Assam Jatiya Bidyalay Class 8 Hindi Chapter 9 वृक्षरोपण

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वृक्षरोपण

Chapter – 9

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

EXERCISE QUESTION ANSWER

शब्दार्थ :

नातासंबंध
भीनी-भीनीमीठी-मीठी, हल्की-हल्की
इमारतीइमारत (भवन) से संबंधित
हितैषीभला चाहनेवाला
समूचेपूरा, सारा
संतुलनसमता की स्थिति
अंधाधुंधबिना सोचे-समझे
अतिवृष्टिअधिक वर्षा होने की स्थिति
अनावृष्टिवर्षा न होने की स्थिति
वातावरणपरिवेश
दूभरकठिन
बूटीजड़ी, वनस्पति
आरोपणलगने का कार्य

अभ्यास माला

प्रश्न – १ : निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर का चयन करो :

(क) वृक्ष मनुष्यों को कौन-सा गैस प्रदान करता है ?

(अ) कार्बन डाइ ऑक्साइड

(आ) नाइट्रोजन 

(इ) ऑक्सीजन

(ई) हिलियम

उत्तर : (इ) ऑक्सीजन l

(ख) प्राकृतिक संतुलन बनाये रखने के लिए जरूरत होती है l

(अ) उद्योगों की स्थापना 

(आ) वर्षा का अधिक होना

(इ) खेतों में अनाज उपजाना

(ई) वृक्षरोपन की

उत्तर : (ई) वृक्षरोपन की l

(ग) भारत सरकार ने वन महोत्सव का प्रारंभ किया था–

(अ) सन् 1952 में

(आ) सन् 2010 में

(इ) सन् 1852 में

(ई) सन् 1960 में

उत्तर : (अ) सन् 1952 में l

(घ) अतिवृष्टि और अनावृष्टि का मुख्य कारण है–

(अ) वनों का कटाव

(आ) मिट्टी का कटाव

(इ) भूकंप

(ई) ध्वनि प्रदूषण

उत्तर : (अ) वनों का कटाव l

(ङ) प्रकृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है–

(अ) चिड़िया

(आ) मनुष्य

(इ) वृक्ष

(ई) नदी

उत्तर : (इ) वृक्ष l

प्रश्न – २ : सम्पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) पशु-पक्षियों की अनेक दुर्लभ जातियाँ क्यों लुप्त होती जा रही है ? 

उत्तर : वनों के कटाव के कारण धरती के सौंदर्य पर तो कुठाराघात हुआ ही है, पशु-पक्षियों की अनेक दुर्लभ जातियाँ प्रजातियाँ लुप्त होती जा रही है।

(ख) मनुष्यों का प्रकृति से कैसा नाता है ? 

उत्तर : मानव का प्रकृति से बहुत पुराना नाता है। आदिकाल से ही प्रकृति मानव की सहचरी रही है। मनुष्य ने प्रकृति की गोद में जन्म लिया, लालन पालन हुआ, भरण-पोषण की सामग्री प्राप्त की और तरह-तरह के सुखों का भोग किया।

(ग) अतिवृष्टि और अनावृष्टि क्या है ?

उत्तर : अतिवृष्टि का अर्थ है, अत्यधिक वृष्टि (वर्षा) जिससे बाढ़ आने का खतरा होता है। अनावृष्टि का अर्थ है, वर्षा का न होना जिससे सुखा पड़ने का खतरा होता है। अतिवृष्टि और अनावृष्टि के प्रकोप से बचने के लिए यदि कोई उपाय है, तो वह है-वृक्षरोपण।

(घ) हमारी संस्कृति में किसे पवित्र कार्य माना जाता है ? 

उत्तर : हमारी संस्कृति में ‘वृक्षरोपण’ को एक पवित्र कार्य माना जाता है 

(ङ) हमारी संस्कृति के अनुसार किन वृक्षों की पूजा की जाती है ? 

उत्तर : हमारी संस्कृति के अनुसार पीपल, तुलसी, बरगद, कैला, आम आदि वृक्षों की पूजा की जाती है।

(च) आज़-कौन-सा आंदोलन ने प्रशंसनीय कार्य करा रहा है ? 

