NIOS Class 10 Hindi Chapter 7 आज़ादी

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 7 आज़ादी

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Chapter: 7

पाठगत प्रश्न -7.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. ‘नन्हें-से बछड़े द्वारा उछल-कूद मचाना’ से कवि का क्या आशय है?

(क) भयभीत होकर जीना।

(ख) उन्मुक्त और उच्छृंखल होना।

(ग) इच्छित को प्राप्त करना।

(ग) दिशाज्ञान प्राप्त करना।

उत्तर: (ख) उन्मुक्त और उच्छृंखल होना।

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2. अंधकार से प्रकाश की ओर उन्मुख होने का आशय है-

(क) बंधन से छुटकारा पाना।

(ख) अज्ञान से ज्ञान की ओर जाना।

(ग) अँधेरे में दीपक जलाना।

(घ) सूर्योदय की दिशा में जाना।

उत्तर: (ख) अज्ञान से ज्ञान की ओर जाना।

3. निम्नलिखित शब्दों में से किस शब्द में ‘ई’ प्रत्यय नहीं है।

(क) ज्ञानी।

(ख) दानी।

(ग) पानी।

(घ) भानो।

उत्तर: (ग) पानी।

4. आजादी का मतलब है-

(क) कुछ भी करने की छूट।

(ख) अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति।

(ग) उच्छृंखलता और स्वच्छंदता।

(घ) कर्म से मुक्ति।

उत्तर: (ख) अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति।

5. आजादी किसके लिए क्या है एक रेखा खींचकर मिलान कीजिए:

भयभीतज्ञान
जीवनतीर
शिकारीबिस्तर
तनहाईबलिदान
अज्ञानीपनाह
थका-माँदामहफिल

उत्तर: 

भयभीतपनाह
जीवनबलिदान
शिकारीतीर
तनहाईमहफिल
अज्ञानीज्ञान
थका-माँदाबिस्तर
पाठगत प्रश्न – 7.2

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. ‘जो कपड़े नहीं सिएगा’ पंक्ति किसकी ओर संकेत करती है:

(क) दर्जी के शागिर्द की ओर।

(ख) कर्तव्य पालन करने वाले की ओर।

(ग) फटे-पुराने कपड़े सीने वाले की ओर।

(घ) मस्ती में जीने वाले की ओर।

उत्तर: (क) दर्जी के शागिर्द की ओर।

2. दर्जी एक प्रकार का व्यवसाय है। नीचे दिए शब्दों में कौन-सा व्यवसाय नहीं है?

(क) बढ़ईगिरी।

(ख) डॉक्टरी।

(ग) कारीगरी।

(घ) राजगिरी।

उत्तर: (ग) कारीगरी।

3. दर्जी के अनुसार आज़ादी को भोगने का अधिकार किसे होना चाहिए?

(क) जो निरंतर कर्म करता है।

(ख) जो देश का नागरिक है।

(ग) जो देश से प्रेम करता है।

(घ) जो सरकार की नौकरी करता है।

उत्तर: (क) जो निरंतर कर्म करता है।

4 निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और प्रत्यय छाँटिए: 

अनंत, गतिमान, शिकारी, अज्ञानी, चमकीली, बोनेवाला।

उत्तर: (i) अनंत – ‘अन्’ उपसर्ग।

(ii) गतिमान – ‘मान’ प्रत्यय।

(iii) शिकारी – ‘ई’ प्रत्यय।

(iv) चमकीली – ‘ईला’ और ‘ई’ प्रत्यय (चमक चमकीला चमकीली)

(v) बोनेवाला – ‘वाला’ प्रत्यय।

पाठांत प्रश्न

1. शागिर्द ने अपने सवाल ‘आजादी क्या होती है’ के दौरान् कुछ जिज्ञासाएँ व्यक्त की थीं। क्या उन जिज्ञासाओं के साथ आप कुछ और जिज्ञासाएँ जोड़ सकते हैं? यदि हाँ, तो लिखिए।

उत्तर: जिज्ञासाओं के साथ आप कुछ और जिज्ञासाएँ है– 

अपने मन से कोई भी विषय निर्धारण करना।

जब मन चाहे कक्षा छोड़कर खेलने चले जाना।

पिता के पर्स से पैसे निकाल लेना।

स्कूल ना जाकर घर पर पढ़ना।

किसी और की जमीन को अपनी जमीन के अनुसार इस्तेमाल करना।

2. क्या आजादी का संबंध कर्म से है? कैसे? समझाकर लिखिए।

उत्तर: आजादी और कर्म का संबंध एक गहरे और प्रभावशाली विचार है। आजादी का अर्थ होता है स्वतंत्रता और स्वाधीनता, जो व्यक्ति के अधिकार और स्वतंत्रता की अवधारणा से जुड़ा हुआ है। कर्म यानी कि हमारे किए गए कार्य और निर्णय जीवन में हमारी स्थिति और अनुभवों को निर्मित करते हैं।

