HSLC 2024 Hindi Question Paper Solved | দশম শ্ৰেণীৰ হিন্দী পুৰণি প্ৰশ্নকাকত সমাধান

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HSLC Hindi Question Paper Solved

HSLC 2024 Hindi Question Paper Solved

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হিন্দী পুৰণি প্ৰশ্নকাকত সমাধান

2024

HINDI OLD PAPER

ALL QUESTION ANSWER

GROUP – A (खण्ड – क)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दो:

(क) सधुकड़ी भाषा में किसने कविता लिखी थी?

उत्तर: सधुकड़ी भाषा में कबीरदास ने कविता लिखी थी?

(ख) सुंदर सृष्टि हमेशा क्या खोजती है?

उत्तर: सुंदर सृष्टि हमेशा बलिदान खोजती है।

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(ग) छोटा जादूगर अपनी जीविका के पैसे से क्या खाना चाहता है?

उत्तर: छोटा जादूगर अपनी जीविका के पैसे से घर पकौड़ी खाना चाहता था।

(घ) मीराँबाई किसकी आराधना करती थीं?

उत्तर: मीराँबाई श्रीकृष्ण की आराधना करती थीं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दो:

(क्र) श्रीमान ने छोटे जादूगर को पहली भेंट में किस रूप में देखा था?

उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूगर की पहली भेंट के दौरान उस छोटे फुहारे के पास, जहाँ एक लड़का चुपचाप शरबत पीने वालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।

(ख) श्रीमान ने झोपड़ी के भीतर क्या देखा था?

उत्तर: श्रीमान ने झोपड़ी के भीतर एक स्त्री को देखा। वह चिथड़ों से लदी हुई काँप रही थी।

(ग) “आप हैं वैरागी; दफ्तरों के रीति-रिवाज नहीं जानते!” यहाँ कौन-सी बात कही गई है?

उत्तर: आप हैं बैरागी कथन पेंशन दफ्तर वाले साहब ने नारद के लिए कहा था। इस कथन के जरिये साहब नारद को दफ्तर के रीति रिवाज समझा रहे थे। उन्होंने नारद से रिश्वत माँगी। इस कहानी में लेखक ने आधुनिक समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर कटाक्ष किया है। आजकल सरकारी दफ़्तरों में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता।

(घ) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है?

उत्तर: गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुननेपर सड़क को यह बोध होता है कि उसके पदक्षेप में न आशा है, न अर्थ है, उसके कदमो में न दायाँ है, न बायाँ है, अर्थात उसके कदमों में निराशा और निरर्थकता भरा है।

(ङ) “यह सबसे बड़ा देवत्व है।” यहाँ ‘सबसे बड़ा देवत्व’ किसे कहा गया है, स्पष्ट करो।

उत्तर: यहाँ सबसे बड़ा देवत्व पुरुषार्थ को कहा गया है क्यों कि इससे ही किसी साधारण वस्तु को उसके महान और उपयोगी स्वरूप प्रदान किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में पुरुष द्वारा असंभव को संभव किया जा सकता है और मिट्टी जैसे साधारण-सी वस्तु को देवत्व का दर्जा दिया जा सकता है।

(ख) कलम विचारों के अंगारे कैसे पैदा करती है?

उत्तर: कलम बड़ी शक्तिशाली है। कलम के जरिये दुनिया को बदल दे सकते है कलम, ने लोगों के मन में ऊँचे भाव पैदा करती है। इसके अलावा दिमाग में भी उत्तेजनापूर्ण भाव पैदा करती है।

(छ) कलम और तलवार में से किसकी शक्ति अधिक है? सतर्क उत्तर दो।

उत्तर: कलम और तलवार में कलम की शक्ति अधिक है क्योंकि कलम की शक्ति अपराजेय है और स्थायी है। तलवार की शक्ति अस्थायी है, केवल अपने को ही बचाने के लिये तथा मैदान में जीतने के लिये तलवार दर्कार है, इसके अलावा और कोई काम नहीं है। कलम की शक्ति बहुत अधिक है बल्कि तलवार से भी ज्यादा है। इस वाक्यांश के माध्यम से एक कलम की शक्ति पर जोर दिया गया है। इसका अर्थ है कि एक कलम इतना कुछ प्राप्त करने में सक्षम है जितना कि एक बड़ी तलवार भी नहीं कर सकती।

(ज) यमदूत ने भोलाराम के जीव के लापता होने के बारे में क्या बताया?

