NCERT Class 12 Biology Chapter 9 जैव प्रौद्योगिकी- सिद्धांत व प्रक्रम

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NCERT Class 12 Biology Chapter 9 जैव प्रौद्योगिकी- सिद्धांत व प्रक्रम

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Chapter: 9

अभ्यास

1. क्या आप दस पुनयोंगज प्रोटीन के बारे में बता सकते हैं जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाए जाते हैं? पता लगाइये कि वे चिकित्सीय औषधि के रूप में कहाँ प्रयोग किए जाते हैं। 

उत्तर: 

पुनर्योगज प्रोटीनचिकित्सीय व्यवहार
(i) इंसुलिनटाइप 1 मधुमेह का उपचार
(ii) इंटरफेरॉन – αक्रोनिक हेपेटाइटिस सी के लिए उपयोग किया जाता है
(iii) मानव वृद्धि हार्मोनबौनेपन  टर्नर सिंड्रोम, और वृद्धि हार्मोन की कमी के उपचार में।
(iv) फैक्टर VIIIहीमोफीलिया A के मरीजों में रक्तस्राव को रोकने और नियंत्रित करने के लिए।
(v) फैक्टर VIIIहीमोफीलिया A के मरीजों में रक्तस्राव को रोकने और नियंत्रित करने के लिए।
(vi) एंटी-थ्रोम्बिन IIIरक्त के थक्के की रोकथाम
(vii) डीएनएएस Iसिस्टिक फाइब्रोसिस का उपचार
(viii) ऊतक प्लाज्मिनोजन उत्प्रेरकतीव्र मायोकार्डियल इंफैक्शन का उपचार
(ix) बोविन वृद्धि हार्मोनदुग्ध उत्पादन बढ़ने के लिए।
(x) इंटरल्यूकिन्सविभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए।

2. एक सचित्र (चार्ट) (आरेखित निरूपण के साथ) बनाइए जो प्रतिबंधन एंजाइम को, (जिस क्रियाधार डीएनए पर यह कार्य करता है उसे), उन स्थलों को जहाँ यह डीएनए को काटता है व इनसे उत्पन्न उत्पाद को दर्शाता है।

उत्तर: 

3. कक्षा ग्यारहवीं में जो आप पढ़ चुके हैं उसके आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि आणविक आकार के आधार पर एंजाइम बड़े हैं या डीएनए। आप इसके बारे में कैसे पता लगायेंगे?

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उत्तर: प्रोटीन और एंजाइम: एंजाइम प्रोटीन होते हैं। प्रोटीन जटिल और बड़े अणु होते हैं, जो 20 प्रमुख अमीनो अम्लों से बनते हैं। ये अमीनो अम्ल पेप्टाइड बंधों द्वारा जुड़कर पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला बनाते हैं। हर प्रोटीन में अमीनो अम्लों का क्रम विशेष होता है। मानव शरीर में लगभग 50,000 प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं।

डीएनए और आरएनए: डीएनए एक बड़ा और जटिल जैविक अणु है, जिसका आकार और भार प्रोटीन (एंजाइम) से अधिक होता है। यह पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से बना होता है। डीएनए से आरएनए (mRNA, tRNA, rRNA) बनते हैं, जो प्रोटीन संश्लेषण में मदद करते हैं। आरएनए का निर्माण आरएनए पॉलिमरेज़ एंजाइम द्वारा होता है। इससे स्पष्ट है कि डीएनए, प्रोटीन से भी बड़ा अणु है।

4. मानव की एक कोशिका में डीएनए को मोलर सांद्रता क्या होगी? अपने अध्यापक से परामर्श लीजिए।

उत्तर: मानव की द्विगुणित कोशिका में डीएनए की मोलर सांद्रता निम्नलिखित है :

⇒ क्रोमोसोम की कुल संख्या × 6.023 × 1023

⇒ 46 × 6.023 × 1023

⇒ 2.77 × 1023 मोल्स

इस प्रकार मानव की एक कोशिका में डीएनए की मोलर सांद्रता 2.77 × 1023 मोल्स होगी I

5. क्या सुकेंद्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज मिलते हैं? अपने उत्तर सही सिद्ध कीजिए।

