NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

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NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

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Chapter – 2

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

इकाई II: पृथ्वी

अभ्यास

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:

(i) निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?

(क) 46 लाख वर्ष।

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(ख) 4.6 अरब वर्ष।

(ग) 13.7 अरब वर्ष।

(घ) 13.7 खरब वर्ष।

उत्तर: (ख) 4.6 अरब वर्ष।

(ii) निम्न में कौन-सा तत्व वर्तमान वायुमंडल के निर्माण व संशोधन में सहायक नहीं है?

(क) सौर पवन।

(ख) गैस उत्सर्जन।

(ग) विभेदन।

(घ) प्रकाश संश्लेषण।

उत्तर: (ग) विभेदन।

(iii) पृथ्वी पर जीवन निम्नलिखित में से लगभग कितने वर्षों पहले आरंभ हुआ।

(क) 1 अरब 37 करोड़ वर्ष पहले।

(ख) 460 करोड़ वर्ष पहले।

(ग) 38 लाख वर्ष पहले।

(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले।

उत्तर: (घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

(i) विभेदन प्रक्रिया से आप क्या समक्षते हैं।

उत्तर: विभेदन प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी के निर्माण के दौरान भारी तत्व (जैसे लोहा) केंद्र में चले गए और हल्के तत्व सतह पर आ गए। प्रारंभ में, अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी पिघली हुई थी, जिससे यह अलगाव हुआ। समय के साथ, ये पदार्थ ठंडे होकर भूपर्पटी, प्रावार, बाह्य क्रोड और आंतरिक क्रोड जैसी परतों में व्यवस्थित हो गए।

(ii) प्रारम्भिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरूप क्या था?

उत्तर: प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान थी। अपने निर्माण के 80 करोड़ वर्ष बाद अत्यधिक तापमान के कारण यह पूरी तरह पिघल चुकी थी और तरल अवस्था में थी। उस समय पृथ्वी का वायुमंडल बहुत विरल था, जिसमें केवल हाइड्रोजन और हीलियम गैसें मौजूद थीं। तब की पृथ्वी और आज की पृथ्वी में बहुत अंतर था, लेकिन समय के साथ कई प्राकृतिक घटनाएँ हुईं, जिससे यह गर्म और वीरान ग्रह एक सुंदर, जलयुक्त और जीवन के अनुकूल वातावरण में बदल गया।

(iii) पृथ्वी के वायुमंडल को निर्मित करने वाली प्रारंभिक गैसें कौन सी थीं?

उत्तर: पृथ्वी के वायुमण्डल को निर्मित करने वाली प्रारम्भिक गैसें हाइड्रोजन व हीलियम थीं,जो काफी गर्म थीं। यह आज की पृथ्वी के वायुमंडल से बहुत अलग था। अतः कुछ ऐसी घटनाएँ एवं क्रियाएँ अवश्य हुई होंगी जिनके कारण चट्टानी, वीरान और गर्म पृथ्वी एक ऐसे सुंदर ग्रह में परिवर्तित हुई जहाँ बहुत सारा पानी, तथा जीवन के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध हुआ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(i) बिग बैंग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन करें।

उत्तर: आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी सर्वमान्य सिद्धांत बिग बैंग सिद्धांत (Big bang theory) है। इसे विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना (Expanding universe hypothesis) भी कहा जाता है। 1920 ई में एडविन हब्बल (Edwin Hubble) ने प्रमाण दिये कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। समय बीतने के साथ आकाशगंगाएँ एक दूसरे से दूर हो रही हैं।

बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्न अवस्थाओं में हुआ है:

(i) आरम्भ में वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्मांड बना है, अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे। जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था।

(ii) बिग बैंग की प्रक्रिया में इस अति छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ। इस प्रकार की विस्फोट प्रक्रिया से वृहत् विस्तार हुआ। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि बिग बैंग की घटना आज से 13.7 अरब वर्षों पहले हुई थी। ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई। विस्फोट (Bang) के बाद एक सैकेंड के अल्पांश के अंतर्गत ही वृहत् विस्तार हुआ। इसके बाद विस्तार की गति धीमी पड़ गई। बिग बैंग होने के आरंभिक तीन मिनट के अंर्तगत ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ।

(iii) बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान, तापमान 4500 केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया। ब्रह्मांड के विस्तार का अर्थ है आकाशगंगाओं के बीच की दूरी में विस्तार का होना। हॉयल (Hoyle) ने इसका विकल्प ‘स्थिर अवस्था संकल्पना’ (Steady state concept) के नाम से प्रस्तुत किया। इस संकल्पना के अनुसार ब्रह्मांड किसी भी समय में एक ही जैसा रहा है। यद्यपि ब्रह्मांड के विस्तार संबंधी अनेक प्रमाणों के मिलने पर वैज्ञानिक समुदाय अब ब्रह्मांड विस्तार सिद्धांत के ही पक्षधर हैं।

(ii) पृथ्वी के विकास संबंधी अवस्थाओं को बताते हुए हर अवस्था/चरण को संक्षेप में वर्णित करें।

उत्तर: पृथ्वी अपनी प्रारम्भिक अवस्था में चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी। इसका वायुमंडल विरल था, जो हाइड्रोजन एवं हीलियम से बना था। पृथ्वी की संरचना परतदार है। वायुमंडल के बाहरी छोर से पृथ्वी के क्रोड तक जो पदार्थ हैं वे एक समान नहीं हैं। वायुमंडलीय पदार्थ का घनत्व सबसे कम है।

पृथ्वी की सतह से इसके भीतरी भाग तक अनेक मंडल हैं और हर एक भाग के पदार्थ की अलग विशेषताएँ हैं।

पृथ्वी के विकास को निम्नलिखित अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है-

