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NCERT Class 12 Biology Chapter 7 मानव स्वास्थ्य तथा रोग
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मानव स्वास्थ्य तथा रोग
Chapter: 7
अभ्यास
1. कौन से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं, जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरूद्ध रक्षा-उपायों के रूप में सुझायेंगे?
उत्तर: संक्रामक रोगों के विरुद्ध हम निम्नलिखित जन-स्वास्थ्य उपायों को सुझायेंगे-
(i) अपशिष्ट व उत्सर्जी पदार्थों का समुचित निपटान होना।
(ii) संक्रमित व्यक्ति व उसके सामान से दूर रहना।
(iii) नाले-नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव करना।
(iv) आवासीय स्थलों के निकट जल-ठहराव को रोकना, नालियों के गंदे पानी की समुचित
निकासी होना।
(v) संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु वृहद स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाये जाना।
2. जैविकी के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने में किस प्रकार हमारी सहायता की है?
उत्तर: जैविकी के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने में हमारी सहायता निम्नलिखित तरीकों से की है:
(i) जैविकी रोगजनकों की पहचान करने में सहायक होती है।
(ii) यह रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों के जीवन चक्र का विश्लेषण करती है।
(iii) जैविकी से हमें यह ज्ञात होता है कि रोगजनक किस प्रकार मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं और रोग फैलाते हैं।
(iv) यह हमें रोगों से बचाव के उपायों और प्रतिरोधक तरीकों की जानकारी देती है।
(v) जैविकी की सहायता से कई संक्रामक रोगों के विरुद्ध टीकों (इंजेक्शनों) का विकास संभव हुआ है।
3. निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है?
(क) अमीबता।
उत्तर: अमीबता या अमीबी अतिसार एक परजीवी जनित रोग है, जो मानव की वृहत् आंत्र में पाए जाने वाले प्रोटोजोन परजीवी एंटअमीबा हिस्टोलिटिका के कारण होता है। इस रोग के प्रसार में घरेलू मक्खियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये मक्खियाँ संक्रमित व्यक्ति के मल से परजीवी को उठाकर खाद्य पदार्थों तक पहुँचाती हैं, जिससे खाद्य पदार्थ संदूषित हो जाते हैं। इस प्रकार, संदूषित भोजन के सेवन से यह रोग मानव में फैलता है।
(ख) मलेरिया।
उत्तर: यह रोग प्लाज्मोडियम नामक प्रोटोजोआ के कारण होता है। इसकी प्रमुख प्रजातियाँ हैं – प्ला. वाइवैक्स, प्ला. मैलेरिआई, प्ला. फैल्सीपेरम और प्ला. ओवेल। इनमें प्ला. फैल्सीपेरम सबसे घातक होता है, जो रक्त की केशिकाओं को अवरुद्ध कर मृत्यु का कारण बन सकता है। मलेरिया का प्रसार मादा ऐनोफेलीज मच्छर द्वारा होता है। संक्रमित मच्छर जब स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, तो स्पोरोज़ोइट्स परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मलेरिया में हर 48 या 72 घंटे में बुखार आता है और लाल रक्त कणिकाएँ नष्ट होती रहती हैं।
(ग) एस्केरिसता।
उत्तर: एस्केरियासिस: यह रोग आंत्र परजीवी ऐस्कारिस (Ascaris) के कारण होता है। इसके प्रमुख लक्षण हैं आंतरिक रक्तस्राव, पेशियों में दर्द, बुखार, अरक्तता (anemia) और आंत्र अवरोध।
संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ ऐस्कारिस के अंडे बाहर निकलते हैं और मिट्टी, जल, फल, सब्ज़ियों आदि को संदूषित कर देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में यह संक्रमण दूषित पानी, खाद्य पदार्थों या वायु के माध्यम से प्रवेश करता है। यह रोग दस्त, अरक्तता और कभी-कभी उंडुकपुच्छ शोध (appendicitis) का कारण बनता है। कुछ मामलों में परजीवी शरीर के अन्य अंगों तक पहुँचकर गंभीर क्षति भी पहुँचा सकते हैं।
(घ) न्युमोनिया।
उत्तर: न्युमोनिया: यह एक श्वसन तंत्र से संबंधित रोग है, जो मुख्यतः स्ट्रेप्टोकोकस न्युमोनी और हिमोफिलस इंफ्लुएन्ज़ी जैसे जीवाणुओं के कारण होता है। इस रोग में फेफड़ों के वायुकोष्ठ (एल्वियोलाई) संक्रमित होकर तरल पदार्थ से भर जाते हैं, जिससे साँस लेने में कठिनाई होती है। न्युमोनिया के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, ठिठुरन, खाँसी, सीने में दर्द और सिरदर्द शामिल हैं। यह रोग केवल जीवाणुओं से ही नहीं, बल्कि विषाणु (वायरस) और कवकों (फंगी) के कारण भी हो सकता है।
4. जल-वाहित रोगों की रोकथाम के लिए आप क्या उपाय अपनायेंगे?
