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NIOS Class 12 Geography Chapter 17 कृषि और खाद्य सुरक्षा
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कृषि और खाद्य सुरक्षा
Chapter: 17
TEXTUAL QUESTION ANSWER |
पाठगत प्रश्न 17.1
1. भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का कितने प्रतिशत योगदान है?
उत्तर: लगभग 18.1
2. कृषि आधारित उद्योगों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले कोई दो प्रकार के कच्चे माल के नाम लिखिए।
उत्तर: चीनी, जूट या कपास।
पाठगत प्रश्न 17.2
1. आर्द्र कृषि में पैदा होने वाली किन्हीं दो प्रकार की फसलों के बारे में लिखिए।
उत्तर: चावल, जूट या गन्ना।
2. फसलों के दो ऐसे उदाहरण दीजिए जो एक क्षेत्र में वाणिज्यिक तथा दूसरे क्षेत्र में निर्वाह कृषि हो।
उत्तर: गेहूं, मक्का।
3. ऐसे दो राज्यों के नाम लिखिए जहां वाणिज्यिक कृषि अधिक होती है।
उत्तर: गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि।
4. निर्वाह कृषि की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर: (i) परिवार द्वारा किया जाने वाला कार्य: निर्वाह कृषि में किसान अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही खेत में काम करता है। इसके लिए बाहरी श्रमिकों पर निर्भरता कम होती है।
(ii) पारंपरिक विधियाँ: इसमें परंपरागत औजारों, बीजों और तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, तथा उत्पादन का मुख्य उद्देश्य परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है, न कि व्यापारिक लाभ।
पाठगत प्रश्न 17.3
1. भारत की दो रेशेदार फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर: कपास, जूट।
2. भारत में चावल का सर्वाधिक उत्पादक करने वाला राज्य कौन-सा है?
उत्तर: पश्चिम बंगाल।
3. देश में गन्ना उगाने की दो महत्वपूर्ण पेटियां (क्षेत्र) के नाम लिखिए।
उत्तर: देश में गन्ना उगाने की दो महत्वपूर्ण पेटियों के नाम हैं: महाराष्ट्र, तमिलनाडु।
4. भारत में कॉफी उत्पादन करने वाले एक प्रमुख राज्य का नाम लिखिए।
उत्तर: भारत में कॉफी उत्पादन करने वाला एक प्रमुख राज्य है — कर्नाटक। (केरल भी एक महत्वपूर्ण राज्य है।)
पाठगत प्रश्न 17.4
1. हरित क्राति का जनक किसको कहा जाता है?
उत्तर:हरित क्रांति का जनक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन (Dr. M. S. Swaminathan) को कहा जाता है।
2. हरित क्रांति की दो महत्वपूर्ण विशेषताएं लिखिए।
उत्तर: (i) कृषि उत्पादन में वृद्धि: हरित क्रांति के कारण भारत में गेहूं, चावल आदि फसलों का कुल उत्पादन कई गुना बढ़ गया।
(ii) प्रति एकड़ उपज में वृद्धि: उच्च उत्पादकता वाली किस्मों, रासायनिक उर्वरकों एवं सिंचाई विधियों के प्रयोग से प्रति एकड़ भूमि पर उपज में काफी वृद्धि हुई।
3. कौन-सी पंचवर्षीय योजना में समुद्री मत्स्य पालन कार्यक्रम शुरू किया गया था?
उत्तर: पांचवी पंचवर्षीय योजना (Fifth Five Year Plan, 1974-79) में समुद्री मत्स्य पालन (Marine Fisheries) कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
4. हरित क्राति के कोई दो पर्यावरणीय प्रभाव लिखिए।
उत्तर: (i) जैव विविधता का नुकसान: हरित क्रांति के दौरान उच्च उत्पादकता वाली कुछ ही फसल किस्मों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ, जिससे पारंपरिक किस्मों और विविध पौधों की संख्या घट गई।
(ii) मृदा लवणता: रासायनिक उर्वरकों और सिंचाई के अधिक उपयोग के कारण कई क्षेत्रों में मिट्टी की लवणता (salinity) और उर्वरता में गिरावट आई।
पाठगत प्रश्न 17.5
1. भारत में खाद्यान्नों की खरीद एवं भण्डारण के लिए जिम्मेदार संगठन का नाम लिखिए।
उत्तर: भारतीय खाद्य निगम।
2. सहकारी संगठन/समिति का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर: अमूल आदि।
3. जैविक खेती की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर: जैविक खेती की एक विशेषता है प्राकृतिक तरीकों का उपयोग।
पाठांत प्रश्न |
1. खाद्य और कृषि में स्थिरता सिद्धांत क्या है?
