NCERT Class 9 Hindi Chapter 21 दीये जल उठे

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NCERT Class 9 Hindi Chapter 21 दीये जल उठे

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दीये जल उठे

Chapter: 21

संचयन भाग – 1 (पूरक पाठ्यपुस्तक)

बोध-प्रश्न

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया?

उत्तर: सरदार पटेल की गिरफ्तारी स्थानीय कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर हुई थी। उसने निषेधाज्ञा लागू कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के पीछे वास्तविक कारण यह था कि सरदार पटेल ने पिछले आंदोलन के समय उसे अहमदाबाद से भगा दिया था। वह बदला लेने की ताक में था।

प्रश्न 2. जज को पटेल की सजा सुनाने के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।

उत्तर: सरदार पटेल को गिरफ्तार करके बोरसद की अदालत में लाया गया, जहाँ पटेल ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जज को यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह पटेल को किस धारा के अधीन कितनी सजा दे। उसने कुल आठ लाइन का फैसला लिखा, पर इसे लिखने में उसे डेढ़ घंटा लगा। जज ने 500 रुपए जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल की सजा सुनाई। देर लगने का कारण जज का असमंजस था। नियमानुसार उन पर कोई सजा बनती नहीं थी, पर गिरफ्तारी के कारण और अपराध स्वीकृति के कारण सजा सुनानी जरूरी थी।

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प्रश्न 3. “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धृत पाठ के संदर्भ में कीजिए।

उत्तर: सरदार पटेल को मोटरकार से बोरसद से साबरमती जेल ले जाया जा रहा था। जेल का रास्ता आश्रम के सामने से ही गुजरता था। आश्रमवासी पटेल की एक झलक पाना चाहते थे। वे सड़कों के किनारे आकर खड़े हो गए। पटेल के दबाव के कारण पुलिस को वहाँ मोटर रोकनी पड़ी। वहीं गाँधी जी और पटेल की सड़क पर भेंट हुई। पटेल ने कार में बैठते हुए आश्रमवासियों और गाँधी जी से कहा-“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” अर्थात् मैं तो जेल जा रहा हूँ। मेरे बाद आपको जेल जाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 4. “इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें”- गाँधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

उत्तर: गाँधी जी का रास में भव्य स्वागत हुआ था। इनमें दरबार समुदाय के लोग सबसे आगे थे। वहाँ दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज मौजूद थे। ये दरबार लोग रियासत के मालिक होते थे। उनकी जिंदगी ऐशो-आराम की थी। वे एक प्रकार के राजा थे। ये दरबार सब कुछ छोड़-छाड़कर यहाँ आकर बस गए थे। उनका त्याग एवं हिम्मत सराहनीय थी। गाँधी जी ने इस प्रकार के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए लोगों से कहा था।

प्रश्न 5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि “कैसी भी कठिन परिस्थिति हो, उसका सामना तात्कालिक सूझ-बूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है।” अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: गाँधी जी दांडी कूच पर थे। कनकापुरा से गाँधी जी तथा अन्य सत्याग्रहियों को मही नदी पार करनी थी। ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक भंडार हटाकर नष्ट कर दिये थे। गाँधी जी ने कार्यक्रम में परिवर्तन करके निश्चय किया कि आधी रात के समय समुद्र का पानी चढ़ने पर नदी पार की जाए। आधी रात के समय मही नदी के तट पर घुप्प अंधेरा था पर लोगों की सूझ-बूझ और समझदारी से थोड़ी ही देर में हजारों लोग हाथों में दीये लेकर नदी के तट पर आ गए। अंधेरा मिट गया। नदी तट के दूसरी ओर भी लोग हाथों में दीये लिए हुए खड़े थे। इस प्रकार कठिन परिस्थिति का सामना किया गया । गाँधी जी को रघुनाथ काका ने नाव में बिठाकर नदी पार करा दी।

प्रश्न 6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: महिसागर नदी के दोनों किनारों पर हजारों लोग जमा हो गए थे। उन लोगों के हाथों में जलते हुए दीये थे। पूरा गाँव और आस-पास से आए लोग दीये की रोशनी लिए गाँधी जी और उनके सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहे थे। नदी के दोनों तटों पर लोग एकत्रित थे। चारों ओर ‘महात्मा गाँधी की जय’, ‘सरदार पटेल की जय’ और ‘जवाहरलाल नेहरू की जय’ के नारे गूंज रहे थे।

