NCERT Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति के आणविक आधार

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NCERT Class 12 Biology Chapter 5 वंशागति के आणविक आधार

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Chapter: 5

अभ्यास

1. निम्न को नाइट्रोजनीकृत क्षार व न्यूक्लियोटाइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-

एडेनीन, साइटीडीन, थाइमीन, ग्वानोसीन, यूरेसील व साइटोसीन।

उत्तर: नाइट्रोजनीकृत क्षार- एडेनीन, थाइमिन तथा यूरेसील।

न्यूक्लियोटाइड- साइटीडीन, ग्वानोसीन तथा साइटोसीन।

2. यदि एक द्विरज्जुक डीएनए में 20 प्रतिशत साइटोसीन है तो डीएनए में मिलने वाले एडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए।

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उत्तर: चारग्राफ के नियमानुसार द्विरज्जुक डीएनए में A + G = T + C = 1 होता है। अर्थात एडेनीन = थाइमीन, ग्वानिन = साइटोसीन चूँकि साइटोसीन की दी गई मात्रा 20% है तो ग्वानिन भी 20% होगा। ग्वानिन + साइटोसीन = 20 + 20 = 40% 

A + G = 100 + (- 40)% 

A + G = 60% 

चूंकि A = G होता है: अतः एडेनीन की मात्रा = 60/2 = 30% होगी।

3. यदि डीएनए के एक रज्जुक के अनुक्रम निम्नवत लिखें है-

5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3’

तो पूरक रज्जुक के अनुक्रम को 5’→3′ दिशा में लिखे।

उत्तर: डीएनए रज्जुक क्षार अनुक्रम के संबंध में एक दूसरे के पूरक हैं। इसलिए, डीएनए के एक रज्जुक का अनुक्रम है:

5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′

तो, 5′ → 3′ दिशा में पूरक रज्जुक का अनुक्रम होगा:

3′-TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACG-5

इसलिए, 5’→3′ दिशा में डीएनए पॉलीपेप्टाइड पर न्यूक्लियोटाइड्स का अनुक्रम है:

5′-GCATGCATGCATGCATGCATGCATGCAT – 3

4. यदि अनुलेखन ईकाई में कूटलेखन रज्जुक के अनुक्रम को निम्नवत लिखा गया है – 

5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3

तो दूत आरएनए के अनुक्रम को लिखें।

उत्तर: यदि किसी अनुलेखन इकाई में कूटलेखन रज्जुक है:

5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′

तो, 3′ से 5′ दिशा में टेम्पलेट रज्जुक होगा:

3′-TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACG-5′

यह ज्ञात है कि एमआरएनए का अनुक्रम डीएनए के कूटलेखन रज्जुक के समान है। हालाँकि, आरएनए में, थाइमिन को यूरेसिल द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। इसलिए, एमआरएनए का अनुक्रम होगा

5’-AUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGC-3’

5. डीएनए द्विकुंडली की कौन सी विशेषता वाटसन व क्रिक को डीएनए प्रतिकृति के सेमी कंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया; इसकी व्याख्या कीजिए।

उत्तर: वॉटसन और क्रीक ने डीएनए अणु की समानांतर द्विकुंडली (डबल हेलिक्स) संरचना के आधार पर एक अर्थसंरक्षी (सेमी-कंज़र्वेटिव) प्रतिकृति तंत्र का प्रस्ताव रखा। उनके अनुसार, डीएनए की प्रतिकृति के समय अणु की दोनों रज्जुक (स्ट्रैंड) अलग हो जाती हैं और प्रत्येक रज्जुक एक नए पूरक रज्जुक के निर्माण के लिए टेम्प्लेट के रूप में कार्य करती है। यह नया पूरक रज्जुक उस रज्जुक के क्षार अनुक्रम (बेस सीक्वेंस) के अनुसार बनता है जहाँ A के सामने T, T के सामने A, C के सामने G और G के सामने C होता है।