उत्तर: खाद्य और कृषि में स्थिरता सिद्धांत का अर्थ है, वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करते हुए, भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखता है, और इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
स्थिरता का सिद्धांत यही है कि कृषि उत्पादन इस तरह से हो कि:
(i) प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न हो।
(ii) भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहे।
(iii) पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे।
(iv) समाज और किसानों की आजीविका सुरक्षित रहे।
(v) आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संसाधन सुरक्षित रहें।
2. टिकाऊ कृषि उत्पादकता कैसे प्राप्त करें?
उत्तर: टिकाऊ कृषि उत्पादकता प्राप्त करने के लिए, आपको प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
टिकाऊ कृषि उत्पादकता प्राप्त करने के लिए, निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
(i) मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार: फसल चक्रण: विभिन्न प्रकार की फसलों को बारी-बारी से उगाना, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने रखने में मदद करता है।
(ii) जैविक खाद का उपयोग: रासायनिक उर्वरकों के बजाय, जैविक खाद का उपयोग करना, जो मिट्टी के स्वास्थ्य और जल धारण क्षमता को बेहतर बनाता है। जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना: सौर, पवन, और जलविद्युत जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।
(iii) जल प्रबंधन: सिंचाई की कुशल तकनीकों का उपयोग: ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी तकनीकों का उपयोग करके पानी की बर्बादी को कम करना।
(iv) वर्षा जल संचयन: वर्षा जल को इकट्ठा करके उसका उपयोग सिंचाई के लिए करना।
3. न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है?
उत्तर: न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP) वह मूल्य है, जिसे सरकार किसानों से उनकी फसलों की खरीद के लिए पहले से निर्धारित करती है। यदि बाजार में फसल का भाव इससे कम होता है, तो भी सरकार किसानों से उसी निर्धारित मूल्य (MSP) पर फसल खरीदती है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित होता है और उन्हें नुकसान से सुरक्षा मिलती है।
4. खाद्य सुरक्षा के प्रमुख आयामों को उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइये।
उत्तर: खाद्य सुरक्षा के प्रमुख आयाम हैं:
(i) उपलब्धता: खाद्य पदार्थों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता होना। उदाहरण: अनाज, फल, सब्जियों की उपलब्धता।
(ii) पहुँच: सभी लोगों को खाद्य पदार्थों तक पहुँचने की क्षमता होना। उदाहरण: गरीब परिवारों के लिए खाद्यान्न सब्सिडी।
(iii) उपयोग: खाद्य पदार्थों का उचित उपयोग और पोषण मूल्य का ध्यान रखना। उदाहरण: संतुलित आहार, पोषण शिक्षा।
(iv) स्थिरता: खाद्य सुरक्षा की स्थिति को बनाए रखने की क्षमता होना। उदाहरण: कृषि उत्पादन में स्थिरता, खाद्यान्न भंडारण।
5. भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर: भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ, नीतियाँ और कार्यक्रम लागू किए जाते हैं, जैसे:
(i) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस): सरकार इस प्रणाली के माध्यम से रियायती दरों पर गेहूं, चावल आदि खाद्यान्न गरीब और जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध कराती है।
(ii) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए): यह अधिनियम लगभग दो-तिहाई भारतीय आबादी को सस्ती दर पर खाद्यान्न की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
(iii) मध्याह्न भोजन योजना: यह योजना सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को मुफ्त में पोषक भोजन उपलब्ध कराती है, जिससे बच्चों के पोषण और शिक्षा में सुधार होता है।
(iv) एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस): यह योजना गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 वर्ष तक के बच्चों को पूरक पोषण, स्वास्थ्य जांच और पूर्व-स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराती है।
(v) बफर स्टॉक: सरकार अनाज का बफर स्टॉक बनाए रखती है, जिसका उपयोग प्राकृतिक आपदा या आपातकालीन स्थितियों में खाद्य आपूर्ति के लिए किया जाता है।
