वनों का महत्व – रचना | Banon ka mahatv Rachana to each essay is provided in the list so that you can easily browse throughout different essay वनों का महत्व and select needs one.
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वनों का महत्व
वनों का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। मानव सभ्यता आदिकाल में पूरी तरह से वनों पर निर्भर थी। वृक्षों से ही खाने के लिए फल, पहनने के लिए वस्त्र, ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त होती थी। भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए वनों का हास होना आरंभ हुआ। औद्योगीकरण तथा ईंधन की आवश्यकता पूर्ति के लिए धुआँधार वृक्ष काटे गए। देश के कई हरे-भरे क्षेत्र भी बंजर बनकर रह गए हैं। इससे भू-क्षरण की समस्या उत्पन्न हो गई है।
आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व भारत में सघन वृक्ष थे। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या, जो अब करोड़ों के लगभग है, की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वृक्षों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। सन 1952 में एक वन नीति घोषित की गई थी। इसमें वनों की रक्षा पर बल दिया गया था। देश की कुल भूमि के एक-तिहाई भाग में वन विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। भारत में वनों का वर्तमान क्षेत्रफल लगभग सात सौ पचास लाख हेक्टेयर है जो देश की कुल भूमि का 22.8 शतांश है।
जनसंख्या का दबाव निरंतर बढ़ता ही चला जा रहा है। लकड़ी पर आधारित उद्योगों और ईंधन के लिए लगातार जरूरतें बढ़ती चली जा रही है। देश में प्लाई वुड, विभिन्न प्रकार के बोर्ड, खेल-कूद के सामान, कागज तथा माचिस उद्योग के लिए लकड़ी की आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति के लिए वृक्ष काटे जा रहे हैं। वृक्ष लगाने का काम उस अनुपात में नहीं किया जा रहा है, जिस अनुपात में वृक्षों का कटान हो रहा है।
पर्वतीय प्रदेशों में सड़क निर्माण के लिए भी वृक्षों को काटा जा रहा है, पर्वतों में अंधाधुंध कटान से कई भयानक चुनौतियां उपस्थित हो गई है। प्रति वर्ष वर्षा का पानी | अपने साथ वनस्पति रहिन पहाड़ों से करोड़ों टन मिट्टी बहाकर नदियों में ले जाता है।
देश में पिछले कुछ वर्षों से वृक्षारोपण के प्रति कुछ चेतना विकसित हुई है। विशाल धन राशि, सतत निःस्वार्थ प्रयत्न तथा जनता का सहयोग ही देश की वृक्ष-संपत्ति को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। वन हमारे जीवन के लिए कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। न केवल काष्ठ, तेल, जड़ी बूटियों आदि की दृष्टि से बल्कि जलवायु को नियंत्रित रखने के लिए भी इनका महत्व है। भारत में कुछ राष्ट्रीय उद्यान एवं 172 अभयारण्य हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं- कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान (नैनीताल), काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम), कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (मध्यप्रदेश), घाना पक्षी विहार (राजस्थान) आदि।
विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में वनों के प्रति अधिक उपेक्षा का व्यवहार हो रहा है। इसी के फलस्वरूप कई स्थानों पर ‘चिप को आंदोलन’ चलाया गया है। इससे जन-चेतना जागृत करने में मदद मिली है। वनों का संरक्षण किया ही जाना चाहिए। यह वर्तमान समय की आवश्यकता है।
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