उत्तर: सुकेंद्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज नहीं पाए जाते हैं। इसका कारण यह है कि सुकेंद्रकी कोशिकाओं का डीएनए विशेष रूप से मिथाइलेट (मिथाइलिकरण) किया जाता है। यह मिथाइलेटिंग एंजाइम, जिसे मिथाइलस कहते हैं, डीएनए को प्रतिबंध एंजाइमों की गतिविधि से सुरक्षा प्रदान करता है।

इसके विपरीत, प्राकेंद्रकी कोशिकाओं में ये प्रतिबंधन एंजाइम मौजूद होते हैं। इन एंजाइमों का मुख्य कार्य विषाणु द्वारा डीएनए के आक्रमण को रोकना होता है, जिससे कोशिका को बाहरी आनुवंशिक सामग्री से सुरक्षा मिलती है।

6. अच्छी हवा व मिश्रण विशेषता के अतिरिक्त की तुलना में कौन सी अन्य कपन्न फ्लास्का सुविधाएँ है?

उत्तर: द्वितीयक चयन के समय किण्वन के लिए पारंपरिक रूप से कंपन फ्लास्क का उपयोग किया जाता है। हालांकि, दंड विलोडक हौज बायोरिएक्टर की सहायता से उत्पादों को बड़े पैमाने पर संवर्धित किया जा सकता है, जिसकी क्षमता 100 लीटर से 1000 लीटर तक होती है। वांछित उत्पादन प्राप्त करने के लिए यह बायोरिएक्टर अनुकूलतम परिस्थितियाँ जैसे तापमान, pH, क्रियाधार, विटामिन, लवण और ऑक्सीजन प्रदान करता है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें हवा और मिश्रण की व्यवस्था अच्छी होती है, यह किफायती होता है और ऑक्सीजन स्थानांतरण की दर भी अधिक होती है।

7. शिक्षक से परामर्श कर पाँच पैलिंड्रोमिक अनुप्रयास करना होगा कि क्षारक युग्म नियमों का पालन करते हुए पैलिंड्रोमिक अनुक्रम बनाने के उदाहरण का पता लगाइए।

उत्तर: पैलिंड्रोमिक अनुक्रम डीएनए में पैलिंड्रोमिक क्षारक युग्मों का एक ऐसा अनुक्रम होता है जो पढ़ने के अभिविन्यास को समान रखने पर दोनों लड़ियों में एक जैसे पढ़ा जाता है I

उदाहरणार्थ- निम्न अनुक्रमों को ‘5 → 3’ दिशा में पढ़ने पर दोनों लड़ियों में एक जैसा पढ़ा जाएगा I

8. अर्धसूत्री विभाजन को ध्यान में रखते हुए क्या बता सकते हैं कि पुनर्योगज डीएनए किस अवस्था में बनते है?

उत्तर: अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) एक विशेष प्रकार का कोशिका विभाजन है, जिसमें जनन कोशिकाओं (गैमेट्स) का निर्माण होता है और गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसके प्रथम चरण, जिसे प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं, में समजात गुणसूत्रों (homologous chromosomes) की जोड़ी के मध्य पारगमन (crossing over) की प्रक्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप आनुवंशिक पुनर्संयोजन होता है।

प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की पहली अवस्था, जिसे प्रोफेज़-I (Prophase-I) कहते हैं, कई उपअवस्थाओं में विभाजित होती है। इन उपअवस्थाओं में से जाइगोटीन (Zygotene) में समजात गुणसूत्र एक-दूसरे के समीप आकर जोड़ी बनाते हैं, जिसे सूत्रयुग्मन (Synapsis) कहा जाता है। इसके पश्चात पैकिटीन (Pachytene) अवस्था में समजात गुणसूत्रों के बीच एक विशेष संरचना, जिसे सूत्रयुग्मक सम्मिश्र (Synaptonemal complex) कहते हैं, बनती है। इस अवस्था में क्रोमैटिड्स के बीच अदला-बदली के स्थानों पर गोलाकार संरचनाएँ दिखाई देती हैं, जिन्हें पुनर्संयोजन घुण्डियाँ (Recombination nodules) कहा जाता है।

