NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 8 बाज़ार में एक कमीज़

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NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 8 बाज़ार में एक कमीज़

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Chapter: 8

सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-२

इकाई पाँच: बाज़ार

1. क्या स्वप्ना को रूई का उचित मूल्य प्राप्त हुआ?

उत्तर: नहीं स्वप्ना को रूई का उचित मूल्य प्राप्त हुआ क्योंकि फ़सल की बोनी शुरू करने के समय स्वप्ना ने व्यापारी से खेती करने के लिए बीज, खाद, कीटनाशक आदि खरीदने के लिए बहुत ऊँची ब्याज दर पर ₹2,500 कर्ज पर लिए थे। उस समय स्थानीय व्यापारी ने स्वप्ना को एक शर्त मानने के लिए सहमत कर लिया था। उसने स्वप्ना से वादा करवा लिया था कि वह अपनी सारी रूई उसे ही बेचेगी। व्यापारी ने स्वप्ना को ₹1,500 प्रति क्विंटल के हिसाब से रूई ₹6,000 की हुई। व्यापारी ने दिए हुए ऋण तथा ब्याज के ₹3,000 काट लिए और स्वप्ना को ₹3,000 ही दिए। जबकि रुई का बाज़ार भाव ₹1800 प्रति क्विंटल था।

2. व्यापारी ने स्वप्ना को कम मूल्य क्यों दिया?

उत्तर: स्वप्ना ने व्यापारी से ऊँची ब्याज दर पर 2500 रुपये कर्ज लिया था। व्यापारी ने स्वप्ना से वादा करवा लिया था कि वह अपनी सारा रूई उसे ही बेचेगी। इस शर्त के कारण स्वप्ना दूसरी जगह जा नहीं सकती थी। इस मजबूरी को देखते हुए व्यापारी ने स्वप्ना को कम मूल्य दिया।

3. आपके विचार से बड़े किसान अपनी रूई कहाँ बेचेंगे? उनकी स्थिति किस प्रकार स्वप्ना से भिन्न है?

उत्तर: हमारे विचार से बड़े किसान अपनी रुई बाजार में जाकर अधिक दाम में बेचेंगे। उनके पास खेती करने लायक पर्याप्त धन होता है, जबकि छोटे किसान के पास इतना धन नहीं होता है। यही स्थिति उनको स्वप्ना से भिन्न बनाती है क्योंकि उन्हें कोई भी व्यापारी अपने ही यहाँ रुई बेचने के लिए दबाव नहीं डाल सकता।

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4. इरोड के कपड़ा बाज़ार में निम्नलिखित लोग क्या काम कर रहे हैं– व्यापारी, बुनकर, निर्यातक?

उत्तर: बाज़ार में यह एक व्यापारी की दुकान है। कई सालों में इन व्यापारियों ने देश-भर के वस्त्र निर्माताओं से संपर्क स्थापित कर लिए हैं, जिनसे उन्हें ऑर्डर मिलते रहते हैं। वे अन्य लोगों से सूत खरीदकर लाते हैं।

कपड़ा उपलब्ध कराने के जो ऑर्डर मिलते हैं, उनके आधार पर व्यापारी बुनकरों के बीच काम बाँट देता है। बुनकर व्यापारी से सूत लेते हैं और तैयार कपड़ा देते हैं। इस व्यवस्था से बुनकरों को स्पष्टतया दो लाभ प्राप्त होते हैं। बुनकरों को सूत खरीदने के लिए अपना पैसा नहीं लगाना पड़ता है। साथ ही तैयार कपड़ों को बेचने की व्यवस्था भी हो जाती है। बुनकरों को प्रारंभ में ही पता चल जाता है कि उन्हें कौन-सा कपड़ा बनाना है और कितना बनाना है।

बुनकर तैयार किए हुए कपड़े को शहर में व्यापारी के पास ले आते हैं। व्यापारी यह हिसाब रखता है कि उन्हें कितना सूत दिया गया था और बुने हुए कपड़े का भुगतान उन्हें कर देता है।

5. बुनकर, व्यापारियों पर किस-किस तरह से निर्भर हैं?

