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NIOS Class 12 Geography Chapter 9 जलवायु और जलवायु परिवर्तन
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जलवायु और जलवायु परिवर्तन
Chapter: 9
TEXTUAL QUESTION ANSWER |
पाठगत प्रश्न 9.1
1. सही कथन के सामने सत्य लिखें तथा गलत कथन के सामने ‘असत्य’ लिखें।
(i) मौसम शब्द किसी विशेष क्षेत्र की औसत वायुमंडलीय स्थिति की ओर इंगित करता है।
उत्तर: असत्य।
(ii) भूमध्य रेखा के पास स्थित क्षेत्र कम तापमान का अनुभव करते हैं।
उत्तर: असत्य।
(iii) गर्म महासागर धाराएं तट के तापमान को बढ़ा देती हैं।
उत्तर: सत्य।
(iv) ऊँचाई जितनी कम होगी तापमान उतना ही अधिक होगा।
उत्तर: असत्य।
पाठगत प्रश्न 9.2
1. बहुविकल्पीय प्रश्न:
(i) कोपेन ने दुनिया के कितने प्रमुख जलवायु क्षेत्रों की पहचान की है?
(a) 6
(b) 4
(c) 5
(d) 7
उत्तर: (c) 5
(ii) कोपेन के जलवायु वर्गीकरण को निम्न में से किस रूप में जाना जाता है?
(a) अनुप्रयुक्त I
(b) अनुभवजन्य I
(c) व्यवस्थित I
(d) जेनेरिक I
उत्तर: (b) अनुभवजन्य I
(iii) यूनानियों ने विश्व जलवायु को कितने तापीय क्षेत्रों में विभाजित किया है?
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
उत्तर: (c) 5
(iv) प्रमुख जलवायु समूह “C” निम्न में से किस प्रकार की जलवायु को संदर्भित करता है?
(a) उष्णकटिबंधीय गर्म और आर्द्र I
(b) शुष्क जलवायु I
(c) गर्म समशीतोष्ण जलवायु I
(d) ध्रुवीय I
उत्तर: (c) गर्म समशीतोष्ण जलवायु I
पाठगत प्रश्न 9.3
1. रिक्त स्थान भरियेः-
(i) ___________ और ____________ रिकॉर्ड साबित्त करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक नई घटना नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक और निरंतर चलने वाली घटना है।
उत्तर: भू-वैज्ञानिक रिकॉर्ड, ऐतिहासिक रिकॉर्ड।
(ii) पिछली कुछ सदियों में पूरी पृथ्वी के वायुमंडल के तापमान का बढ़ना ____________ कहलाता है।
उत्तर: भू-मंडलीय उष्मन ग्लोबल वार्मिंग।
(iii) जलवायु परिवर्तन एक ____________ घटना है।
उत्तर: वैश्विक।
(iv) वातावरण को गर्म करने की पूरी प्रक्रिया को ___________कहा जाता है।
उत्तर: ग्रीनहाउस प्रभाव।
पाठगत प्रश्न 9.4
1. सही मिलान कीजिए-
जलवायु परिवर्तन का क्षेत्र | प्रभाव |
(i) ग्लेशियर | (a) गंभीर बाढ़ |
(ii) चरम मौसम की घटना | (b) कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती है |
(iii) वास्पतियां और जीव | (c) गर्मी से संबंधित मृत्यु दर में वृद्धि |
(iv) कृषि | (d) घटते हैं या समाप्त हो जाते हैं |
(v) स्वास्थ्य | (e) प्रजनन और प्रवास के समय को बदल देता है |
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन का क्षेत्र | प्रभाव |
(i) ग्लेशियर | (d) घटते हैं या समाप्त हो जाते हैं |
(ii) चरम मौसम की घटना | (a) गंभीर बाढ़ |
(iii) वास्पतियां और जीव | (e) प्रजनन और प्रवास के समय को बदल देता है |
(iv) कृषि | (b) कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती है |
(v) स्वास्थ्य | (c) गर्मी से संबंधित मृत्यु दर में वृद्धि |
पाठगत प्रश्न 9.5
1. उपयुक्त शब्दों के साथ रिक्त स्थान भरिये।
(i) ____________ का मुख्य उद्देश्य दुनिया की सभी सरकारों को वैज्ञानिक और तर्कसंगत जानकारी प्रदान करना है ताकि वे जलवायु नीतियों को विकसित कर सकें।
उत्तर: आईपीसीसी।
(ii) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल ___________ के द्वारा बनाया गया था।
उत्तर: यूएनईपी और डब्ल्यूएमओ।
(iii) पेरिस समझौता ___________ को प्रतिस्थापित करने के लिए डिजाइन कियागया था।
उत्तर: क्योटो प्रोटोकॉल।
(iv) __________ समझौता पूर्व औद्योगिक स्तर की तुलना में धूमंडलीय ऊष्मन को 2 डिग्री सेल्सियस से कम तक सीमित करने पर बल देता है।