पारगमन की प्रक्रिया में समजात गुणसूत्रों के क्रोमैटिड्स के बीच एक या अधिक खण्डों की पारस्परिक अदला-बदली होती है। इस अदला-बदली से पुनर्संयोजित डीएनए (Recombinant DNA) का निर्माण होता है। पुनर्संयोजन घुण्डियाँ वही स्थान होती हैं जहाँ क्रोमैटिड्स के खण्ड टूटकर पुनः आपस में जुड़ते हैं, जिससे आनुवंशिक विविधता संभव होती है।

9. क्या आप बता सकते हैं कि प्रतिवेदक (रिपोर्टर) एंजाइम को वरणयोग्य चिह्नन की उपस्थिति में बाहरी डीएनए को परपोषी कोशिकाओं में स्थानांतरण के लिए मॉनिटर करने के लिए किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है?

उत्तर: प्रतिकृत्य स्थान (Origin of Replication – ‘ori’) वह विशिष्ट डीएनए अनुक्रम होता है जहाँ से प्रतिकृति (Replication) की प्रक्रिया आरंभ होती है। जब किसी बाहरी डीएनए खंड को इस ‘ori’ अनुक्रम से युक्त संवाहक (Vector) के साथ जोड़ा जाता है, तब वह डीएनए परपोषी कोशिका (Host Cell) के भीतर जाकर स्वतंत्र रूप से प्रतिकृति कर सकता है। ‘ori’ न केवल प्रतिकृति की शुरुआत सुनिश्चित करता है, बल्कि इसके माध्यम से जोड़े गए डीएनए की प्रतिकृतियों की संख्या का नियंत्रण भी किया जा सकता है।

संवाहक में ‘ori’ के साथ-साथ एक वरणयोग्य चिह्न (Selectable Marker) का होना भी आवश्यक होता है। यह चिह्न रूपांतरित कोशिकाओं की पहचान करने और गैर-रूपांतरित कोशिकाओं को समाप्त करने में सहायता करता है। इससे केवल वे परपोषी कोशिकाएँ चयनित की जा सकती हैं, जिन्होंने वांछित डीएनए को सफलतापूर्वक ग्रहण किया है। lरूपांतरण एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत डीएनए के एक खंड को परपोषी जीवाणु में प्रवेश कराते हैं।

10. निम्नलिखितों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-

(क) प्रतिकृतीयन का उद्भव।

उत्तर: यह वह अनुक्रम है जहाँ से प्रतिकृतीयन की शुरूआत होती है। जब बाहरी डीएनए का कोई खंड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब प्रतिकृती कर सकता है। एक प्रोकैरियोटिक डीएनए में सामान्यतया एक प्रतिकृतीयन स्थल होता है जबकि यूकैरियोटिक डीएनए में एक से अधिक प्रतिकृतीयन स्थल होते हैं।

(ख) बायोरिएक्टर।

उत्तर: बायोरिएक्टर एक विशेष बर्तन है जिसमें सूक्ष्मजीवों, पौधों, जंतुओं या मानव कोशिकाओं का उपयोग करके कच्चे माल को जैविक उत्पादों, जैसे एंजाइम आदि में परिवर्तित किया जाता है। यह अनुकूलतम परिस्थितियाँ प्रदान करता है, जिनमें तापमान, pH, क्रियाधार, लवण, विटामिन और ऑक्सीजन का उचित संतुलन शामिल है।

बायोरिएक्टर में प्रक्षोभक तंत्र, ऑक्सीजन प्रदाय तंत्र, झाग नियंत्रण तंत्र, तापमान और pH नियंत्रण तंत्र होते हैं। साथ ही, प्रतिचयन प्रद्वार उत्पाद को संग्रहित करने में सहायक होता है। ये सभी तंत्र मिलकर जैविक प्रक्रियाओं को कुशल और नियंत्रित तरीके से संचालित करते हैं।

