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NCERT Class 12 Psychology Chapter 1 मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ
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मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ
Chapter: 1
समीक्षात्मक प्रश्न
1. किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि का लक्षण वर्णन और उसे परिभाषित करते हैं?
उत्तर: मनोवैज्ञानिक बुद्धि को विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न रूपों में परिभाषित किया है, जैसे-
(क) बुद्धि वह सामान्य मानसिक योग्यता है जो तर्क करना, समस्या का समाधान करना, योजना बनाना, सीखने की क्षमता के माप के रूप में परिभाषित करना, समझना, सीखना आदि शामिल होता है।
(ख) स्टर्नबर्ग के अनुसार यह वह मानसिक योग्यता है जो व्यक्ति को लक्ष्य साध्य व्यवहार हेतु योजना बनाने, निरीक्षण करने, सोचने, निर्णय लेने और समस्या हल करने में सहायता करती है।
2. किस सीमा तक हमारी बुद्धि आनुवंशिकता (प्रकृति) और पर्यावरण (पोषण) का परिणाम है? विवेचना कीजिए।
उत्तर: बुद्धि के विकास में आनुवंशिकता (प्रकृति) और पर्यावरण (पोषण) दोनों का योगदान होता है।
आनुवंशिकता व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता की नींव रखती है, जैसे माता-पिता से प्राप्त गुण। पर्यावरण उस बुद्धि को विकसित करने या रोकने में भूमिका निभाता है। इसमें शिक्षा, पारिवारिक परिवेश, पोषण, सामाजिक अनुभव आदि आते हैं।
उदाहरण: दो जुड़वां बच्चों में आनुवंशिक समानता हो सकती है, लेकिन अलग-अलग वातावरण में पले-बढ़े तो उन बच्चों की बुद्धि में अंतर हो सकता है।
3. गाडर्नर के द्वारा पहचान की गई बहु-बुद्धि की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर: हॉवर्ड गार्डनर ने कहा कि बुद्धि केवल एक इकाई नहीं होती, बल्कि इसमें अनेक प्रकार की योग्यताएँ होती हैं।
उन्होंने 8 प्रकार की बुद्धियों की पहचान की:
(i) भाषिक बुद्धि: भाषागत बुद्धि वह योग्यता है जिसके माध्यम से व्यक्ति प्रवाहपूर्ण और लचीलापन युक्त भाषा का प्रयोग करते हुए अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त कर सकता है और दूसरों की बातों को भली-भांति समझ सकता है। इस बुद्धि से युक्त व्यक्ति शब्दों के सूक्ष्म अर्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं, भाषा संबंधी कल्पनाएँ कर सकते हैं और सटीक व प्रभावशाली भाषा का उपयोग करते हैं।
लेखक, कवि, वक्ता और पत्रकार जैसे लोग प्रायः इस प्रकार की बुद्धि में उच्च होते हैं।
(ii) तार्किक-गणितीय बुद्धि: यह बुद्धि व्यक्ति को तार्किक, विश्लेषणात्मक सोचने और समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाती है। ऐसे व्यक्ति अमूर्त तर्क कर सकते हैं और गणितीय प्रतीकों का कुशलतापूर्वक प्रयोग करते हैं। वैज्ञानिकों और गणितज्ञों में यह बुद्धि अधिक होती है।
(iii) स्थानिक बुद्धि: स्थान और रूपों को समझने तथा कल्पना करने की क्षमता। जैसे चित्रकार, वास्तुकार।
(iv) शारीरिक-गत्यात्मक बुद्धि: यह वह योग्यता है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर या उसके किसी विशेष अंग को कुशलता और लचीलापन के साथ नियंत्रित कर सकता है। इसका उपयोग किसी वस्तु या उत्पाद के निर्माण में किया जा सकता है, या केवल शारीरिक प्रदर्शन के रूप में भी। इसमें पेशियों का समन्वय, गति पर नियंत्रण और शरीर की गतिविधियों में सर्जनात्मकता शामिल होती है। इस प्रकार की बुद्धि धावकों, नर्तकों, अभिनेताओं, खिलाड़ियों, जिमनास्टों और शल्य-चिकित्सकों में विशेष रूप से अधिक पाई जाती है।
(v) संगीतमय बुद्धि: सांगीतिक लय तथा अभि- रचनाओं को उत्पन्न तथा प्रहस्तन करने की योग्यता सांगीतिक अभिरचनाओं को उत्पन्न करने, उनका सर्जन तथा प्रहस्तन करने की क्षमता सांगीतिक योग्यता कहलाती है। इस बुद्धि की उच्च मात्रा रखने वाले लोग ध्वनियों और स्पंदनों तथा ध्वनियों की नई अभिरचनाओं के सर्जन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
(vi) अंतरवैयक्तिक बुद्धि: अंतर्वैयक्तिक बुद्धि वह क्षमता है जिससे व्यक्ति दूसरों की भावनाओं, उद्देश्यों और व्यवहार को समझकर अच्छे संबंध बना सकता है। यह योग्यता आमतौर पर मनोवैज्ञानिकों, परामर्शदाताओं, राजनीतिज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं में पाई जाती है।
(vii) अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि: यह दूसरों की भावनाओं, उद्देश्यों और व्यवहार को समझने की क्षमता है, जिससे व्यक्ति अच्छे संबंध बना सकता है। यह योग्यता नेताओं, परामर्शदाताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं में अधिक होती है।
(viii) प्राकृतिक बुद्धि: प्रकृति और प्राकृतिक तत्वों को समझने की क्षमता। जैसे जीवविज्ञानी, पर्यावरणविद्।
4. किस प्रकार त्रिचापीय सिद्धांत बुद्धि को समझने में हमारी सहायता करता है?