उत्तर: पेरिस समझौता।
पाठांत प्रश्न |
1. मौसम और जलवायु के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
अंतर | मौसम | जलवायु |
अर्थ | मौसम यह वायुमंडल की अल्पकालिक स्थिति को दर्शाता है, जिसमें तापमान, आर्द्रता, वर्षा, हवा की गति आदि शामिल हैं। मौसम दिन-प्रतिदिन या घंटे-दर-घंटे बदलता रहता है। | जलवायु यह किसी क्षेत्र के लंबे समय तक के मौसम के औसत पैटर्न को दर्शाता है। जलवायु एक क्षेत्र की सामान्य मौसम स्थिति को परिभाषित करती है और इसमें तापमान, वर्षा, और अन्य मौसम तत्वों के दीर्घकालिक औसत शामिल होते हैं। |
उद्देश्य | मौसम अल्पकालिक और परिवर्तनशील। | जलवायु दीर्घकालिक औसत और स्थिर पैटर्न। |
2. विश्व के जलवायु क्षेत्रों की चर्चा कीजिए।
उत्तर: विश्व में जलवायु को मोटे तौर पर पाँच प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: उष्णकटिबंधीय, शुष्क, समशीतोष्ण, महाद्वीपीय और ध्रुवीय। इन क्षेत्रों को विशिष्ट तापमान, वर्षा और वनस्पति पैटर्न द्वारा पहचाना जाता है।
(i) उष्णकटिबंधीय जलवायु: यह क्षेत्र भूमध्य रेखा के पास पाया जाता है और यहाँ पूरे वर्ष उच्च तापमान और प्रचुर वर्षा होती है। यहाँ उष्णकटिबंधीय वर्षावन और सवाना जैसी वनस्पतियां पाई जाती हैं।
(ii) शुष्क जलवायु: इस क्षेत्र में बहुत कम वर्षा होती है और उच्च तापमान होता है। इसमें रेगिस्तान और अर्ध-शुष्क क्षेत्र शामिल हैं, जहां वनस्पति सीमित है।
(iii) समशीतोष्ण जलवायु: यह क्षेत्र उष्णकटिबंधीय और ध्रुवीय क्षेत्रों के बीच पाया जाता है। यहाँ तापमान पूरे वर्ष मध्यम रहता है और वर्षा भी मध्यम होती है। समशीतोष्ण क्षेत्रों में चौड़ी पत्ती वाले वन, घास के मैदान और शंकुवृक्ष वन पाए जाते हैं।
3. किसी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
उत्तर: किसी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं:
(i) अक्षांश: अक्षांश के अनुसार सूर्य की किरणों का तिरछापन और तीव्रता बदलती है, जिससे जलवायु प्रभावित होती है।
(ii) ऊंचाई: ऊंचाई के साथ तापमान और वायुमंडलीय दबाव बदलते हैं, जिससे जलवायु प्रभावित होती है।
(iii) समुद्र से दूरी: समुद्र से दूरी के अनुसार आर्द्रता और तापमान की विशेषताएं बदलती हैं, जिससे जलवायु प्रभावित होती है।
(iv) भू-आकारिकी: भू-आकारिकी, जैसे कि पहाड़ और घाटियाँ, जलवायु को प्रभावित करती है और स्थानीय मौसम पैटर्न को निर्धारित करती है।
(v) महासागरीय धाराएं: महासागरीय धाराएं तापमान और आर्द्रता को प्रभावित करती हैं, जिससे जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।
4. वैश्विक गर्मी (ग्लोबल वार्मिंग) को परिभाषित करें। ये मुद्दा इतना महत्वपूर्ण क्यों है, समझाइए।
उत्तर: वैश्विक गर्मी (ग्लोबल वार्मिंग) पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि की प्रक्रिया है, जो मुख्य रूप से मानव गतिविधियों के कारण होती है, जैसे कि जीवाश्म ईंधन का जलना और वनस्पति विनाश। इससे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ती है, जो पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती हैं।
वैश्विक गर्मी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप:
(i) जलवायु परिवर्तन: चरम मौसम की घटनाएं, जैसे कि तूफान, सूखा और बाढ़, अधिक आम हो सकती हैं।
(ii) समुद्र स्तर वृद्धि: ध्रुवीय बर्फ की पिघलने से समुद्र स्तर बढ़ सकता है, जिससे तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खतरा हो सकता है।
(iii) पारिस्थितिकी तंत्र की हानि: जलवायु परिवर्तन से पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को नुकसान हो सकता है।
5. जलवायु परिवर्तन क्या है?