प्रश्न 7. “यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा।” गाँधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

उत्तर: गाँधी जी को कनकापुरा में भाषण देने के उपरांत मही नदी पार करनी थी। कार्यक्रम में परिवर्तन कर यह निश्चय किया गया कि आधी रात के समय समुद्र का पानी चढ़ने पर नदी को पार किया जाए। रात साढ़े दस बजे भोजन के बाद सत्याग्रही नदी की ओर चले। अंधेरी रात में गाँधी जी को करीब चार किलोमीटर दलदली जमीन पर चलना पड़ रहा था। कुछ लोगों ने गाँधी जी को कंधे पर उठाने की सलाह दी, पर गाँधी जी ने यह कहकर मना कर दिया- “यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूँगा। 

गाँधी जी के इस कथन के द्वारा उनके साहस एवं कष्ट सहिष्णुता के गुण का पता चलता है।

प्रश्न 8. गाँधी जी को समझाने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी जी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

उत्तर: ब्रिटिश हुक्मरानों का एक वर्ग यह मानकर चल रहा था कि गाँधी जी और उनके सत्याग्रही मही नदी के किनारे अचानक नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे, पर वरिष्ठ अधिकारी उनकी इस बात से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि गाँधी जी अचानक और चुपचाप कोई काम नहीं करते। इसके बावजूद वे कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे। अतः एहतियात के तौर पर नदी के तट पर सारे नमक भंडार हटा दिए और उन्हें नष्ट करा दिया ताकि कोई खतरा ही न रहे।

प्रश्न 9. गाँधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

उत्तर: गाँधी जी ने नाव से नदी पार कर ली थी। वे झोंपड़ी में विश्राम करने चले गए। इसके बाद भी लोग तट पर दीये लिए खड़े रहे।

इसका कारण यह था कि अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। उन्हें यह भी पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे और उन्हें नदी पार करनी होगी।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. सरदार पटेल को कहाँ, किसलिए गिरफ्तार किया गया था? उन्हें क्या सजा सुनाई गई?

उत्तर: सरदार पटेल दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में सात मार्च को रास पहुँचे थे। वहाँ लोगों ने उनसे ‘दो शब्द’ कहने का आग्रह किया तो उन्होंने केवल इतना कहा-” भाइयो और बहनो, क्या आप सत्याग्रह के लिए तैयार हैं?” इसी के बाद मजिस्ट्रेट ने निषेधाज्ञा लागू कर दी और सरदार पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया। वैसे उनकी गिरफ्तारी के पीछे कलेक्टर शिलिडी की बदला लेने की भावना थी, क्योंकि पिछले आंदोलन के समय पटेल ने उसे अहमदाबाद से भगा दिया था । सरदार पटेल को पुलिस के पहरे में बोरसद लाया गया। वहाँ उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह पटेल को किस धारा के तहत क्या सजा दे। फिर भी डेढ़ घंटे की माथापच्ची के बाद पटेल को 500 रुपए जुर्माने और तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई।

प्रश्न 2. पटेल की गिरफ्तारी पर देश भर में क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर: पटेल की गिरफ्तारी पर देश भर में प्रतिक्रिया हुई। सामान्य लोग नाराज हुए, गाँधी जी ने गुस्सा प्रकट किया। दिल्ली में मदनमोहन मालवीय ने केन्द्रीय एसेंबली में एक प्रस्ताव पेश करके सरकारी कदम की भर्त्सना की। मोहम्मद अली 1 जिन्ना ने भी पटेल की गिरफ्तारी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया और गंभीर परिणामों की चेतावनी दी।

प्रश्न 3. गाँधी जी ने जवाहरलाल नेहरू को मिलने के उत्तर में क्या संदेश भिजवाया?

उत्तर: गाँधी जी ने संदेश भिजवाया कि उनको (नेहरू जी को) पूरी एक रात जागरण करना पड़ेगा। अगर कल रात से पहले वापस लौटना चाहते हो तो इससे बचा भी नहीं जा सकता। मैं उस समय जहाँ भी रहूँगा, संदेशवाहक तुमको वहाँ तक ले जाएगा। तुमको रात के दो बजे जाने पर मछुआरों के कंधों पर बैठकर एक धारा पार करनी पड़ेगी। मैं राष्ट्र के प्रमुख सेवक के लिए भी यात्रा में जरा भी विराम नहीं दे सकता। 

प्रश्न 4. गाँधी जी ने रास की जनसभा में सरकार को खुली चुनौती देते हुए क्या कहा?