उत्तर: यमदूत ने भोलाराम के जीव के लापता होने के बारे में यह बताया की आज तक उन्होंने कभी धोखा नहीं खाया था। पर इस बार भोलाराम का जीव ने उन्हें चकमा दे गया। पाँच दिन पहले जब जीव ने भोलाराम की देह त्यागी, तब यमदूत ने  उसे पकड़ा और इस लोक की यात्रा आरंभ की। नगर के बाहर ज्यों ही मैं उसे लेकर एक तीव्र वायु-तरंग पर सवार हुआ, त्यों ही वह यमदूत के चंगुल से छूटकर न जाने कहाँ गायब हो गया।

(झ) “मुझे दिन-रात यही संताप सताता रहता है।” यहाँ सड़क किस संताप की ओर इशारा कर रही है, स्पष्ट करो।

उत्तर: यहाँ सड़क यह इशारा कर रही हैं कि उसके ऊपर कोई तबियत से कदम नहीं रखना चाहता है। और कोई उसके ऊपर खड़ा रहना पसंद नहीं करता है।

3. ‘नींव की ईंट’ पाठ के संदेश को रेखांकित करो।

उत्तर: नींव की ईंट पाठ के संदेश यह है कि आज भारत के नवनिर्माण के लिए नींव की ईंट बनने के लिए तैयार लोगों की जरूरत है। लेकिन विडंबना यह है कि आज कंगूरे की ईंट बनने की होड़ा-होड़ी मची है। नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो गई है। जिसने देश की आजादी के लिए आधारशिला बनकर अज्ञात रहते हुए निस्वार्थ भाव से देश की सेवा में स्वयं को खपा दिया। 

अथवा

“देश के नौजवानों को यह चुनौती है।” यहाँ कौन-सी चुनौती की बात की गई है? स्पष्ट करो।

उत्तर: आज देशके नौजवानों के समक्ष चुनौती यह है कि उन्हें सात लाख गाँवों, हजारों शहरों का नवनिर्माण करना है। हजारों लाखों कल-कारखाने खड़े करने हैं। एक सुंदर समाज का निर्माण करना है। इसके लेि उन्हें नींव की ईंट बनना होगा।

4. निम्नलिखित अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या करो:

(क) गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़ि-गदि काढ़े खोट। अन्तर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट॥

उत्तर: गुरु कुम्हार है, और शिष्य घड़ा है; गुरु भीतर से हाथ का सहारा देकर और बाहर से चोट मार मार कर तथा गढ़-गढ़ कर शिष्य की बुराई को निकालते हैं।

जिस तरह कुम्हार अनगढ मिट्टी को तराशकर उसे सुंदर घडे की शक्ल दे देता है, उसी तरह गुरु भी अपने शिष्य को हर तरह का ज्ञान देकर उसे विद्वान और सम्मानीय बनाता है। हां, ऐसा करते हुए गुरु अपने शिष्यों के साथ कभी-कभी कडाई से भी पेश आ सकता है, लेकिन जैसे एक कुम्हार घडा बनाते समय मिट्टी को कडे हाथों से गूंथना जरूरी समझता है, ठीक वैसे ही गुरु को भी ऐसा करना पडता है। वैसे, यदि आपने किसी कुम्हार को घडा बनाते समय ध्यान से देखा होगा, तो यह जरूर गौर किया होगा कि वह बाहर से उसे थपथपाता जरूर है, लेकिन भीतर से उसे बहुत प्यार से सहारा भी देता है।

अथवा

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझ-सा बुरा न कोय ।।

(ख) राम नाम रस पीजै मनुआँ, राम नाम रस पीजै। 

तज कुसंग सत्संग बैठ णित हरि चरचा सुण लीजै। 

काम क्रोध मद लोभ मोह कूँ. बहा चित्त हूँ दीजै। 

मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, ताहि के रंग में भीजे ॥

उत्तर: प्रसंग: यह पंक्तियां मीराबाई द्वारा विरचित हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आलोक भाग-2 के अन्तर्गत पद-त्रय’ शीर्षक के तृतीय पद से लिया गया है।

संदर्भ: इसमें मौराबाई ने पति के रंग-रूप और नाम कीर्तन के महिमा का चित्र व्यंजित किया है।

व्याख्या: कवयित्री मीराबाई ने मनुष्य मात्र को प्रभु-कृष्ण के प्रेम-रंग-रस से सराबोर हो जाने को कहा है। मीरा के अनुसार सभी मनुष्य कुसंग को छोड़कर सत्संग में बैठना चाहिए और अपने मन काम, क्रोध, लोभ, मोह मद जैसे वैरीओ को भगाकर कृष्ण का नाम लेना चाहिए। इसमें मीरा जी की कृष्ण-भक्ति की मधुर ध्वनि व्यंजित हो उठी है जो मनुष्यों के हृदय में आनन्द उल्लास ला देती है।

