Class 11 Hindi Chapter 23 आलो-आंधारि

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SCERT Class 11 Hindi Chapter 23 आलो-आंधारि

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आलो-आंधारि

Chapter – 23

वितान खंड

प्रश्नोत्तर

1. पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है, कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस समाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: किराये के मकान में जब बेबी हालदार अपने बच्चों के साथ रहती थी, तो आस पड़ोस के औरते तरह तरह के सवाल उससे पूछते जैसे तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम अकेली रह सकोगे? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? आदि। ये सारे प्रश्न समाज के इस अंश या सच्चाई का उजागर करती हैं, कि समाज में पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है।

भले ही समाज व्यवस्था में पहले से काफी हद तक सुधार आ गये हैं, फिर भी इस सामाजिक स्थिति में परिवर्तन कम ही आया हैं। आज भी अकेली रहने वाली औरतों के लिए समाज के लोग इस प्रकार के सवाल पूछते हैं। आस पास के लोगों द्वारा बेबी हालदार को पूछे गये ये सवाल बेबी हालदार जैसी अकेली रहनेवाली महिलाओं के लिए अस्तित्व के लिए प्रश्नचिह्न हैं। पुरुष प्रधान समाज में अकेली महिला को जो पति के साथ नहीं रहती अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता है। उसे लेकर तरह-तरह की बातें बनाई जाती है।

2. अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन सी सच्चाई उजागर होती है?

उत्तर: बेबी के सामने पहली सच्चाई तो यह उजागर होती है, कि आदमी हो या औरत सभी अपने पेट की चिंता स्वयं करते हैं, और एक ही जैसा खटते कमाते हैं।

बच्चों के साथ अकेली रहने के दौरान जो समस्याएँ आई थी, उसमें भी उसकी मदद उसके परिवार वर्ग के लोगों ने नहीं किया। वह समस्याएँ भी उसकी अपनी थी, जिसका सामना उसे ही करना था। बेबी हालदार अपने जीवन में आनेवाली समस्याओं से अकेले ही जुझती हैं।

3. इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार कीजिए।

उत्तर: घरेलू नौकरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है―

(क) घरेलू नौकरों को उचित मजदूरी नहीं मिलती हैं, जिससे उन्हें आर्थिक अभाव का सामान करना पड़ता हैं। अपने बच्चों कि पालन-पोषण उचित ढंग से नही कर पाते हैं। उन्हें शिक्षा नहीं दिला पाते हैं। इतना ही नहीं रोटी, कपड़ा ओर रहने के लिए सही मकान तक उपलब्ध नहीं होते हैं।

(ख) किसी-किसी घरोंमे तो घरेलू नौकरों से अमानवता का सा व्यवहार भी करते  हुए देखा जाता हैं। कभी-कभी उनको मार-पिट करते हुए भी देखा जाता है 

(ग) किसी-किसी घरों में घरेलू नौकरों से अत्याधिक काम करवाया जाता है।

4. ‘आलो-ऑधरि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को समेटे हैं। किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विच प्रकट कीजिए।

उत्तर: ‘आलो-ऑधरि’ में निम्नलिखित सामाजिक समस्याओं को प्रकट किया गया हैं ―

1. इस पाठ के माध्यम से अकेली या पतिविहीन स्त्री का समाज में जो सामाजिक स्थिति हैं, उसको दिखाया गया हैं। भले ही देश उन्नत हो रहा हैं, समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं हैं, जो अकेली स्त्री को तरह-तरह के प्रश्नों द्वारा  आरोपित करना चाहते हैं। उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं।

2. इस पाठ में नारी शिक्षा की समस्या को भी दिखाया गया हैं। सभी नारी क शिक्षित होना आवश्यक हैं। शिक्षा मनुष्य को नई सोच तथा आत्मनिर्भर बना है। बेबी हालदार अगर पढ़ना लिख ना जनती तो वह आलो आँधारि नही लिख पाती। तब हम बेबी हालदार का नाम भी नहीं जानते।

5. तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो-जेठू का यह कथन रचना संस के किस सत्य को उद्घाटित करता है।

उत्तर: जेठू हमेशा बेबी हालदार को उत्साहित करते थे। आशापूर्णा देवी का जिक्र हुए कहते हैं कि वह भी आशापूर्णा देवी बन सकती हैं। बेबी हालदार की का आशापूर्णा देवी भी घरेलू नौकरानी ही थी। आशापूर्णा देवी को केवल बांग्ला भाषा का ज्ञान था। आशापूर्णा देवी घर के सारे काम निपटाकर उस समय चोर-चोरी लिखती थी, जब सारे सदस्य सो जाते थे। अगर आशापूर्णा देवी इतना कष्ट कर साहित्य रचना कर सकती हैं, तो बेबी हालदार भी साहित्य रचान कर दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती है। 

6. बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें। 

उत्तर: बेबी की जिंदगी में अगर तातुश का परिवार नहीं आया होता तो शायद आज जो सफलता उसे प्राप्त हुई है, वह नहीं होती। बेबी हालदार का नाम हम नहीं सुनते। बेबी सिर्फ और सिर्फ घरेलू नौकरानी के रूप में ही कार्यरत रहती, रचना संसार के साथ उसका नाम कभी नही जड़ पाता, नातुश का परिवाह अगर नही होता तो बेबी को जो अपनापन, प्रेम, तातुश के परिवार से मिला है, वह नहीं मिल पाता।

7. इस पाठ से घरो में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन-किन समस्याओं का सामना करनापड़ता है। इस पर विचार करिए।

उत्तर: घरेलू नौकरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है: 

(क) घरेलू नौकरों को उचित मजदूरी नहीं मिलती है। जिससे उन्हें आर्थिक अभाव का समना करना पड़ता है। अपने बच्चों का पालन-पोषण उचित ढंग से नहीं कर पाते हैं। उन्हें शिक्षा नहीं दिला पाते हैं। इतना ही नहीं रोटी, कपड़ा और रहने के लिए मकान तक उपलब्ध नहीं होता हैं।

(ख) किसी-किसी घरों में तो घरेलू नौकरों से अमानवता का सा व्यवहार भी करते हुए देखा जाता है। कभी-कभी उनको मार-पीट करते हुए भी देखा जाता है।

(ग) किसी-किसी घरों में घरेलू नौकरों से अत्यधिक काम करवाया जाता है। 

8. ‘आलो आंधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे हैं। किन्हीं दो समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर: ‘आलो आंधारि’ में निम्नलिखित सामाजिक समस्याओं को प्रकट किया गया है ― 

(क) इस पाठ के माध्यम से अकेली या पतिविहीन स्त्री का समाज में जो सामाजिक स्थिति है, उसको दिखाया गया है। भले ही देश उन्नत हो रहा, समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं हैं, जो अकेली स्त्री को तरह-तरह के प्रश्नों द्वारा आसेपित करना चाहते हैं। उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। 

(ख) इस पाठ में नारी शिक्षा की समस्या को भी दिखाया गया है। सभी नारी का शिक्षित होना आवश्यक है। शिक्षा मनुष्य को नई सोच तथा आत्मनिर्भर बनाता है। बेबी हालदार अगर पढ़ना-लिखना नहीं जानती तो वह आलो आंधारि नहीं लिख पाती। तब हम बेबी हालदार का नाम भी नहीं जानते। 

9. तुम दूसरी आशापूर्ण देवी बन सकती हो-जेठू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है।

उत्तर: जेठू हमेशा बेबी हालदार को उत्साहित करते थे। आशापूर्णा देवी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वह भी आशापूर्णा देवी बन सकती है। बेबी हालदार की तरह आशापूर्णा देवी भी घरेलू नौकरानी ही थी। आशापूर्णा देवी को केवल बांग्ला भाषा का ज्ञान था। आशापूर्णा देवी घर के सारे काम निपटाकर उस समय चोरी-चोरी लिखती थी, जब सारे सदस्य सो जाते थे। अगर आशापूर्णा देवी इतना कष्ट कर साहित्य रचना कर सकती है, तो बेबी हालदार के भी साहित्य रचना कर दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती है।

10. बेबी की जिंदगी में तातुश का पविार न आया होता तो उसका जीवन कसा होता? कल्पना करें और लिखें ।

उत्तर: बेबी की जिंदगी में अगर तातुश का परिवार नहीं आया होता तो शायद आज जो सफलता उसे प्राप्त है, वह नहीं मिलता। बेबी हालदार का नाम हम नहीं सुनते बेबी सिर्फ और सिर्फ घरेलू नौकरानी के रूप में ही कार्यरत रहती। रचना संसार के साथ उसका नाम कभी नहीं जुड़ पाता। तातुश का परिवार अगर नहीं होता तो बेबी को जो सम्मान, प्रेम तातुश के परिवार से मिला है, वह नहीं मिल पाता।

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