NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 7 हमारे आस-पास के बाज़ार

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NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 7 हमारे आस-पास के बाज़ार

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Chapter: 7

सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-२

इकाई पाँच: बाज़ार

1. लोग साप्ताहिक बाज़ारों में क्यों जाते हैं? तीन कारण बताइए।

उत्तर: लोग साप्ताहिक बाज़ारों में जाने के तीन कारण:

(i) साप्ताहिक बाज़ारों में बहुत-सी चीज़ें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं।

(ii) साप्ताहिक बाज़ारों में यदि एक दुकानदार किसी वस्तु के लिए अधिक कीमत माँगता है, तो लोगों के पास यह विकल्प होता है कि वे अगली दुकानों पर वही सामान देख लें, जहाँ संभव है कि वही वस्तु कम कीमत में मिल जाए।

(iii) साप्ताहिक बाज़ारों का एक फ़ायदा यह भी होता है कि ज़रूरत का सभी सामान एक ही जगह पर मिल जाता है।

2. इन साप्ताहिक बाज़ारों में दुकानदार कौन होते हैं? बड़े व्यापारी इन बाज़ारों में क्यों नहीं दिखते?

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उत्तर: साप्ताहिक बाज़ार का यह नाम ही इसीलिए पड़ा है क्योंकि यह सप्ताह के किसी एक निश्चित दिन लगता है। इसलिए साप्ताहिक बाज़ार में रोज़ खुलनेवाली दुकानें नहीं होती हैं। व्यापारी दिन में दुकान लगाते हैं और शाम होने पर उन्हें समेट लेते है। अगले दिन वे अपनी दुकानें किसी और जगह पर लगाते हैं। देश-भर में ऐसे हज़ारों बाज़ार लगते हैं और लोग इनमें अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीज़ें खरीदने आते हैं। बड़े व्यापारी इन बाज़ारों में इसलिए नहीं आते क्योंकि उनके पास तो पहले से ही बहुत सारे ऑडर होते है, उन्हें अपने स्थायी दुकानों से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती, इसलिए वे साप्ताहिक बाज़ारों में नहीं दिखते।

3. साप्ताहिक बाज़ारों में सामान सस्ते दामों में क्यों मिल जाता है?

उत्तर: साप्ताहिक बाज़ारों में बहुत-सी चीजें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं। ऐसा इसलिए, कि जो पक्की दुकानें होती हैं, उन्हें अपनी दुकानों के कई तरह के खर्चे जोड़ने होते हैं। उन्हें दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है। इन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं खर्चों में जोड़नी होती है। साप्ताहिक बाज़ारों में बेची जाने वाली चीज़ों को दुकानदार अपने घरों में ही जमा करके रखते हैं। इन दुकानदारों के घर के लोग अकसर इनकी सहायता करते हैं, जिससे इन्हें अलग से कर्मचारी नहीं रखने पड़ते। साप्ताहिक बाज़ार में एक ही तरह के सामानों के लिए कई दुकानें होती हैं, जिससे उनमें आपस में प्रतियोगिता भी होती है। यदि एक दुकानदार किसी वस्तु के लिए अधिक कीमत माँगता है, तो लोगों के पास यह विकल्प होता है कि वे अगली दुकानों पर वही सामान देख लें।

4. एक उदाहरण देकर समझाइए कि लोग बाज़ारों में कैसे मोल-तोल करते हैं? क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, जहाँ मोल-तोल करना अन्यायपूर्ण होगा?

उत्तर: बाजार में एक ही तरह के सामानों के लिए कई दुकानें होती हैं। जिससे उनमें आपस में प्रतियोगिता भी होती है। यदि एक दुकानदार किसी वस्तु के लिए अधिक कीमत माँगता है तो लोगों के पास यह विकल्प होता है कि वे अगली दुकानों पर वही सामान देख लें, जहाँ संभव है कि वही वस्तु कम कीमत में मिल जाए। ऐसी स्थितियों में खरीदारों के पास यह अवसर भी होता है कि वे मोल–तोल करके भाव कम करवा सकें। उपभोक्ता (ग्राहक) को जब कीमत बहुत अधिक लगती है तो वह विक्रेता से उस वस्तु की कीमत कम करने के लिए कहता है। विक्रेता थोड़ी सी कीमत कम करता है और उपभोक्ता को पुनः वस्तु खरीदने के लिए कहता है। यदि उपभोक्ता अब कीमत उचित समझता है तो वह विक्रेता से वह वस्तु खरीद लेता है। इस प्रकार बाजार में वस्तुओं का मोल-तोल होता है। लेकिन जहा सरकार ने किसी चीज़ की कीमत रखी हुई है और दुकानदार चाहकर भी कीमत कम नहीं कर सकते, वहां मोल-तोल करना अन्यायपूर्ण होगा।

5. सुजाता नोटबुक लेकर दुकान क्यों गई? क्या यह तरीका उपयोगी है? क्या इसमें कोई समस्या भी आ सकती है?