उत्तर: बुनकर व्यापारी से सूत लेते हैं और तैयार कपड़ा देते हैं। इस व्यवस्था से बुनकरों को स्पष्टतया दो लाभ प्राप्त होते हैं। बुनकरों को सूत खरीदने के लिए अपना पैसा नहीं लगाना पड़ता है। साथ ही तैयार कपड़ों को बेचने की व्यवस्था भी हो जाती है। व्यापारी आमतौर पर बुनकर और व्यापारी के बीच की कड़ी होता है जो बुनकर से माल खरीदता है और व्यापारी को बेचता है। सिर्फ व्यापार के अलावा, बुनकर तैयार उत्पाद तैयार करने में मदद के लिए भी व्यापारियों पर निर्भर रहते हैं।

6. यदि बुनकर खुद सूत खरीदकर बने हुए कपड़े बेचते हैं, तो उन्हें तीन गुना ज़्यादा कमाई होती है। क्या यह संभव है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: यदि बुनकर खुद सूत खरीदकर बने हुए कपड़े बेचते हैं, तो उन्हें तीन गुना ज्यादा कमाई होती है लेकिन यह संभव नहीं है, क्योंकि बुनकरों को कच्चा माल व्यापारियों से प्राप्त होता है और बेचने के लिए भी व्यापारियों पर निर्भर रहना पड़ता है। बुनकर अपनी सारी जमापूँजी लगाकर या ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेकर करघे खरीदते हैं। एक करघे का मूल्य ₹20,000 है। इसलिए छोटे बुनकर को भी दो करघों के लिए लगभग ₹40,000 का निवेश करना पड़ता है। इन करघों पर अकेले काम नहीं किया जा सकता है। कपड़ा बनाने के लिए बुनकर और परिवार के दूसरे वयस्क सदस्यों को दिन में 12 घंटे तक काम करना पड़ता है। इस पूरे कार्य द्वारा वे महीने में लगभग ₹3,500 ही कमा पाते हैं।

7. क्या इसी तरह की दादन व्यवस्था पापड़, बीड़ी और मसाले बनाने में भी देखने को मिलती है? अपने इलाके से इस संबंध में जानकारी इकट्ठी कीजिए और कक्षा में उम्र पर चर्चा कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

8. आपने अपने इलाके में सहकारी संस्थाओं के बारे में सुना होगा, जैसे- दूध, किराना, धान आदि के व्यवसाय में। पता लगाइए कि ये किसके लाभ के लिए स्थापित की गई थीं?

उत्तर: हमारे इलाके में कई दूधियों ने मिलकर दूध की एक सहकारी संस्था बनाई है और इस संस्था से दूध सरकार द्वारा स्थापित डेयरी द्वारा खरीदा जाता है। इसी तरह से कई किसान भाई मिलकर किराना और धान को एकत्रित करते हैं और ये किराना और धान को किसी वाहन पर लादकर सरकार द्वारा स्थापित बाज़ार समिति में ले जाकर बेचते हैं।

9. विदेशों में खरीदार वस्त्र निर्यात करने वालों से क्या-क्या अपेक्षाएँ रखते हैं? वस्त्र निर्यातक इन शर्तों को क्यों स्वीकार कर लेते हैं?

उत्तर: विदेशों में खरीदार वस्त्र निर्यात करने वालों से निम्न अपेक्षाएँ रखते हैं, वे माल देने वालों से न्यूनतम मूल्य पर माल खरीदने की माँग करते हैं। साथ ही वे सामान की उच्चतम स्तर की गुणवत्ता और समय पर सामान देने की शर्त भी रखते हैं। सामान ज़रा-सा भी दोषयुक्त होने पर या माल देने में ज़रा भी विलंब होने पर बड़ी सख्ती से निपटा जाता है। इसलिए निर्यातक इन शक्तिशाली ग्राहकों द्वारा निश्चित की गई शर्तों को भरसक पूरा करने की कोशिश करते हैं।

10. वस्त्र निर्यातक विदेशी खरीदारों की शर्तों को किस प्रकार पूरा करते हैं?

