NCERT Class 12 Biology Chapter 2 मानव जनन

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NCERT Class 12 Biology Chapter 2 मानव जनन

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Chapter: 2

अभ्यास

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

(क) मानव  ________ उत्पत्ति वाला है। (अलैंगिक / लैंगिक)

उत्तर: लैंगिक।

(ख) मानव ________  हैं। (अंडप्रजक, सजीवप्रजक, अंडजरायुज)

उत्तर: सजीवप्रजक।

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(ग) मानव में  ________ निषेचन होता है। (बाह्य / आंतरिक)

उत्तर: आंतरिक।

(घ) नर एवं मादा युग्मक  ________ होते हैं। (अगुणित / द्विगुणित)

उत्तर: अगुणित।

(ङ) युग्मनज _______  होता है। (अगुणित / द्विगुणित)

उत्तर: द्विगुणित।

(च) एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को  _______ कहते हैं।

उत्तर: अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन)।

(छ) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन)  _________ होता है। नामक हॉर्मोन द्वारा प्रेरित (इनड्यूस्ड)।

उत्तर: ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (LH)।

(ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्युजन) को  _______ कहते हैं।

उत्तर: निषेचन।

(झ) निषेचन  ________ में संपन्न होता है।

उत्तर: अंडवाहिनी नली।

(ञ) युग्मनज विभक्त होकर _______  की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रापित (इंप्लांटेड) होता है।

उत्तर: ब्लास्टोसिस्ट (कोरकपुटी)।

(ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को ________ कहते हैं।

उत्तर: अपरा।

2. पुरुष जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।

उत्तर: 

3. स्त्री जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।

उत्तर: 

4. वृषण तथा अंडाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर: वृषण के कार्य:

(i) वृषण की जनन कोशिकाओं द्वारा शुक्रजनन की प्रक्रिया से शुक्राणुओं का निर्माण होता है।

(ii) सर्टोली कोशिकाएँ शुक्रजन कोशिकाओं और विकसित होते शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करती हैं।

(iii) अन्तराली कोशिकाओं से एन्ड्रोजन (मुख्यतः टेस्टोस्टेरोन) हॉर्मोन का स्राव होता है, जो पुरुषों में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास को नियंत्रित करता है।

अंडाशय के कार्य:

(i) अंडाशय की जनन कोशिकाओं द्वारा अंडजनन की प्रक्रिया से अंडाणुओं का निर्माण होता है।

(ii) ग्राफियन पुटिका से स्रावित एस्ट्रोजन हॉर्मोन अंडोत्सर्ग की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है तथा स्त्रियों में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास में योगदान देता है।

(iii) अंडोत्सर्ग के बाद बनने वाली संरचना, कॉर्पस ल्यूटियम, प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का स्राव करती है, जो गर्भाशय को निषेचित अंडाणु के लिए उपयुक्त बनाता है और गर्भधारण की प्रक्रिया को सहयोग देता है।

5. शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें।

उत्तर: प्रत्येक वृषण पालिका के अंदर एक से लेकर तीन अत्यधिक कुंडलित शुक्रजनक नलिकाएँ होती हैं, जिनमें शुक्राणुओं का निर्माण होता है। प्रत्येक शुक्रजनक नलिका का भीतरी भाग दो प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है, जिन्हें नर जर्म कोशिकाएँ और सर्टोली कोशिकाएँ कहते हैं। नर जर्म कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन के परिणामस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं, जबकि सर्टोली कोशिकाएँ जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती हैं। शुक्रजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश कहा जाता है। इस अवकाश में छोटी-छोटी रक्त वाहिकाएँ और अंतराली कोशिकाएँ (लीडिग कोशिकाएँ) पाई जाती हैं, जो शुक्रजनन प्रक्रिया में सहायक होती हैं।

6. शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।

उत्तर: शुक्राणुप्रसू रूपांतरित होकर शुक्राणु (स्पर्मेटोजोआ/स्पर्म) बनाते हैं और इस प्रक्रिया को शुक्राणुजनन (स्पर्मिओजेनेसिस) कहा जाता है।

शुक्राणुजनन एक जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा पुरुषों में शुक्राणु (स्पर्म) उत्पन्न होते हैं। यह प्रक्रिया वृषणों की अंडकोषीय नलिकाओं में स्थित जर्मिनल उपकला से शुरू होती है, जहाँ प्राथमिक जर्म कोशिकाएँ (स्पर्मेटोगोनिया) माइटोसिस द्वारा विभाजित होकर प्राथमिक शुक्राणुकोशिकाओं का निर्माण करती हैं। ये प्राथमिक शुक्राणुकोशिकाएँ (2n) पहले अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis I) से गुजरकर दो द्वितीयक शुक्राणुकोशिकाएँ (n) बनाती हैं। इसके बाद, प्रत्येक द्वितीयक शुक्राणुकोशिका दूसरे अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis II) से होकर दो शुक्राणुप्रसू (स्पर्मेटिड्स) बनाती है, जिससे कुल चार हैप्लॉइड (n = 23 गुणसूत्रों वाले) शुक्राणुप्रसू उत्पन्न होते हैं। ये शुक्राणुप्रसू शुक्राणुजनन की अंतिम प्रक्रिया, जिसे स्पर्मिओजेनेसिस कहते हैं, के दौरान परिपक्व होकर पूर्ण रूप से विकसित शुक्राणु (स्पर्मेटोजोआ) बनते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में सर्टोली कोशिकाएँ शुक्राणुओं को पोषण और समर्थन प्रदान करती हैं। इस प्रकार, एक शुक्राणुजन कोशिका से चार परिपक्व शुक्राणु उत्पन्न होते हैं, जिनमें आधी (n) मात्रा में गुणसूत्र होते हैं। इस संपूर्ण प्रक्रिया को ही शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) कहा जाता है।

7. शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हॉर्मोनों के नाम बताएँ?

उत्तर: शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में निम्न हॉर्मोन शामिल होते हैं:

(i) गोनेडोट्रॉपिन रिलीजिंग हार्मोन (GRH)।

(ii) ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LII)।

(iii) फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH)।

(iv) एन्ड्रोजेन।

(v) इनहिबिन।

8. शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमियेशन) की परिभाषा लिखें।

उत्तर: शुक्राणुजनन: वृषण में शुक्राणुजन कोशिकाओं से शुक्राणुओं के बनने की क्रिया शुक्राणुजनन कहलाती है। शुक्राणुजन कोशिकाओं से अचल स्पर्मेटिड्स का निर्माण तीन अवस्थाओं में होता है, इन्हें क्रमशः गुणन प्रावस्था, वृद्धि प्रावस्था तथा परिपक्वन प्रावस्था कहते हैं। अचल स्पर्मेटिड्स के चल शुक्राणुओं में बदलने की प्रक्रिया को शुक्राणुजनन या शुक्राणु-कायान्तरण कहते हैं। 

वीर्यसेचनः शुक्राणु कायान्तरण के पश्चात् मुक्त शुक्राणुओं के शीर्ष सली कोशिकाओं में अन्तःस्थापित हो जाते हैं। शुक्रजनक नलिकाओं से शुक्राणुओं के मोचित होने की प्रक्रिया को वीर्यसेचन कहते हैं।

9. शुक्राणु का एक नामांकित आरेख बनाएँ।

उत्तर: 

10. शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं?

उत्तर: वीर्य (पुरुषों में उत्पादित) शुक्राणुओं और शुक्रीय प्रद्रव्य से बना होता है। पुरुष प्रजनन प्रणाली में शुक्रीय प्रद्रव्य के प्रमुख घटक बलगम, शुक्राणु और सहायक ग्रंथियों के विभिन्न स्राव हैं। शुक्रीय प्रद्रव्य में फ्रुक्टोज, कैल्सियम, एस्कॉर्बिक एसिड और कुछ एंजाइम प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह शुक्राणुओं को पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है।

11. पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रंथियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?