उत्तर: गाँधी जी ने रास की जनसभा में सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा- “अब फिर बादल घिर आए हैं या कहो सही मौका सामने है, अगर सरकार मुझे गिरफ्तार करती है तो यह एक अच्छी बात है। मुझे तीन माह की सजा होगी तो सरकार को लज्जा आएगी। राजद्रोही को तो कालापानी, देश निकाला या फाँसी की सजा हो सकती है। मुझ जैसे लोग अगर राजद्रोही होना अपना धर्म मानें तो उन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए?

प्रश्न 5. दांडिया रास में निपुण दरबार लोग क्या गीत गा रहे थे?

उत्तर: वे गा रहे थे: -देखो गाँधी का दांडिया रास, – देखो वल्लभ का दांडिया रास – देखो रास, सरकार का नास, – देखो विट्ठल का दांडिया रास, देखो भगवान का दांडिया रास।

प्रश्न 6. ‘दीये जल उठे’ पाठ के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: ‘दीये जल उठे’ शीर्षक पूर्णतः सार्थक है। इस पाठ में उस ऐतिहासिक घटना का सजीव वर्णन है जब रात के बारह बजे अंधकार में महात्मा गाँधी और अन्य सत्याग्रहियों ने महिसागर नदी को पार किया था। लोग इनकी प्रतीक्षा में खड़े थे। लोग तट पर दीये लेकर खड़े थे। उन्हें रात के अंधकार में प्रकाश करना था ताकि सरलता से नदी पार हो सके। उनके आगमन के साथ दीये जल उठे थे। अतः शीर्षक कथानक के साथ जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 7. कलेक्टर शिलिडी ने निषेधाज्ञा क्यों लागू की? वल्लभभाई को क्या सजा दी गई?

उत्तर: दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में वल्लभभाई पटेल सात मार्च को रास पहुँचे थे। वहीं लोगों के आग्रह पर पटेल ने संक्षिप्त-सा भाषण दिया। इसी बीच मजिस्ट्रेट ने निषेधाज्ञा लागू कर दी। स्थानीय कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पुलिस के पहरे में बोरसद की अदालत में पेश किया गया। जज ने पटेल पर 500 रु. जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल की सजा सुना दी।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1. इस पाठ में सरदार पटेल का क्या व्यक्तित्व उभरता है? आप उन्हें कैसा नेता मानते हैं?

उत्तर: इस पाठ में सरदार पटेल का व्यक्तित्व एक सशक्त जुझारू नेता का उभरता है। वे किसी से भी नहीं डरते थे। जब उन्होंने लोगों से सत्याग्रह के बारे में पूछा तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी उसी कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर हुई थी जिसे पटेल ने पिछले आंदोलन के समय अहमदाबाद से भगा दिया था। बोरसद की अदालत में सरदार पटेल ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जज महोदय दुविधा में फँस गए कि उन्हें किस धारा के तहत कितनी सजा दी जाए। उन्हें 500 रु. जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल हुई। उन्हें साबरमती जेल ले जाया गया। रास्ते भर लोग उनकी एक झलक पाना चाहते थे। पटेल ने कार में बैठते हुए आश्रमवासियों और गाँधी जी से कहा–“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”

इस घटना से सरदार पटेल का निर्भीक व्यक्तित्व उभरता है। मैं उन्हें एक दमदार और साहसी नेता मानता हूँ। वे वास्तव में लौह पुरुष थे। 

प्रश्न 2. रास की आबादी करीब तीन हजार थी, पर गाँधी जी की सभा में बीस हजार से ज्यादा लोग थे।

– इसको आप किस रूप में लेते हैं? 

उत्तर: सभा में इतने अधिक लोगों की उपस्थिति दो बातें दर्शाती है:

प्रश्न 10. कनकपुरा की जनसभा में महात्मा गाँधी जी ने क्या भाषण दिया? इसे आप किस रूप में लेते हैं?