उत्तर: वस्त्र निर्यातक विदेशी खरीदारों की शर्तों से बढ़ते दबावों के कारण वस्त्र निर्यात करने वाले कारखाने, खर्चे में कटौती करने का प्रयत्न करते हैं। निर्यातक विदेशी खरीदारों को न्यूनतम कीमत पर वस्त्र उपलब्ध करते हैं। इस तरह से वे अपना लाभ तो बढ़ाते ही हैं और विदेशी ग्राहकों को भी सस्ते दामों पर वस्त्र देते हैं।

11. इम्पेक्स गार्मेंट फैक्टरी में अधिक संख्या में महिलाओं को काम पर क्यों रखा गया होगा? चर्चा कीजिए।

उत्तर: इम्पेक्स गार्मेंट फैक्टरी में 70 कामगार हैं। उनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। इनमें से अधिकतर कामगारों को अस्थायी रूप से काम पर लगाया गया है। इसका आशय यह है कि जब भी फैक्टरी मालिक को लगे कि कामगार की आवश्यकता नहीं है, वह उसे जाने को कह सकता है। कामगारों की मज़दूरी उनके कौशल के अनुसार तय की जाती है। काम करने वालों में अधिकतम वेतन दर्जी को मिलता है, जो लगभग ₹3,000 प्रतिमाह होता है। स्त्रियों को सहायक के रूप में धागे काटने, बटन टॉकने, इस्तरी करने और पैकिंग करने के लिए काम पर रखा जाता है। इन कामों के लिए न्यूनतम मज़दूरी दी जाती है।

12. मंत्री को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखकर आपके विचार से मज़दूरों के लिए जो उचित भुगतान है, उसकी माँग कीजिए।

उत्तर: सेवा में,

(टैक्सटाइल) मंत्रालय

भारत सरकार, नई दिल्ली

विषय- मजदूरों के उचित भुगतान के सम्बन्ध में

महोदय,

टैक्सटाइल मजदूरों की दशाओं की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि मजदूरों को भुगतान के सम्बन्ध में एक निश्चित कानून नहीं है, या तो उन्हें बहुत अधिक भुगतान किया जाता है या बहुत कम भुगतान प्राप्त करने वाले मजदूरों का उनकी अज्ञानता तथा आवश्यकताओं की विवशता में शोषण किया जा रहा है। मजदूर अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं, नियोक्ता वास्तविक खर्चों तथा आय को उनसे छिपा कर उन्हें बहुत कम भुगतान कर अत्यधिक लाभ कमाते हैं।

इसलिए, आपसे निवेदन है कि आप मजदूरों के कठिन श्रम और कार्य के प्रति उनकी लगन को देखते हुए उनके लिए उचित भुगतान कराने को सुनिश्चित करें।

इस सम्बन्ध में निम्नलिखित भुगतान के कुछ सुझाव हैं

दर्जी – 15000 रु. प्रति माह

इस्तरी करना (प्रेस) -4 रु. प्रति नग

जाँच करना -10000 रु. प्रति माह

धागे काटना व बटन लगाना- 8000 रु. प्रति माह

कृपया मजदूरों की उक्त माँगों को पूरी करायें।

सधन्यवाद।

प्रार्थी

क ख ग

13. नीचे दी गई कमीज़ के चित्र में दिखाया गया है कि व्यवसायी को कितना मुनाफ़ा हुआ और उसको कितना खर्च उठाना पड़ा। यदि कमीज़ का लागत मूल्य ₹600 है, तो इस चित्र से जानिए कि इस कमीज़ की कीमत में क्या-क्या शामिल होता है?

