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NCERT Class 11 History Chapter 1 लेखन कला और शहरी जीवन
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लेखन कला और शहरी जीवन
Chapter – 1
विश्व इतिहास के कुछ विषय
अनुभाग एक – प्रारंभिक समाज
अभ्यास
संक्षेप में उत्तर दीजिए:
1. आप यह कैसे कह सकते हैं कि प्राकृतिक उर्वरता तथा खाद्य उत्पादन के उच्च स्तर ही आरंभ में शहरीकरण के कारण थे?
उत्तर: प्राकृतिक उर्वरता और खाद्य उत्पादन के उच्च स्तर को शहरीकरण का प्रमुख कारण मानने के पीछे ऐतिहासिक और तार्किक आधार हैं। जब किसी क्षेत्र में भूमि उपजाऊ होती है और कृषि अच्छी होती है, तो वहाँ अतिरिक्त भोजन पैदा होता है। इस अतिरिक्त उत्पादन से समाज में कुछ लोगों को अन्य कार्यों के लिए मुक्त किया जा सकता है, जिससे विभिन्न प्रकार के व्यवसाय, कारीगरी और प्रशासनिक संरचनाएँ विकसित होती हैं।
अधिकांश प्राचीन शहर नदियों के किनारे बसे थे, क्योंकि वहाँ की मिट्टी उर्वर थी और सिंचाई के लिए जल की प्रचुरता थी। जैसे-जैसे खाद्य उत्पादन बढ़ा, लोगों ने स्थायी रूप से बसना शुरू किया और छोटे गाँव धीरे-धीरे बड़े नगरों में बदल गए। अतिरिक्त अनाज को संग्रहीत किया जाने लगा, जिससे व्यापार और विनिमय प्रणाली विकसित हुई। इससे समाज में श्रम विभाजन उभरा और कारीगर, व्यापारी, पुजारी तथा शासक जैसे नए वर्गों का निर्माण हुआ।
कृषि अधिशेष के कारण नगरों के लिए आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति संभव हुई। अनाज, फल, सब्जियाँ और अन्य खाद्य सामग्री का उत्पादन इतना अधिक हुआ कि इसे दूर-दराज के क्षेत्रों में बेचा या बदला जाने लगा। इससे व्यापार बढ़ा और नगरों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, स्थायी बसावट के कारण प्रशासनिक और धार्मिक केंद्रों की आवश्यकता पड़ी, जिससे मंदिर, राजमहल और अन्य सार्वजनिक संरचनाएँ बनीं है।
2. आपके विचार से निम्नलिखित में से कौन-सी आवश्यक दशाएँ थीं जिनकी वजह से प्रारंभ में शहरीकरण हुआ था और निम्नलिखित में से कौन-कौन सी बातें शहरों के विकास के फलस्वरूप उत्पन्न हुईं?
(क) अत्यंत उत्पादक खेती।
(ख) जल-परिवहन।
(ग) धातु और पत्थर की कमी।
(घ) श्रम विभाजन।
(ङ) मुद्राओं का प्रयोग।
(च) राजाओं की सैन्य-शक्ति जिसने श्रम को अनिवार्य बना दिया।
उत्तर: मेरे विचार से प्रारंभिक शहरीकरण कई महत्वपूर्ण कारणों से हुआ था। जैसे अत्यंत उत्पादक खेती ने अधिशेष भोजन उत्पन्न किया, जिससे कुछ लोगों को कृषि से अलग कार्यों में संलग्न होने का अवसर मिला है। जल परिवहन ने व्यापार और संसाधनों के आदान-प्रदान को सुगम बनाया गया। धातु और पत्थर की सीमित उपलब्धता ने व्यापार को आवश्यक बना दिया। श्रम विभाजन ने विशिष्ट कार्यों और कारीगरों को जन्म दिया। मुद्राओं के प्रयोग ने व्यापार को सुव्यवस्थित किया। अंत में, राजाओं की सैन्य शक्ति ने सामाजिक संरचना को मजबूत किया और श्रम को संगठित करने में मदद किया।
3. यह कहना क्यों सही होगा कि खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे?