(vi) न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी): सरकार किसानों से उनकी फसलों की न्यूनतम कीमत पर खरीद की गारंटी देती है, जिससे किसानों की आय सुनिश्चित होती है और खाद्य उत्पादन में स्थिरता आती है।
(vii) सतत कृषि पद्धतियों का प्रोत्साहन: सरकार सिंचाई, जल प्रबंधन, कृषि अनुसंधान, तकनीक, भंडारण, शीत श्रृंखला अवसंरचना और मजबूत वितरण प्रणाली जैसी व्यवस्थाओं में निवेश करती है, ताकि खाद्य सुरक्षा दीर्घकालिक रूप से बनी रहे।
6. ‘ऑपरेशन फ्लड’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: ऑपरेशन फ्लड भारत में एक प्रमुख दुग्ध विकास कार्यक्रम था, जिसे 1970 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य देश में दुग्ध उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देना था, जिससे लोगों को पौष्टिक आहार मिल सके और दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि हो सके। इस कार्यक्रम के तहत, दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया और दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण, और विपणन के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गईं। ऑपरेशन फ्लड ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
7. चावल और गेहूं की वृद्धि के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: चावल और गेहूं, भारत की दो मुख्य खाद्य फसलें हैं, जिनकी वृद्धि के लिए अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। चावल के लिए उच्च तापमान, उच्च आर्द्रता और प्रचुर मात्रा में वर्षा की आवश्यकता होती है, जबकि गेहूं के लिए ठंडी जलवायु, मध्यम वर्षा और धूप की आवश्यकता होती है।
चावल और गेहूं की वृद्धि के लिए अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं।
(A) चावल की वृद्धि के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ:
(i) तापमान: चावल की खेती के लिए 25°C से 35°C तक का तापमान अनुकूल होता है।
(ii) वर्षा: चावल को 100 से 200 सेमी. तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं।
(iii) आर्द्रता: उच्च आर्द्रता चावल की वृद्धि के लिए जरूरी है।
(iv) मिट्टी: उपजाऊ जलोढ़ या चिकनी दोमट मिट्टी, जिसमें पानी रुक सके, आदर्श है।
(v) क्षेत्र: चावल मुख्य रूप से मैदानी, नदी घाटियों, डेल्टा और तटीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।
(vi) सिंचाई: जहाँ पर्याप्त वर्षा नहीं होती, वहाँ सिंचाई अनिवार्य है।
(B) गेहूं की वृद्धि के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ:
(i) तापमान: बुवाई के समय 10°C से 15°C और पकने के समय 20°C से 25°C तापमान उपयुक्त है।
(ii) वर्षा: 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा गेहूं के लिए पर्याप्त है।
(iii) आर्द्रता: मध्यम आर्द्रता की आवश्यकता होती है।
(iv) मिट्टी: उत्तम जल-निकासी वाली दोमट और काली मिट्टी सर्वोत्तम है।
(v) क्षेत्र: गेहूं मुख्यतः उत्तरी भारत के शुष्क और ठंडे क्षेत्रों में उगाया जाता है।
(vi) सिंचाई: सिंचाई उन क्षेत्रों में आवश्यक है, जहाँ वर्षा कम होती है।
8. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर: वैश्वीकरण का भारतीय कृषि पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े हैं।
(A) सकारात्मक प्रभाव:
(i) निर्यात में वृद्धि: भारतीय कृषि उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात बढ़ा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई।
(ii) नई तकनीक और निवेश: वैश्वीकरण से कृषि क्षेत्र में विदेशी निवेश और उन्नत तकनीकों का प्रयोग बढ़ा।
(iii) उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार: अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
(B) नकारात्मक प्रभाव:
(i) किसानों की वैश्विक बाजार पर निर्भरता: किसान अब वैश्विक मांग और कीमतों पर अधिक निर्भर हो गए हैं, जिससे आय में अस्थिरता आ गई है।
(ii) छोटे किसानों की कठिनाई: छोटे किसानों को बड़ी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
(iii) कीमतों में उतार-चढ़ाव: वैश्विक बाजार की वजह से कृषि उत्पादों की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव होने लगा है।

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