अथवा

मैं तो चरण लगी गोपाल। 

जब लागी तब कोऊँ न जाने, अब जानी संसार। 

किरपा कीजै, दरसन दीजै, सुध लीजे तत्काल। 

मीरा कहै प्रभु गिरधर नागर चरण कमल बलिहार।।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के अंतर्गत कवयित्री मीराँबाई द्वारा रचित पद-त्रय नामक पाठ से ली गई है।

सन्दर्भ: कवयित्री मीराँबाई ने इसमें भगवान कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा-भक्ति व्यक्त की है।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मीराँबाई कहती हैं कि मैं तो भगवान कृष्ण की शरण में आ गई हूँ। पहले तो इस बात को कोई नहीं जानता था, लेकिन अब तो सारा संसार जान गया है। हे भगवान आप कृपा करके दर्शन दीजिए। हमारी सुध लीजिए। हे भगवान मैं तो आप के चरणों पर न्यौछावर हो गई हूँ। यानी कि मैं आप की शरण में आ गई।

5. (क) निम्नलिखित में से किन्हीं दो मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो: 

घोड़े बेचकर सोना; अँगूठा दिखाना; हाथ-पैर मारना; पेट में चूहे कूदना

उत्तर: (i) घोड़े बेचकर सोना =  मेरा परीक्षा आज समाप्त हो जायगी कल से में ‘घोड़े बेचकर सोऊंगा।

(ii) अँगूठा दिखाना = नेहा ने मुझे अँगूठा दिखाकर मेरी बात को नकारा किया।

(iii) हाथ-पैर मारना = जीवन में सफलता पाने के लिए हाथ-पैर मारना अति आवश्यक है।

(iv) पेट में चूहे कूदना = नेहा ने सुबह नाश्ता ना करने के कारण उसके पेट में चूहे कूद रहा है।

(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के लिंग-निर्णय करो: 

शरीर; दाल; नर कौवा पुलिस; सौदागर; दिमाग

उत्तर: (i) शरीर – पुलिंग।

(ii) दाल – स्त्रीलिंग।

(iii) नर कौवा – पुलिंग।

(iv) पुलिस – स्त्रीलिंग।

(v) सौदागर = पुलिंग।

(vi) दिमाग = स्त्रीलिंग।

(ग) निम्नलिखित में से किन्हीं दो की संधि करो :

लोक + उक्ति ; सम् + वाद ; वयः + वृद्ध ; उप + ईश्ता

उत्तर: (i) लोक + उक्ति = लोकउक्ति।

(ii) सम् + वाद = सम्वाद।

(iii) वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध।

(iv) उप + ईछा = उपेक्षा।

(घ) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के बहुवचन रूप बनाओ: 

डाकू; किताब; नदी; साधु; चेष्टा; तिथि

उत्तर: (i) डाकू = डाकुओं।

(ii) किताब = किताबे।

(iii) नदी = नदियाँ।

(iv) चेष्टा = चेष्टाएँ।

(v) तिथि = तिथियाँ।

(ङ) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के एक-एक पर्यायवाची शब्द लिखो:

गणेश; पथ; आकाश; दानब; सुन्दर; विधान

उत्तर: (i) गणेश = गजानन।

(ii) पथ = रास्ता।

(iii) अकाश = गगन।

(iv) दानब = राक्षस।

(v) सुन्दर = प्यारा।

(vi) विधान = रीति।

(च) निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखो (किन्हीं चार):

जो बहुत जानता है; शक्ति का उपासक; जिसके शेखर पर चंद्र हो; जो कहा न जा सके; वृष्टि का अभाव; जो पीने योग्य हो; मरण तक; समान (एक ही) उदर से जन्म लेने वाला

उत्तर: (i) जो बहुत जानता है = ज्ञानि।

(ii) शक्ति का उपासक = शक्तिवादी।

(iii) जिसके शेखर पर चंद्र हो = चंद्रमणि।

(iv) जो कहा न जा सके = अप्रकट।

(v) वृष्टि का अभाव = अनावृष्टि।

(vi) जो पीने योग्य हो = पेय जल।

(vii) मरण तक = मृत्युपर्यंत।

(viii) समान (एक ही) उदर से जन्म लेने वाला = सहोदर।

(छ) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के विपरीतार्थक शब्द दो:

अधम; अध; गणतंत्र; कृतघ्न; पतन; सम्मान; निर्धन

उत्तर: (i) अधम = उत्तम।

(ii) धम = उपरी।

(iii) गणतंत्र = राजतंत्र।

(iv) कृतघ्न = कृतज्ञ।

(v) पतन = उत्थान।

(vi) सम्मान = असम्मान।

(vii) निर्धन = धनवान।

(ज) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो को शुद्ध करो :

(i) पिता जी आप जाओ।

उत्तर: पिता जी आप जाइए।

(ii) मैंने रोटियाँ खाई है।

उत्तर: मैने रोटी खाई।

(iii) आज सड़क में भारी भीड़ लगी है।

उत्तर: सड़क पर भीड़ जमा है।

GROUP – B (खण्ड – )

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दो:

(क) ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता के कवि का नाम क्या है?

