NCERT Class 9 Hindi Chapter 20 हामिद खाँ

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NCERT Class 9 Hindi Chapter 20 हामिद खाँ

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हामिद खाँ

Chapter: 20

संचयन भाग – 1 (पूरक पाठ्यपुस्तक)

बोध-प्रश्न

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ? 

उत्तर: लेखक तक्षशिला में पौराणिक खंडहर देखने गया था। वहाँ कड़कड़ाती धूप पड़ रही थी। लेखक का भूख-प्यास के मारे बुरा हाल था। वह कुछ खाने की तलाश में रेलवे स्टेशन में करीब पौन मील दूर बसे एक गाँव की ओर निकल पड़ा। वहाँ तंग गलियों से भरा बाजार था। उसी बाजार में हामिद खाँ की दुकान थी। उसकी दुकान पर चपातियाँ सेंकी जा रही थीं। लेखक भूखा था, अतः वह खाना खाना चाहता था। यहीं उसकी भेंट हामिद खाँ से हुई। बातचीत में दोनों का आपस में परिचय हुआ।

प्रश्न 2. ‘काश! मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।- हामिद ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर: जब लेखक ने हामिद को यह बताया कि उसके शहर में मालाबार में हिंदू-मुसलमानों में कोई फर्क नहीं है। वहाँ के हिंदू बढ़िया खाने के लिए मुसलमानी होटलों में जाते हैं। वहाँ सब आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया, वह उसी के राज्य में है और वह स्थान है-कोडुंगल्लूर। वहाँ हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं। तब इन बातों पर हामिद को सहसा विश्वास नहीं हुआ। वह ऐसी अच्छी जगह को स्वयं अपनी आँखों से देखना चाहता था और सच्चाई की तसल्ली कर लेना चाहता था।

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प्रश्न 3. हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?

उत्तर: हामिद को लेखक की निम्नलिखित बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था:

1. हिन्दुस्तान में कोई ऐसी जगह भी है जहाँ हिन्दू-मुसलमानों में फर्क नहीं किया जाता।

2. उसे इस बात पर भी विश्वास नहीं हो रहा था कि वहाँ हिन्दू बढ़िया खाने के लिए मुसलमानी होटल में जाते हैं।

3. वहाँ हिन्दू-मुसलमान दंगे न के बराबर होते हैं।

प्रश्न 4, हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?

उत्तर: हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने इंकार इसलिए किया क्योंकि उसने आने वाले हिंदू को अपना मेहमान माना। यह उसके लिए गर्व की बात थी कि एक हिंदू ने उसके मुसलमानी होटल पर खाना खाया। वह आगंतुक के शहर की हिन्दू-मुसलमान एकता का भी कायल हो गया था।

प्रश्न 5. मालाबार में हिन्दू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: मालाबार में हिन्दू-मुसलमान परस्पर मिल-जुलकर रहते हैं। वहाँ दोनों धर्मों के लोगों में कोई फर्क नहीं किया जाता। वहाँ के हिन्दू बढ़िया पुलाव खाने और बढ़िया चाय पीने के लिए बेखटके मुसलमानी होटल में चले जाते हैं। वहाँ सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। वहाँ हिन्दू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं। वहाँ आपसी मेल-जोल का वातावरण है।

प्रश्न 6. तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इसमें लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है?

उत्तर: तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में यह विचार कौंधा कि उसका हामिद खाँ सुरक्षित रहे। उसने भगवान से विनती की “हे भगवान! मेरे हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना।”

इससे लेखक के स्वभाव की इस विशेषता का पता चलता है कि वह दूसरे धर्म के लोगों का भी हितचिंतक है। वह धार्मिक सद्भाव में विश्वास करता है। वह हिन्दू मुसलमान में कोई फर्क नहीं करता। वह एक अच्छा इंसान है।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. चारपाई पर बैठा व्यक्ति कौन था? वह किस स्थिति में था?

उत्तर: चारपाई पर बैठा व्यक्ति हामिद खाँ के अब्बा थे। वे एक कोने में खाट पर बैठे थे। वे दढ़ियल बुड्ढे थे। उन्होंने एक गंदे तकिए पर कोहनी टिका रखी थी तथा वे हुक्का पी रहे थे। वे दीन-दुनिया से बेखबर थे।

प्रश्न 2. लेखक को हामिद खाँ के यहाँ क्या खाने को मिला?

उत्तर: लेखक को एक थाली में चावल परोसे गए। हामिद खाँ ने थाली में तीन-चार चपातियाँ रख दीं और एक लोहे की तश्तरी में सालन परोसा। एक छोकरा साफ पानी से भरा एक कटोरा मेज पर रखकर चला गया। लेखक ने बड़े चाव से भरपेट खाना खाया।

प्रश्न 3. ‘हामिद खाँ’ कहानी से क्या संदेश मिलता है?