उत्तर: सुजाता अपने मोहल्ले की दुकान से किराने का सामान खरीदती थी। इस दुकान पर अकसर खरीदारी के लिए जाती थी। दुकानदार सुजाता को जानने वाला था जो सुजाता को उधार सामान भी दिया करता था और उस उधार सामान की कीमत सुजाता के नोटबुक पर लिख देता था। यह तरीका काफी उपयोगी है। इससे दुकानदार को भी फायदा होता है कि ग्राहक जुड़ा रहता है और सारा सामान उसी से लेता है। इसमें कई बार समस्या भी आ सकती है। दुकानदारों का पैसा डूब सकता है। दुकानदार भी ऐसे ग्राहकों को अधिक कीमत पर सामान उपलब्ध करवाता है।

6. आपके मोहल्ले में अलग-अलग प्रकार की कौन-सी दुकानें हैं? आप उनसे क्या-क्या खरीदते हैं?

उत्तर: हमारे मोहल्ले में किराना, कपड़ो की दुकान, मोबाइल रिचार्ज करने की दुकान इत्यादि है। यहाँ से हम पहनने के कपड़े, खाने पीने का सामान इत्यादि खरीदते है।

7. सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाज़ार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान महँगा क्यों होता है?

उत्तर: सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाज़ार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान महँगा होता है। ऐसा इसलिए, कि जो पक्की दुकानें होती हैं, उन्हें अपनी दुकानों के कई तरह के खर्चे जोड़ने होते हैं। उन्हें दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है। इन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं खचर्चों में जोड़नी होती है।

8. आप क्या सोचते हैं, सुरक्षा कर्मचारी ने सुजाता और कविता को अंदर जाने से रोकना क्यों चाहा होगा? यदि कहीं किसी बाज़ार में कोई आपको ऐसी ही दुकान में अंदर जाने से रोके, तो आप क्या कहेंगे?

उत्तर: एंजल मॉल एक पाँच-मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है। कविता और सुजाता इसमें लिफ्ट से ऊपर जाने और नीचे आने का आनंद ले रही थी। यह काँच की बनी लगती थी और ये इसमें से बाहर का नजारा देखती हुई ऊपर–नीचे जा रही थी। उन्हें यहाँ आइसक्रीम, बर्गर, पिज्जा आदि खाने की चीज़े, घरेलू उपयोग का सामान, चमड़े के जूतों, किताबें आदि तरह–तरह की दुकानों को देखना आशचर्यचकित कर रहा था। सुरक्षा कर्मचारियों ने सुजाता और कविता को मॉल के अंदर जाने से इसलिए रोकना चाहा होगा क्योंकि उन्होंने महसूस किया था कि दोनों बस इस इधर-उधर घूम रही थी। वे कुछ खरीद नहीं रही थी। यदि मुझे ऐसे कोई रोकता तब मैं उसे यहाँ आने के उद्देश्य के बारे में बताती।

9. ऐसा क्यों होता है कि लोग मॉल में दुकानदारों से मोल-तोल नहीं करते हैं; जबकि साप्ताहिक बाज़ारों में ऐसा खूब किया जाता है?

उत्तर: ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मॉल में हर चीज़ की मात्रा पहले से निश्चित होती है। सभी चीजें ब्रांडेड होती है। साप्ताहिक बाज़ारों में ब्रांडेड कम्पनी के सामान नहीं मिलते हैं। साप्ताहिक बाज़ार का वातावरण देख कर ही लोग मोल–तोल करने लगते है। क्योंकि वहां सभी दुकानदार साथ में ही बैठे होते है और अगर कोई मोल–तोल से नहीं मानता तो वहां इतने और दुकानदार उस व्यक्ति को अपने पास बुला लेते है।

10. आपको क्या लगता है, आपके मोहल्ले की दुकान में सामान कैसे आता है? पता लगाइए और कुछ उदाहरणों से समझाइए।

उत्तर: सामानों का उत्पादन कारखानों, खेतों और घरों में होता है, लेकिन हम कारखानों और खेतों से सीधे सामान नहीं खरीदते हैं। चीज़ों का उत्पादन करने वाले भी हमें कम मात्रा में, जैसे- एक किलो सब्ज़ी या एक प्लास्टिक कप आदि बेचने में रुचि नहीं रखेंगे। वे लोग, जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं, उन्हें व्यापारी कहा जाता है। पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है, जैसे सब्ज़ियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्ज़ी नहीं खरीदता है बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्ज़ियाँ खरीद लेता है। इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। व्यापारियों की लंबी श्रृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो अंततः वस्तुएँ उपभोक्ता को बेचता है, खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है।

11. थोक व्यापारी की भूमिका ज़रूरी क्यों होती है?

