है कि सीता ग्राम–वधुओं द्वारा श्रीराम के मधुर रूप का वर्णन सुनकर मन–ही–मन प्रसन्न होती हैं तथा उनके इस प्रशन कि ‘श्रीराम उनके क्या लगते हैं? का उत्तर मुस्कराकर तिरछे नेत्रों के इशारे से देती हुई चलती हैं।

5. भावार्थ लिखिए:

(क) ऐसी मनोहर मूरति ए, बिछुरें कैसे प्रीतम लोगु जियो हैं। आँखिन में सखि! राखिबे जोगु, इन्हें किमि बनबासु दियो हैं।।

उत्तर: तुलसीदास कहते हैं कि ग्रामवधुओं केआँखें बार–बार इनके सुन्दर छवि का रसपान करने को लालायित रहती हैं। इनकी छवि इतनी मनोहारिणी है कि जो भी इन्हें एक बार देख लेता है, वह मुग्ध हो जाता है। पता नहीं, अपने जिन प्रियजनों को छोड़कर ये लोग वन में जा रहे हैं, उनकी हालत क्या होगी? ऐसे लोग तो आँखों में रहते हैं। क्षणभर के लिए भी नजरों से दूर नहीं होते, फिर इन्हें वनवास क्यों दिया गया है? इनके वियोग में वे लोग किस तरह जीते होंगे? 

(ख) तुलसी तेही औसर सोहैं सबै अवलोकति लोचनलाहु अली। अनुराग–तड़ाग में भानु उदैं बिगसीं मनो मंजुल कंजकली॥

उत्तरः तुलसीदास जी कहते हैं कि सीताजी के संकेत को समझकर सभी सखियाँ राम के सौन्दर्य को एकटक देखती हुई अपने नेत्रों का लाभ प्राप्त करने लगीं। उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो प्रेम के सरोवर में रामरूपी सूर्य का उदय हो गया हो और ग्रामवधुओं के नेत्ररूपी कमल की सुन्दर कलियाँ खिल गयी हों।

यहाँ कवि ने श्रीरामचन्द्र जी की तुलना सूर्य से और ग्रामीण सखियों की तुलना कमलों की कलियों से करते हुए कहा है कि जिस प्रकार सूर्य का प्रकाश पाते ही किसी सरोवर में कमलों की कलियाँ खिलकर अपनी छटा बिखेरने लगती हैं, उसी प्रकार श्रीरामचन्द्र रूपी सूर्य के दर्शन मात्र से सखियाँ प्रेम–भक्ति रूपी सरोवर में कमलों की कलियों के समान विकसित होकर निखर गयी हैं।

6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) पुरतें निकसी रघुबीरबधु _________ अति चारु चलीं जल च्वै। 

उत्तरः उक्त पंक्ति हमारी पाठय–पुस्तक के ‘वन–मार्ग में’ शीर्षक कविता से उद्धृत है, जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

कवि ने वन–मार्ग में चलते समय श्रीराम की पत्नी सीता की व्याकुल दशा पर प्रकाश डाला है। कोमलांगी सीता अपने पति श्रीराम और देवर लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी से निकलकर बड़ी कठिनाई से दो कदम चलती है कि उनका चेहरा पसीने से भींग जाता है और दोनों होंठ सूख जाते हैं। वह व्याकुल होकर अपने पति से पूछने लगती हैं कि अब और कितनी दूर चलना होगा और पर्णकुटी कहाँ बनाई जाएगी? अपनी पत्नी की मानसिक एवं शारीरिक व्याकुलता का अनुभव कर श्रीराम की आँखें भर आती हैं।

(ख) सीस जटा, उर–बाहु बिसाल __________ कहाै साँवरे से सखि रावरे को हैं। 

उत्तरः उक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक के ‘वन–मार्ग में’ शीर्षक कविता से उद्धृत है, जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

कवि ने ग्रामीण महिलाओं के माध्यम से श्रीराम की सुन्दर छवि पर प्रकाश डाला है। ग्रामीण महिलाएँ सीता जी से पूछ रही हैं कि जिनके सिर पर जटाएँ हैं, जिनकी छाती चौड़ी, भुजाएँ लम्बी, आँखें लाल एवं भौंहे तिरछी हैं तथा जो धनुष–वाण के साथ वन–मार्ग में अत्यन्त सुन्दर दिख रहे हैं और जो आदर के साथ बार–बार तुम्हारी ओर देखकर हमारा मन मोह रहे हैं, वे साँवले–से राजकुमार आपके कौन हैं?