उत्तर: कनकपुरा की जनसभा में महात्मा गाँधी जी ने ब्रितानी कुशासन का उल्लेख किया। वहाँ उन्होंने कहा- “इस राज में रंक से राजा तक सब दुखी हैं। राजे-महाराजे जैसे सरकार नचाती है, नाचने को तैयार हैं। यह राक्षसी राज है… इसका संहार करना चाहिए।”

हम इसे गाँधी जी का साहस ही कहेंगे कि उन्होंने इतनी दृढ़तापूर्वक ब्रितानी राज की भर्त्सना की।

प्रश्न 11. गाँधी जी के सामने यह प्रस्ताव रखा गया कि वे थोड़ी यात्रा कार से कर लें। 

इस प्रस्ताव पर गाँधी जी ने क्या उत्तर दिया? इससे उनके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है?

उत्तर: गाँधी जी ने कार से यात्रा करने को साफ मना कर दिया। उनका कहना था कि यह उनके जीवन की आखिरी यात्रा है और ऐसी यात्रा में मैं वाहन का प्रयोग नहीं करता। यह पुरानी रीति है। धर्म यात्रा में हवाई जहाज, मोटर या बैलगाड़ी में बैठकर जाने वाले को लाभ नहीं मिलता। यात्रा में कष्ट सहें, लोगों का सुख-दुख समझें तभी सच्ची यात्रा होती है।

इससे गाँधी जी के चरित्र की इस विशेषता का पता चलता है कि साध्य के साथ साधन की पवित्रता पर भी बल देते थे। वे आरामपसंद व्यक्ति नहीं थे। उन्होंने धर्मयात्रा का सही स्वरूप लोगों को समझा दिया।

प्रश्न 12. वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला क्यों कहा गया? क्या यह आपकी दृष्टि में स्वतंत्रता पर हमला था?

उत्तर: वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर हुई। उन्हें पुलिस के पहरे में बोरसद की अदालत में लाया गया। वहाँ उन्हें 500 रु. के जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल हुई। इसका विरोध सारे देश में हुआ। मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा- “सरदार पटेल की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है।” उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि पटेल ने लोगों के सामने भाषण देकर कोई अपराध नहीं किया था। उन्हें बोलने का अधिकार था।

हमारी दृष्टि में भी यह गिरफ्तारी गलत थी। इस गिरफ्तारी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया था। हम इसके विरोधी हैं।

प्रश्न 13. गाँधी जी के रास में हुए स्वागत और भाषण का उद्देश्य स्पोस्ट कोरो।

उत्तर: गाँधी जी अपने सत्याग्रहियों के साथ रास में गाजे-बाजे के साथ दाखिल हुए। वहाँ गाँधी जी को एक धर्मशाला में ठहराया गया तथा शेष सत्याग्रही तंबुओं में रुके। यद्यपि रास की आबादी केवल तीन हजार थी, पर गाँधी जी की जनसभा में बीस हजार से ज्यादा लोग थे। वहाँ भाषण देते हुए गाँधी जी ने कहा-” सरदार को यह सजा आपकी सेवा के पुरस्कार के रूप में मिली है।” इसी सभा में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग गंदगी पर मक्खी की तरह चिपके हुए हैं। उन्हें भी अपने निजी तुच्छ स्वार्थ को छोड़कर इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा- ” आप लोग कब तक गाँवों को चूसने में अपना योगदान देते रहेंगे? सरकार ने जो लूट मचा रखी है, उसकी ओर से क्या अभी तक आपकी आँखें खुली नहीं हैं?”

गाँधी जी ने रास में राजद्रोह की बात पर जोर दिया और अपनी गिरफ्तारी की चुनौती सरकार को दी।

प्रश्न 14. गाँधी जी के यात्रा कार्यक्रम में क्या परिवर्तन किया गया? महीसागर नदी के तट पर जो दृश्य उपस्थित हो गया था, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर: यात्रा के कार्यक्रम में परिवर्तन करके यह निश्चय किया गया कि नदी को आधी रात के समय समुद्र का पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम से कम चलना पड़े। रात साढ़े दस बजे भोजन के बाद सत्याग्रही नदी की ओर चले। अँधेरी रात में गाँधी जी को करीब चार किलोमीटर दलदली जमीन पर चलना पड़ा। तट पर पहुँचकर गाँधी जी ने पैर धोए और एक झोंपड़ी में आराम किया। वे आधी रात का इंतजार करते रहे। गाँधी जी की नदी पार कराने की जिम्मेदारी रघुनाथ काका को सौंपी गई। उन्होंने इसके लिए एक नई नाव खरीदी और उसे लेकर वे कनकापुरा पहुँच गए। उनके पास बदलपुर में काफी जमीन थी और नावें भी चलती थीं। जब समुद्र का पानी चढ़ना शुरू हुआ तब घना अंधकार छा गया। हजारों लोग हाथों में दीये लिए हुए नदी के तट पर पहुँच गए। पूरा गाँव दीए की रोशनी लिए गाँधी और उनके सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहा था। रात बारह बजे महीसागर नदी का किनारा भर गया। गाँधी जी झोंपड़ी से बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। चारों ओर महात्मा गाँधी की जय, सरदार पटेल की जय तथा जवाहरलाल नेहरू की जय के नारे गूँज रहे थे। रघुनाथ काका नाव चलाते हुए रवाना हुए।