उत्तर: जलवायु परिवर्तन का मतलब है तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव। यह सिर्फ़ तापमान में वृद्धि नहीं है, बल्कि इसमें वर्षा, हवा के पैटर्न और जलवायु के अन्य पहलुओं में भी बदलाव शामिल हैं। सरल शब्दों में, जलवायु परिवर्तन का मतलब है कि किसी क्षेत्र में औसत मौसम की स्थिति समय के साथ बदल रही है, जैसे कि गर्म, गीला या सूखा होना। जलवायु परिवर्तन के कई कारण हैं, जिनमें प्राकृतिक कारक और मानवीय गतिविधियाँ शामिल हैं।
(i) प्राकृतिक कारण: जलवायु परिवर्तन के पीछे कई प्राकृतिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं। इनमें प्रमुख है ज्वालामुखी विस्फोट, जो वायुमंडल में धूल, राख और गैसों की भारी मात्रा छोड़ते हैं और सूर्य के विकिरण को अवरुद्ध कर पृथ्वी के तापमान को प्रभावित करते हैं। इसी प्रकार, सूर्य की ऊर्जा में परिवर्तन से पृथ्वी पर आने वाली ऊष्मा की मात्रा घटती–बढ़ती रहती है, जिससे वैश्विक जलवायु पर सीधा असर पड़ता है। इसके अतिरिक्त, पृथ्वी की कक्षा और धुरी में परिवर्तन भी दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार होते हैं। कक्षा में हल्के-फुल्के बदलाव और धुरी का झुकाव कभी हिमयुग तो कभी अत्यधिक गर्म काल जैसी स्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है। इस प्रकार प्राकृतिक कारणों से भी जलवायु परिवर्तन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
मानवीय गतिविधियाँ: प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण आज मानवीय गतिविधियाँ हैं। जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के अत्यधिक उपयोग से वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन आदि) का उत्सर्जन होता है। ये गैसें पृथ्वी से उत्सर्जित ऊष्मा को फंसा लेती हैं, जिससे वैश्विक तापमान बढ़ता है और जलवायु परिवर्तन की गति तेज हो जाती है। इसके अतिरिक्त, वनों की अंधाधुंध कटाई भी जलवायु परिवर्तन में अहम योगदान करती है, क्योंकि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर संतुलन बनाए रखते हैं।
6. पेरिस समझौते का क्या महत्व है?