उत्तर: त्रिचापीय सिद्धांत बुद्धि को समझाने में हमारी सहायता करता है इसको तीन भागों में बाँटता है-
(i) विश्लेषणात्मक बुद्धि: समस्याओं को सुलझाना, तर्क करना, सोच समझ कर निर्णय लेना।
(ii) सृजनात्मक बुद्धि: नई स्थितियों में नवाचार करना, नये विचार उत्पन्न करना।
(iii) व्यावहारिक बुद्धि: वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान करना। यह सिद्धांत यह समझने में मदद करता है कि बुद्धि केवल पुस्तक ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यवहारिक जीवन में उसकी क्या भूमिका है।
5. “प्रत्येक बौद्धिक क्रिया तीन तंत्रिकीय तंत्रों के स्वतंत्र प्रकार्यों को सम्मिलित करती है।” पास मॉडल के संदर्भ में उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: पास मॉडल को दास, नाग्लिएरी और किरियन ने प्रस्तुत किया।
इसके अनुसार, बुद्धि तीन प्रमुख संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं से मिलकर बनी होती है-
(i) योजना बनाना (Planning): लक्ष्य निर्धारित करना और रणनीति बनाने के लिए।
(ii) ध्यान देना (Attention): ध्यान केंद्रित करना, व्याकुलता से बचना।
(iii) समकालिक और क्रमिक प्रसंस्करण (Simultaneous and Successive Processing): एक साथ या क्रमवार जानकारी को प्रोसेस करना।
6. क्या बुद्धि के संप्रत्ययीकरण में कुछ सांस्कृतिक भिन्नताएँ होती है?
उत्तर: हाँ, विभिन्न संस्कृतियों में बुद्धि को अलग-अलग रूप में परिभाषित और महत्व दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, पश्चिमी देशों में विश्लेषणात्मक बुद्धि को अधिक महत्व दिया जाता है जबकि पूर्वी संस्कृतियों में सामाजिक और नैतिक बुद्धि को महत्व दिया जाता है।
7. बुद्धि लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं?