भाष एवं व्याकरण

(क) ‘ता’ प्रत्यय जोड़कर भाववाचक संज्ञा शब्द बनाया जाता है, जैसे–आतुर + ता = आतुरता, मानव + ता = मानवता। ऐसे पाँच शब्दों का निर्माण करके वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तरः 1. शिष्ट + ता = शिष्टता = हमे हमारी शिष्टता को कभी भी भुलना नही चाहिए।

2. धृष्टता + तक = धृष्टता = मैं अपनी धृष्टता के लिए क्षमा चाहता हूँ।

3. शत्रु + ता = शत्रुता = नगरवासियों ने बाहरी लोगों के प्रति खुली शत्रुता दिखाई।

4. सतर्क + ता = सतर्कता = काम हमें सतर्कता के साथ करना चाहिए।

5. योग्य + ता = योग्यता = योग्यता से ही काम सिखाए जाते है।

(ख) निम्नांकित अभिव्यक्तियों के खड़ीबोली रूप लिखिए — 

पुरतें, है, केतिक, तियकी, अयानी, आँखिन में, किमि, मनु, सिय सों, रावरे, बैन, सैन

उत्तर: 

अभिव्यक्तिखड़ीबोली रूप
पुरतेंनगर से
द्वैदो
केतिककितना
तियकीस्त्री की
अयानीअज्ञानी
आँखिन मेंआँखों में
किमिक्यों
मनुमन
सिय सौंसीता से
रावरेआपके
बैनवचन
सैनसंकेत

(ग) तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए–

रघुवीर, सीता, आँख, राजा, मार्ग, कमल

उत्तर: 

शब्दपर्यायवाची शब्द
रघुवीरकमलनयन, राघव, श्रीरामचन्द्र
सीतारघुवीरप्रिया, वैदेही, जानकी
आँखनयन, लोचन, नेत्र
राजानृप, नरेश, राजन्
मार्गराह, पथ, रास्ता
कमलजलज, नीरज, सरोज

योग्यता–विस्तार

(क) वर्ण की आवृत्ति यानी एक से अधिक बार के प्रयोग को ‘अनुप्रास’ अलंकार कहते हैं। उदाहरणस्वरूप ‘रघुवीरवधु धरि धीर’ में ‘ध’ ध्वनि की आवृत्ति हुई है। पाठ में आए अनुप्रास अलंकार वाले ऐसे स्थलों का चयन कीजिए।

उत्तरः झलकी भरि भाल, मधुराधर वै 

पर्नकुटी करिहों कित है, चारु चलीं जल च्चै

पबि–पाहनहू तें कठोर हियो है। 

राजहुँ काजु अकाजु न जान्यो 

कहयौ तियको जेहिं कान कियो है 

ऐसी मनोहर मूरति

सादर बारहिं बार सुभायें चितै

तुम्ह त्यों हमरो मनु मोहैं

कहाँ साँवरे से सखि रावरे को हैं। 

सुनि सुन्दर बैन सुधारस–साने सयानी हैं। 

जानकीं जानी भली।

कवि सबंधित प्रश्न उत्तर 

(1) “वन मार्ग में” कविता के कवि का नाम क्या है?

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास।

(2) “रामचरितमानस” के रचयिता कौन है?

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास।

(3) “रामचरितमानस” में गोस्वामी तुलसीदास ने किसकी जीवन गाथा का वर्णन किया है?

उत्तर: प्रभु श्री रामचंद्र जी की जीवन गाथा का वर्णन है।

(4) किस कारण तुलसीदास को साहित्य जगत में “शशि” की आख्या मिली?

