NCERT Class 12 Biology Chapter 3 जनन स्वास्थ्य

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NCERT Class 12 Biology Chapter 3 जनन स्वास्थ्य

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Chapter: 3

अभ्यास

1. समाज में जनन स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए?

उत्तर: जनन स्वास्थ्य सामान्यतः स्वस्थ जनन अंगों और उनके सामान्य कार्यों से संबंधित होता है। इसका अर्थ है जनन के सभी पहलुओं सहित एक संपूर्ण स्वास्थ्य – शारीरिक, भावनात्मक, व्यवहारात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य। यह यौन संचारित रोगों जैसे एड्स आदि को विशेष रूप से किशोर आयु वर्ग में रोकने में सहायक होता है।

जनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। इसमें उपलब्ध जन्म नियंत्रण विकल्पों के बारे में जानकारी देना, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, माँ और बच्चे की प्रसवोत्तर देखभाल, स्तनपान के महत्त्व के प्रति जागरूकता फैलाना शामिल है। साथ ही, लड़के और लड़की को समान महत्त्व और समान अवसर देने की जानकारी से जागरूक और स्वस्थ परिवारों का निर्माण होता है।

जनन स्वास्थ्य अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं और सामाजिक उत्पीड़न जैसे यौन दुरुपयोग और यौन अपराधों को कम करने में भी सहायक है। इसके माध्यम से जननात्मक रूप से जिम्मेदार और सामाजिक रूप से स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है।

2. जनन स्वास्थ्य के उन पहलुओं को सुझाएँ, जिन पर आज के परिदृश्य में विशेष ध्यान देने की जरूरत है?

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उत्तर: आज के परिदृश्य में जनन स्वास्थ्य के प्रमुख पहलू, जिन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, निम्नलिखित हैं:

(i) सभी व्यक्तियों को सुरक्षित, संतुलित और संतोषजनक प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना।

(ii) समाज में प्रजनन और यौन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता फैलाना।

(iii) विद्यालयों में यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाना, ताकि किशोरों को सही जानकारी मिले।

(iv) लोगों को यौन संचारित रोगों (STDs), किशोरावस्था के शारीरिक और मानसिक बदलावों तथा उनकी समस्याओं की जानकारी देना।

(v) जनसंख्या विस्फोट के गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दुष्परिणामों के प्रति जनता को सचेत करना।

(vi) गर्भपात, गर्भ निरोधन, मासिक चक्र की गड़बड़ियों और बाँझपन जैसी समस्याओं पर खुलकर चर्चा और समाधान उपलब्ध कराना।

(vii) लिंग जांच (उल्बवेधन) के माध्यम से मादा भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराइयों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना।

3. क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है? यदि हाँ तो क्यों?

उत्तर: हाँ, विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है, ताकि युवाओं को सही जानकारी मिल सके और बच्चे यौन संबंधी विभिन्न पहलुओं के बारे में फैली भ्रांतियों पर विश्वास न करें और उन्हें यौन संबंधी गलत धारणाओं से छुटकारा मिल सके| जनन-अंगों, किशोरावस्था एवं उससे संबंधित परिवर्तनों, सुरक्षित और स्वच्छ यौन क्रियाओं, यौन संचारित रोगों एवं एड्स के बारे में जानकारी जनन संबंधी स्वस्थ जीवन बिताने में सहायक होंगी|

4. क्या आप मानते हैं कि पिछले 50 वर्षों के दौरान हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है? यदि हाँ, तो इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए?

उत्तर: पिछले 50 वर्षों के दौरान निश्चित ही हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्र निम्न हैं:

(i) शिशु व मातृ मृत्यु दर घटी है।

(ii) यौन संचारित रोगों की शीघ्र पहचान व उनका समुचित उपचार।

(iii) बंध्य दंपतियों को विभिन्न तकनीकियों द्वारा संतान लाभ।

(iv) बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ व जीवन स्तर।

(v) विभिन्न प्रकार के गर्भ निरोधकों की खोज व उपलब्धता।

(vi) चिकित्सीय सहायता युक्त सुरक्षित प्रसव।

(vii) लघु परिवारों के लिए प्राथमिकता।

(viii) यौन संबंधी मुद्दों पर बढ़ती हुई जागरूकता।

(ix) बढ़ती जनसंख्या के नियन्त्रण हेतु प्रयासरत सरकार व आम जनता।

5. जनसंख्या विस्फोट के कौन से कारण हैं?