आजादी का संबंध कर्म से इसलिए है क्योंकि हमारे कर्म ही हमारे भविष्य को निर्माण करते हैं। जब हम उच्च स्तर पर कर्म करते हैं, तो हमारी दृष्टि, सोच, और कार्यशैली में सुधार होती है, जिससे हमारी स्वाधीनता और स्वतंत्रता की अनुभूति होती है। अच्छे कर्मों से हमारे जीवन में समर्थन, स्थिरता और स्वतंत्रता का अनुभव होता है।

कर्म न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्तर पर भी अहम भूमिका निभाते हैं। समाज के उन व्यक्तियों और समूहों के लिए आजादी का माध्यम बनते हैं जो अपने कर्मों के माध्यम से समाज में प्रभाव डालते हैं और अपने अधिकारों का समर्थन करते हैं।

कर्म ही आज़ादी है और पारिश्रमिक का उचित फल प्राप्त होना ही आज़ादी है। इस प्रकार आज़ादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्त्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा । यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है।

3. आपकी दृष्टि में आजादी का सही अधिकारी कौन है और क्यों?

उत्तर: भारत हर साल 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। यह दिन जहां हमारे आजाद होने की खुशी लेकर आता है वहीं इसमें भारत के खण्ड-खण्ड होने का दर्द भी छिपा होता है। वक्त के गुजरे पन्नों में भारत से ज्यादा गौरवशाली इतिहास किसी भी देश का नहीं हुआ, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप से ज्यादा सांस्कृतिक राजनीतिक सामरिक और आर्थिक हमले भी इतिहास में शायद किसी देश पर नहीं हुए और कदाचित किसी देश के इतिहास के साथ इतना अन्याय भी कहीं नहीं हुआ। हम गुलाम हैं हर उस सोच के जो हमारे समाज को तोड़ती है और हमें एक नहीं होने देती।

हम आज भी गुलाम हैं अपने निज स्वार्थों के जो देश हित से पहले आते हैं। अगर हमें वाकई में आजादी चाहिए तो सबसे पहले अपनी उस सोच अपने अहम से हमें आजाद होना होगा, जो हमें अपनी पहचान ‘केवल भारतीय’ होने से रोक देती है। वो देश जिसे इतिहास में ‘विश्व गुरु’ के नाम से जाना जाता हो, उस देश के प्रधानमंत्री को आज ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत करनी पड़ रही है। ‘सोने की चिड़िया’ जैसा नाम जिस देश को कभी दिया गया हो, उसका स्थान आज विश्व के विकासशील देशों में है। शायद हमारा वैभव और हमारी समृद्धि की कीर्ति ही हमारे पतन का कारण भी बनी। भारत के ज्ञान और सम्पदा के चुम्बकीय आकर्षण से विदेशी आक्रमणता लूट के इरादे से इस ओर आकर्षित हुए। वे आते गए और हमें लूटते गए। हर आक्रमण के साथ चेहरे बदलते गए लेकिन उनके इरादे वो ही रह, वो मुठ्ठीभर होते हुए भी हम पर हावी होते गए हम वीर होते हुए भी पराजित होते गए क्योंकि हम युद्ध कौशल से जीतने की कोशिश करते रहे और वे जयचंदों के छल से हम पर विजय प्राप्त करते रहे।

4. अपनी आजादी को लेकर आप भी परिवार में कई बार तनावग्रस्त हुए होंगे। आप तनावमुक्त कैसे हुए, उसका उल्लेख कीजिए।

उत्तर: मैंने ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है जहाँ मुझे अपने परिवार में घुटन और प्रतिबंध महसूस हुआ, जिससे निराशा और तनाव की भावनाएँ पैदा हुईं। इससे उबरने के लिए, मैंने स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अपनी भावना को पुनः प्राप्त करने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाईं।

5. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।

पर जो कपड़े नहीं सिएगा 

सपने भी नहीं देख सकेगा 

सुई की चमकीली नोंक पर 

टिकी है आजादी।

उत्तर: जो परिश्रम करेगा उसी के सपने पूरे होंगे। सुई की चमकदार नोंक पर आज़ादी टिकी हुई है अर्थात् कर्म करते रहने में ही आज़ादी है। कपड़े सिए जायेंगे, सुई चलती रहेगी यानी कर्म जारी रहेगा, तो आज़ादी बनी रहेगी। आज़ादी को बनाए रखने के लिए कर्म का सर्वाधिक महत्त्व है।

6. अपने परिवेश से उदाहरण देते हुए ज्ञान, कर्म और बलिदान के पारस्परिक संबंध को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: 