उत्तर: पुरुष की सहायक नलिकाओं के प्रमुख कार्य निम्न हैं:

(i) ये वृषण से शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग द्वारा बाहर लाती हैं।

(ii) ये शुक्राणुओं का संग्रह करती हैं।

पुरुष की सहायक ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य निम्र हैं:

(i) पुरस्थ द्रव का स्राव करना जो शुक्राणुओं को सक्रिय करता है।

(ii) काउपर्स ग्रन्थि चिपचिपा तरल स्रावित करती है जो योनि को चिकना बनाता है।

(iii) नर हार्मोन उत्पन्न करना।

12. अंडजनन क्या है? अंडजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें।

उत्तर: एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें मादा जनन ग्रंथियों (अंडाशय) में अंडाणुओं का निर्माण और परिपक्वता होती है। यह प्रक्रिया यौवन अवस्था में शुरू होती है और रजोनिवृत्ति तक चलती रहती है।

प्रोलीफेरेशन प्रावस्थाः इस अवस्था की शुरुआत उस समय से होती है जब मादा फीट्स माँ के गर्भ में लगभग 7 माह की होती है। जनन कोशिकाएँ विभाजित होकर अंडाशय की गुहा में कोशिका गुच्छ बना देती हैं जिसे पुटिका कहते हैं। पुटिका की एक कोशिका आकार में बड़ी हो जाती है तथा इसे ऊगोनियम कहते हैं।

वृद्धि प्रावस्थाः यह अवस्था भी उस समय पूरी हो जाती है जब मादा माँ के गर्भ में होती है। इस अवस्था में ऊगोनियम पोषण कोशिकाओं से भोजन एकत्रित करते समय आकार में बड़ी हो जाती है। उसे प्राथमिक ऊसाइट कहते हैं।

परिपक्व प्रावस्थाः यह क्रिया पूरे जनन काल (11-45) वर्ष में लगातार होती रहती पाल्यावस्था है। प्राथमिक ऊसाइट में पहला अर्धसूत्री विभाजन होता है तथा दो असमान कोशिकाएँ बन जाती हैं। बड़ी कोशिका द्वितीयक ऊसाइट कहलाती है, जबकि छोटी कोशिका को प्रथम ध्रुवीकाय कहते हैं। यह विभाजन अंडोत्सर्ग से पहले होता है। दूसरा समसूत्री विभाजन अंडवाहिनी में, अंडोत्सर्ग के बाद होता है जिसके फलस्वरूप एक अंडाणु तथा एक द्वितीयक ध्रुवीकाय बनती है। सभी ध्रुवीकाय नष्ट पिंड हो जाती हैं तथा इस सम्पूर्ण क्रिया में एक अंडाणु प्राप्त होता है। ध्रुवीकार्य का निर्माण अंडाणुओं को पोषण प्रदान करने के लिए होता है।

13. अंडाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।

उत्तर: 

14. ग्राफी पुटक (ग्राफिएन फॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।

उत्तर: 

15. निम्नलिखित के कार्य बताएँ-

(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्युटियम)।

उत्तर:  पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटीयम): यह प्रोजेस्ट्रॉन, एस्ट्रोजेन, रिलेक्सिन नामक हार्मोन का स्राव करता है जो गर्भाशय के अंतः स्तर को बनाए रखते हैं।

(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमेट्रियम)।

उत्तर: गर्भाशय अंत: स्तर (एन्डोमेट्रियम): यह निषेचित अण्डे के प्रत्यारोपण तथा सगर्भता के लिए आवश्यक है। मासिक चक्र के दौरान इसमें परिवर्तन आता है। यह अपरा निर्माण में भी सहायक है।

