विद्यार्थी जीवन – रचना | Bidyaarthee jeevan Rachana to each essay is provided in the list so that you can easily browse throughout different essay वनों का महत्व and select needs one.
Read More: বৃত্তিমূলক শিক্ষা (কাৰিকৰী শিক্ষা) ৰচনা | Vocational Education Essay in Assamese
वनों का महत्व
विद्यार्थी शब्द की व्युत्पत्ति विद्या अर्थ के संयोग से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है- ज्ञान प्रदान करने की इच्छा करने वाला। इसी प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है- आदेश के अनुसार अनुशरण करना। अनुशासन आज के मानव जीवन को एक ज्वलंत समस्या है। आज सभी देशों, जातियों, वर्गों एवं राष्ट्रों में अनुशासन ही एक भयावत समस्या के रूप में उभर रही है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। परंतु अनुशासन का पालन केवल ऐसा विद्यार्थी ही कर सकता है, जिसमें सेवा, नम्रता तथा सच्चरित्र आदि गुण विद्यमान हों। हमारे देश का इतिहास इस बात का साक्षी है कि केवल ऐसे विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य में सफल रहे हैं, जिन्होंने सेवा, नम्रता तथा चरित्र आदि सद्गुणों के आधार पर अपने गुरुजनों के हृदय को जीता था, परंतु आज बड़े दुःख का विषय है कि हमारे देश के विद्यार्थी में अनुशासन नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई है। आज देश का विद्यार्थी वर्ग दिन-प्रतिदिन उच्छृंखल होता जा रहा है। वह भारतीय संस्कृति के आदर्श वाक्य ‘मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः, ‘आचार्य देवो भवः, को भूल गया है। आज के विद्यार्थी का जीवन उच्छृंखलता, विलासिता तथा अनैतिकता का प्रतीक बन चुका है।
अनुशासनहीनता का मुख्य कारण माता-पिता की दिलाई है। माता-पिता के संस्कार ही बच्चे पर पड़ते हैं। बच्चों की प्राथमिकता पाठशाला घर ही होता है। वह पहले घर में ही शिक्षा लेता है, उसके बाद वह स्कूल और कालेज में जाता है। उसके संस्कार घर में से ही खराब हो जाते हैं। पहले तो प्यार के कारण माता-पिता कुछ करते नहीं। वह जहां चाहे बैठे और जहां चाहे खेले, जो मन में आए करे, पर जब हाथी के दांत बाहर निकल जाते हैं, तब उन्हें चिंता होती है, फिर वे अध्यापक और कालेजों की आलोचना करना प्रारंभ करते हैं। दूसरा कारण आज की शिक्षा प्रणाली है। उसमें नैतिक या चारित्रिक शिक्षा को कोई स्थान नहीं दिया जाता है। काँलेजों में राजनीतिक वातावरण ने अनुशास हीतना को और अधिक बढ़ावा दिया है। आज की विषम राजनीतिक परिस्थितियों ने इस भावना को और भी प्रश्रय दिया है। क्योंकि आज की राजनीति दूसरी राजनीति को सुधारने केलिए नहीं, बल्कि निगल देने की भावना से प्रेरित है। पाश्चात्य प्रभाव, अंधानुकार या अधूरे अनुकरण ने भी इस भावना को बढ़ाया है।
देश में अनुशासन की पुनः स्थापना के लिए यह आवश्यक है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में नैतिक और चारित्रिक शिक्षा पर विशेष बल होना चाहिए जिससे छात्र को अपने कर्तव्य और अकरणीय ज्ञान हो जाए। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों में अनुशासन स्थापित किए बिना हमारे देश का कल्याण नहीं हो सकता। अनुशासनहीन विद्यार्थी देश की धरती पर भार के समान है। अत: अनुशासन सफलता का मूल-मंत्र है।
Read More: Class 11 Sociology Question Answer

Hi! my Name is Parimal Roy. I have completed my Bachelor’s degree in Philosophy (B.A.) from Silapathar General College. Currently, I am working as an HR Manager at Dev Library. It is a website that provides study materials for students from Class 3 to 12, including SCERT and NCERT notes. It also offers resources for BA, B.Com, B.Sc, and Computer Science, along with postgraduate notes. Besides study materials, the website has novels, eBooks, health and finance articles, biographies, quotes, and more.
jayantakumargayary@gmail.com in