उत्तर: इस कमीज की लागत मूल्य में क्रय मूल्य, विज्ञापन खर्चा तथा भंडारण आदि का खर्चा शामिल होता है।

14. गार्मेंट फैक्टरी के मज़दूर, गार्मेंट के निर्यातक और विदेशी बाज़ार के व्यवसायी ने प्रत्येक कमीज़ पर कितना पैसा कमाया? तुलना करके पता लगाइए।

उत्तर: विदेशी व्यवसायी ने बाज़ार में अधिक मुनाफ़ा कमाया। उसकी तुलना में वस्त्र-निर्यातक का लाभ मध्यम श्रेणी का रहा। दूसरी ओर वस्त्र निर्यातक फैक्टरी के कामगार मुश्किल से केवल अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों की पूर्ति लायक ही कमा सके। इसी प्रकार हमने देखा कि कपास उगाने वाली छोटी किसान और इरोड के बुनकरों ने कड़ी मेहनत की, लेकिन बाज़ार में उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिला। व्यवसायी या व्यापारियों की स्थिति बीच की है। बुनकरों की तुलना में उनकी कमाई अधिक हुई है, लेकिन निर्यातक की कमाई से बहुत कम है।

15. व्यवसायी बाज़ार में ऊँचा मुनाफ़ा कमा पाता है। इसका क्या कारण है?

उत्तर: व्यवसायी बाजार में ऊँचा मुनाफ़ा कमा पाता है, इसके निम्नलिखित कारण हैं:

(i) वह इस कमीज को उच्च आय वर्ग के लोगों को बेंचता है।

(ii) वे काम करने वालों को जहाँ तक संभव हो सके, न्यूनतम मज़दूरी देकर अधिकतम काम लेते हैं। इस तरह से वे अपना लाभ तो बढ़ाते ही हैं और विदेशी ग्राहकों को भी सस्ते दामों पर वस्त्र देते हैं।

(iii) व्यवसायी द्वारा वह शर्ट, ब्रांड नाम, से बेची जाती है, जो उसे अधिक कीमत की तथा बाजार में उपलब्ध अन्य कमीजों से भिन्न बना देता है।

(iv) शर्ट बड़े शोरूम या मॉल में बेची जाती है, जहाँ मूल्य: तय हैं तथा लोग मोल-तोल नहीं करते हैं।

16. आपने विज्ञापन वाला अध्याय पढ़ा है। चर्चा कीजिए कि व्यवसायी प्रत्येक कमीज़ पर विज्ञापन के लिए ₹300 की राशि क्यों खर्च करता है?

उत्तर: व्यवसायी प्रत्येक कमीज पर विज्ञापन के लिए ₹300 की राशि खर्च करता है, क्योंकि:

(i) विज्ञापन देखने वालों में यह शर्ट लोकप्रिय हो जाती है।

(ii) विज्ञापन उस शर्ट को वैसी ही मार्केट में उपलब्ध शर्ट से अच्छा बना देता है।

(iii) लोग विज्ञापन देखकर उसके प्रति आकर्षित होते हैं।

(iv) विज्ञापन शर्ट को ब्रांड नाम के तहत दिखाता है, जो उसे लोकप्रिय तथा कीमती बना देता है।

अभ्यास

1. स्वप्ना ने अपनी रूई कुर्नूल के रूई-बाज़ार में न बेचकर व्यापारी को क्यों बेच दी?