(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)।

उत्तर: अग्रपिंडक (एक्रोसोम): शुक्राणु के शीर्ष में एक दीर्घिकृत अगुणित केंद्रक होता है और इसका अग्रभाग एक टोपीनुमा संरचना से आवृत्त होता है जिसे अग्रपिंडक (एक्रोसोम) कहते हैं| यह अग्रपिंडक उन प्रकिण्वों से भरा होता है, जो अंडाणु के निषेचन में मदद करते हैं|

(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)।

उत्तर: शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)- यह शुक्राणु को निषेचन करने के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करता है|

(च) झालर (फिम्ब्री)।

उत्तर: झालर (फिम्ब्री)- अण्डोत्सर्ग के दौरान अंडाशय से उत्सर्जित अंडाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते हैं|

16. सही या गलत कथनों को पहचानें-

(क) पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सॉली कोशिकाओं द्वारा होता है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

(ख) शुक्राणु को सट्रॉली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है। (सही गलत)

उत्तर: सही।

(ग) लीडिग कोशिकाएँ अंडाशय में पाई जाती हैं। (सही/गलत)

उत्तर: गलत ।

(घ) लीडिंग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं। (सही/गलत)

उत्तर: सही ।

(ङ) अंडजनन पीत पिंड (कॉपर्स ल्युटियम) में संपन्न होता है। (सही गलत)

उत्तर: गलत।

(च) सगर्भता (प्रेगनेंसी) के दौरान आर्तव चक्र (मेन्सटुअल साइकिल) बंद होता है। (सही/गलत)

उत्तर: सही ।

(छ) योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटी) या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं हैं। (सही गलत)

उत्तर: सही ।

17. आर्तव चक्र क्या हैं? आर्तव चक्र (मेन्सटुअल साइकिल) का कौन से हॉर्मोन नियमन करते हैं?

उत्तर: मासिक धर्म चक्र एक प्राइमेट मादा के प्रजनन पथ का चक्रीय परिवर्तन है। इस अवधि को लगभग हर महीने (28 दिन मामूली बदलाव के साथ) मासिक धर्म प्रवाह (यानी, रक्तस्राव के साथ गर्भाशय के गर्भाशय अंतःस्तर का बहना) के रूप में दोहराई जाने वाली एक विशिष्ट घटना द्वारा चिह्नित किया जाता है। केवल गर्भावस्था के दौरान यह अस्थायी रूप से बंद हो जाता है।

आर्तव चक्र (Menstrual Cycle) का नियमन मुख्य रूप से चार प्रमुख हार्मोनों द्वारा किया जाता है, जो मस्तिष्क और अंडाशय द्वारा स्रावित होते हैं। इन हार्मोनों में गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH), कूप उत्तेजक हार्मोन (FSH), ल्युटिनाइजिंग हार्मोन (LH), और ओवरी से स्रावित होने वाले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन शामिल हैं।

गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित होता है और यह पिट्यूटरी ग्रंथि को कूप उत्तेजक हार्मोन (FSH) और ल्युटिनाइजिंग हार्मोन (LH) का स्राव करने के लिए प्रेरित करता है। FSH अंडाशय में कूप (Follicle) के विकास को उत्तेजित करता है और कूप से एस्ट्रोजन के स्राव को बढ़ावा देता है। एस्ट्रोजन गर्भाशय की भीतरी परत (एंडोमेट्रियम) को मोटा बनाता है और FSH के स्राव को नियंत्रित करते हुए LH के उत्पादन को बढ़ावा देता है। जब LH का स्तर अचानक बढ़ता है, तो यह ओव्यूलेशन (अंडाणु का विमोचन) को प्रेरित करता है।

18. प्रसव (पारट्युरिशन) क्या है? प्रसव को प्रेरित करने में कौन से हार्मोन शामिल होते हैं?