इस प्रक्रिया के अंत में दो नए डीएनए अणु बनते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक मूल (पुराना) रज्जुक और एक नया रज्जुक लिए होता है। चूंकि प्रत्येक संतति डीएनए में एक रज्जुक मूल अणु से संरक्षित रहता है, इसलिए इस प्रतिकृति तंत्र को “अर्थसंरक्षी प्रतिकृति” कहा जाता है। बाद में, जोसेफ टेलर, मेसेल्सन और स्टाल द्वारा किए गए प्रयोगों ने इस प्रतिकृति मॉडल को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया।

6. टेंपलेट (डीएनए या आरएनए) के रासायनिक प्रकृति व इससे (डीएनए या आरएनए) संश्लेषित न्यूक्लिक अम्लों की प्रकृति के आधार पर न्यूक्लिक अम्ल पालीमरेज के विभिन्न प्रकार की सूची बनाइए।

उत्तर: न्यूक्लिक अम्ल पॉलिमरेज़ के प्रकार:

(i) डीएनए पॉलिमरेज़ (DNA Polymerase): यह एंजाइम डीएनए की प्रतिकृति (Replication) के लिए आवश्यक होता है। यह डीएनए टेम्प्लेट के आधार पर डिऑक्सीन्यूक्लियोटाइड्स के बहुलकीकरण (Polymerization) की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करता है। डीएनए की दोनों श्रृंखलाएँ एक साथ पूरी तरह नहीं खुलतीं, बल्कि प्रतिकृति के दौरान डीएनए द्विकुंडली छोटे-छोटे भागों में खुलती है। इन खुले भागों पर नए खंड बनते हैं, जिन्हें डीएनए लाइगेज़ नामक एंजाइम आपस में जोड़ता है। डीएनए पॉलिमरेज़ स्वयं प्रतिकृति की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं कर सकता; इसे एक प्रारंभ बिंदु (Primer) की आवश्यकता होती है, जो संवाहक (Initiator) की सहायता से बनता है।

(ii) आरएनए पॉलिमरेज़ (RNA Polymerase): यह एंजाइम डीएनए पर निर्भर आरएनए पॉलिमरेज़ (DNA-dependent RNA Polymerase) होता है, जो डीएनए से सभी प्रकार के आरएनए का अनुलेखन (Transcription) करता है। यह अस्थायी रूप से प्रारंभन (Initiation) या समापन (Termination) कारकों से जुड़कर अनुलेखन की शुरुआत या अंत करता है।

केन्द्रक (Nucleus) में निम्नलिखित तीन प्रकार के आरएनए पॉलिमरेज़ पाए जाते हैं:

(a) आरएनए पॉलिमरेज़ I: यह राइबोसोमल आरएनए (rRNA) का अनुलेखन करता है।

(b) आरएनए पॉलिमरेज़ II: यह संदेशवाहक आरएनए (mRNA) के पूर्ववर्ती विषमांगी केन्द्रकीय आरएनए (hnRNA) का अनुलेखन करता है।

(c) आरएनए पॉलिमरेज़ III: यह ट्रांसफर आरएनए (tRNA) और छोटे केन्द्रकीय आरएनए के अनुलेखन हेतु उत्तरदायी होता है।

7. डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है, इसे सिद्ध करने हेतु अपने प्रयोग के दौरान हर्ष व चेस ने डीएनए व प्रोटीन के बीच कैसे अंतर स्थापित किया?

