NCERT Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 नीलकंठ

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NCERT Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 नीलकंठ

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नीलकंठ

Chapter: 11

वसंत भाग–२
प्रश्न-अभ्यास

निबंध से:

1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?

उत्तर: मोर की गरदन नीली होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखा गया।

मोरनी मोर की छाया के समान रहती थी अतः उसका नाम राधा रखा गया।

2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?

उत्तर: जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चो का उसी तरह स्वागत हुआ जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़ा और उनके चारों ओर घूम कर गुटरगूँ करने लगा। बड़े खरगोश ने गंभीर भाव से उनका निरीक्षण किया। छोटा खरगोश उछल-कूद मचाने लगा। तोता एक आँख बन्द करके मोर के बच्चों का परीक्षण करने लगा।

3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?

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उत्तर: लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं – 

(i) मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखो को मंडलाकर बनाकर मग्न होकर नाचना।

(ii) जब वह लेखिका की हथेली पर रखे भुने चने हौले-हौले उठाकर खाता था तब उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न करती थीं।

(iii) नीलकंठ बहुत दयालु स्वभाव का था तथा वह हमेशा सबकी रक्षा करता था।

(iv) उसका ऊँची गर्दन करके देखना और विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची करके दाना चुगना।

4. ‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?

उत्तर: यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले आई। उसका नाम कुब्जा रखा गया। कुब्जा को नीलकंठ और राधा का साथ रहना पसंद नहीं था। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी, जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा का स्वभाव आक्रामक था। उसने राधा के अंडे फोड़कर चारों ओर छितरा दिए। इस घटना से न केवल राधा और नीलकंठ के बीच दूरी बढ़ गई, बल्कि बेचारे नीलकंठ की प्रसन्नता का भी अंत हो गया। अंततः यह घटना नीलकंठ के जीवन के अंत का कारण बनी।

5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

उत्तर: वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढँक जाता था तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में कैद होकर नहीं रह सकता था। उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब वह बाहर निकलने को व्याकुल हो जाता था।

6. जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?

उत्तर: जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा अपने नाम और स्वभाव के अनुरूप ईर्ष्यालु थी। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी, लेकिन नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा को किसी अन्य जीव-जंतु की संगति पसंद नहीं थी और वह नीलकंठ के समीप किसी को आने नहीं देना चाहती थी इसलिए वह काफी जीवो को चोंच मारकर घायल कर चुकी थी। उसने राधा की भी अंडे फोड़ दिए और उसे घायल कर दिया। कुब्जा का यह व्यवहार उसे अन्य जीवों से अलग कर देता है, जिससे वह जालीघर में मित्रता स्थापित नहीं कर पाई।

7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: एक दिन एक साँप ने खरगोश के बच्चे को पकड़ लिया। साँप ने उसका आधा शरीर मुँह में दबा लिया और आधा बाहर था। नीलकंठ ने उसका चीं-चीं का स्वर सुन लिया। उसने नीचे आकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और उस पर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा साँप के मुख से निकल गया।

इस घटना के आधार पर नीलकंठ की निम्न विशेषताओं का ज्ञान होता है-

1. नीलकंठ समझदार था जिस प्रकार उसने समझदारी से साँप को जकड़ा उससे खरगोश का बच्चा बच गया।

2. नीलकंठ बहुत साहसी था, उसने जल्दी से बिना डरे साँप को पकड़ा और बच्चे को सुरक्षित बचा लिया।

3. नीलकंठ बहुत दयालु था, पूरी रात खरगोश के बच्चे को अपने पंखों से गरम करता रहा। यह दर्शाता है कि वह अन्य जीवों के प्रति करुणा और प्रेम रखता था।

4. नीलकंठ एक सजग व सचेत मुखिया था। जिस तरह घर का एक मुखिया अपने कर्त्तव्यों के प्रति सचेत व सजग रहता है। उसी तरह नीलकंठ अपने जालीघर के जीव-जंतुओं के लिए था।

निबंध से आगे:

1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।

उत्तर: रेखाचित्र को अंग्रेजी में स्केच कहते हैं। साहित्य का वह रूप, जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, घटना अथवा भाव के भीतरी-बाहरी रूप का इस प्रकार वर्णन किया जाता हैं कि उस वस्तु का एक चित्र-सा निर्मित हो जाता हैं, उसे रेखाचित्र कहते है।

लेखिका ने अन्य अनेक व्यक्तियों एवं जीव-जंतुओं के रेखाचित्र लिखे हैं, जैसे-पथ के साथी, अतीत के चलचित्र आदि। 

2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करे।

3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।

उत्तर: वर्षा ऋतु’ से संबंधित कविता

मेघ आए, मेघ आए, 

मेघ बड़े बन-ठन कर आए।

आकाश में काले-काले बादल उमड़े, 

आँधी चली, 

धूल आकाश उठा कर भागी। 

तभी बिजली चमकी,

झमाझम वर्षा होने लगी।

ताल-तलैयाँ पानी से भर गई 

चारों ओर हरियाली छा गई।

वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा समाप्त हुई।

अनुमान और कल्पना:

1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं- ‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरींगत हो उठा।’ इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।

उत्तर: – दोनों में रंग-बिरंगी झलक देखी होगी।

– दोनों हिल-हिल कर एक समान लगती होंगी।

– दोनों गोलाकार रूप ले रही होंगी।

– दोनों का सौंदर्य मन मोहता था।

2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।

उत्तर: मेघों की सांवली छाया में नीलकंठ अपने इंद्रधनुष जैसे गुच्छेदार पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचता था। मेघ गर्जन के साथ ही उसका नृत्य शुरू हो जाता था। जैसे-जैसे बूंदों की तीव्रता बढ़ती, वैसे-वैसे उसके नृत्य का वेग भी बढ़ जाता। इस समय उसकी नृत्य-भंगिमा अत्यंत मनोहर और आकर्षक लगती थी। उसके लहराते हुए पंख और झूमती हुई गर्दन मानो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर आनंद की अभिव्यक्ति कर रहे हों। उसकी यह सुंदर प्रस्तुति वातावरण में एक अलौकिक छटा बिखेर देती थी, जिसे देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता था।

भाषा की बात:

1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-

गंध    रंग     फल    ज्ञान

उत्तर: गंध: दुर्गन्ध, सुगंध, गंधक।

रंग: रंगबिरंगा, बदरंग, रंगीन।

फल: सफल, असफल, निष्फल।

ज्ञान: अज्ञान, स‌द्भान, विज्ञान।

2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के के साथ अभिभूत के के मिलने से या हो गया है। आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे- क्+अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (ा) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-

संधिविग्रह
नील + आभ = ………………………सिंहासन = ………………………
नव + आगंतुक = ……………………मेघाच्छन्न = ………………………

उत्तर:

संधिविग्रह
नील + आभ = नीलाभसिंहासन = सिंह + आसन
नव + आगंतुक = नवागंतुकमेघाच्छन्न = मेघ + आछल

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