उत्तर: जलवाहित रोगों की रोकथाम के लिये उपाय:
(i) सभी जल स्रोतों; जैसे- जल कुण्ड, पानी के टैंक इत्यादि की नियमित सफाई करनी चाहिये तथा इन्हें असंक्रमित रखना चाहिये।
(ii) वाहित मल एवं कूड़ा-करकट आदि को जलीय स्रोतों में बहाने से रोकना चाहिये।
(iii) भोजन बनाने के लिये, पीने के लिये व अन्य घरेलू कार्यों हेतु परिष्कृत (संक्रमण, निलम्बित व घुले हुए पदार्थों से स्वतन्त्र) जल का उपयोग करना चाहिये।
5. डी एन ए वैक्सीन के संदर्भ में ‘उपयुक्त जीन’ के अर्थ के बारे में अपने अध्याय से चर्चा कीजिए।
उत्तर: वैक्सीन स्मृति बी और टी-कोशिकाओं का निर्माण करती है, जो पुनः संक्रमण की स्थिति में रोगजनक को शीघ्र पहचान लेती हैं। ये कोशिकाएँ शरीर में प्रतिरक्षकों का तीव्रता से उत्पादन कर रोगाणुओं को पराजित कर देती हैं। पुनर्योगज डीएनए प्रौद्योगिकी के माध्यम से अब जीवाणु या खमीर में रोगजनक की प्रतिजन पॉलीपेप्टाइड का उत्पादन किया जा सकता है। इस प्रतिजन को ही ‘उपयुक्त जीन’ कहा जाता है। इस तकनीक से टीकों का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हो गया है, जिससे प्रतिरक्षण के लिए ऐसे टीकों की उपलब्धता में काफी वृद्धि हुई है। उदाहरणस्वरूप, खमीर से निर्मित यकृतशोथ-बी (Hepatitis B) टीका।
6. प्राथमिक और द्वितीयक लसीकाओं के अंगों के नाम बताइए।
उत्तर: (i) प्राथमिक लसिका अंगः अस्थिमज्जा व थाइमस हैं।
(ii) द्वितीयक लसिकाएँ: प्लीहा, लसिका नोड्स, टॉन्सिल्स, अपेन्डिक्स व छोटी आँत के पियर्स पैचेज आदि हैं।
7. इस अध्याय में निम्नलिखित सुप्रसिद्ध संकेताक्षर इस्तेमाल किए गए हैं। इनका पूरा रूप बताइए-
(क) एमएएलटी।
उत्तर: म्यूकोसल एसोसिएटेड लिम्फॉयड टिशू।
(ख) सीएमआई।
उत्तर: सेल मेडिएटेड इम्युनिटी।
(ग) एड्स।
उत्तर: एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम।
(घ) एनएसीओ।
उत्तर: नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन
(च) एचआईवी।
उत्तर: ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंसी वायरस।
8. निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण दीजिए।
(क) सहज (जन्मजात) और उपर्जित प्रतिरक्षा।
उत्तर:
सहज (जन्मजात) | उपर्जित प्रतिरक्षा |
(i) सहज प्रतिरक्षा एक प्रकार की अविशिष्ट रक्षा है। | (i) उपर्जित प्रतिरक्षा रोगजनक विशिष्ट है। |
(ii) यह जन्म के समय से मौजूद होती | (ii) इसका अभिलक्षण स्मृति है। |
(iii) यह बाह्य संक्रामक कारकों के प्रवेश के विरुद्ध अवरोध प्रदान करके कार्य करता है। | (iii) यह प्राथमिक और द्वितीयक आनुक्रियाएं उत्पन्न करके कार्य करता है, जिनकी माध्यित बी-लसीकाणु ओर टी-लसीकाणु द्वारा की जाती है। |
(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा।
उत्तर:
सक्रिय प्रतिरक्षा | निष्क्रिय प्रतिरक्षा |
(i) जब व्यक्ति के शरीर की अपनी कोशिकाएं रोगाणु के प्रति प्रतिरक्षा सक्रीय प्रतिरक्षा कहलाती है। | (i) जब शरीर की रक्षा के लिए बने बनाये प्रतिरक्षी सीधे ही शरीर को दिए जाते है तो यह निष्क्रिय प्रतिरक्षा कहलाती है। |
(ii) प्रतिरक्षा तत्कालिक नहीं होती, प्रभावी आनुक्रिया दिखाने में अधिक समय लगता है। | (ii) रोग प्रतिरक्षा क्षमता तुरंत विकसित हो जाती है। |
(iii) यह पूरे जीवन कार्य करती है। | (iii) इसका प्रभाव कुछ समय के लिए होता है। |
9. प्रतिरक्षी (प्रतिपिंड) अणु का अच्छी तरह नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
10. वे कौन से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव प्रतिरक्षान्यूनता विषाणु (एच आई वी) का संचारण होता है?