उत्तर : वृक्षों की कटाई रोकने के लिए कानून भी बनाए गए हैं। आज ‘चिपको’ आन्दोलन इस ओर प्रशंसनीय कार्य करा रहा है।

प्रश्न – ३ : सम्यक् उत्तर दो :

(क) आदिकाल से प्रकृति किस तरह मानव की सहचरी रही है ? 

उत्तर : मानव का प्रकृति से बहुत पुराना नाता है। मनुष्य ने प्रकृति की गोद में जन्म लिया, इसी से अपने भरण-पोषण की सामग्री प्राप्त की, प्रकृति ने ही उसे संरक्षण प्रदान किया, प्रकृति ने ही उसकी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति की, प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं से उसने घर बनाया, अपनी भूख मिटाई, अपनी तृष्णा शांत की तथा तरह-तरह के सुखों का भोग किया। इस तरह आदिकाल से ही प्रकृति मानव की सहचरी रही है।

(ख) वृक्ष हमारी किन अवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

उत्तर : वृक्ष प्रकृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। वृक्ष हमारे परम हितैषी, निस्वार्थ सहायक एवं अभिन्न मित्र हैं। वृक्ष हमें ‘ऑक्सीजन’ देता है, तरह-तरह के सुस्वादु फल देता है। प्रकृति में संतुलन बनाये रखने में वृक्ष का बड़ा महत्व है। “वृक्ष हमें बाढ़, सुखा, भूकंप और वर्षा की अनिश्चितता में भी सहायता करता है। वृक्ष ही वायुमंडल का प्रदूषण दूर करता है।

(ग) वनों के कटाव के कारण धरती के सौन्दर्य पर किस तरह कुटारघात हुआ है ?

उत्तर : वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण मिट्टी का कटाब, भूक्षरण, भुस्खलन, भयंकर बाढ़ें, सूखा, भूकंप, वर्षा की अनिश्चितता तथा वायुमंडल का प्रदूषण और भयंकर समस्याएँ बढ़ती जा रही है। इसलिए वनों के कटाव के कारण धरती के सौन्दर्य पर कुठाराघात हुआ है। 

(घ) सरकार और समाजसेवी संगठनों ने किस तरह वृक्षरोपण के क्षेत्र में कदम उठाए हैं ?

उत्तर : हमारे यहाँ कहा जाता था, ‘एक वृक्ष लगाने से उतना पुण्य मिलता है जितना दस गुणवान पुत्रों का यश।’ भारत सरकार ने वृक्षों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सन् १९५२ ई. में वन महोत्सव या वृक्षरोपण कार्यक्रम भी प्रारंभ किया था। वृक्षों की कटाई रोकने के लिए कानून भी बनाए गए हैं। इस दिशा में अनेक सामज-सेवी संगठन भी सक्रिय हैं। चिपको आंदोलन इस ओर प्रशंसनीय कार्य करा रहा है।

प्रश्न – ४: सन्तुलित उत्तर दो :

(क) वृक्ष हमारे लिए क्यों उपयोगी है? वर्णन करो। 

उत्तर : वृक्षों के बिना यह संसार एक प्राणीहीन संसार ही रहेगा। वृक्ष हमें “ऑक्सीजन” देती है जो मानव जाति के लिए अत्यावश्यक है। “ऑक्सीजन के बिना कोई भी प्राणी का जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता। वृक्ष हमें तरह-तरह का फल देता है। विभिन्न प्रकार का फूल देता है। वृक्षों ने मानव सभ्यता और मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है। वृक्ष हमारे परम हितैषी, निस्वार्थ सहायक एवं अभिन्न मित्र हैं। इसलिए वृक्ष हमारे लिए उपयोगी है।

(ख) वृक्षारोपण आज मानव जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता क्यों बन पड़ा है ?

उत्तर : वृक्षों की उपयोगिता को देखते हुए आज समूच विश्व में वृक्षारोपण के महत्व को स्वीकारा गया है। आज पर्यावरण के प्रदूषण की चर्चा चारों ओर सुनी जा रही है। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संतुलन छिन्न-भिन्न हो गया है तथा अनेक है प्रकार की समस्याओं का विस्तार हो गया है। बढ़ती हुई जनसंख्या बढ़ते हुए उद्योगों आदि की आवश्यकता की पूर्ति के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। परिणामस्वरूप वातावरण में शुद्ध वायु का नितांत अभाव होता जा रहा है। वृक्षों के कटाई से ही मिट्टी का कटाव, भूक्षरण, भुस्खलन, बाढ़, सुखा, भूकंप, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, प्रशु-पक्षियों का विलुप्ति होती जा रही हैं। इसलिए आज वृक्षरोपण मानव जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है।

(ग) प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संतुलन किस तरह बिगड़ गया है ? 