उत्तर: यह कहना इसलिए सही होगा कि खानाबदोश पहुंचता खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे क्योंकि पशुचारक, जो स्थायी कृषि समुदायों से भिन्न जीवनशैली अपनाते थे, अक्सर स्थायी नगरों और कृषि उत्पादनों को लूटने की प्रवृत्ति रखते थे। उनकी घूमंतू जीवनशैली और आक्रमणकारी प्रवृत्ति स्थायी समाजों की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा थी और वे अक्सर नगरों और कृषि स्थलों को निशाना बनाते थे, जिससे स्थानीय लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता था।
4. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि पुराने मंदिर बहुत कुछ घर जैसे ही होंगे?
उत्तर: मैं ऐसा इसलिए सोचती हुँ कि पुराने मंदिर बहुत कुछ घर जैसे ही होंगे क्योंकि ये देवी-देवताओं के निवास स्थान थे और घरेलू वास्तुकला का प्रतिबिंब थे। साथ ही, मंदिरों का प्रयोग आवासीय उद्देश्यों के लिए भी किया जाता था। जिससे वे कई मायनों में आवासीय भावनाओं से मिलते-जुलते थे। मंदिर न केवल पूजा स्थल थे बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक गतिविधियों के केंद्र भी होते थे। कई मंदिरों में भंडारण, रहने और कार्य करने के लिए अलग-अलग कक्ष बनाए जाते थे, जो उन्हें बड़े घरों की तरह बनाते थे।
संक्षेप में निबंध लिखिए |
5. शहरी जीवन शुरू होने के बाद कौन-कौन सी नयी संस्थाएँ अस्तित्व में आईं? आपके विचार से उनमें से कौन-सी संस्थाएँ राजा की पहल पर निर्भर थीं।
उत्तर: शहरीकरण के साथ कई नई संस्थाएँ उभरीं, जैसे प्रशासनिक केंद्र, व्यापारिक संघ, धार्मिक संगठन और न्यायालय। इनमें से कई संस्थाएँ राजा की पहल पर निर्भर थीं, क्योंकि वह सुरक्षा, व्यापार नियमन और कर संग्रह की व्यवस्था सुनिश्चित करते थे। मंदिरों और शाही कार्यशालाओं को भी शासकों द्वारा नियंत्रित किया जाता था।
युद्ध में विजयी होने वाला मुखिया स्थायी रूप से समुदाय के मुखिया नहीं बने रहते थे। समय के साथ, इन नेताओं का स्थान अन्य शक्तिशाली व्यक्तियों ने ले लिया। धीरे-धीरे इस प्रक्रिया में बदलाव आया, जब इन शासकों ने अपने समुदायों के कल्याण पर अधिक ध्यान देना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप, नई संस्थाएँ और परंपराएँ स्थापित हुईं। विजेता मुखियाओं ने मंदिरों में देवताओं की मूर्तियों को कीमती भेंट चढ़ाना शुरू किया, जिससे मंदिरों की भव्यता बढ़ गई। एनमर्कर से जुड़ी कविताएँ दर्शाती हैं कि इस व्यवस्था ने राजा की प्रतिष्ठा को और ऊँचा किया तथा उसे समाज पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में सहायता मिली। यह एक ऐसे दौर का संकेत देती है, जब मुखियाओं ने ग्रामीणों को अपने निकट बसने के लिए प्रेरित किया, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे शीघ्र ही अपनी सेना संगठित कर सकें। एक अनुमान के अनुसार एक मंदिर को बनाने के लिए 1500 आदमियों को पाँच साल तक प्रतिदिन 10 घंटे काम में लगे रहना पड़ता था।
6. किन पुरानी कहानियों से हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक मिलती है?