उत्तर: हर्षे और चेस ने डीएनए को आनुवंशिक पदार्थ सिद्ध करने के लिए एक प्रसिद्ध प्रयोग किया जिसमें उन्होंने ई. कोलाई जीवाणु और T2 जीवाणुभोजी का उपयोग किया। उन्होंने रेडियोधर्मी समस्थानिकों फॉस्फोरस-32 (P³²) और सल्फर-35 (S³⁵) का प्रयोग यह पता लगाने के लिए किया कि संक्रमण की प्रक्रिया में कौन-सा अंश, डीएनए या प्रोटीन, जीवाणु में प्रवेश करता है। चूंकि डीएनए में फॉस्फोरस होता है और प्रोटीन में सल्फर, इसलिए यह अंतर पहचानने में सहायक रहा। जब जीवाणुभोजी को P³² युक्त माध्यम में विकसित कर संक्रमित किया गया, तो पाया गया कि रेडियोधर्मी डीएनए जीवाणु में प्रवेश कर गया और उसकी अगली पीढ़ी में भी स्थानांतरित हो गया। इसके विपरीत, जब जीवाणुभोजी को S³⁵ युक्त माध्यम में विकसित कर संक्रमित किया गया, तो प्रोटीन आवरण जीवाणु में नहीं गया और बाहर ही रह गया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि डीएनए ही वह पदार्थ है जो संक्रमण की प्रक्रिया में भाग लेता है और आनुवंशिक सूचना को अगली पीढ़ी तक पहुंचाता है। इस प्रकार, हर्षे और चेस के प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है, न कि प्रोटीन।

8. निम्न के बीच अंतर बताइए –

(क) पुनावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए।

उत्तर:

पुनावृत्ति डीएनएअनुषंगी डीएनए
(i) डीएनए का वह भाग जो एक निश्चित अनुक्रम में बार-बार दोहराया जाता है।(i) डीएनए का विशेष प्रकार जो बहुत अधिक पुनरावृत्ति दिखाता है।
(ii) यह CsC1 घनत्व प्रवणता विश्लेषण के दौरान हल्के पट्टियों के रूप में उपस्थित होता है।(ii) CsC1 घनत्व प्रवणता विश्लेषण में, यह छोटे काले पट्टियों के रूप में दिखाई देता है।
(iii) घनत्व प्रवणता अपकेंद्रीकरण के दौरान पुनरावृत्ति वाले डीएनए को अलग-अलग शिखर के रूप में ढेर जीनोम डीएनए से अलग किया जाता है।(iii) यह पुनरावृत्ति डीएनए से अनुषंगी के रूप में अलग हो जाता है। अनुषंगी डीएनए को छोटे शिखर के रूप में अलग किया जाता है।

(ख) एमआरएनए और टीआरएनए।

उत्तर: 

एमआरएनएटीआरएनए।
(i) यह कोशिका में कुल आरएनए का लगभग 5% होता है।(i) यह कोशिका में कुल आरएनए का लगभग 15% होता है।
(ii) इसका अवछाद गुणांक 6-30S है।(ii) इसका अवछाद गुणांक 4S है।
(iii) यह जीन की संख्या के आधार पर विभिन्न प्रकार का होता है।(iii) यह लगभग 100 प्रकार का होता है।
(iv) यह अल्पकालिक (3 सेकंड से कुछ दिन) होता है और आमतौर पर प्रोटीन संश्लेषण के बाद खराब हो जाता है।(iv) यह काफी स्थिर होता है, बार-बार उपयोग किया जाता है, और बहुत धीरे-धीरे विघटितहोता है।
(v) इसमें 75-6000 क्षार होते हैं।(v) इसमें 73-93 क्षार होते हैं।

(ग) टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु।

उत्तर: 

टेम्पलेट रज्जुकोडिंग रज्जु
(i) यह अनुलेखन में भाग लेता है।(i) यह अनुलेखन में भाग नहीं लेता है।
(ii) ध्रुवत्व 3′ → 5′ होता है।(ii) इसमें ध्रुवत्व 5’→3′ होता है
(iii) न्यूक्लियोटाइड क्रम, एमआरएनए में मौजूद क्रम से परिपूर्ण होता है।(iii) न्यूक्लियोटाइड क्रम, एमआरएनए में मौजूद क्रम जैसे होते है सिवाय ७ के स्थान पर 1 होता है।

9. स्थानांतरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाओं की सूची बनाइए।

उत्तर: स्थानांतरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाएँ हैं:

(i) वे राइबोसोम की छोटी उपएकक के खांचे में एमआरएनए (mRNA) के बंधन के लिए एक सतह प्रदान करते हैं।

(ii) चूंकि राइबोसोम की बड़ी उपएकक के ‘P’ भाग पर पेप्टाइड स्थानांतरण होता है, इसलिए यह पेप्टाइड बंध बनाकर अमीनो अम्ल को जोड़ने में मदद करता है।

10. उस संवर्धन में जहाँ ई. कोलाई वृद्धि कर रहा हो लैक्टोज डालने पर लैक-ओपेरान उत्प्रेरित होता है। तब कभी संवर्धन में लैक्टोज डालने पर लैक ओपेरान कार्य करना क्यों बंद कर देता है?