उत्तर : आज नगरों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलता घुआँ वातावरण को अत्यधिक प्रदूषित कर रहा है। शहरों में वाहनों की निरंतर बढ़ती संख्या तथा उनसे निकलने वाले धुएँ से अशुद्ध वायु में साँस लेना दूभर हो गया है जिसके कारण तरह-तरह के विमारीयाँ फैल रही है जैसे-खाँसो, दमा, कैंसर इन प्राण-धातक रोगों में वृद्धि हो रही है। इस तरह प्रदूषण के कारण ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है।

प्रश्न – ५ : आशय स्पष्ट करो :

(क) ‘एक वृक्ष दस पुत्र सम’। 

उत्तर : वृक्षों की उपयोगिता को हमारे ऋषि-मुनियों ने पहचाना। हमारी संस्कृति में वृक्षरोपण एक पवित्र कार्य माना जाता है। हमारे यहाँ तो पीपल, तुलसी, बरगद, केला, आम आदि वृक्षों की पूजा भी की जाती है। हमारे यहाँ कहा जाता था “एक वृक्ष लगाने से उतना ही पूण्य मिलता है जिनता दस गुणवान पुत्रों का यश l”

(ख) पेड़-पौधे मानव जीवन की संजीवनी हैं।

उत्तर : वातावरण के प्रदूषित होने के कारण अनेक प्रकार के विमारी को रोकने के लिए पेड़-पौधे लगाना अत्यावश्यक है। पेड़-पौधे की कटाई तथा नए वृक्ष न लगाने के कारण रेगिस्तान की वृद्धि होती जा रही है। अतिवृष्टि से बाढ़ और अनावृष्टि से अकाल पड़ रहा है। पेड़ न होने से मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। वृक्ष न होने पर प्राणी मात्र का स्वाँस प्रस्वाँस रूक सकता है। इन सबके लिए वृक्षरोपण मानव जीवन के लिए संजीवनी बुटी का काम कर सकता है। 

प्रश्न – ६ : एक शब्द में प्रकट करो :

(क) जो स्वंय पैदा हुआ होस्वयंभु
(ख) साधु स्वभाव की स्त्रीसाध्वी
(ग) धर्म से डरनेवालाधर्मभीत
(घ) जो पाने योग्य होप्राप्य
(ङ) पृथ्विी से सम्बन्ध रखनेवालापार्थिव
(च) जो कम बोलता हैमितभाषी
(छ) विष्णु का उपासकवैष्णव
(ज) शिव का उपासकशैव
(झ) शक्ति का उपासकशाक्त
(ञ) कहानी लिखने वालाकहानीकार

प्रश्न – ७ वाक्य बनाओ : (मुहावरों से)

ईद का चाँद होना, उल्लू बनाना, कलई खुलना, किताबी कीड़ा, गुड़ गोबर करना, घुटने टेकना, चंपत होना, चार-चाँद लगाना, चिकना घड़ा, छक्के छूटना। 

उत्तर : ईद का चाँद होना : क्यों मोहन! तुम तो ईद के चाँद हो गये हो। 

उल्लू बनाना : मुझे क्यों उल्लु बना रहे हो, मेरे काम तो कर दो। 

कलई खुलना : कलई खुलने वाला काम ही क्यों करते हो। 

किताबी कीड़ा : अजय तो किताबी कीड़ा है। 

गुड़ गोबर करना : अब्दुल परीक्षा में गुड़ गोबर कर दिया।

घुटने टेकना : पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना के पास घुटने टेक दिया।

चंपत होना : चोर-चोरी करके चंपत हो गया। 

चार-चाँद लगाना : रविन्द्र मैट्रिक परीक्षा में ९६% नम्बर लाकर चार चाँद लगा दिया।

चिकना घड़ा : सब जानते हैं तुम कितने चिकने घड़े हो।

छक्के छूटना : भारत ने इंगलैण्ड को क्रिकेट मैच में छक्के छुड़ा दिए।

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