उत्तर: समन्वय और लोक-मंगल की भावना से प्रेरित होकर गोस्वामी जी ने जीवन भर राम-भक्ति की शीतल चांदनी बिखेरी और “शशि” की आख्या से विभूषित हुए।

(5) उनकी कुछ उल्लेखनीय काव्य-रचनाओं के नाम लिखिए?

उत्तर: उनकी कुछ उल्लेखनीय काव्य-रचनाओं के नाम है – 

(i) रामचरितमानस।

(ii) विनय-पत्रिका। और

(iii) कवितावली।

(6) उनकी अन्य रचनाएं के नाम लिखिए?

उत्तर: उनकी अन्य रचनाएं के है –

(i) दोहावली।

(ii) कवित्त रामायण।

(iii) गीतावली।

(iv) रामाज्ञा प्रश्नावली।

(v) रामललानहछु।

(vi) पार्वतीमंगल।

(vii) जानकीमंगल।

(viii) बरवै रामायण।

(ix) वेराग्य संदीपनी।

(x) कृष्ण गीतावाली आदि।

(7) विनय-पत्रिका की विषय वस्तु क्या हैं?

उत्तर: विनय-पत्रिका की विषय प्रार्थनापरक पदों का संग्रह है।

(8) तुलसीदास जी के बचपन के विषय में लिखिए?

उत्तर: कहा जाता की बचपन में ही माता-पिता हुलसी और आत्माराम दुबे जी के द्वारा छोड़ दिए जाने के कारण तुलसीदास का लड़कपन दुख-दरिद्र में बिता। बाबा नरहरी दस ने उन्हें आश्रय देकर ज्ञान-भक्ति की शिक्षा प्रदान की वेद, पुराण, वेदान्त, उपनिषद, आदि प्राचीन भारतीय वाड्मय का अध्ययन तुलसीदास ने यही किया। उनका विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ था, पत्नी के प्रति गहरी आसक्ति के कारण तुलसीदास को मधुर भर्त्सना सुननी पड़ी थी। इससे उनके जीवन की दिशा ही बदल गई और वे पूरी तरह राम-भक्ति की और उन्मुख हो गए।

(9) भक्त-शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी का परिचय दीजिए?

उत्तर: भक्त-शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी हिंदी की सगुणामार्गी रामभक्ति-काव्यधारा के सबसे लोगप्रिय कवि है। वह केवल भक्तिकाल के ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण हिंदी काव्य धारा के अन्यतम प्रगतिशील कवि है। उनकी अमर रचनाएं एवं भारतीय साहित्य की ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर है। उनकी क्रीति के आलोक-स्तंभ स्वरूप रामचरितमानस का संसार की प्रमुख भाषाओं में अनुवाद होना प्रत्यक भारतीय के लिए अत्यंत गौरव की बात है।

अव्दितीय राम-भक्त तुलसीदास जी के जीवन-वृत के संदर्भ ने कई जनश्रुतियां प्रचलित है। अंत: साक्ष्य और बहि: साक्ष्य के आधार पर विद्वानों ने भी इस संदर्भ में अलग-अलग मत व्यक्त किए हैं।

(10) कवितावली की भाषा क्या है?

उत्तर: कवितावली की भाषा ब्रज है और इसमें मुक्त्तक छंदों में पावन राम-कथा का मनोरम गायन हुआ है। 

अतिरिक्त प्रश्न उत्तर:

(1) चतुर्थ छन्द में कवि ने किसका वर्णन किया है संक्षेप में लिखिए?

उत्तर: चतुर्थ छन्द में कवि ने चतुर ग्रामीण महिलाओं के वचनामृतो का उत्तर सीता जी ने जिस हाव-भाव से दिया है, उसका वर्णन किया है। इसके साथ ही उन्होंने राम-भक्ति में डूबी उन ग्रामीण महिलाओं की शोभा का भी वर्णन किया है।

(2) रानी मैं जानी अयानी महा ________ कह्यौ तियको जेहिं कान कियो हैं। इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: उक्त पंक्तियां अंबर भाग 2 के “वन मार्ग में” नमक कविता से ली गई है इसके कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है। इसमें कवि ने वन-मार्ग में चलते हुए राम, लक्षमण और सीता के अनुपम सौंदर्य से विस्मित एक ग्रामीण महिला की भावनात्मक प्रतिक्रिया का वर्णन किया है।  