उत्तर: थोक व्यापारी की भूमिका ज़रूरी होती है क्योंकि यहाँ वस्तुएँ पहले पहुँचती हैं और यहीं से वे अन्य व्यापारियों तक पहुँचती हैं। बड़ी संख्या में प्लास्टिक का सामान शहर के थोक व्यापारी से खरीदता है। बड़ा व्यापारी अपने से भी बड़े थोक व्यापारी से स्वयं सामान खरीदता है। शहर का बड़ा थोक व्यापारी प्लास्टिक का यह सामान कारखाने से खरीदता है और उन्हें बड़े गोदामों में रखता है।

अभ्यास

1. एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है?

उत्तर: 

फेरीवालादुकानदार
फेरीवालों की कोई निश्चित या स्थायी दुकान नहीं होती है।दुकानदार की अपनी एक निश्चित दुकान होती है।
फेरीवाला स्थानीय उत्पाद बेचता है।दुकानदार स्थानीय उत्पादक का सामान और ब्रांडेड दोनों तरह के सामान बेचता है।
फेरीवाले वस्तुओं के नाम पुकारते हुए अपना सामान बेचते हैं।दुकानदारों को ऐसा करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि खरीददार स्वयं उसकी दुकान पर जाकर वस्तुओं को देखकर खरीदता है।
फेरीवाले का अधिकतर माल खुला हुआ तथा ब्रांडरहित होता हैदुकानदार का अधिकतर माल डिब्बा या पैकेटबंद तथा ब्रांडवाला होता है।

2. निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाज़ार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए।

बाज़ारबेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकारवस्तुओं का मूल्यविक्रेताग्राहक
साप्ताहिक बाज़ार
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

उत्तर: 

बाज़ारबेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकारवस्तुओं का मूल्यविक्रेताग्राहक
साप्ताहिक बाज़ारस्थानीय उत्पाद का सामान या बिना ब्रांडेड सामानकमछोटे व्यवसायीनिम्न आय वर्ग
शॉपिंग कॉम्प्लेक्सउच्च गुणवत्ता वाला ब्रांडेड सामानअधिकबड़े व्यवसायीउच्च आय वर्ग

3. स्पष्ट कीजिए कि बाज़ारों की श्रृंखला कैसे बनती है? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है?

उत्तर: सामानों का उत्पादन कारखानों, खेतों और घरों में होता है, लेकिन हम कारखानों और खेतों से सीधे सामान नहीं खरीदते हैं। चीज़ों का उत्पादन करने वाले भी हमें कम मात्रा में, जैसे- एक किलो सब्ज़ी या एक प्लास्टिक कप आदि बेचने में रुचि नहीं रखेंगे। वे लोग, जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं, उन्हें व्यापारी कहा जाता है। पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है, जैसे- सब्ज़ियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्ज़ी नहीं खरीदता है बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्ज़ियाँ खरीद लेता है। इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। व्यापारियों की लंबी श्रृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो अंततः वस्तुएँ उपभोक्ता को बेचता है, खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है। यह वही दुकानदार होता है, जो आपको पड़ोस की दुकानों, साप्ताहिक बाज़ार या फिर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में सामान बेचता मिलता है।

शहर का बड़ा थोक व्यापारी प्लास्टिक का यह सामान कारखाने से खरीदता है और उन्हें बड़े गोदामों में रखता है। इस तरह से बाज़ार की एक श्रृंखला बनती है।

4. सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। यह बात महँगे उत्पादों की दुकानों के सामान को नहीं खरीद सकते। वे सिर्फ साप्ताहिक बाज़ारों, स्थानीय दुकानों तथा फेरीवालों से ही सामान खरीदते हैं। महँगे उत्पाद प्रायः उच्च आय वर्ग वाले लोग ही खरीद पाते हैं। इसलिए निम्न आय वर्ग वाले वहाँ नहीं जाते हैं।

5. बाज़ार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: बाज़ार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है क्योंकि आजकल पहले के मुकाबले बहुत सारी सुविधाए बढ़ गई है। अब तो तरह-तरह के सामान के लिए फोन या इंटरनेट पर भी ऑर्डर दे दिए जाते हैं और सामान आपके घर तक पहुँचा दिया जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि बेचना-खरीदना कई तरीकों से चलता रहता है। यह जरूरी नहीं है कि वह केवल बाज़ार की दुकानों से ही होता हो।

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