उत्तर: जनसंख्या विस्फोट के निम्नलिखित कारण हैं:

(i) मृत्यु दर में तीव्र गिरावट|

(ii) मातृ मृत्युदर में कमी।

(iii) शिशु मृत्युदर में कमी|

(iv) जनन आयु के लोगों की संख्या में वृद्धि|

6. क्या गर्भनिरोधकों का उपयोग न्यायोचित है? कारण बताएँ।

उत्तर: विश्व की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के लिए विभिन्न प्रकार के गर्भनिरोधकों का उपयोग किया जाता है। कंडोम जैसे गर्भनिरोधक न केवल अनचाहे गर्भ से बचाते हैं, बल्कि अनेक यौन संचारित रोगों और संक्रमणों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। गर्भनिरोधकों के माध्यम से अवांछनीय परिस्थितियों से बचा जा सकता है और व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मिलता है। आज विश्व के अधिकांश दंपति परिवार नियोजन के लिए गर्भनिरोधकों का उपयोग कर रहे हैं। इन सभी कारणों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि गर्भनिरोधकों का उपयोग एक समझदारीपूर्ण और उचित निर्णय है।

7. जनन ग्रंथि को हटाना गर्भ निरोधकों का विकल्प नहीं माना जा सकता है? क्यों?

उत्तर: गर्भनिरोधक वे उपकरण या साधन होते हैं जिनका उपयोग कृत्रिम रूप से गर्भधारण को रोकने के लिए किया जाता है। एक आदर्श गर्भनिरोधक ऐसा होना चाहिए जिसका उपयोग सरल हो, जिसके दुष्प्रभाव नगण्य हों, और जो उपयोगकर्ता की यौन इच्छा, क्रिया या संतुष्टि में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करे। साथ ही, उसका प्रभाव reversibility (प्रतिवर्तनीयता) की दृष्टि से भी उपयुक्त होना चाहिए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर प्रजनन क्षमता वापस प्राप्त की जा सके। हालांकि, जनन ग्रंथियों को हटाना एक स्थायी और अपरिवर्तनीय प्रक्रिया है, जिससे पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्थायी बंध्यता हो सकती है। साथ ही, जनन ग्रंथियाँ शरीर में आवश्यक हार्मोन का निर्माण भी करती हैं, इसलिए इनका निष्कासन गर्भनिरोधक विकल्प के रूप में उचित नहीं माना जाता।

8. उल्बवेधन एक घातक लिंग निर्धारण (जाँच) प्रक्रिया है, जो हमारे देश में निषेधित है? क्या यह आवश्यक होना चाहिए? टिप्पणी करें।

उत्तर: उल्बवेधन एक चिकित्सीय तकनीक है, जिसके अंतर्गत माँ के गर्भ से एम्नियोटिक द्रव्य का एक अंश सुई के माध्यम से निकाला जाता है। इस द्रव्य में भ्रूण की कोशिकाएँ होती हैं, जिनके गुणसूत्रों का विश्लेषण करके भ्रूण के लिंग, आनुवांशिक संरचना, आनुवांशिक विकारों तथा चयापचयी रोगों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य संभावित भ्रूणीय विकलांगता या विकार की पहचान करना है, जिससे समय रहते आवश्यक चिकित्सीय निर्णय लिए जा सकें, जैसे कि गंभीर विकार की स्थिति में चिकित्सकीय गर्भपात।

किन्तु आजकल इस तकनीक का दुरुपयोग भ्रूण का लिंग ज्ञात करने और मादा भ्रूण का गर्भपात करने के लिए किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप देश में लिंगानुपात तेजी से असंतुलित होता जा रहा है। दुर्भाग्यवश, हमारे समाज में आज भी पुत्र को प्राथमिकता दी जाती है, जिसके कारण पूरी तरह स्वस्थ मादा भ्रूणों का भी गर्भपात कर दिया जाता है। यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि एक जीवित प्राणी की हत्या के समान है। अतः उल्बवेधन जैसे परीक्षणों पर सख्त कानूनी नियंत्रण और उनके दुरुपयोग पर प्रतिबंध अत्यंत आवश्यक है, ताकि समाज में लिंग समानता और नैतिक संतुलन बनाए रखा जा सके।

9. बंध्य दंपतियों को संतान पाने हेतु सहायता देने वाली कुछ विधियाँ बताएँ।

उत्तर: बंध्य दंपतियों को संतान प्राप्ति में सहायता देने हेतु निम्नलिखित प्रमुख विधियाँ उपलब्ध हैं:

(i) परखनली शिशु (In Vitro Fertilization – IVF): इस विधि में शुक्राणु और अंडाणु को शरीर के बाहर प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। निषेचन के पश्चात् बने भ्रूण को स्त्री के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। गर्भकाल की सामान्य अवधि पूरी होने पर शिशु का जन्म होता है।