उत्तर: ओपेरॉन संकल्पना जैकब और मोनोड द्वारा 1961 में प्रस्तुत की गई थी, जो जीवाणु ई. कोलाई में जीन की सक्रियता के अनुलेखन स्तर पर नियमन को समझाने के लिए दी गई थी। यह संकल्पना विशेष रूप से लैक्टोस के अपचय से जुड़ी है, जिसमें जब पोषण माध्यम में लैक्टोस उपलब्ध होता है, तब संबंधित जीन सक्रिय होकर आवश्यक एंजाइमों का निर्माण करते हैं, और जब लैक्टोस अनुपस्थित होता है, तो ये जीन निष्क्रिय हो जाते हैं। इस तंत्र को “लैक ओपेरॉन” कहते हैं। लैक ओपेरॉन में चार प्रमुख घटक होते हैं: रेगुलेटर जीन, जो एक दमनकारी प्रोटीन बनाता है; प्रोमोटर जीन, जहाँ से अनुलेखन शुरू होता है; ओपरेटर जीन, जहाँ दमनकारी प्रोटीन बंधता है और संरचनात्मक जीन, जो आवश्यक एंजाइमों  β-गैलेक्टोसाइडेज, गैलेक्टोस परमीएज और थायोगैलेक्टोसाइड ट्रांसऐसीटिलेज  का निर्माण करते हैं। इन संरचनात्मक जीनों को क्रमशः सिस्ट्रॉन-Z, सिस्ट्रॉन-Y और सिस्ट्रॉन-A कहा जाता है। ये सभी जीन एक-दूसरे के निकट स्थित होते हैं और समन्वित रूप से कार्य करते हैं। ओपेरॉन संकल्पना यह दर्शाती है कि किसी उपापचयी प्रक्रिया में आवश्यक एंजाइमों का निर्माण केवल तभी होता है जब उनकी आवश्यकता होती है, जिससे जीवाणु ऊर्जा की बचत करता है।

11. निम्न के कार्यों का वर्णन (एक या दो पंक्तियों से) करो –

(क) उन्नायक (प्रोमोटर)।

उत्तर: डीएनए का यह अनुक्रम जीन अनुलेखन इकाई बनाता है तथा अनुलेखन इकाई में स्थित टेम्पलेट व कूटलेखन रज्जुक का निर्धारण करता है।

(ख) अंतरण आरएनए (tRNA)।

उत्तर: अंतरण आरएनए एक छोटा आरएनए है, जो एमीनो अम्लों के लाने व आनुवांशिक कूट को पढ़ने का काम करता है| यह आरएनए के स्थानांतरण के दौरान संरचनात्मक व उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है।

(ग) एक्जान।

उत्तर: कूटलेखन अनुक्रम या अभिव्यक्त अनुक्रमों को एक्जान कहते हैं।

12. मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना क्यों कहा गया।

उत्तर: मानव जीनोम परियोजना एक अत्यंत महत्वाकांक्षी और विस्तृत वैज्ञानिक योजना थी, जिसका उद्देश्य मनुष्य के जीनोम में उपस्थित सभी जीनों की पहचान करना और उनके क्षार अनुक्रमों (base sequences) को निर्धारित करना था। मानव जीनोम में लगभग 3 × 10⁹ क्षार युग्म होते हैं, और अनुमान के अनुसार प्रत्येक क्षार युग्म की पहचान पर लगभग तीन अमेरिकी डॉलर खर्च होते हैं। इस प्रकार संपूर्ण परियोजना पर लगभग 9 बिलियन डॉलर का व्यय अनुमानित किया गया था।