उत्तर: ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता के कवि का नाम नरेंद्र शर्मा है।

(ख) ‘ले-दे कर जीना, क्या जीना है’ यहाँ कवि ने ‘ले-दे’ का प्रयोग किस अर्थ में किया है?

उत्तर: भाव स्पष्टीकरण: कवि इसमें मानवता को अत्यधिक महत्व देते हुए दुष्टों के सम्मुख आत्मसमर्पण न करने के लिए कहते हैं। हमेशा समझौता करके, हार के, ले-देकर जीना, जीना नहीं है।

(ग) बड़े मियाँ के भाषण की तुलना लेखिका ने किससे की है?

उत्तर: बड़े मियाँ के भाषण की तुलना लेखिका ने तूफानी मेल से की है।

(घ) विश्व डाक-संप ने पत्र लेखन की प्रतियोगिता कब से शुरू की थी?

उत्तर: विश्व डाक-संप ने पत्र लेखन की प्रतियोगिता 1972 से शुरू की थी।

(ङ) मयूर किसका युद्ध-वाहन है?

उत्तर: मयूर कार्तिकेय का युद्ध-वाहन है।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दो:

(क) ‘जो बीत गयी’ कविता में कवि ने अम्बर के आनन को देखने की सलाह क्यों दी है?

उत्तर: ‘जो बीत गयी’ कविता में कवि ने अम्बर के आनन को देखने की सलाह इसलिए दी है की वह अपने बेहद प्यारे तारे को टूटे हुए देखकर भी निर्विकार रहता है। अतः मनुष्य को अपने दुःखों को याद करके शोक मनाना अच्छी बात नहीं है। मनुष्य को निर्विकार चित्त का ही अधिकार होना चाहिए।

(ख) कच्या पीने वाला क्यों कभी रोता-चिल्लाता नहीं है?

उत्तर: जिस इन्सान कि ममता घटप्यालो पर होती है वो पीनेवाले कच्चा है एवं सच्चे मधु के जला हुआ है वो कभी रोता या चिल्लाता नहीं है। जो बीत गई सो बात गई।” सृजन ओर संहार प्रकृति का नियम है। इन्सान के पैदा होने के तुरंत बाद से हम मृत्यु की और चलने लगते है।

(ग) कवि की दृष्टि में सत्य का सही तोल क्या है?

उत्तर: कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप यह है की आनेवाले बाधाओं से डर जीवन के लक्ष्य मार्गस्य की प्राप्ति कभी नहीं होती और भागता है उसे लक्ष्य बनाने में परिस्थितियों के साथ लड़ाई करता पसिना बहाकर आया है उनकी ही उन्नति होती है।

(घ) किस प्रसंग में कवि ने पीठ न फेरने की बात कही है, स्पष्ट करो।

उत्तर: बलिदान के मार्ग पर आगे बढ़ने वाले वीरों, सैनिकों और युवकों के काफ़िले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है। कवि नहीं चाहता कि बलिदान की राह सूनी हो। इसलिए, देश की रक्षा के लिए देशवासियों को आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देने के लिए कवि ने समूह में प्रयास करने को कहा है.

(ङ) “राधा अब प्रतीक्षा में दुकेली है।” किस प्रसंग में यह बात कही गई है?

उत्तर: कजली के दो दाँत उसकी गरदन पर लग गए। इस बार उसका कलह – कोलाहल और द्वेष – प्रेम भरा जीवन बचाया न जा सका । परंतु इन तीन पक्षियों ने मुझे पक्षी-प्रकृति की विभिन्नता का जो परिचय दिया है, वह मेरे लिए विशेष महत्त्व रखता है। राधा अब प्रतीक्षा में ही दुकेली है।

(घ) नीलकंठ के स्वभाव की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख करो।

उत्तर: नीलकंठ के स्वभाव की किन्हीं दो विशेषताओं यह है कि –

(i) जब नीलकंठ बड़ा होने लगा तब उसका दिनचर्चा भी बदल गया। 

(ii) वह विशेष भंगिमा के साथ दाना चूगता था, पानी पीता था- कभी किसी आहट हो तो वह टेढ़ी कर सुनने लगता था। 

(छ) नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप के चंगुल से कैसे बचाया था?