(ग) अनुप्रवाह संसाधन।

उत्तर: जैव प्रौद्योगिकी द्वारा तैयार उत्पाद को बाजार में भेजने से पूर्व उसे कई प्रक्रमों से गुजारा जाता है। इन प्रक्रमों में पृथक्करण एवं शोधन सम्मिलित है और इसे सामूहिक रूप से अनुप्रवाह संसाधन कहते हैं। उत्पाद को उचित परिरक्षक के साथ संरूपित किया जाता है। औषधि के मामले में ऐसे संरूपण को चिकित्सीय परीक्षण से गुजारते हैं। प्रत्येक उत्पाद के लिये सुनिश्चित गुणवत्ता नियन्त्रण परीक्षण की भी आवश्यकता होती है। अनुप्रवाह संसाधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण प्रत्येक उत्पाद के लिये भिन्न-भिन्न होता है।

11. संक्षेप में बताइए

(क) पीसीआर।

उत्तर: पीसीआर का अर्थ पोलीमरेजचेन रिऐक्शन (पॉलिमरेज श्रृंखला अभिक्रिया) है। इस डीएनए क्षेत्र के पूरक होते हैं) के दो समुच्चयों (सेट्स) व डीएनए पॉलिमरेज एंजाइम का उपयोग करते हुए पात्रे (इनविट्रो) विधि द्वारा उपयोगी जीन के कई प्रतिकृतियों का संश्लेषण होता है। यह एंजाइम जिनोमिक डीएनए को टेंपलेट के रूप में काम में लेकर; अभिक्रिया से मिलने वाले न्यूक्लियोटाइडों का उपयोग करते हुए उपक्रामकों को विस्तृत कर देता है। यदि डीएनए प्रतिकृतयेन प्रक्रम कई बार दोहराया जाता है तब डीएनए खंड को लगभग एक अरब गुना (एक बिलियन) प्रवर्धित किया जा सकता है अर्थात् एक अरब प्रतिरूपों का निर्माण होता है। यह सतत् प्रवर्धन तापस्थायी (थर्मोस्टेबल) डीएनए पॉलिमरेज (जीवाणु, थर्मस एक्वेटिकस से पृथक किया गया है) द्वारा किया जाता है। उच्च तापमान द्वारा प्रेरित द्विलड़ीय डीएनए के विकृतीकरण के समय भी यह हमेशा सक्रिय बना रहता है। 

(ख) प्रतिबंधन एंजाइम और डीएनए।

उत्तर: प्रतिबंधन एंजाइम का उपयोग डीएनए अणुओं को विशिष्ट स्थलों पर काटने के लिए किया जाता है। ये एंजाइम न्यूक्लिएज़ नामक एंजाइमों के एक बड़े वर्ग से संबंधित होते हैं, जो डीएनए या आरएनए को तोड़ने का कार्य करते हैं। 

प्रतिबंधन एंजाइम मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:

(i) एक्सोन्यूक्लिएज़ (Exonucleases): ये एंजाइम द्विलड़ी डीएनए के सिरों (5′ या 3′) से न्यूक्लियोटाइड को क्रमिक रूप से हटाते हैं।

(ii) एंडोन्यूक्लिएज़ (Endonucleases): ये डीएनए के अन्दरुनी भाग में विशिष्ट स्थलों पर कट लगाते हैं। ये सिरों को नहीं काटते और अक्सर डीएनए की एक ही लड़ी को प्रभावित करते हैं।

(iii) प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज़ (Restriction Endonucleases): ये विशेष प्रकार के एंडोन्यूक्लिएज़ होते हैं जिन्हें 1963 में वेर्नर आर्बर द्वारा बैक्टीरिया में खोजा गया था। इन्हें “आणविक कैंची” या “रासायनिक स्केलपेल” भी कहा जाता है। ये एंजाइम डीएनए के द्विलड़ी अनुक्रम में विशेष पैलिंड्रोमिक अनुक्रमों को पहचानते हैं और उस स्थल पर दोनों लड़ियों को काटते हैं।

प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज़ तीन प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किए जाते हैं: प्रकार I, प्रकार II, और प्रकार III ।

इनमें से केवल प्रकार II प्रतिबंधन एंजाइमों का उपयोग पुनः संयोजक डीएनए प्रौद्योगिकी में किया जाता है, क्योंकि ये इन विट्रो (in vitro) स्थितियों में विशिष्ट डीएनए अनुक्रमों—जो सामान्यतः 4 से 8 न्यूक्लियोटाइड लंबे होते हैं को सटीक रूप से पहचानकर काट सकते हैं।