उत्तर: मानव प्रतिरक्षान्यूनता विषाणु (एचआईवी) के संक्रमण के विभिन्न रास्ते हैं:
(i) संक्रमित व्यक्ति के यौन संपर्क से।
(ii) संदूषित रक्त और रुधिर उत्पादों के आधान से।
(iii) संक्रमित सुइयों के साझा प्रयोग से जैसाकि अंतः शिरा (इंट्रावेनस) द्वारा ड्रग का कुप्रयोग करने वालों के मामले में।
(iv) संक्रमित माँ से अपरा द्वारा उसके बच्चे में।
11. वे कौन सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संक्रमित व्यक्ति के करता है। प्रतिरक्षा तंत्र का हास करता है।
उत्तर: संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के बाद, एड्स विषाणु (एचआईवी) सबसे पहले वृहद् भक्षकाणुओं में प्रवेश करता है।
(i) यहाँ, विषाणु का आरएनए जीनोम विलोम ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम की सहायता से प्रतिकृत होकर डीएनए में परिवर्तित हो जाता है। यह विषाणुवीय डीएनए मेज़बान कोशिका के डीएनए में समाविष्ट होकर विषाणु कणों के निर्माण का नियंत्रण करता है।
(ii) वृहद् भक्षकाणु लगातार नए विषाणु उत्पन्न करते हैं और एचआईवी की निर्माण इकाई की तरह कार्य करने लगते हैं।
(iii) इसके बाद एचआईवी सहायक टी-लसीकाणुओं को संक्रमित करता है, उनमें अपनी प्रतिकृति बनाता है और नए विषाणु उत्पन्न करता है।
(iv) रक्त में उपस्थित ये नए उत्पन्न विषाणु अन्य सहायक टी-लसीकाणुओं पर हमला कर उन्हें भी संक्रमित कर देते हैं।
(v) यह चक्र बार-बार दोहराया जाता है, जिससे शरीर में सहायक टी-लसीकाणुओं की संख्या लगातार घटती जाती है।
(vi) परिणामस्वरूप, रोगी लगातार बुखार, दस्त और वजन घटने जैसी समस्याओं से ग्रसित रहता है। उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि वह साधारण संक्रमणों से भी लड़ने में असमर्थ हो जाता है।
12. प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
प्रसामान्य कोशिका | कैंसर कोशिका |
(i) प्रसामान्य कोशिकाएँ संस्पर्श संदमन का गुण दिखाती हैं। इसलिए, जब ये कोशिकाएँ अन्य कोशिकाओं के संपर्क में आती हैं, तो वे विभाजित होना बंद कर देती हैं। | (i) कैंसर कोशिकाओं में संस्पर्श संदमन का गुण नहीं होती है। इसलिए, वे विभाजित होते रहते हैं, जिससे कोशिकाओं का एक पुंज बनता है। |
(ii) ये कोशिकाएँ एक मूल स्थान पर सीमित रहती हैं। | (ii) ये कोशिकाएँ किसी मूल स्थान पर सीमित नहीं रहती हैं। वे निकटवर्ती ऊतकों में चली जाती हैं और उनके कार्य को बाधित करती हैं। |
(iii) विभाजित होने वाली कोशिकाएँ शरीर के उस हिस्से तक ही सीमित रहती हैं जहाँ वे बनती हैं। | (iii) ये कोशिकाएँ मैटास्टेसिस दिखाती हैं, यानी, उनमें नई जगहों पर हमला करने की क्षमता होती है। |
(iv) कोशिकाओं को बाह्यकोशिकीय वृद्धि कारकों की आवश्यकता होती है। | (iv) इन्हें बाह्यकोशिकीय वृद्धि कारकों की आवश्यकता नहीं होती है। |
(v) अर्बुद (ट्यूमर) नहीं बनते। | (v) यह अर्बुद (ट्यूमर) बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं। |
13. मैटास्टेसिस का क्या मतलब है व्याख्या कीजिए।
उत्तर: मेटास्टेसिस एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है, जो दुर्दम (घातक) अर्बुदों की विशिष्ट विशेषता होती है। इस प्रक्रिया के दौरान कैंसर कोशिकाएँ अपने मूल स्थान से अलग होकर शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं। ये कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर अर्बुद (ट्यूमर) का निर्माण करती हैं। प्रारंभिक अर्बुद से कुछ कोशिकाएँ अलग होकर रक्त प्रवाह या लसिका तंत्र में प्रवेश कर जाती हैं। इसके माध्यम से वे शरीर के दूरस्थ अंगों तक पहुँचती हैं और वहाँ सक्रिय रूप से विभाजित होकर नए अर्बुदों का निर्माण शुरू कर देती हैं।
14. ऐल्कोहल ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाएँ।
उत्तर: ऐल्कोहॉल ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं –
(i) अत्यधिक मात्रा में लेने पर इन पदार्थों से श्वसन निष्क्रियता, हृदय- घात, कोमा व मृत्यु भी हो सकती है।
(ii) मादक पदार्थों के व्यसनी पैसे न मिलने पर चोरी का सहारा ले सकते हैं। अतः परिवार समाज के लिये मानसिक व आर्थिक कष्ट हो सकता है।
(iii) ऐल्कोहॉल के चिरकारी प्रयोग से तन्त्रिका तन्त्र व यकृत को क्षति पहुँचती है।
(iv) गर्भावस्था के दौरान मादक पदार्थों का प्रतिकूल प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है।
(v) अन्धाधुन्ध व्यवहार, बर्बरता व हिंसा का बढ़ना।
15. क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहल ड्रग सेवन के लिए प्रभावित कर सकते हैं? यदि हाँ, तो व्यक्ति ऐसे प्रभावों से कैसे अपने आपको बचा सकते हैं?
उत्तर: मित्रगण किसी को ऐल्कोहल/ड्रग लेने के लिये प्रभावित कर सकते हैं। युवा प्रायः ऐसे मित्रों के चंगुल में फंस जाते हैं जो मादक द्रव्यों के आदी हो चुके होते हैं। ऐसे मित्र युवाओं को धीरे-धीरे मादक पदार्थों के सेवन की लत लगा देते हैं तथा युवा इन पदार्थों के चंगुल में बुरी तरह फंस जाते हैं।
स्वयं को इस प्रकार के प्रभाव से बचाने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:
(i) ऐल्कोहॉल और ड्रग से दूर रहने के लिए अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाएँ। किसी को जिज्ञासा और मनोरंजन के लिए ऐल्कोहॉल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(ii) ड्रग लेने वाले दोस्तों की संगति से बचें।
(iii) माता-पिता और साथियों से मदद लें।
(iv) ड्रग के दुरुपयोग के बारे में उचित जानकारी और सलाह लें। अपनी ऊर्जा को अन्य अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों में लगाएँ।
(iv) अगर निराशा और हताशा के लक्षण स्पष्ट हो जाएँ तो मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों से तुरंत पेशेवर और चिकित्सा सहायता लें।
16. ऐसा क्यों है कि जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रग लेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर: एक बार जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रग्स का सेवन शुरू कर देता है, तो उसे इस आदत से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है क्योंकि वह धीरे-धीरे इनका आदी बन जाता है। व्यसन एक मनोवैज्ञानिक जुड़ाव है, जो अस्थायी आनंद, उत्साह या अच्छा महसूस होने जैसे अनुभवों से जुड़ा होता है। ये अनुभव व्यक्ति को तब भी इन पदार्थों के सेवन के लिए प्रेरित करते हैं जब इसकी आवश्यकता न हो, या जब इसका उपयोग हानिकारक या आत्मघाती बन जाए। बार-बार सेवन करने पर शरीर की सहनशीलता (tolerance) बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति को वही प्रभाव पाने के लिए अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप, नशे की लत गहराती जाती है और व्यक्ति इसके एक दुष्चक्र में फँस जाता है, जिससे बाहर निकलना बेहद कठिन हो जाता है।
17. आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिए क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर: (i) जिज्ञासा, जोखिम उठाने व उत्तेजना के प्रति आकर्षण व प्रयोग करने की इच्छा प्रमुख कारण है जो नवयुवकों को ऐल्कोहॉल/ड्रग्स के लिये अभिप्रेरित करते हैं।
(ii) इन पदार्थों के प्रयोग को फायदे के रूप में देखना भी एक अन्य कारण है।
(iii) युवकों में यह भी प्रचलन है कि धूम्रपान, ऐल्कोहॉल, ड्रग्स आदि का प्रयोग व्यक्ति की प्रगति का सूचक है।
(iv) इसको नजरअंदाज करने के लिये रोकथाम व नियन्त्रण संबंधी उपाय कारगर हो सकते हैं।
(v) पढ़ाई, खेल-कूद, संगीत, योग के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य गतिविधियों में ऊर्जा लगानी चाहिए।

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