ज्ञानकर्मबलिदान
ज्ञान एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवधारणा है क्योंकि यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा डेटा उपयोगी जानकारी में बदल जाता हैकर्म, कार्य-कारण के सिद्धांत की व्याख्या करता है, जहां पिछले हितकर कार्यों का हितकर और हानिकर कार्यों का हानिकर प्रभाव प्राप्त होता हैबलिदान ईश्वर को समर्पण के रूप में सामग्री संपत्तियों या पशुओं या मानवों की जिंदगी की प्राणविधान होती है, जो उपासना या प्रशंसा के एक क्रिया के रूप में किया जाता है।
ज्ञान को व्यक्तियों और समाजों के लिए एक मूल्यवान संपत्ति माना जा सकता है। यह व्यक्तियों को सूचित निर्णय लेने, जटिल अवधारणाओं को समझने और समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाता है।यह किसी व्यक्ति के वर्तमान और पिछले जीवन में किए गए सभी कार्यों के परिणामों और नैतिकता में कारण और प्रभाव की श्रृंखला को भी दर्शाता हैप्रामाणिकता का सबूत उस समय से देखा गया है कम से कम प्राचीन इब्रानी और यूनानियों में धार्मिक पशु बलिदान का भी हो सकता है।
ज्ञान का उद्देश्य है लोक कल्याण के महान दायित्व को पूरा करने के लिए आवश्यक सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण और विकास ।अच्छे कर्म वो होते हैं जिनको करने के बाद आपको न तो भय लगता है और रात को चैन और आनंद की नींद आती है.मानव बलिदान की भी मेसोएमेरिका के पूर्व कोलंबियन सभ्यताओं में उपलब्ध हो सकती है।

7. ‘बलिदानी को जीवन’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: बलिदानी को जीवन से आशय उन बलिदान करने वाले लोगों से है जो कभी मरते नहीं, वे सदैव जीवित रहते हैं, वे दूसरों को जीवन देते हैं और उनके द्वारा निरंतर याद किए जाते हैं।बलिदान में जो हमेशा अर्पित किया जाता है, वह किसी न किसी रूप में जीवन ही होता है। बलिदान जीवन का उत्सव है, इसकी दिव्य और अविनाशी प्रकृति की मान्यता है। बलिदान में एक भेंट का पवित्र जीवन एक पवित्र शक्ति के रूप में मुक्त होता है जो बलिदानकर्ता और पवित्र शक्ति के बीच एक बंधन स्थापित करता है। किसी व्यक्ति या समूह ने अपने जीवन को समर्पित कर दिया है उनके देश, समाज या मूल्यों के लिए। यह उन लोगों की महानता और निःस्वार्थता को दर्शाता है जो अपनी प्राथमिकताओं को दूसरों के हित में रखते हैं।

8. शागिर्द ने सुई में धागा पिरोने का निर्णय क्यों ले लिया?

उत्तर: शागिर्द उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर उसकी परेशानियाँ दूर हुई। वह भी सुई में धागा पिरोने लगा गया और उस्ताद के मुख से आजादी के मायने सुनकर और उनको कर्मरत देखकर उसकी सभी परेशानियां दूर हो गई। उसकी समझ में आ गया कि आजादी को जीवित रखने के लिए कर्म अति आवश्यक है और उसने पुनः कर्मरत होने का निर्णय ले लिया।

9. निम्नलिखित कविता को ध्यान से पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

हम पंछी उन्मुक्त गगन के 

पिंजरबद्ध न गा पाएँगे 

कनक तीलियों से टकराकर 

पुलकित पंख टूट जाएँगे !

स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में 

अपनी गति उड़ान सब भूले 

बस सपने में देख रहे हैं 

तरु की फुनगी पर के झूले।

1. पंछी पिंजरबद्ध होकर क्यों नहीं गा पाते?

उत्तर: पंछी पिंजरबद्ध होकर भी गाने में स्वतंत्रता नहीं महसूस कर सकते। उन्हें अपनी गति और उड़ान की स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है, जो कि पिंजरे में बंधन बना लेती है।

2. पंछी पंख टूटने की आशंका क्यों जताता है?

उत्तर: पंछी पंख टूटने की आशंका इसलिए जताता है क्योंकि वे स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति और उड़ान सब भूल जाते हैं, जो कि उनकी प्राकृतिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करता है।

3. पंछी सपने में क्या देखता है?

उत्तर: पंछी सपने में यह देखता है की तरु की फुनगी पर के झूलने की दृश्य को देख रहा है। यह उनकी आकांक्षा और स्वतंत्रता की प्रतीक है, जिसमें वे अपनी स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने की उम्मीद रखते हैं।

4. इन पंक्तियों का कोई उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

उत्तर: इन पंक्तियों का उपयुक्त शीर्षक शीर्षक यह है कि “पंछी की आवाज़: बंधन से मुक्ति की आकांक्षा”

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