वह ग्रामीण महिला शिकायत के स्वर में अपनी सहेली से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहती है की मैं समझ गई की रानी कैकेयी महा अज्ञानी है, जिनका ह्रदय पत्थर से भी कठोर है। राजा दशरथ को भी अपने कर्तव्य-अकर्तव्य का ज्ञान नहीं है, जिन्होंने रानी की बाते में आकर इतना बड़ा अन्याय किया है। ऐसी सुंदर छवि वाले तो आंखों में रहते है, फिर इन्हे वनवास क्यों दिया गया है।

सही विकल्प का चयन कीजिए:

(1) किसका ह्रदय पत्थर से भी कठोर है?

(i) राजा का।

(ii) मार्ग का।

(iii) रानी का।

(iv) रानी कैकेयी का।

उत्तर: रानी कैकेयी का।

(2) ग्रामीण महिला शिकायत के स्वर में अपनी _________ से प्रतिक्रिया का वर्णन किया है?

(i) पुत्र।

(ii) पुत्री।

(iii) सहेली।

(iv) सखी।

उत्तर: सहेली।

(3) तृतीय छन्द ग्रामीण महिलाओं के माध्यम से कवि किसकी अनुपन सौंदर्य का वर्णन कर रहे है?

(i) राम।

(ii) सीता।

(iii) राजा।

(iv) लक्क्षम।

उत्तर: राम।

(4) उनका चेहरा पसीने से भीग जाता है और दोनों होठ सुख गए हैं यहां कवि ने किसके बारे में बात किया है?

(i) सीता।

(ii) राम।

(iii) लक्ष्मण।

(iv) रानी।

उत्तर: सीता।

(5) ग्राम-वधुएं सीता को वन-मार्ग पर चलने के योग्य नहीं मानती थी-क्योंकि _________

(i) सीता बड़े घर की बहु थी।

(ii) वे कोमलांगी थी।

(iii) वे थकी-थकी सी लगती थी।

(iv) उन्हें चलने में संकोच होता था।

उत्तर: वे कोमलांगी थी।

(6) ग्राम – वधु ने रानी को महा अज्ञानी इसलिए कहा , क्योंकि __

(i) रानी ने राम, सीता और लक्ष्मण को नही समझा था।

(ii) उन्होंने अपने स्वार्थ को ही जाना था।

(iii) उन्होंने आंखों में रखने योग्य राम -सीता – लक्ष्मण को वनवास में भेज दिया था।

(iv) वे स्वामी राजा दशरथ को कर्तव्य – अकर्तव्य के बारे में समझने में विफल रही थीं।

उत्तर: उन्होंने आंखों में रखने योग्य राम -सीता – लक्ष्मण को वनवास में भेज दिया था।

(7) पुरतें निकसी रघुबीरबधु धरि धरि दे में डग व्दै।

इस पंक्ति में पुरतें निकसी का अर्थ क्या है?

(i) पुरानी।

(ii) रास्ता।

(iii) नगर से निकली।

(iv) सुंदर।

उत्तर: नगर से निकली।

(8) श्री राम जी को कितने वर्ष का वनवास हुआ था?

(i) 10 वर्ष।

(ii) 11वर्ष।

(iii)13वर्ष।

(iv)14 वर्ष।

उत्तर: 14 वर्ष।

(9) राम जी आंखो में आंसू क्यों आ गए थे?

(i) क्यूंकि वह वनवास जा रहे थे।

(iii) वनमार्ग में चलते हुए  सीता जी की आतुरता को देख कर ।

(iii) क्योंकि वह उदास थे।

(iv) क्योंकि लक्षमण भी उनके साथ वनवास जा रहे थे।

उत्तर: वनमार्ग में चलते हुए  सीता जी की आतुरता को देख कर।

(10) ग्राम – वधु के प्रश्न का उत्तर माता सीता ने कैसे दिया?

(i) इशारे में।

(ii) कह कर।

(iii) मुस्कुराकर।

(iv) उपरोक्त एक भी नहीं।

उत्तर: मुस्कुराकर।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top