(ii) युग्मक अंतः फैलोपियन स्थानांतरण (GIFT): यह विधि उन महिलाओं पर प्रयोग की जाती है जो दीर्घकाल से बंध्य हैं। इसमें लेप्रोस्कोप की सहायता से अंडाणु और शुक्राणु को सीधे फैलोपियन नलिका के एम्पुला भाग में स्थापित किया जाता है, जिससे प्राकृतिक निषेचन की संभावना बढ़ती है।

(iii) अंतःकोशिकाद्रव्यीय शुक्राणु बेधन (ICSI – Intracytoplasmic Sperm Injection): इस प्रक्रिया में एकल शुक्राणु को प्रयोगशाला में सीधे अंडाणु के भीतर इंजेक्ट किया जाता है। निषेचित अंडाणु (भ्रूण) को फिर स्त्री के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

(iv) कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination): यह तकनीक उन पुरुषों के लिए उपयोगी है जिनमें शुक्राणुओं की संख्या या गुणवत्ता कम होती है। इसमें पुरुष के वीर्य को एकत्रित कर स्त्री की योनि में कृत्रिम रूप से स्थापित किया जाता है ताकि निषेचन संभव हो सके।

10. किसी व्यक्ति को यौन संचारित रोगों के संपर्क में आने से बचने के लिए कौन से उपाय अपनाने चाहिए?

उत्तर: यौन संचारित रोग यौन संबंधो के द्वारा संचारित व अति संक्रामक होते हैं। इन रोगों से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए:

(i) सहवास के दौरान कंडोम का प्रयोग करें।

(ii) समलैंगिकता से दूर रहें।

(iii) परगामी व्यक्ति से यौन संबंध न बनायें।

(iv) वेश्यावृत्ति से दूर रहें।

(v) किसी भी प्रकार की यौन समस्या होने पर कुशल चिकित्सक से परामर्श लें।

(vi) अनजान व्यक्ति से यौन संबंध न बनाये।

11. निम्न वाक्य सही है या गलत, व्याख्या सहित बताएँ-

(क) गर्भपात स्वतः भी हो सकता है (सही/गलत)।

उत्तर: गलत, सामान्य परिस्थितियों में गर्भपात स्वतः नहीं होता है। गर्भपात का अर्थ है स्वेच्छा से या किसी दुर्घटनावश गर्भ का नष्ट होना।

(ख) बंध्यता को जीवनक्षम संतति न पैदा कर पाने की अयोग्यता के रूप में परिभाषित किया गया है और यह सदैव स्त्री की असामान्यताओं/दोषों के कारण होती है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत, बंध्यता स्त्री या पुरुष दोनों के दोषों या विकारों के कारण होती है।

(ग) एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक उपाय के रूप में शिशु को पूर्णरूप से स्तनपान कराना सहायक होता है। (सही/गलत)

उत्तर: सही, प्रसव के उपरान्त शिशु को भरपूर स्तनपान कराने से अंडोत्सर्ग नहीं होता है। अतः आर्तव चक्र के प्रारम्भ न होने से गर्भठहरने की संभावना भी नहीं रहती है। किन्तु यह प्रसव के पश्चात् 4-6 महीने तक ही प्रभावी होता है।

(घ) लोगों के जनन स्वास्थ्य के सुधार हेतु यौन संबंधित पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करना एक प्रभावी उपाय है। (सही/गलत)

उत्तर: सही, जनन स्वास्थ्य के लिए लोगों को यौन संबंधी समस्याओं, भ्रान्तियों व अवधारणाओं के बारे में सही जानकारी देना जरूरी है। सुरक्षित यौन संबंध, गर्भ निरोधन, यौन रोगों से बचाव आदि महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ, लोगों को जनन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाती है।

12. निम्नलिखित कथनों को सही करें-

(क) गर्भनिरोध के शल्य क्रियात्मक उपाय युग्मक बनने को रोकते हैं।

उत्तर: गर्भनिरोध के शल्य क्रियात्मक उपाय में यौन संबंध के दौरान युग्मक परिवहन रोक दिया जाता है|

(ख) सभी प्रकार के यौन संचारित रोग पूरी तरह से उपचार योग्य हैं।

उत्तर: सभी प्रकार के यौन संचारित रोग पूरी तरह से उपचार योग्य नहीं हैं|

(ग) ग्रामीण महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक के रूप में गोलियाँ (पिल्स) बहुत अधिक लोकप्रिय हैं।

उत्तर: शहरी महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक के रूप में गोलियाँ (पिल्स) बहुत अधिक लोकप्रिय हैं|

(घ) ई टी तकनीकों में भ्रूण को सदैव गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है?

उत्तर: ई टी तकनीकों में 8 ब्लास्टेमियर तक के भ्रूण को फैलोपी नलिकाओं में तथा 8 ब्लास्टेमियर से अधिक के भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है|

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