उत्तर: स्वप्ना ने अपनी रूई कुर्नूल के रूई-बाज़ार में न बेचकर व्यापारी को इसलिए बेच दी क्योंकि फ़सल की बोनी शुरू करने के समय स्वप्ना ने व्यापारी से खेती करने के लिए बीज, खाद, कीटनाशक आदि खरीदने के लिए बहुत ऊँची ब्याज दर पर ₹2,500 कर्ज़ पर लिए थे। उस समय स्थानीय व्यापारी ने स्वप्ना को एक शर्त मानने के लिए सहमत कर लिया था। उसने स्वप्ना से वादा करवा लिया था कि वह अपनी सारी रूई उसे ही बेचेगी।

2. वस्त्र निर्यातक कारखाने में काम करने वाले मज़दूरों के काम के हालात और उन्हें दी जाने वाली मज़दूरी का वर्णन कीजिए। क्या आप सोचते हैं कि मज़दूरों के साथ न्याय होता है?

उत्तर: वस्त्र निर्यातक कारखाने में काम करने वाले मज़दूरों को प्रतिदिन लगभग 10 घंटे काम करना होता है। मज़दूरों को अस्थायी रूप से रखा जाता है। कामगारों की मज़दूरी उनके कार्य कुशलता के अनुसार तय की जाती है। काम करने वालों में अधिकतम वेतन दर्जी को मिलता है, जो लगभग 3000 रुपये प्रतिमाह होता है। उन पर यह दबाव बना रहता है कि कम समय में उच्च गुणवत्ता की निर्धारित वस्तुएँ तैयार करनी हैं। इस सबके बावजूद उनको समुचित मज़दूरी नहीं दी जाती है। इस प्रकार मज़दूरों के साथ न्याय नहीं किया जाता है।

3. ऐसी किसी चीज़ के बारे में सोचिए, जिसे हम सब इस्तेमाल करते हैं। वह चीनी, चाय, दूध, पेन, कागज़, पेंसिल आदि कुछ भी हो सकती है। चर्चा कीजिए कि यह वस्तु बाज़ारों की किस श्रृंखला से होती हुई, आप तक पहुँचती है। क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्होंने इस वस्तु के उत्पादन व व्यापार में मदद की होगी?

उत्तर: जिसे हम इस्तेमाल करते हैं वह उत्पादक द्वारा निर्मित होने के बाद या उससे पहले, कई प्रक्रियाओं से गुजरता हुआ हमारे पास पहुँचता है। चीनी के उत्पादन की प्रक्रिया से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचने तक गन्ना उत्पादक-किसान जो चीनी मील मालिकों को गन्ना उपलब्ध करातें हैं। चीनी मिल मालिकों से चीनी वितरण तथा थोक विक्रेताओं के पास पहुँचता है। थोक विक्रेता से खुदार विक्रेताओं तक और खुदार विक्रेताओं से हमारे पास तक चीनी पहुँचती है। इस प्रक्रिया में कई लोगों का सहयोग होता है, जैसे-किसान, मिल मालिक, मज़दूर, थोक व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, फुट विक्रेता आदि।

4. यहाँ दिए गए नौ कथनों को सही क्रम में कीजिए और फिर नीचे बनी कपास की डोडियों के चित्रों में सही कथन के अंक भर दीजिए। पहले दो चित्रों में आपके लिए अंक पहले से ही भर दिए गए है।

1. स्वप्ना, व्यापारी को रूई बेचती है।

2. ग्राहक, सुपरमार्केट में इन कमीज़ों को खरीदते हैं।

3. व्यापारी, जिनिंग मिलों को रूई बेचते हैं।

4. गार्मेंट निर्यातक, कमीजें बनाने के लिए व्यापारियों से कपड़ा खरीदते हैं।

5. सूत के व्यापारी, बुनकरों को सूत देते हैं।

6. वस्त्र निर्यातक, संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवसायी को कमीजें बेचता है।

7. सूत कातने वाली मिलें, रूई खरीदती हैं और सूत के व्यापारी को सूत बेचती हैं।

8. बुनकर कपड़ा तैयार करके लाते हैं।

9. जिनिंग मिलें रूई को साफ करती हैं और उनके गट्टर बनाती हैं।

उत्तर: 1 → 3 → 9 → 7 → 5 → 8 → 4 → 6 → 2

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