उत्तर: इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि धार्मिक सद्भाव बनाए रखना चाहिए। हिन्दू-मुसलमान में कोई अंतर नहीं है। उन्हें आपस में मिल-जुलकर रहना चाहिए।

प्रश्न 4. तक्षशिला में दंगे की खबर सुनकर लेखक की प्रतिक्रिया क्या थी?

उत्तर: तक्षशिला में दंगे की खबर सुनकर लेखक ने यह प्रतिक्रिया जताई-” हे भगवान! मेरे हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना। “

प्रश्न 5. लेखक ने हामिद खाँ को अपने देश के बारे में गर्व से क्या बताया?

उत्तर: मालाबार में हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं। वहाँ धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होता। परिणामस्वरूप दंगे नहीं के बराबर ही होते हैं। हिंदुओं को जब बढ़िया चाय या पुलाव खाना होता है तो वे बिना हिचकिचाहट के मुसलमानों के होटल में चले जाते हैं। स्वयं लेखक भी मालाबार क्षेत्र के सांप्रदायिक सद्भाव पर न केवल गर्व करते हैं, बल्कि बाहर जाने पर उसकी चर्चा भी करते हैं। भारत में मालाबार हिंदू-मुसलमानों में एकता का अनूठा स्थान है।

प्रश्न 6. लेखक तक्षशिला क्यों गया था? वहाँ उसने क्या दृश्य देखा?

उत्तर: लेखक तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वहाँ कड़कड़ाती धूप पड़ रही थी। इस धूप में वह भूख-प्यास से बेहाल हो गया। वह रेलवे स्टेशन से करीब पौन मील दूर बसे एक गाँव में जा पहुँचा। वहाँ उसने देखा कि हाथ की रेखाओं की तरह गलियाँ फैली हुई हैं। बाजार तंग है। चारों ओर गंदगी थी। वहाँ धुआँ और मच्छर थे। कहीं-कहीं तो सड़े चमड़े की बदबू आ रही थी। लेखक ने गाँव का चारों ओर चक्कर लगा लिया, पर कहीं कोई होटल नजर नहीं आया। तब उसके मन में विचार आया कि भला इस गाँव में होटल की जरूरत ही क्या होगी? अचानक उसकी निगाह एक दुकान पर पड़ी। वहाँ चपातियाँ सेंकी जा रही थीं। उसने जान लिया कि यहाँ उसकी भूख का उपाय हो सकता है। वह मुस्कराते हुए दुकान में घुस गया। वहाँ एक अधेड़ पठान अँगीठी के पास सिर झुकाए चपातियाँ बना रहा था। एक खाट पर एक दढ़ियल बुड्ढा कोहनी टिकाए हुक्का पी रहा था।

प्रश्न 7. लेखक ने मालाबार के बारे में क्या बताया और उस पर हामिद खाँ ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?

उत्तर: लेखक ने मालाबार के बारे में यह बताया कि वहाँ हिंदू-मुसलमान आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। उनमें कोई फर्क नहीं है। हिंदू प्रायः अच्छे खाने के लिए मुसलमानी होटल में जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमानों में दंगे प्रायः नहीं के बराबर होते हैं।

लेखक की इन अच्छी बातों पर हामिद खाँ को सहज विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि उसके यहाँ तक्षशिला में ऐसा अच्छा वातावरण नहीं था। वहाँ के हिंदू मुसलमान के हाथ का बना खाना नहीं खाते थे। वहाँ के हिंदू लेखक द्वारा कही गई बातों को फ के साथ नहीं कह सकते थे। तक्षशिला में मुसलमानों को अपनी आन के लिए लड़ना पड़ता है।

प्रश्न 8. ‘हामिद खाँ’ कहानी को पढ़कर आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: ‘हामिद खाँ’ कहानी को पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि धर्म के आधार पर भेदभाव करना बिल्कुल गलत है। हिंदू-मुसलमान सभी उस ईश्वर की संतान हैं। धर्म के नाम पर मारकाट बचाना तथा एक-दूसरे को नीचा दिखाना गलत है। सभी इंसान बराबर हैं। सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। जिस प्रकार मालाबार में हिंदू-मुसलमान आपस में मिल-जुलकर रहते हैं, उसी प्रकार सभी जगह रहना चाहिए। हमें धार्मिक सद्भाव उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 9. तक्षशिला के होटल मालिक द्वारा लेखक से खाने के पैसे न लेना, आपको कैसा लगा? अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर: जब लेखक ने खाने के पैसे होटल मालिक को देने चाहे तब उसने मना करते हुए कहा- ” भाईजान, माफ कीजिएगा। पैसा नहीं लूँगा, आप मेरे मेहमान हैं।” उसने यह भी कहा- “मैं चाहता हूँ कि ये पैसे आपके हाथों में ही रहें। आप जब अपने यहाँ पहुँचे तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें।”

