NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार-लेखन

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 11 सार-लेखन

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Chapter: 11

पाठगत प्रश्न – 11.1

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए: 

लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना रखा है। वे उसकी आड़ में स्वार्थ सिद्ध करते हैं। बात यह है कि लोग धर्म को छोड़कर संप्रदाय के जाल में फॅसे हैं। संप्रदाय बाह्य कृत्यों पर जोर देते हैं। वे चिह्नों को अपनाकर धर्म के सार-तत्त्व को मसल देते हैं। धर्म मनुष्य को आत्म साक्षात्कार कराता है, उसके हृदय के किवाड़ों को खोलता है, उसकी आत्मा को विशाल, मन को उदार तथा चरित्र को उन्नत बनाता है। संप्रदाय संकीर्णता सिखाते हैं। ये हमें जात-पाँत, रूप-रंग तथा ऊँच-नीच के भेद-भावों से ऊपर नहीं उठने देते।

अब निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) इस गद्यांश का मूल भाव क्या है? सही उत्तर पर (✔) तथा गलत पर (x) का निशान लगाइए:

(i) धर्म की व्याख्या करना।

उत्तर: गलत।

(ii) संप्रदाय की व्याख्या करना।

उत्तर: गलत।

(iii) धर्म और संप्रदाय का अंतर स्पष्ट करना।

उत्तर: सही।

(iv) धर्म और संप्रदाय दोनों को एक बताना।

उत्तर: गलत।

(v) धर्म से संप्रदाय को श्रेष्ठ सिद्ध करना।

उत्तर: गलत।

(vi) संप्रदाय से धर्म को अच्छा बताना।

उत्तर: सही।

(ख) जिन वाक्यों में व्याख्या है, उनके आगे (✔) का निशान लगाइए:

(i) लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना रखा है।

उत्तर: गलत।

(ii) संप्रदाय बाह्य कृत्यों पर जोर देते हैं और धर्म मनुष्य को आत्म- साक्षात्कार कराता है।

उत्तर: सही।

(iii) बात यह है कि लोग धर्म को छोडकर संप्रदाय के जाल में फँस रहे हैं।

उत्तर: गलत।

(iv) वे धर्म के सार-तत्त्व को मसल देते हैं।

उत्तर: गलत।

(ग) जिन वाक्यों में भाव को दोहराया गया है, उनके आगे (x) का निशान लगाइए:

(i) धर्म की आड़ में लोग स्वार्थ सिदध करते हैं।

उत्तर: गलत।

(ii) लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना दिया है।

उत्तर: गलत।

(iii) धर्म मनुष्य को आत्म-साक्षात्कार कराता है, उसके चरित्र को उन्नत करता है।

उत्तर: गलत।

पाठांत प्रश्न

निम्नलिखित अंशों का सार-लेखन एक तिहाई शब्दों में कीजिए।

1. सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का हाथ रहता है। धर्म ने मनुष्य के मन में सुधार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है। धर्म हमारे मन को बल देता है और सत्य, अहिंसा, परोपकार, संयम आदि सभी अच्छे गुण धर्म के कारण हैं। धर्म हृदय में पैदा होता है। विज्ञान प्रकृति को जीतता है जबकि धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है। इसीलिए यदि धर्म और विज्ञान मिलकर काम करें, तो वह दिन दूर नहीं, जब हम केवल राज्यों और देशों से अपने को जोड़ने की संकुचित प्रवृत्ति को छोड़ देंगे और समस्त संसार को अपना समझने लगेगे।

उत्तर: धर्म और विज्ञान दोनों ही मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धर्म मनुष्य के मन में सुधार लाता है और उसे सत्य, अहिंसा, परोपकार और संयम जैसे नैतिक गुणों को विकसित करने में मदद करता है। धर्म हृदय में उत्पन्न होता है और मनुष्य की आत्मा को संतुष्ट, स्थिर और संतुलित बनाता है। विज्ञान विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक शक्तियों को जानने और उन्हें नियंत्रित करने में सक्षम होता है। यदि धर्म और विज्ञान साथ मिलकर काम करें, तो उनका संयोजन एक समृद्ध और सशक्त भविष्य की ओर बढ़ा सकता है।