उत्तर: एक दिन जब खरगोश के शावक साथ-खेल करते हुए उछलकूद कर रहे थे तो जाली के भीतर कहीं से एक साँप घुस आया। उसको देखकर सब पशु-पक्षी तो भाग गए पर सिर्फ़ एक खरगोश का शावक न भाग पाया और साँप उसे निगलने का प्रयास करने लगा। खरगोश का शावक उसकी कैद से छूटने के प्रयास में क्रंदन करने लगा। नीलकंठ ने जैसे ही उस क्रंदन को सुना वह पेड़ की शाखा से कूदकर साँप के समक्ष आ खड़ा हुआ और अपने पंजों से साँप के फन को दबाया और चोंच के प्रहार से दो ही पल में उसके दो टुकड़े कर दिए। इस तरह उसने शावक को साँप की पकड़ से बचा लिया।

(ज) मृत्यु के पश्चात् महादेवी ने नीलकंठ का संस्कार कैसे किया था?

उत्तर: मृत्यु के बाद नीलकंठ का संसार महादेवी जी ने अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया, तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।

8. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दो:

(क) “वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं है।” यह कैसे? सतर्क उत्तर दो।

उत्तर: वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं। क्यों कि किसी पत्र से उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, साहित्य तथा लिखने वाले के व्यक्तिगत मनोदशा की लेखाजोखा मिलती है। इसमें सुमित्रानंदन पँत जी के दो सौ पत्र बच्चन के नाम निराला अर्थात सूर्यकांत त्रिपाठी जी के भी पत्र हमको मिलते है। इसमें प्रेमचंद, जी भी पीछे नहीं है उन्हें नये लेखकों को प्रेरक जवाब देते थे तथा पत्रों के जवाब में वेबहुत तत्पर रहते थे।जिससे नये लेखक को प्रेरणा मिलती है। प० – नेहरू, महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि के पत्र – देश के प्रेरणा ही नहीं महान दस्तावेज है, दलील है, – जिसे देश के नये पीढ़ियों को प्रेरणा देते आये है। महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ जी के बीज सन 1915 से 1941 तक जितनी पत्र का आदान प्रदान हुआ ये सब संग्रहित रूप में प्रकाशित हुआ। जिससे देश के लिए नये तत्थों और उनकी मनोदशा का लेखा जोखा मिलता है। इस प्रकार किसी देश के लिए, किसी परिवार के लिए पुरुखों के पत्रों का संग्रह एकप्रकार दस्तावेज के रूप में माना जाता है।

अथवा

(ख) “मयूर कलाप्रिय वीर पक्षी है, हिंसक मात्र नहीं।” इस कथन के आशय को अपनी भाषा में लिखी।

उत्तर: मयूर कलाप्रिय वीर पक्षी है, हिंसक मात्र नहीं। इस कथन का आशय यह है कि प्रकृति में जितने भी जीव जंतु है, मयूर की का स्वभाव उन सब से भिन्न है। उसको बाज या चील जैसे पक्षियों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जिनका कार्य बुरे कर्म करना होता है। सभी प्रकार के जीव-जन्तुओं या पशु-पक्षीओं का वीच रूप स्वभाव और आचरण में अंतर देखा जाता है। चारित्रिक विशेषता के कारण एक दुसरों से श्रेष्ठ बनजाता है। बाज, चील जैसे हिंस्र पक्षीओं की तरह मयूरो का जीवन नहीं है। बाज, चीलो का जीवन हिंस्रता और क्रूरता से भरा हुआ है। पर हिंस्रता रहते हुए भी जो कलाप्रियता, सुन्दरता, और वीरत्व मयूरों में है इससे वे अपने को मनुष्य के पूज्य श्रेणी तक पहुंचाता है।

9. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखो:

(क) शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा।

उत्तर: पुराने समय में गुरुकुल में अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी जाती थी। जब अंग्रेज़ भारत पर शासन करते थे उनको दुभाषियों की ज़रूरत थी। देश में कई भाषाएँ प्रचलित थीं और आधुनिक विषयों पर पुस्तकें इन भाषाओं में उपलब्ध नहीं थीं। शिक्षा की पद्धति अंग्रेज़ी माध्यम बनायी जाने पर अंग्रेज़ी के विद्वान उत्पन्न हो जाएँगे और अंग्रेज़ी में उपलब्ध पुस्तकों का अनुवाद देशी भाषा में हो जाएगा। इस प्रकार भारतीय अंग्रेज़ी सभ्यता के संपर्क में रहेंगे। परिणामस्वरुप स्कूलों में अंग्रेज़ी का प्रचार दिन दुगुना रात चौगुना होने लगा। देशी भाषाओं का प्रयोग कम होता जा रहा था और भारतीय अपना साहित्य भूलने लगे।