उत्तर: हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक बाइबल के प्रथम भाग ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ के कई संदर्भों में देखने को मिलती है। जैसे– ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ की ‘बुक ऑफ जेनेसिस’ (Book of Genesis) में ‘शिमार’ (Shimar) का उल्लेख है जिसका तात्पर्य सुमेर ईंटों से बने शहर की भूमि से है। यूरोपवासी इस भूमि को अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे, और जब इस क्षेत्र में पुरातात्विक खोज शुरू हुई, तो ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं को सत्यापित करने का प्रयास किया गया।
सन् 1873 में ब्रिटिश समाचार-पत्र ने ब्रिटिश म्यूजियम द्वारा प्रारंभ किए गए खोज अभियान का खर्च उठाया जिसके अंतर्गत मेसोपोटामिया में एक ऐसी पट्टिका (Tablet) की खोज की जानी थी जिस पर बाइबल में उल्लिखित जलप्लावन (Flood) की कहानी अंकित थी।
बाइबल के अनुसार, यह जलप्रलय संपूर्ण पृथ्वी से जीवन का विनाश करने वाला था। हालांकि, परमेश्वर ने पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखने के लिए नोआ (Noah) नामक व्यक्ति को चुना। नोआ ने एक विशाल नाव बनाई, जिसमें सभी जीव-जंतुओं के एक-एक जोड़े को स्थान दिया। जब जलप्रलय आया, तो शेष संसार नष्ट हो गया, लेकिन नाव में सवार जीव सुरक्षित रहे है, पर नाव में रखे सभी जोड़े सुरक्षित बच गए। ऐसी ही एक कहानी मेसोपोटामिया के परंपरागत साहित्य में भी मिलती है। इस कहानी के मुख्य पात्र को ‘जिउसुद्र’ (Ziusudra) या ‘उतनापिष्टिम’ (Utnapishtim कहा जाता था।
INTEX QUESTION |
1. क्या शहरी जीवन धातुओं के इस्तेमाल के बिना संभव होता? इस विषय पर चर्चा कीजिए।
उत्तर: शहरी जीवन धातुओं के बिना संभव तो हो सकता था, लेकिन धातुओं के बिना शहरी जीवन की कल्पना करना मुश्किल है, क्योंकि वे शहरीकरण के लिए आवश्यक हैं: औजार, निर्माण, व्यापार, और रक्षा के लिए धातुएँ ज़रूरी हैं। प्रारंभिक नगर मुख्य रूप से मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने थे, और लोग कृषि, पशुपालन तथा व्यापार के माध्यम से जीवन यापन करते थे। हालांकि, जैसे-जैसे समाज जटिल होता गया, धातुओं की आवश्यकता बढ़ी।
धातुओं का उपयोग टेलीफोन, रेडियो और उपग्रहों जैसी संचार तकनीकों में भी किया जाता है। इन तकनीकों ने हमारे एक-दूसरे के साथ संवाद करने के तरीके में क्रांति ला दी है, जिससे लोगों के लिए लंबी दूरी पर भी जुड़े रहना आसान हो गया है। यदि धातुओं के बिना, इन तकनीकों को विकसित करना असंभव होता, जिससे लोगों के लिए एक-दूसरे के साथ संवाद करना मुश्किल हो जाता।
अतः, शहरी जीवन बिना धातुओं के संभव तो होता, लेकिन वह जटिल, संगठित और प्रगतिशील रूप में विकसित नहीं हो पाता। धातुओं के उपयोग ने नगरों को अधिक प्रभावशाली, संगठित और सुरक्षित बनाया, जिससे आधुनिक शहरी जीवन की नींव रखी गई।
2. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि असुरबनिपाल और नैबोनिडस ने मेसोपोटामिया की प्राचीन परंपराओं की कद्र की?
उत्तर: असुरबनिपाल और नेबोनिडस ने मेसोपोटामिया की प्राचीन परंपराओं की कद्र की, क्योंकि वे कला, साहित्य और ज्ञान के संरक्षक थे, और उन्होंने प्राचीन ग्रंथों और कलाकृतियों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने का प्रयास किया। असुरबनिपाल ने निनवे (Nineveh) में एक विशाल पुस्तकालय स्थापित कर प्राचीन ग्रंथों को संरक्षित किया, जबकि नैबोनिडस ने पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया और ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई करवाई। ये प्रयास न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक थे, बल्कि उनके शासन की वैधता को भी मजबूत करते थे।

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