NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8 बलगोबिन भगत Solutions, CBSE Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 Question Answer in English Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8 बलगोबिन भगत Notes and select needs one.
NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8 बलगोबिन भगत
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बलगोबिन भगत
Chapter – 8
क्षितिज-२ |
काव्य खंड |
प्रश्न-अभ्यास
हस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारिरिक विशेषताओं के कारण माधु कहलाते थे?
उत्तर: बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर: भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पत्नी की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम-धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं, जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत की सेवा करना चाहती थी। रोटियाँ बनाकर देना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी।
3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर: बेटे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफेद चादर से ढक दिया तथा वे कबीर के भक्ति गीत गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त करने लगे। भगत ने अपने पुत्रवधू से कहा कि यह रोने का नहीं बल्कि उत्सव मनाने का समय है। विरहिणी आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा के पास चली गई है। उन दोनों के मिलन से बड़ा आनंद और कुछ नहीं हो सकती। इस प्रकार भगत ने शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता का भाव व्यक्त किया।
4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे लेकिन उनमें साधु संन्यासियों के गुण भी थे। वे अपने किसी काम के लिए दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहते थे। बिना अनुमति के किसी की वस्तु को हाथ नहीं लगाते थे। कबीर के आर्दशों का पालन करते थे। सर्दियों में भी अंधेरा रहते ही पैदल जाकर गंगा स्नान करके आते थे तथा भजन गाते थे। वेशभूषा से साधु लगते थे। इनके मुख पर सफेद दाढ़ी तथा सिर पर सफेद बाल थे, गले में तुलसी के जड़ की माला पहनते थे, सिर पर कबीर पंथियों की तरह टोपी पहनते थे, शरीर पर कपड़े बस नाम मात्र के थे। सर्दियों के मौसम में बस एक काला कंबल ओढ़ लेते थे तथा मधुर स्वर में भजन गाते-फिरते थे।
5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर: बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण इसलिए बन गई थी क्योंकि वे जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का अत्यंत गहराई से पालन करते हुए उन्हें अपनेआचरण में उतारते थे। वृद्ध होते हुए भी उनकी स्फूर्ति में कोई कमी नहीं थी। सर्दी के मौसम में भी, भरे बादलों वाले भादों की आधी रात में भी वे भोर में सबसे पहले उठकर गाँव से दो मील दूर स्थित गंगा स्नान करने जाते थे, खेतों में अकेले ही खेती करते तथा गीत गाते रहते। विपरीत परिस्थिति होने के बाद भी उनकी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था। एक वृद्ध में अपने कार्य के प्रति इतनी सजगता को देखकर लोग दंग रह जाते थे।
6. पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: भगत कबीर के आदर्शों का पालन करते थे तथा उनके ही भक्ति गीत अपने मधुर स्वर में गया करते थे। उनके कंठ की मधुरता इतनी मनमोहक थी कि वह उन गीतों को जीवित कर देते थे जिससे लोग मंत्रमुग्ध होकर उनको गुनगुनाने लगते थे।
7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: कुछ प्रसंग ऐसे थे जो यह बताते थे कि भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे जैसे-
(i) बलगोबिन भगत अपने पुत्र की मृत्यु के बाद अपनी पुत्रवधू को पुनर्विवाह करने का आदेश दे दिया था जबकि सामाज में इसकी मान्यता नहीं है।
(ii) सामाजिक मान्यता है की मृत शरीर को मुखाग्नि पुरूष वर्ग के हाथों दी जाती है। परंतु भगत ने अपने पुत्र को मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से ही दिलाई।
(iii) हमारे समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं दी गई है, परंतु भगत ने अपननी पुत्रवधू को पुनर्विवाह करने का आदेश दे दिया।
(iv) अन्य साधुओं की तरह भिक्षा माँगकर खाने के विरोधी थे।
8. धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: आषाढ़ महीने की रिमझिम के बीच सारा गाँव खेतों में उमड़ पड़ा है। शीतल पुरवाई चल रही है। आसमान बादलों से आच्छादित है। कहीं हल चल हैं कहीं रोपनी हो रही है। बच्चे पानी भर खेत में खेल रहे हैं। औरतें कलेवा लिए मेंड़ पर बैठी हैं। इसी समय भगत का कंठ फूट पड़ता है और उनके स्वरों की गूंज आसपास के लोगों को झूमने के लिए विवशकर देती है। इसे सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं। स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते हैं और गीत की लय-ताल पर अँगुलियाँ रोपाई करने लगती हैं तथा कदम उठने लगते हैं।
रचना और अभिव्यक्ति |
9. पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?