देश के शिक्षा – शास्त्रियों और नेताओं को यह बात दुखने लगी और वे आंदोलन करने लगे। उनकी माँग यह थी कि शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी के बदले देशी भाषा बनायी जाए। विद्यार्थियों को मातृभाषा में विज्ञान, इतिहास गणित, भूगोल आदि विषय सिखाएँ जाएँ तो वे विषय उनके लिए बोझ न बनेंगे। अंग्रेज़ी के माध्यम से शिक्षा देने से विद्यार्थियों की बुद्धि कुण्ठित हो जाती है। उनका दिमाग थक जाता है। नये विषयों में उनकी रुचि नहीं होती। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देने से कठिन विषयों को भी आसानी से सीख सकते हैं। पर कुछ लोग देशी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने का विरोध करते हैं। उनका कहना है कि देश भाषाओं में अच्छी पुस्तकें नहीं हैं। लेकिन रूस, चीन, जापान आदि देशों में अपनी भाषा में ही शिक्षा दी जाती है। भारत में भी स्कूल एवं कालेजों में देशी भाषा के माध्यम से शिक्षा दी जा सकती है।

(ख) असम का जातीय उत्सव: बिहु।

उत्तर: असम का जातीय उत्सव: बिहु। यह असमिया लोगों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह वसंत के आगमन और एक नए कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। बिहू वास्तव में तीन त्योहारों की एक श्रृंखला है – रोंगाली बिहू, कोंगाली बिहू और भोगाली बिहू – प्रत्येक की अपनी अनूठी रस्में और परंपराएं हैं।

रोंगाली बिहू, जिसे बोहाग बिहू भी कहा जाता है, तीनों में सबसे महत्वपूर्ण है। यह अप्रैल में पड़ता है और बिहू नृत्य, मधुर गीतों और ढोल, पेपा और ताल जैसे पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों जैसे रंगीन नृत्यों के साथ मनाया जाता है। वातावरण असमिया व्यंजनों जैसे पीठा, लारू और चावल पर आधारित विभिन्न व्यंजनों की सुगंध से भर जाती है। अक्टूबर में मनाया जाने वाला कोंगाली बिहू एक शांति का उत्सव है। इसमें भरपूर फसल के लिए प्रार्थना पर ध्यान दिया जाता है। लोग मिट्टी के दीपक जलाते हैं और समृद्धि और खुशहाली के लिए देवताओं से प्रार्थना करते हैं। 

भोगाली बिहू जनवरी में मनाया जाता है। इसमें दावत का आयोजन किया जाता है। लोग साथ मिलकर मौज मस्ती के साथ उत्सव मनाते हैं। इस समय सामुदायिक दावत और भैंसों की लड़ाई जैसे पारंपरिक खेलों का भी आयोजन होता है। बिहू असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कृषि जीवन शैली का दर्पण है। यह समुदाय को एक साथ लाता है, लोगों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देता है। अपने संगीत, नृत्य, अनुष्ठानों और दावत के माध्यम से आनंद और उत्सव की भावना का प्रतीक बन जाता है।

(ग) भारतीय नारी।

उत्तर: पुरातन समय से ही भारत की महिलाएं भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अहम हिस्सा रही हैं। हालांकि, भारतीय महिलाओं की स्थिति पिछले कुछ दशकों से बेहद ही विचारणीय रही है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं ने लगभग हर क्षेत्र में प्रगति की है,बावजूद इसके भारत में महिलाएं अभी भी जीवन के हर मोड़ पर लगातार चुनौतियों का सामना कर रही हैं। 

महिलाओं की प्रगति एवं उपलब्धियाँ –

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय महिलाएं खुद को सशक्त बनाने में प्रयासरत हैं। उनके इस प्रयास में देश की सरकार भी बराबर का साथ दे रही है। सरकार महिलाओं के हक में भिन्न भिन्न नीतियां और कानून लाकर महिलाओं को सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाने में लगी हुई है। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसरों में सुधार लाने हेतु नए नए कार्यक्रम सरकार लाती ही रहती है। परिणामस्वरूप महिलाओं ने हर दिशा में सकारात्मक विकास किया है। 