उत्तर: पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना और इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयास करना है।
इस समझौते के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
(i) ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती: पेरिस समझौते के माध्यम से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती का संकल्प लिया गया है, जिससे पृथ्वी के तापमान को बढ़ने से रोका जा सके।
(ii) वैश्विक सहयोग: पेरिस समझौता विभिन्न देशों के बीच पर्यावरण अनुकूल तकनीक और नवाचार का प्रसार करता है, जिससे विकसित देशों के तकनीक अल्पविकसित देशों को आसानी से मिल जाते हैं।
(iii) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना: समझौते में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और इसके अनुकूल होने के लिए विकासशील देशों को समर्थन देने का प्रावधान है।
(iv) नियमित समीक्षा और मूल्यांकन: पेरिस समझौते के अनुसार, प्रत्येक पांच वर्षों में हर देश के योगदान की समीक्षा की जाती है ताकि समझौते के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिल सके।
(v) वित्तीय सहायता: विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और इसके अनुकूल होने के लिए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का वादा किया है।
7. ग्रीनहाउस शब्द को परिभाषित करें तथा ग्रीनहाउस गैसों की सूची बनाएं।
उत्तर: ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें वायुमंडल में मौजूद कुछ गैसें, जिन्हें ग्रीनहाउस गैसें कहा जाता है, पृथ्वी के तापमान को गर्म रखने में मदद करती हैं। ये गैसें सूर्य से आने वाली गर्मी को फंसा लेती हैं और इसे वापस अंतरिक्ष में जाने से रोकती हैं, जिससे पृथ्वी का तापमान रहने योग्य बना रहता है।
ग्रीनहाउस गैसों की सूची:
(i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2):जीवाश्म ईंधन के जलने, वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्सर्जित होती है।
(ii) मीथेन (CH4): कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन, और तेल और गैस उत्पादन से उत्सर्जित होती है।
(iii) नाइट्रस ऑक्साइड (N2O): कृषि, औद्योगिक प्रक्रियाओं, और अपशिष्ट दहन से उत्सर्जित होती है।
(iv) ओजोन (O3): क्षोभमंडल में, यह एक ग्रीनहाउस गैस है और सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करती है।
(v) जल वाष्प (H2O): यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली ग्रीनहाउस गैस है और तापमान बढ़ने के साथ-साथ इसकी मात्रा भी बढ़ती है।
8. जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले कारकों का वर्णन करें।
उत्तर: जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
(i) जीवाश्म ईंधन का जलना: जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं।
(ii) वनस्पति विनाश: वनों की कटाई और वनस्पति विनाश से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कम होता है और वायुमंडल में इसकी मात्रा बढ़ती है।
(iii) उद्योग और विनिर्माण: औद्योगिक प्रक्रियाओं और विनिर्माण से भी ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं।
(iv) कृषि और पशुपालन: कृषि और पशुपालन से मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं।
(v) जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण: बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण से ऊर्जा की मांग बढ़ती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है।
(vi) वाहनों का उपयोग: वाहनों के उपयोग से भी ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं।
9. जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभावों का वर्णन कीजिए?
उत्तर: जलवायु परिवर्तन के दो प्रमुख प्रभाव हैं:
(i) तापमान में वृद्धि: वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। यह गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों और मौतों की संख्या में वृद्धि कर सकता है।
कुछ क्षेत्रों में पानी की कमी हो सकती है, जिससे कृषि और पीने के पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
(ii) चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि: हीटवेव, सूखा, बाढ़, और तूफान जैसी चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। इन घटनाओं से जानमाल का नुकसान हो सकता है, बुनियादी ढांचे को नुकसान हो सकता है, और खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है। उदाहरण के लिए, 2019-2020 के ऑस्ट्रेलिया में भीषण जंगल की आग जलवायु परिवर्तन के कारण और भी बदतर हो गई थी।
10. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण वैश्विक कदमों की व्याख्या कीजिए?
उत्तर: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कदम हैं:
(i) राष्ट्रीय कार्य योजना (2008): राष्ट्रीय कार्ययोजना शुरू की गई, जिसके तहत आठ प्रमुख मिशन चलाए जा रहे हैं। इनमें नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने, जल संसाधनों के संरक्षण और जलवायु अनुकूलन उपायों को अपनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
(ii) नवीकरणीय ऊर्जा (राष्ट्रीय सौर मिशन): 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत अब दुनिया में सौर ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख देशों में शामिल हो चुका है।
(iii) जल संरक्षण: जल संरक्षण के लिए कुशल जल प्रबंधन रणनीतियों को अपनाना आवश्यक है। वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और पारंपरिक जल संरक्षण तकनीकों को पुनर्जीवित करने पर बल दिया जा रहा है।
(iv) हरित ऊर्जा: भारत कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम कर सौर, पवन और जलविद्युत जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रहा है।
(v) पर्यावरण जागरूकता: नागरिकों के स्तर पर भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। प्लास्टिक कचरे को कम करने, वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और ऊर्जा की बचत करने जैसी पहलें बड़े बदलाव ला सकती हैं।
(vi) अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में सक्रिय रूप से भाग लेता है और अन्य
विकासशील देशों के साथ सहयोग करता है ताकि साझा समाधान खोजे जा सकें।
(vii) राज्य कार्य योजनाएं (SAPCC): विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने जलवायु परिवर्तन पर संबंधित राज्य कार्य योजनाएं तैयार की हैं, जो राज्य-विशिष्ट शमन और अनुकूलन उपायों को लागू करती हैं।

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