(ग) काइटिनेज।

उत्तर: काइटिनेज एक प्रकार का एंजाइम है जिसका इस्तेमाल काइटिन के अवक्रमण के लिए किया जाता है, जो कवकीय कोशिका भित्ति का एक प्रमुख घटक है| इसलिए, कवक के झिल्ली के भीतर संलग्न डीएनए को अलग करने के लिए, एंजाइम चिटिनासे का उपयोग इसके आनुवंशिक पदार्थ को जारी करने के लिए सेल को तोड़ने के लिए किया जाता है| इसलिए, कवक के कोशिका झिल्ली के भीतर संलग्न डीएनए को अलग करने के लिए  काइटिनेज एंजाइम का उपयोग इसके आनुवंशिक पदार्थ को मोचित करने के लिए कोशिका को तोड़ने के लिए किया जाता है|

12. अपने अध्यापक से चर्चा करके पता लगाइए कि निम्नलिखित के बीच कैसे भेद करेंगे-

(क) प्लाज्मिड डीएनए और गुणसूत्रीय डीएनए।

उत्तर: 

प्लाज्मिड डीएनएगुणसूत्रीय डीएनए
(i) प्लाज्मिड गोलाकार बाह्य डीएनए होता है जो स्वतः प्रतिकृतीयन करता है तथा प्राकृतिक रूप से ये बैक्टीरिया यीस्ट में पाए जाते है।(i)पहचान स्थल सहित अनुक्रम गुणसूत्रीय डीएनए सभी जीवो के गुणसूत्रों में उपस्थित रहते है।
(ii) सामान्य वृद्धि एव विभाजन के लिए यह आवश्यक नहीं है।(ii) वृद्धि तथा विभजन के लिए यह आवश्यक है।
(iii) इसमें कोशिका के कुछ गुणों की सुचना निहित रहती है।(iii) इसमें सभी गुणों की सूचना निहित रहती है।

(ख) आरएनए और डीएनए।

उत्तर: 

आरएनएडीएनए
(i) आरएनए का अधिकांश भाग कोशिका द्रव्य में समाहित होता है।(i) यह आमतौर पर केंद्रक और कुछ कोशिका अंगों के अंदर होता है।
(ii) कम से कम तीन प्रकार के आरएनए होते हैं: एमआरएनए, आरआरएनए और टीआरएनए।(ii) डीएनए केवल दो प्रकार का होता है; इंट्रा-न्यूक्लियर और एक्स्ट्रा-न्यूक्लियर।
(iii) इसमें राइबोज शर्करा होता है।(iii) इसमें डीऑक्सीराइबोज शर्करा होती है।
(iv) यह आमतौर पर खुद को पुनः उत्पन्न नहीं कर सकता है(iv) यह नए डीएनए अणुओं को बनाने के लिए प्रतिकृति बनाता है।
(v) एक कोशिका के आरएनए स्तर अलग-अलग होते हैं।(v) इसकी मात्रा कोशिका के लिए निश्चित है।

(ग) एक्सोन्यूक्लिएज और एंडोन्यूक्लिएज।

उत्तर: 

एक्सोन्यूक्लिएजएंडोन्यूक्लिएज
(i) यह एक प्रकार का प्रतिबंधन एंजाइम है जो डीएनए अणु के 5′ या 3′ सिरों से न्यूक्लियोटाइड को हटाता है(i) यह एक प्रकार का प्रतिबंधन एंजाइम है जो डीएनए के भीतर एक विशिष्ट स्थल पर काटकर चिपचिपा सिरा उत्पन्न करता है
(ii) उन्होंने डीएनए क्षारक युग्मों को उनके अंतिम सिरे पर अलग कर दिया।(ii) यह अंतिम सिरे के अलावा किसी भी स्थल पर डीएनए को अलग करते हैं।
(iii) यह डीएनए के एक लड़ीय या द्विलड़ीय वाले डीएनए के अंतराल पर काम करते हैं।(iii) यह द्विलड़ीय वाले डीएनए के एक लड़ीय या दोनों लड़ी को काटते है ।

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