चुनौतियाँ और संघर्ष-

भले ही भारतीय महिलाओं ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल कर ली हों, किंतु फिर भी महिलाओं के सामने ढेरों चुनौतियां अभी भी हैं। लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा तथा वेतन की असमानता का सामना आज भी देश की महिलाएं ना चाहते हुए भी कर रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा आज भी चिंता का विषय है।

(घ) जहाँ चाह वहाँ राह।

उत्तर: यह एक बड़ी ही प्रसिद्ध युक्ति है। इसका अर्थ है कि हमने किसी भी चीज को पाने के लिए यदि अपना इरादा पक्का कर लिया है। और उस दिशा में अनवरत ढंग से प्रयास कर रहे हैं तो सफलता अवश्य मिलेगी इसके लिए यह भी आवश्यक है। कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए सकारात्मक सोच विकसित की जाए नकारात्मक को अपने ऊपर कभी भी हावी नहीं होने देना चाहिए। ऊपर कभी भी हावी नहीं होने देना चाहिए, इसके अतिरिक्त आपको किसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए पहले स्वयं को दृढ़ निश्चय के बाद कार्य करने की रूपरेखा बनानी चाहिए तब पर कार्य करने से सफलता का स्वाद अवश्य मिलेगा। इसके अतिरिक्त आपको किसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए पहले स्वयं को दृढ़ निश्चय के बाद कार्य करने की रूपरेखा बनानी चाहिए तब पर कार्य करने से सफलता का स्वाद अवश्य मिलेगा। नेपोलियन बोनापार्ट को अपनी सेना आल्पस पर्वत के पार ले जानी थी उसने सैनिकों से कहा कि मान लो कि आल्पस ही नहीं बस उबड़ खाबड़ रास्ता है उसके इरादे इतने बुलंद थे की सबने आल्पस को पार कर लिया, की सबने आल्पस को पार कर लिया पक्का इरादा कर लेना ही सफलता का प्रथम सोपान है इसलिए कहा गया है की जहां चाह वहां राह।

10. अपने नगर अथवा महानगर की अनियमित बिजली आपूर्ति की समस्या को दर्शाते हुए किसी प्रसिद्ध अखबार के सम्पादक के नाम पर एक पत्र लिखो।

उत्तर: प्रसिद्ध अखबार के सम्पादक के नाम पत्र

शिल्पथर 

श्रीमान सम्पादक,

हिंदुस्तान 

विषय: अनियमित बिजली आपूर्ति की समस्या के समाधान हेतु पत्र

सादर प्रणाम,

मैं राम, शिल्पथर का निवासी, आपके अखबार के माध्यम से नगर में बिजली आपूर्ति की अनियमितता और उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं को आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ। यह समस्या हमारे नगर के अधिकांश नागरिकों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।

हमारे नगर में अक्सर बिजली की आपूर्ति बाधित होती रहती है, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में जब बिजली की आवश्यकता अधिक होती है। कई बार तो पूरा दिन बिजली नहीं आती या फिर कई घंटों तक बिजली चली जाती है, जिससे घरों में गर्मी और परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को भी बहुत नुकसान होता है, क्योंकि उनकी दुकानें बंद हो जाती हैं और उनका काम रुक जाता है।

मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस समस्या का समाधान शीघ्र किया जाए। बिजली आपूर्ति के मामले में सुधार के लिए संबंधित विभागों से बात की जाए और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए। यह नगरवासियों के लिए बहुत जरूरी है कि बिजली आपूर्ति नियमित और पर्याप्त हो, ताकि लोगों को कोई कठिनाई न हो और उनका दैनिक जीवन सामान्य रूप से चलता रहे।

आपसे निवेदन है कि इस पत्र को प्रकाशित कर नगर के नागरिकों की आवाज़ को उठाने का कष्ट करें।

आपका विश्वसनीय,

राम 

अथवा

यह सूचित करते हुए कि मैट्रिक की परीक्षा के बाद तुम पर्यटन हेतु दिल्ली जाओगे, अपने दिल्ली के किसी मित्र के नाम पर एक पत्र लिखो।

उत्तर: प्रिय मित्र नरेश

सादर नमस्कार,

मैं आशा करता हूँ कि तुम स्वस्थ और खुशहाल होंगे। मैं यह पत्र तुम्हें सूचित करने के लिए लिख रहा हूँ कि मैं अपनी मैट्रिक की परीक्षा के बाद पर्यटन के लिए दिल्ली आ रहा हूँ।