(क) स्थलमंडल का विकास – ग्रहाणु और अन्य खगोलीय पिंड घने और हल्के पदार्थों के मिश्रण से बने होते हैं। पृथ्वी भी इसी प्रक्रिया से बनी हैं, जहाँ गुरुत्वाकर्षण के कारण पदार्थ संहित होकर गर्म हुआ और पिघलने लगा। अत्यधिक तापमान के कारण भारी तत्व (जैसे लोहा) केंद्र में चले गए और हल्के तत्व सतह पर आ गए। समय के साथ यह ठंडे होकर भूपर्पटी, प्रावार, बाह्य क्रोड और आंतरिक क्रोड जैसी परतों में बदल गए। चंद्रमा की उत्पत्ति के दौरान भीषण संघट्ट से पृथ्वी में दोबारा विभेदन हुआ, जिससे इसकी आंतरिक संरचना और स्पष्ट हो गई।

() वायुमंडल व जलमंडल का विकास – वायुमंडल के विकास की तीन अवस्थाएँ हैं:

(i) आदिकालिक वायुमंडलीय गैसों का हास है।

(ii) पृथ्वी के भीतर से निकली भाप एवं जलवाष्प ने वायुमंडल के विकास में सहयोग किया।

(iii) वायुमंडल की संरचना को जैव मंडल के प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (Photosynthesis) ने संशोधित किया।

वायुमंडल के विकास की पहली अवस्था में प्रारंभिक वायुमंडल जिसमें हाइड्रोजन व हीलियम की अधिकता थी, सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। द्वितीय अवस्था में पृथ्वी के अंदरूनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले। लगातार ज्वालामुखी विस्फोट हुये, जिससे वायुमंडल में जलवाष्प व गैसें बढ़ने लगीं। पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन शुरू हुआ। परिणामस्वरूप वर्षा हुई, जिसका जल धरातल पर गर्तों में इकट्ठा होने लगा, जिससे महासागर बने। लगभग 250 से 300 करोड़ सालों पहले प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया विकसित हुई जिसके द्वारा महासागर ऑक्सीजन से संतृत हो गए और वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 200 करोड़ वर्ष पूर्व पूर्ण रूप से भर गई।

(ग) जीवन की उत्पत्ति – पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से संबंधित है। निःसंदेह पृथ्वी का आरंभिक वायुमंडल जीवन के विकास के लिए अनुकूल नहीं था। आधुनिक वैज्ञानिक, जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले – जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। (पुनःबनने में सक्षम था), और निर्जीव पदार्थ को जीवित न तत्त्व में परिवर्तित कर सका।

परियोजना कार्य

‘स्टार डस्ट’ परियोजना के बारे में निम्नलिखित पक्षों पर वेबसाइट से सूचना एकत्रित कीजिए:

(अ) इस परियोजना को किस एजेंसी ने शुरू किया था?

उत्तर: स्टारडस्ट (Stardust) परियोजना एक अंतरिक्ष मिशन था जिसे नासा (NASA) ने शुरू किया था। इसे 7 फरवरी 1999 को लॉन्च किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य धूमकेतु वाइल्ड 2 (Wild 2) और अंतरतारकीय धूल कणों (Interstellar Dust Particles) के नमूने एकत्र करना था। यह पहली ऐसी अंतरिक्ष परियोजना थी जिसने पृथ्वी पर धूमकेतु के नमूने लाने में सफलता प्राप्त की।

(ब) स्टार डस्ट को एकत्रित करने में वैज्ञानिक इतनी रूचि क्यों दिखा रहे हैं?

उत्तर: वैज्ञानिक स्टारडस्ट (Stardust) को एकत्रित करने में इसलिए रुचि दिखा रहे हैं क्योंकि यह हमारे सौरमंडल की उत्पत्ति और विकास को समझने में मदद कर सकता है। धूमकेतु वाइल्ड 2 (Wild 2) और अंतरतारकीय धूल कणों में वे प्राचीन पदार्थ होते हैं जो सौरमंडल के बनने के समय मौजूद थे। इन नमूनों का अध्ययन करके वैज्ञानिक यह जान सकते हैं कि सौरमंडल के शुरुआती दौर में कौन-कौन से तत्व मौजूद थे और वे कैसे आपस में जुड़े।

इसके अलावा, धूमकेतु में मौजूद कार्बनिक यौगिकों (Organic Compounds) का अध्ययन यह समझने में मदद कर सकता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक तत्व कैसे आए। इस कारण, वैज्ञानिक स्टारडस्ट को एकत्रित करके उसका गहराई से विश्लेषण करना चाहते हैं।

(स) स्टार डस्ट कहाँ से एकत्र की गई है?

उत्तर: स्टारडस्ट (Stardust) को मुख्य रूप से दो स्थानों से एकत्र किया गया है:

1. धूमकेतु वाइल्ड 2 (Comet Wild 2): नासा के स्टारडस्ट मिशन ने जनवरी 2004 में धूमकेतु वाइल्ड 2 के पास से गुजरते हुए उसकी धूल और कणों को विशेष एरो जेल (Aerogel) में एकत्र किया। धूमकेतु की यह धूल हमारे सौरमंडल के शुरुआती दौर के अवशेषों में से एक मानी जाती है।

2. अंतरतारकीय धूल (Interstellar Dust): अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर मौजूद अंतरतारकीय धूल कणों को भी एकत्र किया। ये धूलकण अन्य तारों के विस्फोट से बने पदार्थ हैं और ब्रह्मांड की रासायनिक संरचना को समझने में मदद कर सकते हैं।

स्टारडस्ट मिशन 15 जनवरी 2006 को पृथ्वी पर लौट आया, और इसके द्वारा एकत्रित नमूनों का विश्लेषण अभी भी वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में किया जा रहा है।

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