उत्तर: बुद्धि लब्धि (IQ – Intelligence Quotient) एक संख्यात्मक माप है जो किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि लब्धि प्राप्त हो जाती है।
वृद्धि लब्धि को निम्नलिखित वर्गीकृत में बाँटा जा सकता है-
130 से अधिक: अत्यंत श्रेष्ठ (Very Superior)।
120-130: श्रेष्ठ (Superior)।
110-119: उच्च औसत (High Average)।
90-109: औसत (Average)।
80-89: निम्न औसत (Low Average)।
70-79: सीमांत (Borderline)।
70 से कम: बौद्धिक विकलांगता (Intellectual Disability)।
8. किस प्रकार आप शाब्दिक और निष्पादन बुद्धि परीक्षणों में भेद कर सकते हैं।
उत्तर: शाब्दिक बुद्धि परीक्षणों में भाषा का उपयोग होता है। ये मौखिक प्रश्नों पर आधारित होते हैं जैसे— परिभाषाएँ, विलोम, समानार्थक शब्द, सामान्य ज्ञान आदि। लेकिन निष्पादन (performance) परीक्षण अमौखिक होते हैं। इनमें वस्तुओं को मिलाना, चित्रों को पहचानना, आकृतियों की व्यवस्था करना आदि शामिल होता है। निष्पादन परीक्षणों में भाषा का प्रयोग न्यूनतम होता है, जिससे यह भाषायी पूर्वग्रह से मुक्त होता है।
9. सभी व्यकितयों में समान बौद्धिक क्षमता नहीं होती। कैसे अपनी बौद्धिक योग्यताओं में लोग एक-दूसरे से भिन्न होत है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: सभी व्यक्तियों में समान बौद्धिक क्षमता नहीं होती क्योंकि बौद्धिकता अनेक कारकों पर निर्भर करती है।
उन कारकों को निचे उल्लेख किया गया है-
(i) आनुवंशिक कारक: परिवार और वंशानुगत विशेषताएँ।
(ii) पर्यावरणीय कारक: शिक्षा, सामाजिक परिवेश और सीखने के अवसर।
(iii) व्यक्तिगत अनुभव: जीवन के अनुभव और समस्याओं से निपटने का तरीका।
(iv) मनोवैज्ञानिक कारक: व्यक्ति की रुचि, प्रेरणा और मानसिक स्वास्थ्य।
यही कारण है कि एक ही परिवार में रहने वाले लोग भी बौद्धिक रूप से भिन्न होते हैं।
10. आपके विचार में बुद्धि लब्धि और सांवेगिक लब्धि में से कौन-सी जीवन में सफलता से ज़्यादा सम्बंधित होगी। और क्यों?
उत्तर: सफलता में दोनों का ही महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, वह निचे उल्लेख किया गया है-
(i) बुद्धि लब्धि (Growth Mindset): यह क्षमता विकास और चुनौतियों से सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है। ऐसे लोग असफलता से सीखते हैं और अपने कौशल में सुधार करते रहते हैं।
(ii) सांवेगिक लब्धि (Emotional Intelligence): इसमें अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझना और उनका प्रबंधन करना शामिल है। यह कार्यस्थल पर सामंजस्य और नेतृत्व में सहायक होता है। दोनों क्षमताएँ मिलकर जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
11. ‘अभिक्षमता’ ‘अभिरुचि और बुद्धि’ से कैसे भिन्न है? अभिक्षमता का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर: अभीक्षमता का तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र की क्रियाओं को सीखने और उन्हें दक्षता के साथ संपन्न करने की योग्यता से है। इसे व्यक्ति की उन विशेषताओं के संयोजन के रूप में देखा जाता है, जिन्हें वह उचित प्रशिक्षण के माध्यम से विकसित करता है और विशिष्ट ज्ञान व कौशल अर्जित कर विशिष्ट कार्यों में दक्षता प्राप्त करता है।
मनोवैज्ञानिकों ने यह पाया है कि समान बुद्धि स्तर वाले व्यक्ति भी विभिन्न क्षेत्रों के ज्ञान और कौशल को अलग-अलग स्तर पर ग्रहण करते हैं। उदाहरणस्वरूप, कक्षा में कुछ अत्यंत बुद्धिमान विद्यार्थी भी कुछ विषयों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। जैसे, यदि आपको गणित में कठिनाई होती है तो आप किसी की सहायता लेते हैं, लेकिन जब कविता समझने में परेशानी होती है तो आप अविनाश की मदद लेते हैं। इसका कारण यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की विशेष योग्यताएं और कौशल आवश्यक होते हैं, जिन्हें हम अभीक्षमताएं कहते हैं। इन योग्यताओं को उचित प्रशिक्षण के माध्यम से काफी हद तक विकसित किया जा सकता है।
अभिरुचि का अर्थ है— किसी व्यक्ति का किसी विशेष क्षेत्र में रुझान या उसमें सफलता प्राप्त करने की इच्छा। यह उस कार्य के प्रति झुकाव और प्राथमिकता को दर्शाती है, जिसे व्यक्ति करना पसंद करता है। दूसरी ओर, अभीक्षमता यह दर्शाती है कि वह व्यक्ति उस कार्य को करने में कितना सक्षम है।
12. किस प्रकार सर्जनात्मकता से संबंधित होती है?
उत्तर: सर्जनात्मकता एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें मौलिक और नवीन विचार उत्पन्न होते हैं।
यह निम्नलिखित कारकों से संबंधित होती है-
(i) मौलिकता: नवीन और अनोखे विचार उत्पन्न करने की क्षमता।
(ii) लचीलापन: अलग-अलग दृष्टिकोण से समस्या को देखने की क्षमता।
(iii) तरलता: विचारों और समाधानों का प्रवाह।
(iv) विस्तार: विचार को विस्तार देने की क्षमता।

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