उत्तर: बालगोबिन भगत द्वारा कबीर पर श्रद्धा निम्नलिखित रुपों में प्रकट हुई है-
(i) कबीर गृहस्थ होकर भी सांसारिक मोह-माया से मुक्त थे। उसी प्रकार बाल गोबिन भगत ने भी गृहस्थ जीवन में बँधकर भी साधु समान जीवन व्यतीत किया। उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था।
(ii) उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता है।
(iii) वे अपने खेत की सारी उपज कबीरपंथी मठ पर ले जाकर चढ़ावे के रूप में अर्पित कर देते थे और जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता उसी से घर चलाते।
(iv) वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते और दूसरे की वस्तु अस्पृश्य समझते।
(v) उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए दिन बिताया।
(vi) उन्होंने आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर मृत्यु को दोनों के मिलन का शुभ अवसर बताया।
(vii) उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।
10. आपकी दृष्टि में अगह की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर: मेरी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के अनेक कारण रहे होंगे-
(i) कबीर भी घर-परिवार के साथ रहते हुए साधुओं जैसा जीवन बिताते थे।
(ii) कबीर वायाडंबरों से दूर रहकर सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाले थे। यह भगत को पसंद आया होगा।
(iii) कबीरदास का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ भगत को पसंद आया होगा।
(iv) भगत को कबीर का खरा-खरा व्यवहार करना बहुत पसंद आया होगा।
11. गाँव का सामाजिक-सास्कृतिक परिवेश आपाद चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?
उत्तर: भारत गाँवों का देश है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या के जीवन निर्वाह का साधन कृषि है। भारतीय कृषि मानसून पर आधारित है। मानसून की शुरुआत वर्षा के पहले महीने आषाढ़ से शुरू होती है। आषाढ़ आते ही गाँववासी बादलों की राह देखते हैं। बादलों के बरसते ही वे अपने कृषि कार्यों की शुरूआत कर देते हैं। खेतों की जुताई-बुबाई, धान की रोपाई जैसे कार्य शुरू कर दिए जाते हैं। इसी महीने में गर्मी की तपन से राहत मिलती है। यह महीना ग्रामीण बच्चों के लिए बड़ा ही आनंददायी होता है। पानी भरे खेतों की कीचड़ में खेलना उन्हें बहुत रुचिकर लगता है। इस समय गाँव के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश का उल्लास देखते ही बनता है।
12. “ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोविन भगत साधु थे।” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?
उत्तर: साधु प्रायः गेरुए वस्त्रों में या रामनामी वस्त्र लपेटे नज़र आते हैं। उनके बढ़े दाढ़ी और जटाजूट उनके साधु होने के साधन से दिखते हैं पर यह आवश्यक नहीं कि गेरुआ वस्त्र पहनने वाला हर व्यक्ति साधु ही हो। इस कलयुग में ढोंगियों ने भी यही वस्त्र अपना लिया है, इसलिए पहनावे के आधार पर किसी को साधु नहीं माना जा सकता है।
वास्तव में साधु की पहचान उसके पहनावे के आधार पर न करके उसके विचार और व्यवहार पर करना चाहिए। आडंबरहीन जीवन, सद्व्यवहार (अच्छा व्यवहार या उत्तम आचरण), सत्यवादिता, परोपकार की भावना पहनावे की सादगी एवं विचारों की उच्चता देखकर किसी भी व्यक्ति को साधु की श्रेणी में रखा जा सकता है।
13. मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
उत्तर: मोह और प्रेम में निश्चित अंतर होता है मोह में मनुष्य केवल अपने स्वार्थ की चिंता करता प्रेम में वह अपने प्रियजनों का हित देखता है भगत को अपने पुत्र तथा अपनी पुत्रवधू से अगाध प्रेम था। परन्तु उसके इस प्रेम ने प्रेम की सीमा को पार कर कभी मोह का रुप धारण नहीं किया। दूसरी तरफ़ वह चाहते तो मोह वश अपनी पुत्रवधू को अपने पास रोक सकते थे परन्तु उन्होंने अपनी पुत्रवधू को ज़बरदस्ती उसके भाई के साथ भेजकर उसके दूसरे विवाह का निर्णय किया। इस घटना द्वरा उनका प्रेम प्रकट होता है। बालगोबिन भगत ने भी सच्चे प्रेम का परिचय देकर अपने पुत्र और पुत्रवधू की खुशी को ही उचित माना।
भाषा-अध्ययन |
14. इस पाठ में आए कोई दस क्रियाविशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।
उत्तर: (i) थोडा बुखार आने लगा: भेद परिमाणवाचक क्रिया विशेषण।
(ii) हँसकर टाल देते थे: भेद रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
(iii) उस दिन भी संध्या में गीत गाए: भेद कालवाचक क्रियाविशेषण।
(iv) धीरे-धीरे स्वर ऊंचा होने लगा: भेद रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
(v) कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे: भेद परिमाणवाचक क्रियाविशेषण।
(vi) इन दिनों सवेरे ही उठते थे: भेद कालवाचक क्रियाविशेषण।
(vii) वे दिन-दिन छिजने लगे: भेद कालवाचक क्रियाविशेषण।
(viii) हँसकर टाल देते थे: भेद रीतिवाचक क्रियाविशेषण।
(ix) जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं: भेद स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
(x) उनकी अँगुलियाँ खैजड़ी पर लगातार चल रही थी: भेद क्रिया विशेषण।