हमको होटल वाले की यह बात बहुत अच्छी लगी। उसकी बातों से प्रेम-भाईचारे की सुगंध आ रही थी। वह चाहता था कि हिंदू-मुसलमान आपस में भाईचारे व प्यार से रहें। यह एक अच्छी भावना है। इसकी कद्र की जानी चाहिए।

प्रश्न 10. “हमें अपनी जान बचाने के लिए लड़ना पड़ता है, यही हमारी नियति है।” हामिद खाँ के इस कथन में निहित सच्चाई प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर: जब लेखक ने हामिद को यह बात बताई कि उसके शहर मालाबार में हिन्दू-मुसलमानों में कोई फर्क नहीं किया जाता है। वहाँ हिन्दू-मुसलमानों में दंगे नहीं के बराबर होते हैं, तब हामिद खाँ ने अपने यहाँ (तक्षशिला) के सांप्रदायिक वातावरण के बारे में बताते हुए कहा कि यहाँ हम मुसलमानों को तो अपनी जान बचाने के लिए दूसरे सम्प्रदाय के साथ लड़ना पड़ता है। यह काम हम खुश होकर नहीं करते, अपितु यही हमारी नियति (किस्मत) बन चुका है।

हामिद खाँ के इस कथन में सच्चाई निहित है। अभी भी कुछ साम्प्रदायिक शक्तियाँ हिन्दू-मुसलमानों को लड़ाती रहती हैं। यह बहुत गलत बात है।

प्रश्न 11. हामिद खाँ के चरित्र की दो विशेषताएँ सोदाहरण लिखिए।

उत्तर: हामिद खाँ के चरित्र की दो प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

(क) हिन्दू-मुस्लिम एकता का समर्थक- हामिद खाँ हिन्दू-मुसलमानों की एकता का समर्थक है। जब वह लेखक से मालाबार की साम्प्रदायिक एकता के बारे में सुनता है तो उसे सहज ही विश्वास नहीं होता, पर वह इसे सुनकर खुश होता है।

(ख) अतिथि सत्कार की भावना : हामिद खाँ ने लेखक को खाना बड़ी तबीयत के साथ खिलाया। खाने का पैसा लेने से भी इंकार कर दिया। वह तो इतना चाहता था कि लेखक उसे याद करे।

प्रश्न 12. ‘हामिद खाँ’ पाठ में लेखक तक्षशिला के जिस गाँव में गया था, वहाँ का वातावरण कैसा था?

उत्तर: लेखक तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने गया था। रेलवे स्टेशन से करीब पौन मील दूर बसे एक गाँव में वह जा पहुँचा। वहाँ का तंग बाजार हस्तरेखाओं के समान फैली गलियों से भरा था। वहाँ जगह-जगह धुआँ, मच्छर और गंदगी का वातावरण था। कहीं-कहीं सड़े हुए चमड़े की बदबू आ रही थी।

प्रश्न 13. लेखक को हामिद खाँ की याद कब आ गई और क्यों?

उत्तर: जब लेखक ने समाचार-पत्र में तक्षशिला (पाकिस्तान) में आगजनी की घटना पढ़ी तभी उसे हामिद खाँ की याद आई। उसने भगवान् से विनती की “हे भगवान ! मेरे हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना।”

यह हामिद खाँ वही व्यक्ति था जिसके होटल में तक्षशिला प्रवास के समय खाना खाया था। उसी हामिद खाँ ने उससे खाने के पैसे नहीं लिए थे। पैसे लौटाते हुए उसने कहा था- “मैं चाहता हूँ कि ये पैसे आपके ही हाथों में रहें। आप जब पहुँचे तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें।

हामिद खाँ की इस बात ने लेखक का दिल छू लिया। हामिद खाँ अनजाने में उसका भाई बन गया। वह उसके सुखी जीवन की कामना करने लगा।

प्रश्न 14. हामिद खाँ ने अपने तक्षशिला के बारे में लेखक को क्या बताया?

उत्तर: हामिद खाँ ने लेखक को बताया कि जालिमों की दुनिया में शैतान से लुक-छिपकर चलना पड़ता है। आप किसी पर धौंस जमाकर या मजबूर करके प्यार नहीं ले सकते। आप ईमान से मुहब्बत के नाते मेरे होटल में खाना खाने आए हैं। ऐसी ईमानदारी और मुहब्बत का असर तेरे दिल में क्यों न पड़े? अगर हिंदू और मुसलमान ईमान से आपस में मुहब्बत करते तो कितना अच्छा होता।

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