2. आज की भारतीय शिक्षित नारी को अच्छी गृहिणी के रूप में न देख पाना पुरुषों की एकांगी दृष्टि का परिणाम है। विवाह के बाद उसकी बदली हुई मनःस्थिति तथा परिस्थितियों की कठिनाइयों पर ध्यान नहीं दिया जाता। उसकी रुचियों और भावनाओं की उपेक्षा की जाती है। पुरुष यदि अपने सुख के लिए पत्नी के सुख का ध्यान रखे, तो वह अच्छी गृहिणी हो सकती है। पत्नी और पति का कर्त्तव्य है कि वे एक दूसरे के कार्य में हाथ बटाएँ और एक-दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और रुचियों का ध्यान रखें। आखिर नारी भी तो मनुष्य है। उसकी अपनी जरूरतें भी हैं और वह भी परिवार में, पड़ोस में तथा समाज में सम्मान पाना चाहती है। यदि नारी त्याग की मूर्ति है, तो पुरुष को बलिदानी होना चाहिए।

उत्तर: पुरुषों के सीमित विचार शिक्षित भारतीय महिलाओं को अच्छी गृहिणी के रूप में देखे जाने से रोकते हैं। शादी के बाद महिलाओं की बदलती मानसिक स्थिति और कठिनाइयों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और उनकी रुचियों और भावनाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पति-पत्नी के बीच आपसी समझ और सहयोग एक महिला को बेहतर गृहिणी बना सकता है।”

3. जो राष्ट्र अपनी मानसिक संपत्ति की उचित रक्षा करता है तथा उसे उन्नत बनाने के लिए प्रयत्न करता है. केवल वही राष्ट्र मान, उत्साह तथा स्वतंत्रता के साथ इस संसार में जीवित रह सकता है। राष्ट्र के बालक-बालिकाएँ राष्ट्र की मानसिक और नैतिक संपत्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्ति से अधिक मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण हैं। जो राष्ट्र इस धन की उचित रक्षा और उन्नति नहीं करता, वह उन्नति के पथ से हट कर अवनति के गड्‌ढे की ओर फिसलने लगता है।

उत्तर: राष्ट्र और उसकी मानसिक संपत्ति के बीच संबंध को दर्शाता है। शिक्षा, नैतिकता, रचनात्मकता, नवीनता – ये सभी मानसिक संपत्ति राष्ट्र की दीर्घकालिक प्रगति और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं।

4. निम्नलिखित पत्रों के कथ्य को सार के रूप में लिखिए:

(क)

सं. 102/न-3/8-03

दिनांक: 18 अगस्त, 2011

प्रेषक:

जिलाधिकारी

देहरादून

सेवा में, अवर सचिव ग्राम पंचायत विभाग उत्तराखंड सरकार

देहरादून

विषय: ग्राम पंचायत कार्यालय के कर्मचारियों के लिए पर्वतीय भत्ते की स्वीकृति के संबंध में।

महोदय,

इस जिले के लिए स्वीकृत वर्ष 2010-11 के बजट में पर्वतीय भत्ते के लिए प्रावधान नहीं रखा गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में अन्य स्थानों की अपेक्षा महँगाई अधिक है। इसी वजह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कार्यरत समस्त सरकारी कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ता दिया जाता है। पर्वतीय भत्ता देने का प्रावधान इस जिले पर भी लागू होता है। इस संबंध में सरकार से अनुरोध है कि वर्ष 2010-11 के बजट में ग्राम पंचायत कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ते का भुगतान करने हेतु इस मद में रु. 15.00.000/- (रुपए पंद्रह लाख मात्र) की व्यवस्था की जाए और पिछले साल खर्च हुई राशि के लिए कार्य हो जाने के पश्चात् मंजूरी प्रदान की जाए।

उत्तर: सं. 102/न-3/8-03

दिनांक: 18 अगस्त, 2011

प्रेषक:

जिलाधिकारी

देहरादून

सेवा में, अवर सचिव ग्राम पंचायत विभाग उत्तराखंड सरकार

देहरादून

विषय: ग्राम पंचायत कार्यालय के कर्मचारियों के लिए पर्वतीय भत्ते की स्वीकृति के संबंध में।

मोहोदय,

पहाड़ी क्षेत्रों में रहने की उच्च लागत के बावजूद, 2010-11 के बजट में पहाड़ी भत्ते के लिए प्रावधान शामिल नहीं है। अतः अनुरोध है कि रु. ग्राम पंचायत कर्मचारियों के पर्वतीय भत्ते के भुगतान के लिए 15,00,000 आवंटित किए जाएंगे और कार्य पूरा होने के बाद पिछले वर्ष के व्यय के लिए मंजूरी दी जाएगी।

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