मुझे खुशी है कि मुझे दिल्ली का भ्रमण करने का अवसर मिल रहा है, और मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे अपने शहर के प्रमुख स्थानों और दर्शनीय स्थलों के बारे में बताओ। मैं दिल्ली के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थानों को देखना चाहता हूँ, जैसे कुतुब मीनार, इंडिया गेट, लाल किला, और अक्षरधाम मंदिर आदि। मुझे विश्वास है कि तुम्हारी मदद से मैं दिल्ली का एक अच्छा अनुभव प्राप्त कर पाऊँगा।

मैं अपनी परीक्षा के बाद 12/10/2024 को दिल्ली आऊँगा और वहां कुछ दिन रहूँगा। आशा है कि तुम मुझे अपने घर पर ठहरने का अवसर दोगे और हम मिलकर दिल्ली की सैर करेंगे। मुझे तुम्हारा उत्तर जल्द ही मिलने की उम्मीद है।

तुम्हारा मित्र,

रोहित

11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दो हमारी समाज-व्यवस्था में अनेक सामाजिक कुव्यवस्थाएँ तथा रीतियाँ प्रचलित हैं। सर्वप्रथम हम वैवाहिक कुरीतियों को ही देख सकते हैं। क्रम उम्र की बालिकाओं का विवाह साठ-सत्तर साल के वृद्धों के साथ कर दिया जाता है। दूसरी ओर, कम उम्र के लड़कों के साथ कम उम्र की लड़कियों का विवाह, हमारे समाज में होज समाज की आँखों के सामने होता आ रहा है। यह दुर्भाग्य तथा हमारी कमजोरी की बात है कि हमारे यहाँ, जात-पात, स्पृश्य-अस्पृश्यता कीसमस्याएँ जड़े जमा रही हैं। जिन्हें अस्पृश्य समझा जाता है, वे न तो देवालयों में प्रवेश कर सकते हैं और न जलाशयों से पानी भर सकते हैं। अस्पृश्यता के नाम पर किये जाने वाले हमारे इन अन्यायों के कारण करोड़ों व्यक्ति दिन-प्रतिदिन दूर होते जा रहे हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि स्वतंत्र भारत की सरकार ने कानून द्वारा अस्पृश्यता को अवैध घोषित कर दिया है।, फिर भी अस्पृश्यों की दशा सुधारने और समाज में उन्हें समान अधिकार दिलाने के लिए नवयुवकों को बहुत कार्य करना अभी भी बाकी है।

प्रश्नावली:

(क) हमारे समाज की समस्याएँ क्या-क्या है?

उत्तर: हमारे समाज की समस्याएँ यह है कि वैवाहिक कुरीतियाँ, जात-पात और स्पृश्य-अस्पृश्यता की समस्याएँ, अस्पृश्यता के कारण सामाजिक भेदभाव और अन्याय।

(ख) हमारे समाज के लिए दुर्भाग्य तथा कमजोरी की बातें क्या-क्या है?

उत्तर: बालिकाओं का वृद्धों से विवाह करना। कम उम्र के लड़कों के साथ कम उम्र की लड़कियों का विवाह होना।

जात-पात और अस्पृश्यता की समस्याओं का अस्तित्व और इनका समाज में होना।

(ग) हमारी सरकार ने समस्याओं को दूर करने हेतु क्या काम किया है?

उत्तर: स्वतंत्र भारत की सरकार ने अस्पृश्यता को अवैध घोषित कर दिया है और कानून द्वारा इसे समाप्त करने का प्रयास किया है।

(घ) हमारे नवयुवकों से क्या उम्मीद की जाती है?

उत्तर: हमारे नवयुवकों से यह उम्मीद की जाती है कि वे अस्पृश्यता और जात-पात के भेदभाव को दूर करने के लिए कार्य करें और समाज में समान अधिकार की प्राप्ति के लिए योगदान दें।

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का एक सार्थक शीर्षक दो।

उत्तर: “समाज की कुरीतियाँ और नवयुवकों की जिम्मेदारी”

12. निम्नलिखित वाक्यों का हिन्दी अनुवाद हिंदी में करो:

(क) I can play football.

उत्तर: मैं फुटबॉल खेल सकता हूँ।

(ख) I like this dress; but I have no money to buy it.

उत्तर: मुझे यह ड्रेस पसंद है; लेकिन इसे खरीदने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं।

(ग) Rohit did not do well in the test.

उत्तर: रोहित ने परीक्षा में अच्छा नहीं किया।

(घ) Can you tell a new story today?

उत्तर: क्या तुम आज एक नई कहानी सुना सकते हो?

(ङ) We can travel by a bus, train or an aeroplane.

उत्तर: हम बस, ट्रेन या हवाई जहाज से यात्रा कर सकते हैं।

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