प्रश्न 15. लोग रात भर महीसागर नदी के दोनों तटों पर किस भावना के वशीभूत होकर जमे रहे? आप इसे किस दृष्टि से देखते हैं?

उत्तर: लोग रात भर महीसागर नदी के दोनों तटों पर महात्मा गाँधी के स्वागत में डटे हुए थे। वे स्वदेश प्रेम व गाँधी जी के त्याग भाव से अभिभूत थे। उन लोगों के हाथों में दिये थे। पूरा गाँव व आस-पास के लोग दीये की रोशनी लिए गाँधी जी और उनके सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहे थे। गाँधी जी के पार उतरने के बाद भी वे तट पर दीये लेकर खड़े रहे। उन्हें अनुमान था कि रात में कुछ और लोग आएँगे और उन्हें नदी पार करानी होगी।

हम उन लोगों की भावना को आदर-सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। उन्होंने गाँधी जी तथा अन्य सत्याग्रहियों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित की थी। देश-प्रेम की भावना उनसे यह सब करा रही थी।

प्रश्न 16. ‘दिये जल उठे’ पाठ में किस घटना का वर्णन है?

उत्तर: ‘दिये जल उठे’ पाठ महात्मा गाँधी जी की दांडी यात्रा पर आधारित है। इसे “धुँधले पद चिह्न” रचना से लिया गया है। 

इस पाठ में 19 मार्च, 1930 के दिन घटी घटनाओं का वर्णन किया गया है। पाठ में ‘रास’ में सरदार पटेल की गिरफ्तारी तथा गाँधी जी की दांडी यात्रा संबंधी घटनाओं का वर्णन है। उस दिन घनी अँधेरी रात में गाँधी जी को महीसागर पार कराने के लिए वहाँ के निवासियों ने क्या-क्या प्रयत्न किए, इसका वर्णन इस पाठ में है।

प्रश्न 17. वल्लभ भाई को कहाँ ले जाया गया? वहाँ क्या हुआ?

उत्तर: वल्लभ भाई को पुलिस के पहरे में बोरसद की अदालत में ले जाया गया। वहाँ जज के सामने वल्लभभाई ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। अब जज असमंजस में पड़ गया कि उन्हें किस धारा के तहत और कितनी सजा दे। उसे अपने आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा लग गया। जज ने पटेल पर 500 रु. का जुर्माना लगाया तथा तीन महीने की जेल की सजा सुनाई। पटेल को अहमदाबाद में साबरमती जेल ले जाया गया। गाँधी जी को जब इसकी सूचना मिली तो वे बहुत क्षुब्ध हुए।

प्रश्न 18. सत्याग्रहियों के साथ कनकपुरा में क्या हुआ?

उत्तर: सत्याग्रही रास से शाम छह बजे चले और रात आठ बजे कनकपुरा पहुँचे। उस समय सभी लोग इस यात्रा से थके हुए थे। वे इस चिंता में भी थे कि मही नदी को कैसे पार किया जाएगा। नदी के किनारे पहुँचते ही समुद्र की ओर से आने वाली ठंडी हवा ने सत्याग्रहियों का स्वागत किया। कनकपुरा में 105 साल की एक बूढ़ी महिला ने गाँधी जी के माथे पर तिलक लगाया और कहा- “महात्मा जी, स्वराज लेकर जल्दी वापस आना।” तब गाँधी जी ने कहा था-”मैं स्वराज लिए बिना नहीं लौटूंगा।” बाद में गाँधी जी की विशाल जनसभा हुई। इस जनसभा में गाँधी जी ने ब्रितानी कुशासन का जिक्र किया।

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