इस योजना से प्राप्त अनुक्रमों का संग्रह इतना विशाल है कि यदि प्रत्येक पृष्ठ पर 10,000 शब्द लिखे जाएं, तो लगभग 3,300 पुस्तकों की आवश्यकता होगी, जिनमें 1,000 पृष्ठ हों। इस परियोजना को पूरा करने के लिए प्रारंभ में 13 वर्षों का समय अनुमानित किया गया था। विश्व भर के हजारों वैज्ञानिकों और शोध संस्थानों ने इसमें भाग लिया, जिसके परिणामस्वरूप इसकी पहली चरण की अनुक्रमण प्रक्रिया केवल 10 वर्षों में पूरी हो सकी।

13. डी एन ए अंगुलिछापी क्या है। इसके उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: डीएनए अंगुलिछापी, जिसे डीएनए टाइपिंग के रूप में भी जाना जाता है, एक तकनीक है जो डीएनए के विशेष क्षेत्रों (वैरिएबल नंबर आफ टेंडेम रिपीट) के न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों को निर्धारित करती है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट हैं। प्रत्येक व्यक्ति का एक अलग डीएनए अंगुलिछाप होता है। एक डीएनए अंगुलिछाप किसी व्यक्ति की हर कोशिका, ऊतक और अंग के लिए समान होता है, एक पारंपरिक अंगुलिछाप के विपरीत, जो केवल उँगलियों पर होता है और सर्जरी द्वारा बदला जा सकता है। इसे किसी भी ज्ञात उपचार से बदला नहीं जा सकता।

14. निम्न का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-

(क) अनुलेखन।

उत्तर: डीएनए की एक रज्जुक से आनुवांशिक सूचनाओं का आरएनए में प्रतिलिपीकरण करने की प्रक्रिया को अनुलेखन कहते हैं| पूरकता का सिद्धांत अनुलेखन प्रक्रम को नियंत्रित करता है जिसमें एडिनोसिन थाइमिन की जगह पर यूरेसील के साथ क्षारयुग्म बनाता है| केवल डीएनए का एक छोटा भाग पॉलीपेप्टाइड का कूटलेखन करता है|

(ख) बहुरूपता।

उत्तर: जीन जनसंख्या में आनुवंशिक उत्परिवर्तनों का, उच्च आवृत्ति में होना, बहुरूपता कहलाता है। ऐसे उत्परिवर्तन डीएनए अनुक्रमों के परिवर्तित होने के कारण उत्पन्न होते हैं तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर एकत्रित होते हैं तथा बहुरूपता का कारण बनते हैं। बहुरूपता अनेक प्रकार की होती है तथा इसमें एक ही न्यूक्तिओटाइड में अथवा वृहद स्तर पर परिवर्तन होते हैं।

(ग) स्थानांतरण।

उत्तर: एमआरएनए न्यूक्लिओटाइड की श्रृंखलाओं का अमीनो अम्ल की। पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं में परिवर्तित होना, स्थानान्तरण कहलाता है। यह प्रक्रिया राइबोसोम पर प्रोटीन संश्लेषण के दौरान होती है। इसमें सर्वप्रथम एंजाइम व ATP द्वारा अमीनो अम्ल का सक्रियकरण होता है। सक्रिय अमीनो अम्ल टीआरएनए पर स्थानांतरित होते हैं वे संश्लेषण प्रारंभ हो जाता है। तत्पश्चात् पॉलीपेप्टाइड अनुक्रम निर्धारित होते हैं। टीआरएनए अणुओं के मध्य उपस्थित पेप्टाइड स्थल द्वारा पेप्टाइड बंध निर्मित होते हैं।

(घ) जैव सूचना विज्ञान।

उत्तर: यह कम्प्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग होता है, जो प्रबंधन, जीनोमीक्स की बड़ी सूचनाओं को संशोधित करने, सूचना प्रसंस्करण, आँकड़ों का विश्लेषण करने और नए ज्ञान का निर्माण करने के साथ काम करता है।

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