उत्तर: सगर्भता के अंत में गर्भाशय के जोरदार संकुचनों के कारण गर्भ बाहर निकुल आता है। गर्भ के बाहर निकलने की इस क्रिया को शिशु जन्म या प्रसव T (पारट्युरिशन) कहा जाता है।

प्रसव (Childbirth) को प्रेरित करने में मुख्य रूप से तीन हार्मोन शामिल होते हैं: ऑक्सीटोसिन, प्रोस्टाग्लैंडिन्स और रिलैक्सिन। ऑक्सीटोसिन, जो हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित होता है, गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन को बढ़ाकर प्रसव पीड़ा उत्पन्न करता है। प्रोस्टाग्लैंडिन्स, जो गर्भाशय और प्लेसेंटा से स्रावित होते हैं, गर्भाशय ग्रीवा को नरम और पतला बनाते हैं तथा संकुचन को सहज बनाते हैं। रिलैक्सिन, जो अंडाशय और प्लेसेंटा से स्रावित होता है, श्रोणि अस्थियों और लिगामेंट्स को ढीला कर प्रसव मार्ग को चौड़ा बनाता है। इन तीनों हार्मोनों का सामूहिक प्रभाव ही प्रसव की स्वाभाविक प्रक्रिया को प्रारंभ और संचालित करता है।

19. हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?

उत्तर: सभी मनुष्यों में गुणसूत्र के 23 जोड़े उपस्थित होते हैं। पुरुष में ऑटोसोम्स के 22 जोड़े और एक जोड़ा लिंग गुणसूत्र होते हैं, जिसमें एक X और एक Y गुणसूत्र शामिल होता है। जबकि स्त्री में ऑटोसोम्स के 22 जोड़े और एक जोड़ा लिंग गुणसूत्र होते हैं, जिसमें दोनों X गुणसूत्र होते हैं। एक शिशु के लिंग का निर्धारण पुरुष युग्मक (X या Y) के प्रकार से होता है, जो महिला के X गुणसूत्र के साथ निषेचन करता है। यदि निषेचित शुक्राणु X गुणसूत्र वाला होता है, तो शिशु मादा (लड़की) होगा, जबकि Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु होने पर शिशु नर (लड़का) होगा। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि शिशु के लिंग निर्धारण में पुरुष का योगदान निर्णायक होता है। इसलिए हमारे समाज में लड़कियों के जन्म का दोष महिलाओं को देना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अनुचित है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी गलत है।

20. एक माह में मानव अंडाशय से कितने अंडे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अंडे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जन्मे हुए जुड़वाँ बच्चे, द्विअंडज यमज थे?

उत्तर: हर अंडाशय में कई अपरिपक्व अंडे होते हैं, जो पुटकों से जुड़े रहते हैं। मासिक धर्म चक्र के दौरान आमतौर पर एक अंडा 14 वें से 16 वें दिन के बीच मोचित होता है, लेकिन कभी-कभी दो या अधिक अंडे भी निकल सकते हैं। यदि एक अंडा निषेचित होकर दो भ्रूणों में विभाजित हो जाए, तो समान जुड़वाँ (मोनोज़ायगोटिक) बनते हैं। वहीं, यदि दो अंडे निषेचित हों, तो भ्रातृ-संबंधी असमान जुड़वाँ (डाइज़ायगोटिक) उत्पन्न होते हैं।

21. आप क्या सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से कितने अंडे मोचित हुए थे।

उत्तर: अगर एक कुतिया ने 6 पिल्लों को जन्म दिया है, तो बहुत संभावना है कि उसके अंडाशयों से कम से कम 6 अंडे मोचित (रिलीज़) हुए होंगे क्योंकि प्रत्येक पिल्ला आमतौर पर एक अलग अंडे से विकसित होता है।

कुत्तों में जुड़वाँ (एक अंडे से दो पिल्ले) होना बहुत ही दुर्लभ होता है, इसलिए लगभग हर पिल्ला एक अलग अंडे और शुक्राणु से बनता है। कम से कम 6 अंडे मोचित हुए होंगे।

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